पापा के दोस्त ने मेरी जवानी का मजा लूटा

यंग पोर्न गर्ल फक स्टोरी में मुझे बॉयफ्रेंड से चुद कर सेक्स की लत लग गयी थी. पापा की ट्रान्सफर के बाद मेरी चूत को नए लंड की जरूरत थी जिसे पापा के दोस्त ने पूरा किया.

मेरा नाम नेहा है, उम्र 20 साल है.
हमारी फैमिली में मैं, पापा मम्मी और बड़ा भाई हैं.
हम लोग हिमाचल प्रदेश के रहने वाले हैं.

मेरा साइज 34-30-36 का है, मैं शुरूआत से ही भरे हुए जिस्म की लौंडिया हूँ.
मैं अपने बॉयफ्रेंड से सेक्स करती थी, उस वजह से भी भर गई हूँ.

मेरे पापा का ट्रांसफर हिमाचल से सहारनपुर हो गया था तो पापा ने वहां जाकर एक घर किराए पर ले लिया था.
हम सब भी सहारनपुर आ गए थे.

सहारनपुर से जाने से पहले मैं अपने बॉयफ्रेंड से खूब चुदी थी.

नए शहर में आकर मैं अकेली सी हो गई थी, इधर कोई जानने वाला ही नहीं था, मेरी चूत में काफी खुजली बढ़ गई थी.
इस वजह से जब भी मौका मिलता, तो बॉयफ्रेंड से फोन पर बात करके टाइम काट लेती थी.

पापा एक अच्छी पोस्ट पर थे तो बहुत से लोग उनसे काम निकलवाने के लिए उनके पास आते रहते थे.

पापा को रोज ड्रिंक करने की आदत थी तो वे घर में ही पी लेते थे.
उनकी बोतल से मैंने खुद भी कई बार थोड़ी ले ली थी.

एक शाम मैंने फ्राक पहन रखी थी.
मेरी चूत भभक रही थी तो शाम की ठंडी हवा नंगी जांघों में मस्त लग रही थी.

रात के 8 बजे एक अंकल आए.
उनकी उम्र 45-47 की रही होगी.
उन्होंने घर की डोर बैल बजाई.

मैंने दरवाजा खोला तो वे मुझे ही ऊपर से नीचे तक देख कर बोले- बेटी, आपके पापा घर में हैं!
मैं बोली- हां हैं अंकल, आपका नाम?

अंकल बोले- अपने पापा को बोलो धर्मेन्द्र आए हैं.
मैंने पापा से बोला कि कोई धर्मेन्द्र आपसे मिलने आए हैं.

पापा बोले- उनको ऊपर के रूम में ले जाओ, मैं आता हूँ.
मैं अंकल से बोली- अंकल, आपको पापा ने ऊपर के रूम में बैठने को बोला है, अन्दर आ जाओ आप … मैं आपको रूम दिखा देती हूँ.
अंकल बोले- ठीक है बेटी.

मैं आगे चल रही थी तो अंकल को मेरी मटकती हुई गांड साफ दिखाई दे रही थी.
मैंने ऐसे ही पीछे मुड़कर देखा तो सच में अंकल मेरी ही गांड देख रहे थे.

उनकी कामुक नजरों को महसूस करते ही, न जाने क्यों मेरी भी वासना जाग गई थी.
फिर मैं अंकल को रूम में बिठा कर नीचे आ गई.

थोड़ी देर के बाद पापा ने आवाज दी- नेहा, गिलास और पानी लेकर आ जा!
मैं समझ गई कि आज पापा इन अंकल के साथ मूड बनाने वाले हैं.

मैं गिलास व पानी लेकर कमरे में गई.
तब भी अंकल की नजर मुझ पर ही थी.

मैंने झुक कर सामान रखकर अंकल को अपने दूध दिखा दिए.
अंकल की आंखें चमक उठी थीं.

तभी पापा बोले- खाने के लिए भी कुछ ले आओ बेटी.
उनके सामने दारू की बोतल रखी थी.

