न्यू गांड हॉट सेक्स कहानी में मैं एक अनजान लड़के से अपनी कुंवारी बुर चुदवाकर अपनी चिरलम्बित लालसा पूर्ण कर चुकी थी. उसी लड़के ने अगले दिन कैसे मेरी गांड भी फाड़ी?
दोस्तो, मैं हूँ आपकी शबनम की ख़ास सहेली नूरी!
मेरी पिछली कहानी
कुंवारी नूरी की पहली चुदाई अनजान लड़के से
में मैंने आपको बताया कि किस तरह आशीष ने मुझे मेरी जिंदगी कि पहली चुदाई का मजा दिया और किस तरह मेरी सील तोड़ कर उसने मुझे लड़की से औरत बना दिया था.
अब मैं हाजिर हूँ अपनी न्यू गांड हॉट सेक्स कहानी लेकर:
चुदाई के बाद हम दोनों शांत बैठे थे और मैं इस बात से बेखबर थी कि मेरी जिंदगी में एक ऐसा तूफ़ान आने वाला है जो मेरी जिंदगी बदल कर रख देगा.
पहली चुदाई की ख़ुशी इतनी ज्यादा थी कि मेरे आंसू निकल आये थे.
मुझे रोती देख कर आशीष ने मुझे अपने सीने से लगा लिया और प्यार से मेरे आंसू पौंछते हुए बोला- क्या हुआ नूरी, रो क्यों रही हो?
मैंने कहा- ये तो ख़ुशी के आंसू हैं. तुमने आज मुझे मेरी जिंदगी कि सबसे बड़ी ख़ुशी दी है. मुझे ऐसा लग रहा है मानो तुमने बस मेरे जिस्म को ही नहीं बल्कि मेरी रूह को भी चोद डाला है।
आशीष मेरे माथे को चूमते हुए बोला- तुमने भी मुझे आज जिंदगी कि सबसे बड़ी ख़ुशी दी है. मैंने कसम खाई थी कि जिस लड़की से प्यार करूँगा उसको ही चोदूंगा. मुझे तुमको देखते ही तुमसे प्यार हो गया था।
मैंने आशीष के सीने से लगते हुए कहा- ओह आशीष, ये क्या कह रहे हो?
आशीष ने कहा- सच कहता हूँ नूरी, मैं तुमसे प्यार करता हूँ, शादी करूँगा तुमसे!
मैंने रोते हुए कहा- लेकिन किधर तुम और किधर मैं? एक गरीब लड़की से तुम क्यों शादी करना चाहते हो?
आशीष ने कहा- तुम्हारी गरीबी से मुझे कोई लेना देना नहीं, अगर तुमने मुझसे शादी ना की तो मैं मर जाऊंगा।
मैंने आशीष के मुंह पर हाथ रखते हुए कहा- हायल्ला, मरें तुम्हारे दुश्मन!
आशीष बोला- तो फिर वादा करो कि मुझसे शादी करोगी?
मैंने कहा- वादा करती हूँ, जिऊंगी तो तुम्हारे साथ और मरूंगी तो तुम्हारे साथ. आज से और अभी से तुम मेरे शौहर हो।
तभी दरवाजे पर आहट हुई और मेरी सहेलियों के खिलखिलाने की आवाज आई.
सब लड़कियां और आशीष के दोस्त उछलते हुए होटल के कमरे में दाखिल हुए.
उन लोगों ने सोचा होगा कि हमको ऐसी वैसी हालत में देखने का मौका मिलेगा लेकिन इधर तो सन्नाटा छाया हुआ था.
मैं और आशीष दोनों ही खामोश बैठे थे मानो हमारे बीच कुछ हुआ ही ना हो.
मुझे खामोश देख कर मेरी सहेलियां भी खामोश हो गईं.
और मैं आशीष को उसके दोस्तों के साथ छोड़कर चुपचाप अपनी सहेलियों के साथ निकल गई.
होटल पहुँच कर सब मुझे पूछने लगीं- सच बता क्या हुआ? उसने कुछ कहा क्या?
मैं शबनम के कंधे पर सर रखकर जोर जोर से रोने लगी- हम एक दूसरे से प्यार करते हैं और आशीष अमेरिका जाने से पहले मुझसे शादी करना चाहता है।
मोना बोली- कलमुंही, तुझे चुदवाने भेजा था या प्यार के झूले झूलने भेजा था?
