छोटी बहू का ससुर और ताऊ संग हनीमून- 1

इनोसेंट गर्ल फर्स्ट सेक्स एक्सपीरियंस में मेरी शादी हुई तो मुझे सेक्स के बारे में ज्यादा नहीं पता था, इतना पता था कि पति पत्नी के साथ कुछ करता है तो बच्चा होता है.

यह कहानी सुनें.

नमस्कार पाठको, मैं वीनस प्रस्तुत हूं आपके लिए एक नई कहानी लेकर!

यूं तो रिश्तों में चुदाई को लेकर मेरी टिप्पणी बहुत लोगों से अलग रहती है; पर जब मेरी करीबी सहेली चांदनी ने मुझे आप बीती सुनाई तो मुझसे रुका ना गया कुछ नया लिखने को … उसकी कहानी में अपने मसाले का तड़का लगा कर आप सभी के लिए पेश कर रही हूं.

आशा है आप सभी को पढ़ने में उतना ही आनंद आयेगा, जितना मुझे लिखने में आया।

पेश है यह कहानी, इनोसेंट गर्ल फर्स्ट सेक्स एक्सपीरियंस … उन बहुओं की जुबानी जिन्होंने शादी से पहले तो अपने कदम बहकने नहीं दिए और विवाह के बाद सेक्स की आग में ऐसी फिसली कि डूबती ही चली गई।

मेरा नाम चांदनी है.
मेरी शादी को तकरीबन 15 साल हो चुके हैं.

मेरा ब्याह एक इंदौर के अच्छे और नामी परिवार में हुआ था.
तब मैंने जीवन के बीसवें साल में कदम रखा ही था।

एक दिन कॉलेज से घर लौटी तो घर पर मेहमान आए हुए थे.
मेरे भावी ससुर और ताऊजी जी, अशोक ओर उसकी पत्नी शारदा, मुझे देखने आए थे।

कुछ सवाल जवाब के बाद ससुरजी ने मुझे अपने छोटे बेटे चिराग के लिए पसंद कर लिया और चिराग के शिप से लौटने पर मंगनी ओर ब्याह की बात कही।

मेरे माता पिता को अपने से ऊंचा घराना दिखा, लड़का अच्छा कमाता है, घर परिवार भी अच्छा है, सास भी नहीं है, ये सब बातें बताते हुए, मेरी मां ने मुझे शादी के लिए मना लिया।

मेरे पति चिराग मर्चेंट नेवी में कैप्टन हैं; साल के 6 से 8 महीने वे बाहर ही रहते हैं.

चूंकि चिराग सिर्फ 4-5 महीने के लिए ही घर आते हैं, मंगनी और शादी के बीच ज्यादा समय नहीं था इसलिए मुझे अपने होने वाले पति चिराग के साथ वक्त बिताने का ज्यादा मौका नहीं मिला।
मैं घर में अपने ससुर और तलाकशुदा जेठ सूरज के साथ रहती हूं।

चिराग और मेरी अरेंज्ड शादी होने के कारण सुहागरात पर हम एक दूसरे की तरफ कदम नहीं बढ़ा पा रहे थे।

हालांकि चिराग मुझे चोदने की पूरी इच्छा लिए बैठे थे पर मुझे संभोग की ज्यादा जानकारी नहीं थी.
मैं केवल इतना जानती थी कि पति वीर्यदान करता है जिससे पत्नी गर्भवती होती है।

हमारी बातें आगे बढ़ ही नहीं पा रही थी।
मैं दुल्हन के जोड़े में थकी हुई बिस्तर पर सजी धजी बैठी चिराग के आने का इंतजार कर रही थी।

तभी चिराग ने दरवाजा खोला, भाभी और चाची ने उसे अंदर धकेल दिया।
चिराग ने कमरे का दरवाजा बंद कर चिटकनी लगा दी।

पर मुझे बहुत शर्म आ रही थी.
किसी लड़के के साथ यूं अकेले, ये मेरा पहला मौका था।

मैं मन ही मन अपनी उधेड़बुन में थी, जाने क्या होने वाला है.
मेरी सहेली वीनस ने थोड़ा बहुत मुझे बताया था.
पर मेरे मन में बहुत से सवाल थे।

मैं चाहती थी कि मेरा पति मेरा घूंघट उठाए, मेरी थोड़ी तारीफ करे, पर …

अंदर आते ही चिराग ने कहा- चांदनी, तुम थक गई होगी, अलमारी में तुम्हारे लिए कपड़े रखे हैं, भाभी ने खास तुम्हारे लिए खरीदे हैं, बदल लो।

मैं बिस्तर से उठ, आईने के सामने बैठकर अपने सिर पर लगे दुपट्टे को उतारने की कोशिश करने लगी।

चिराग मुझे देखते हुए पास ही टेबल पर पड़ा दूध का गिलास उठा कर पीने लगा।
उसने अपनी घड़ी उतारी और दराज़ में रख दी।

वह मेरी तरफ देखते हुए अपनी शेरवानी का एक एक बटन कर खोलने लगा.