मैंने हां में सर हिलाया और उनके लिए सलाद और नमकीन ले आई.
वे दोनों बात करते हुए पीने लगे.
अंकल मुझे देख कर मुस्कुरा दिए.

मैंने भी हल्के से मुस्कुरा दिया.
अब यह उन अंकल का रोज का काम हो गया था.

एक दिन मेरी मौसी की तबीयत खराब हो गई थी तो मां और भाई को हिमाचल आना पड़ा.

मैं उस दिन बहुत खुश थी क्योंकि बहुत दिन बाद अपने बॉयफ्रेंड से फोन पर बात कर रही थी.
अकेले होने के कारण मैंने उसके साथ बिंदास वीडियो कॉल पर नंगी होकर बात की और उसे दिखा कर अपनी चूत का पानी निकाला, उसने भी अपने लंड की मुठ मारी.

जब शाम हुई, तो पापा ऑफिस से घर आ गए.
मैं रात का खाना बनाने की तैयारी करने लगी.

आठ बजे के करीब अंकल आए.
उस दिन मैं बिना ब्रा और पैंटी के थी.

अंकल मुझे देख कर ही समझ गए थे कि आज मैंने अन्दर कुछ नहीं पहना है.

अब पापा और अंकल का रोज का काम शुरू हो गया.
मैं दोनों के लिए कुछ नमकीन बनाने लगी.

जब मैं प्लेट ऊपर लेकर गई तो देखा अंकल पैग बना रहे थे और पापा कोई फाइल देख रहे थे.

अंकल ने पापा के गिलास में कुछ डाला और पानी मिला दिया.
मैंने सब डोर के पास से देख लिया.

मैं अब अन्दर आ गई और खाने का सामान सामने रख दिया और पापा से बोली- खाना कब खाना है पापा?
तो पापा फाइल में देखते हुए बोले- तुम तैयार करो, हम अभी आते हैं.

मैं रसोईघर में आ गई और खाना बनाने लगी.
थोड़ी देर बाद मुझे अपनी गांड पर किसी के हाथ होने का अहसास हुआ.

मैंने पीछे मुड़ कर देखा तो अंकल मेरी गांड को सहला रहे थे.
मैं इठला कर बोली- अंकल यह क्या कर रहे हो?

अंकल बोले- जो मुझे पहले से कर लेना चाहिए था!
एकदम से अंकल ने मुझे अपनी ओर खींच लिया और कब मेरे होंठ पर अपने होंठ रख दिए, मुझे पता ही नहीं लगा.

अंकल के मुँह से शराब की महक आ रही थी, मैं अंकल से छूटने की कोशिश करने लगी … पर उनकी पकड़ बहुत मजबूत थी.
अंकल ने मेरी फ्राक को मेरी गांड के ऊपर कर दिया और मेरी गांड के साथ खेल रहे थे.

अंकल बोले- साली, तेरी जवानी देख कर पहले ही दिन से पागल हो गया था, पर तू साली आज हाथ लगी है!
मैं हंस कर बोली- अंकल यह क्या बोल रहे हो आप! आप तो मुझे बेटी बोलते थे न?

अंकल- साली छिनाल … तू मेरे लिए रंडी से ज्यादा नहीं है.
यह कहते हुए अंकल ने एकदम से मेरे दूध मसल दिए.

मेरे मुँह से बहुत जोर की आह निकल गई.
अंकल और जोर से चिल्ला कर बोले- साली रंडी … चीख बहन की लौड़ी … तेरी आह ऊँह से आज किसी को कोई फर्क नहीं पड़ेगा. कितने दिन से तेरे लिए मेरा लंड तड़फ रहा था, तू आज हाथ आई है!

अंकल ने अब मेरी फ्राक पूरी तरह से उतार दी.
अन्दर मैंने कुछ पहना ही नहीं था तो मैं पूरी नंगी हो गई थी.

मेरा नंगा जिस्म देख कर अंकल ने कहा- साली बहुत मस्त माल है तू तो!
वे मेरे होंठ पर किस करने लगे और एक हाथ से मेरी चूत में उंगली डालने लगे.

मुझे भी ऐसा करने में मजा आ रहा था और मेरा हाथ कब अंकल की पैंट के ऊपर से उनके लंड पर चला गया, कुछ अहसास ही नहीं हुआ.