शबनम उसको रोकते हुए बोली- प्यार करना कोई बुरी बात तो नहीं है. बता नूरी, तू क्या चाहती है, हम लोग तेरी सारी मदद करेंगे।
मैंने कहा- मैं बस वही चाहती हूँ जिसमें आशीष की ख़ुशी है।
शकीला बोली- ठीक तो है, इतना अच्छा लड़का मिल रहा है तो क्यों ना करे शादी. वरना घर वाले तो इसकी शादी इमरान से करवा देंगे जो दिन भर इसकी चप्पलों से कुटाई करेगा और उसके सारे घर वाले इसे चोदेंगे।
सब लड़कियां बोलीं- हाँ हाँ, चलो अब हम इन दोनों की शादी करवाएंगी।
उस दिन मेरी सहेलियां मुझे कमरे में अकेली छोड़ कर जाने किधर चली गईं.
शाम को सब लौट कर आईं और बोलीं- चल जल्दी से, तेरे लिए एक सरप्राइज है हमारे पास!
सब लड़कियां मुझे एक ब्यूटी पारलर ले गईं जिधर मुझे रगड़ कर मल मल कर इन हरामजादियों ने दुल्हन की तरह तैयार करवा दिया.
दुल्हन के लाल लिबास में तो मैं एकदम परी जैसी लग रही थी.
मैंने पूछा- हरामजादियो, ये सब क्या लगा रखा है? कुछ तो बताओ?
लेकिन सब हंसती रहीं और कोई कुछ नहीं बोली.
मुझे लेकर ये लोग होटल के एक आलिशान कमरे में पहुंची.
कमरा पूरी तरह फूलों से सजा हुआ था और एकदम सुहागरात के कमरे की तरह लग रहा था.
कमरे के बीचों बीच एक बड़ा सा पलंग था जो फूलों से भरा हुआ था.
सारी लड़कियां मुझे उस पलंग पर बैठा कर और मेरे मुंह पर घूंघट डाल कर खिलखिलाती हुई भाग गईं.
कुछ देर में आहट हुई तो मैंने देखा कि कमरे का दरवाजा खुला और दूल्हे के लिबास में आशीष अंदर आया.
मैं तो उसको देखती ही रह गई.
दूल्हे के इस लिबास में कितना प्यारा लग रहा था मेरा आशीष!
आशीष हँसते हुए मेरी तरफ बढ़ा और बोला- अरे यार, इन दोस्तों ने पता नहीं क्या साजिश की है हमारे खिलाफ?
मैंने पलंग पर बैठे बैठे ही मुस्कुराते हुए कहा- हमको मिलाने की साजिश की है इन सब ने मिलकर!
आशीष मुस्कुराते हुए मेरे पास आकर बैठ गया.
उसने दोनों हाथों से मेरा घूंघट छुआ तो मैंने उसको रोक दिया- पहले मुंह दिखाई का नजराना दीजिये जनाब, उसके बाद ही चाँद का दीदार होगा।
आशीष ने धीरे से अपना पर्स निकाला और मेरे हाथ पर रख दिया- सब कुछ तो तुम्हारा है जानेमन, और क्या दे सकता हूँ तुमको?
मैंने आशीष का हाथ थामते हुए कहा- रुपया पैसा नहीं चाहिए, वादा करिये कि सारी जिंदगी ऐसे ही प्यार करेंगे मुझे!
आशीष ने मेरा हाथ थामते हुए कहा- वादा करता हूँ, सारी जिंदगी ऐसे ही प्यार करूँगा।
अब आशीष ने मेरा घूंघट उठाया तो ऐसे देखता रह गया … मानो मुझे पहली बार देख रहा हो- वाह, खुदा भी आसमान से जब जमीं पर देखता होगा तो सोचता होगा कि इस हुस्न की परी को नीचे क्यों भेज दिया।
मैंने शरमाते हुए कहा- मेरे सरताज, परी नहीं, मैं तो बांदी हूँ आपकी!
आशीष ने मेरे चेहरा अपने हाथों में लेकर मेरे होंठों को चूम लिया.
मैंने भी आशीष का साथ दिया और उसके मुंह में अपनी जीभ घुसा दी.
हम दोनों का थूक एक दूसरे के मुंह में जा रहा था.
मुझे अंदर से कितनी ख़ुशी हो रही थी मैं बता नहीं सकती.
कल जिस लड़के से छिनाल की तरह चुद रही थी आज उसी लड़के के साथ बीवी बन कर सुहागरात मना रही हूँ.
अब आशीष ने मेरी नथ खोल कर एक तरफ रख दी और फिर मेरे बाकी गहने भी एक एक करके उतार दिए.
आशीष ने मेरी चोली के बटन एक एक करके खोलना शुरू किया और कुछ ही देर में मेरी चोली आशीष के हाथों में थी.