मेरा शादी का लाल लहंगा बहुत भारी था, मैंने बहुत गहने भी पहने थे।
अपनी दोस्त वीनस के कहने से मैंने अपनी चोली गहरे गले की बनवाई थी जो पीछे बंधी तीन डोरियों पर टिकी थी.

मैं पहली ही रात में अपने पति पर अपने सौंदर्य का जादू चलाना चाहती थी।

मेरी सहेली वीनस ने लहंगे के नीचे कच्छी ना पहनने की भी सलाह दी थी.
इसी कारण मैं लहंगे के अंदर पूरी तरह से नंगी थी।

बैकलेस चोली होने के कारण मैंने ब्रा भी नहीं पहनी थी, चोली में लगे कप्स में मेरे संतरे टिके हुए थे।

पर इतने भारी लहंगे को अकेले उतार पाना मेरे बस की बात नहीं थी।

किसी तरह जद्दोजहद करते हुए मैंने सर से दुपट्टा निकाला.
उफ्फ … ऐसा लगा जैसे सिर से बोझा उतर गया हो।

मैं खड़ी हो कर दुपट्टा लपेटने लगी, दुपट्टा इतना भारी था कि उतारने और लपटने में मेरी बाहों में दर्द होने को आया था।

उधर चिराग ने भी अपनी शेरवानी पूरी उतार दी थी.
उसने शेरवानी के अंदर एक सिल्क का कुर्ता पहना था, चिराग उस सिल्क के कुर्ते में बहुत अच्छा दिख रहा था।

मैंने चिराग से मदद करने को कहा.
चिराग मेरे करीब आया और मेरे गले से गहने उतारने लगा.

धीरे धीरे जब सब गहने गले से उतर गए तो चोली के अंदर से झांकती मेरी सुडौल छाती उसकी आंखों के सामने चमचमाने लगी।
मेरी गहरे गले की चोली के बीच मेरी छाती की खाई पर जैसे उसकी नजर चिपक सी गई।

अब वह मेरे स्तन देखते हुए, मेरे बालों में लगे फूल और पिन हटाने लगा।

चिराग ने गौर से देखा कि चोली पीछे से 3 डोरियों से बंधी है.

मैं हाथों की चूड़ियां, कानो के बूंदे और मांग टीका उतार रही थी.
और वह बस टकटकी लगाए मेरे सीने को घूर रहा था।

चिराग- सारी चूड़ियां मत उतारो, छन छन करती हुई अच्छी लग रही हैं.

मैंने नज़र उठा के देखा तो वह अब भी मेरे स्तनों को गहराई से देख रहा था, मानो सोच रहा हो कि शुरुआत कैसे करूं.

बाल खुलते ही उसने हाथ बढ़ा कर मुझे अपनी बाहों में भर लिया और सीने से लगा लिया मानो वह अपने चौड़े सीने से मेरी कोमल सुडौल संतरों से चूचियां दबाना चाह रहा था।

मेरी चोली की डोरियों को उसने पीछे से खोल दिया.
एक डोरी अटक गई थी, उसने उत्तेजना में वो तोड़ डाली।

मैं- आह … आराम से खोलो ना!
चिराग- कौन सा तुम्हें ये शादी का जोड़ा दोबारा पहनना है, फाड़ भी दूं तो क्या ही फर्क पड़ेगा.
उसने कामुकता से जवाब दिया.

अब मानो उस पर वासना सवार थी, वह मुझे नंगी कर देखना चाहता था।
मैं शर्मा रही थी.

मेरी चोली खुल गई थी पर उसके और मेरे सीने के बीच दबी थी।

उसने मेरी कमर को एक हाथ से पकड़े हुए दूसरे हाथ से मेरे लहंगे का नाड़ा खोल दिया.
लहंगा भारी होने के कारण तुरंत जमीन पर गिर गया.

मैं अब भी उसकी बाहों में थी, तकरीब पूरी तरह नंगी।

उसने मेरी नंगी, वस्त्रहीन कमर पर हाथ फेरते हुए मेरे नितंबों को छुआ.
तो जैसे उसकी खुशी की सीमा नहीं रही, उसने तुरंत मेरे नंगे उभरे नितम्ब अपनी हथेली में पकड़ लिए और दबाने लगा।

मैं चिराग के बारे में बताना ही भूल गई.