अंकल ने मुझे रसोई की पट्टी पर उठा कर बैठा दिया और मेरी चूत पर मुँह लगा दिया.

अंकल मेरी चूत को चाट भी रहे थे और अपनी एक उंगली भी अन्दर बाहर कर रहे थे.
थोड़ी देर में ही मेरा शरीर अकड़ने लगा और मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया.
अंकल सारा पानी चाट कर पी गए.

अब अंकल ने अपने सारे कपड़े उतार दिए.
मेरी नजर जब अंकल के लंड पर गई तो मैं हैरान रह गई.

उनका लंड एनाकोंडा के जैसा था, पूरा काला और खासा मोटा लम्बा भी! अंकल के लंड के सामने मेरे बॉयफ्रेंड का लंड तो बहुत ही छोटा था.

अभी मैं सोच ही रही थी कि अंकल ने एकदम से मुझे पट्टी से नीचे कर दिया और लंड को मेरे मुँह के ऊपर फेरने लगे.

अंकल बोले- चल कुतिया आज मेरे सरकटे लंड की सेवा कर … अपने मुँह में ले इसे बहन की लौड़ी!
मैंने जैसे ही मुँह खोला, अंकल ने लंड मुँह के अन्दर डाल दिया.

अंकल के लंड से बहुत गंदी गंध आ रही थी.
मगर अंकल ने मेरा सर पकड़ा और लंड को मेरे मुँह में आगे पीछे करने लगे.

वे गंदी गंदी गालियां भी दे रहे थे- साली आज चोदना तो तेरी मां को था रंडी … पर अब तू चुदेगी … बहुत पैसा खाया है तेरे बाप ने हमसे आह रंडी ले चूस लौड़े को!

कुछ देर बाद अंकल ने मुझे नीचे सुला दिया और मेरी दोनों टांगों के बीच आ गए.
वे अपने मूसल ब्रांड लंड को मेरी चूत के ऊपर घिसने लगे.

मुझे ऐसा लग रहा था कि बस जल्दी से अंकल का लंड चूत में घुस ही जाए.

तभी एकदम से अंकल ने एक जोर का झटका मारा तो उनका थोड़ा सा लंड मेरी चूत के मुँह को फैलाता हुआ अन्दर चला गया.
मैं जोर से चिल्लाई तो अंकल ने मेरा मुँह बन्द कर दिया.

वे समझ रहे थे कि उन्होंने सील पैक चूत में अपनी रॉड घुसेड़ दी, लेकिन मेरी चुदी चुदाई चूत में काफी दिन उनके मोटे लंड के घुसने से मुझे दर्द हुआ था.
अंकल कुछ देर रूके, फिर उन्होंने एक और झटका मारा.

अंकल का आधा लंड मेरी चूत को चीरता हुआ अन्दर चला गया.
मेरा मुँह बंद था तो मेरी कराह नहीं निकल पाई.

कुछ देर बाद जब अंकल ने अपना एक हाथ मेरी चूचियों पर फेरा तो मुझे राहत मिलने लगी.

अंकल अब मेरे चूचों को हाथ में लेकर जोर जोर से मसलने लगे.
मुझे उनके तेज मसलने से बहुत दर्द हो रहा था.

कुछ देर बाद अंकल ने फिर से एक झटका मारा.
इस बार उनका पूरा लंड मेरी चूत के अन्दर चला गया.

मुझे ऐसा लग रहा था कि मेरी बच्चेदानी को भी फाड़ कर अन्दर चला गया हो.

मेरी आँखों से पानी निकल रहा था.
मैं बेहोश हो गई.

अंकल अपने लंड को मेरी चूत में अन्दर बाहर किए जा रहे थे.
मेरी आंख नहीं खुल रही थी. बस कमरे में मेरी चूत के अन्दर बाहर होने वाले लंड की थाप ही सुनाई दे रही थी.

थोड़ी देर बाद मैं झड़ गई तो चूत में चिकनाई हो गई और लंड तेजी से अन्दर बाहर होने लगा.