मैंने भी आगे बढ़ कर आशीष के कुर्ते के बटन खोलकर कुरता एक तरफ उतार फेंका.
अब आशीष ने मेरा लंहगा उतार दिया और मैंने आशीष का पजामा उतार दिया.
मुझे आशीष पर बहुत प्यार आ रहा था.
मैंने आशीष के सारे बदन को बेतहाशा चूमना शुरू कर दिया.
आशीष को चूमते चूमते मैं थक गई तो आशीष ने मुझे चूमना शुरू कर दिया.
मेरे सारे जिस्म को आशीष ने चूम चूम कर अपने थूक से गीला कर डाला.
मैंने आशीष को बिस्तर पर लेटने को कहा.
आशीष चुपचाप बिस्तर पर लेट गया तो मैंने उसका अंडरवियर उतार दिया.
आज तो सुहागरात की ख़ुशी में आशीष का लंड कुछ ज्यादा ही फूला हुआ था.
मैंने आशीष के लंड पर ढेर सारा थूक गिराया और उसके सुपारे को चिकना कर दिया.
अब मैंने आशीष के लंड को मुंह में लिया और उसके लंड से अपना मुंह चोदने लगी.
कुछ देर तक अपना लंड चुसवाने के बाद आशीष ने मुझे मेरी चूत उसके मुंह पर रखने को कहा.
मैं आशीष के मुंह पर चूत रख कर बैठ गई और आशीष के लंड का स्वाद लेने लगी.
इधर आशीष ने अपनी लम्बी जीभ मेरी चूत के अंदर घुसा दी तो मेरी आह निकल गई.
आशीष अपनी जीभ से मेरी चूत चोदने लगा और अपनी गांड उठा उठा कर मेरे मुंह में लंड से धक्के मारने लगा.
मुझे बहुत मजा आ रहा था, मेरे सारे बदन में तितलियाँ उड़ने लगी थीं.
अचानक मेरी चूत का पानी छूटने लगा तो मैंने आशीष के मुंह से अपनी चूत हटाने की कोशिश की.
लेकिन मेरा पानी छूटते देख आशीष ने मुझे जकड़ लिया और तेजी से मेरी चूत में जीभ घुमाने लगा.
तभी मेरी चूत ने भलभलाकर ढेर सारा पानी छोड़ दिया और आशीष का सारा चेहरा मेरे चूतरस से चमकने लगा.
वासना के ज्वार में मैं उठी और आशीष के चेहरे पर पड़े अपने ही चूतरस को चाट चाटकर आशीष का चेहरा साफ़ करने लगी.
अब मेरी बारी थी आशीष को जन्नत की सैर करवाने की!
तो मैं उठी और आशीष के सामने घुटनों पर बैठ गई.
आशीष मेरे सामने खड़ा हो गया.
मैंने आशीष के लंड को हाथ से हिलाना शुरू किया और कुछ ही देर में आशीष का लंड फूलने लगा.
तेज तेज झटके लेते हुए अचानक आशीष के लंड ने एक जोरदार पिचकारी मारी जिसने मेरी नाक से होते हुए मेरे बालों तक एक गाढ़ी सफ़ेद लकीर खींच दी.
इसके बाद आशीष के लंड ने एक एक करके लगभग सात आठ पिचकारियां मेरे मुंह के अंदर मारीं और मैंने बड़े ही प्यार से आशीष का सारा का सारा वीर्य अपने मुंह में लेकर निगल लिया.
बहुत ही स्वादिष्ट, गाढ़ा और मलाईदार वीर्य था.
पिचकारी मारने के बाद आशीष का लंड कुछ छोटा हो गया था.
तो मैंने एक बार फिर आशीष का लंड चूसना शुरू कर दिया.
कुछ ही देर में लंड मियां एक बार फिर तमतमा कर खड़े हो गए.
आशीष बोला- जानू मैं तुम्हारी गांड मारना चाहता हूँ।
मैंने डरते हुए कहा- गांड का छेद तो बहुत छोटा होता है, इतना बड़ा बम्बू कैसे डालोगे?
आशीष बोला- बस देखती जाओ अपने जानू का कमाल!
मैं आशीष के आगे कुतिया बन गई.
आशीष ने तेल की शीशी उठाई और मेरी गांड में ढेर सारा तेल भर दिया.
अब आशीष ने मेरी गांड में एक उंगली घुसाई तो मेरी हल्की सी चीख निकल गई.
लेकिन आशीष ने ध्यान नहीं दिया और मेरी गांड में उंगली अंदर बाहर करने लगा
कुछ देर तक मेरी गांड में उंगली करने के बाद आशीष ने मेरी गांड में एक उंगली और डाल दी.
अब मेरी गांड दो उंगलियों से चुद रही थी.
थोड़ी देर बाद आशीष ने मेरी गांड में तीन उंगलियाँ कर दीं.
और अब मेरा छेद काफी बड़ा हो चुका था.
अब आशीष मेरे पीछे सीधा खड़ा हो गया और उसने अपना लंड मेरी न्यू गांड के छेद पर टिका दिया.
आशीष हल्के हल्के धक्के मारते हुए मेरी गांड पर अपना लंड रगड़ने लगा.
मुझे सच में बहुत अच्छा लग रहा था.
अचानक आशीष ने कस कर मेरी कमर को पकड़ा और पूरी ताकत से मेरी गांड में अपना लंड पेल दिया.
अभी आधा लंड भी अंदर नहीं गया था लेकिन दर्द के मारे मेरी चीख निकल गई.
मैंने देखा कि मेरी जांघों से होते हुए खून की एक पतली धार मेरे घुटनों तक आ गई थी.
लगता है मेरी न्यू गांड हॉट सेक्स से फट गई थी.
आशीष ने अपना लंड बाहर निकाला और इस बार पूरा का पूरा लंड मेरी गांड में डाल दिया.
मेरी जोरदार चीख निकल गई.
कुछ देर तक आशीष ऐसे ही रुका रहा और फिर धीरे धीरे धक्के मारने लगा.
अब मेरा दर्द कम हो गया था और मुझे मजा आने लगा था.
आशीष भकाभक भकाभक मेरी गांड चोद रहा था और हर धक्के के साथ मेरी चीख निकल रही थी.
वह काफी देर तक मेरी गांड मारता रहा.
कुछ देर बाद उसका लंड फूलने लगा, स्पन्दन करने लगा तो मुझे लगा कि आशीष का पानी छूटने वाला है.
तो मैंने आशीष को धक्का देकर उसका लंड अपनी फटी हुई गांड से बाहर निकाल दिया.
आशीष बोला- कितना मजा आ रहा था, क्यों रोक दिया?
मैं सीधी लेट गई और अपनी टांगें फैला ली.
मैंने कहा- जानू, मैं तुम्हारा वीर्य अपनी चूत में गिरवाना चाहती हूँ. अपने बीज को मेरी कोख में भर दो।
आशीष मेरे ऊपर चढ़ गया और भचाक से अपना लंड मेरी चूत में घुसाते हुए बोला- ले मेरी जान, अपनी चूत की प्यास मेरे वीर्य से बुझा ले।
मैंने भी आहें भरते हुए बोला- हाँ जान, मेरे अंदर अपने प्यार की बरसात कर दो!
आशीष ने घपाघप धक्के मारना शुरू किया और मेरी चूत के चीथड़े उड़ा दिए.
मेरा ना जाने कितनी बार पानी छूट गया था.
अचानक आशीष ने मुझे अपनी बाहों में जकड लिया और अपने लंड से मेरी चूत को मसलते पूरी ताकत से मेरी चूत में अपने गरमागरम वीर्य की पिचकारियां मारनी शुरू कर दीं.
मुझे अपनी चूत में गरमागरम वीर्य का अहसास बहुत अच्छा लग रहा था.
मैंने अपनी टांगों को सिकोड़ कर आशीष के लंड को अपनी चूत ने जकड़ लिया ताकि उसके लंड की आखरी बूँद भी मेरे अंदर उतर जाए.
गर्म गर्म वीर्य बहते हुए मेरी बच्चेदानी के अंदर जाने लगा.
मैंने दुआ मांगी कि काश मेरा गर्भ ठहर जाए और मैं आशीष के बच्चे की माँ बन जाऊं.
चुदाई से फारिग होकर हम दोनों नंगे ही सो गए.
सुबह मेरी सहेलियां मुझे लेने आईं तो मैंने फटाफट अपने कपड़े पहने.
आशीष के चेहरे पर उदासी थी और मेरी आँखों में आंसू थे.
हल्ला जाने कि मेरे और आशीष के रिश्ते का क्या होगा.
लेकिन मुझे इस बात कि ख़ुशी थी कि आशीष का दिया हुआ तोहफा मैंने अपनी कोख में संभाल कर रख लिया था जिसको मुझसे कोई नहीं छीन सकता था.
मेरी आगे की कहानी में मैं आपको बताऊंगी कि क्या मेरा और आशीष का रिश्ता आगे बढ़ा … क्या आशीष मुझे अपने साथ अमेरिका ले जा पाया और क्या हमारे बच्चे को समाज में मुकाम मिला.
तब तक के लिए नूरी को इजाजत दीजिये.
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