अब अंकल तो मेरी चूत का भोसड़ा बनाने में लग गए थे.

कुछ देर बाद मैं जरा होश में आई तो अंकल मुझे देख कर बोले- रंडी मजा आ गया तेरी चूत फाड़ कर … क्या मस्त चूत है तेरी!

अंकल ने अपनी चुदाई की स्पीड और तेज कर दी. चोदने के साथ साथ वे मेरे साथ गंदी गंदी गाली-गलौज भी कर रहे थे.

मैं एक बार फिर से झड़ गई.
पर अंकल तो अपनी फुल स्पीड से ही मुझे चोद रहे थे.

अब मेरी चूत में दर्द कम हो गया था तो मैं भी गांड उठाकर अंकल का लंड अपनी चूत में लेने लगी.

थोड़ी देर बाद अंकल भी झड़ने वाले थे तो अंकल ने चूत से लंड को बाहर निकाला.

मैं उनका लौड़ा देख कर डर गई.
पूरे लंड पर मेरी चूत से निकला हुआ खून लगा था.

अंकल अब लंड को हिलाने लगे.
फिर अंकल के लंड ने पिचकारी छोड़ना शुरू कर दिया.

उनके लंड से पूरा पानी मेरे नंगे शरीर और मुँह पर गिरा.
अंकल अब बाथरूम में चले गए.

मैंने पास में रखे कपड़े से अपने आपको साफ किया.
फिर जब चूत को देखा, तो चूत पूरी फूल गई थी.
खून अब भी चूत से निकल रहा था.

अंकल बाथरूम से बाहर आए और मेरी फैली हुई चूत को देख कर बोले- रंडी, आज तो तुझे असली लंड का मजा दिया है. अब रोज तेरी ऐसी ही चुदाई होगी.
मैं कुछ नहीं बोली.

अंकल ने अपने कपड़े पहन लिए और अपनी जेब से 2000 रूपए निकाल कर मेरे ऊपर फेंक दिए.
वे बोले- रंडी, आज तो तेरी चूत का मजा लिया है, कल तेरी गांड से मजा लूँगा. अच्छे से गांड की मालिश करके रेडी रखना.

फिर अंकल घर से बाहर चले गए.
मैंने उठने की कोशिश की पर उठ नहीं सकी.

मैं फिर वैसे ही फर्श पर सो गई.

कुछ देर बाद मैं उठी तो पापा के पास गई, वे बेहोश पड़े थे.
शायद अंकल ने उन्हें कोई दवा खिला दी थी.

उधर पापा का दारू का गिलास आधा भरा हुआ था. मैंने उसे उठा कर सूंघा तो मुझे समझ आ गया कि अंकल ने दवा मिलाई हुई थी.

मैंने पापा को पानी के छींटे मार कर होश में लाई और उन्हें खाना के लिए पूछा.

उन्होंने पूछा- धर्मेन्द्र चला गया?
मैंने कहा- हाँ.

पापा ने कहा- मैं आज खाना नहीं खाऊंगा, तबियत ठीक नहीं है.
यह कह कर वे अपने कमरे में सोने चले गए.

मैंने उनके जाते ही धर्मेन्द्र अंकल के गिलास में दारू का एक पैग बनाया और एक ही सांस में खत्म करके सामने टेबल पर पड़ी सिगरेट की डिब्बी से एक सिगरेट निकाल कर अपने कमरे में चली गई.
उधर जाकर मैंने खिड़की के पास रखी कुर्सी पर बैठ कर टांगें फैलाईं और सिगरेट का मजा लेती हुई अपनी चूत सहलाने लगी.

आपको मेरी यह सेक्स कहानी कैसी लगी, मुझे मेल करके जरूर बताएं.
अगली सेक्स कहानी में मैं बताऊंगी कि अगले दिन धर्मेन्द्र अंकल ने किस तरह से मेरी गांड मारी और कितनों से मुझे चुदवाया.
अंकल ने एक रंडी की तरह मेरा कैसे इस्तेमाल किया और मुझे भी अपनी चूत के लिए कितने लंड का मजा मिला.
[email protected]