चिराग घर का सबसे छोटा बेटा है और सबका लाडला, देखने में सांवला, पर उसके नयन नक्श अच्छे हैं. शरीर से मजबूत और सुडौल … मैं तो उसकी छाती के बालों की दीवानी हूं।
उसका जिस्म जिम कर कर के गठीला और कड़क हो चुका था।

नौकरी के कारण वह कई देश, कई शहर घूमा हुआ है. और शायद उसकी कई महिला मित्र भी हैं.

जब वह घर मेरे पास आता है, तब मुझे उसकी दूसरी औरतों के बारे में जानने में कोई दिलचस्पी नहीं होती।
क्योंकि जितना यौन सुख मुझे शादी के बाद मिला है, वो चिराग की गैर मौजूदगी महसूस नहीं होने देता।

खैर, जब चिराग ने मुझे पहली बार अपनी बलिष्ठ बाहों में जकड़ा तो उसका लिंग अब सामने से मेरे पेट पर चुभने लगा।
मैं उसकी बाहों से छूटने की कोशिश करने लगी।

मैं- छोड़ो ना … जाने दो ना!
मैंने शर्माते हुए अपना चेहरा उसके चौड़े सीने में गड़ा दिया.

चिराग ने मुझे अपनी बाहों के घेरे से आजाद कर दिया.
मैं उससे अलग हुई तो मेरी खुली हुई चोली भी जमीन पर गिर गई।

मैं अपने हाथों से अपने गोल गोल स्तनों को ढकने की नाकाम कोशिश करने लगी।
एक हाथ से अपनी चिकनी योनि को छिपाना चाहा और दूसरे हाथ से अपने स्तनों को।

वह मेरे नंगे छरहरे बदन को गौर से देखने लगा ऊपर से नीचे तक!

चिराग अनायास ही मेरे भोलेपन और नादानी पर मुस्कुरा दिया और मुझे अपनी गोद में उठा कर बिस्तर तक ले गया।

20 की उम्र में मैं तकरीबन 50 किलो की रही होऊंगी।

वासना के वेग में वह मेरी अनछुई जवानी का हर मजा लूटना चाहता था.
और मैं भी खुद पर अपने पति का हक मान कर उसके दिखाए कदमों पर चलकर यौन क्रीड़ा द्वारा अपने पहले यौन सुख को पाने को उत्सुक थी।

उसने मुझे बिस्तर पर लेटा दिया.
मैंने अपने हाथों से अपनी आंखे बंद कर ली.

चिराग ने मेरे हाथ मेरे चेहरे से अलग किए और मुझे चूमने लगा।
उसने मेरे दोनों हाथ सिर के ऊपर कर एक हाथ से पकड़ लिए और मेरी चूचियां दबाते हुए मुझे किस करने लगा।

यह मेरा पहला मौका था जब मैंने किसी को किस किया।
हालांकि बस में पहले भी दो तीन बार अनजान लड़कों ने छेड़ने के मकसद से मेरी चूचियां भींची थी.
पर यह पहला मौका था कि ये मेरी मर्जी से और बिना कपड़ों के हो रहा था.

जब हमारा चुम्बन खत्म हुआ तो …

चिराग ने पूछा- क्या ये सब पहले किया है?
मैंने ना में सिर हिलाया।
मुझे लगा कि शायद मैंने चुम्बन ठीक से नहीं किया.

मैं- मुझे शर्म आ रही है.

चिराग- अरे मुझसे कैसी शर्म? मैं पति हूं तुम्हारा! और पति को यौनसुख देना पत्नी का धर्म होता है. हमारे यौन सुख से ही हमारी संतान इस दुनिया में आएगी। लो, मैं भी कपड़े उतार देता हूं.

देखते ही देखते चिराग भी पूरी तरह नंगा हो गया और वापिस मेरे ऊपर आ गया।
वह फिर मुझे किस करने लगा।
मैं पूरी कोशिश कर रही थी कि उसका साथ दूं।

अब वह मेरी गर्दन पर चूमने लगा.

इस अहसास को मैं पहली बार महसूस कर रही थी.
इनोसेंट गर्ल फर्स्ट सेक्स एक्सपीरियंस था- अह्ह्ह … आह … उम्म्म आह!

वह मेरी संतरों सी सख्त चूचियों पर आ गया और उन्हें मसलते हुए चूसने लगा.
मेरी सख्त कड़क चूचियां जैसे उसके हाथों में मोम सी पिघलने लगी.

वह कभी एक चूचुक चूसता तो कभी दूसरा … वह तो जैसे मेरे स्तनों पर ठहर ही गया था।

उसका हाथ मेरी पतली कमर से होते हुए मेरी नाभि पर जाकर ठहर गया और मेरे चिकने पेट पर उसने एक चिकोटी काट ली.

मैं अचानक काटी चिकोटी से उत्तेजित हो उठी- आह आह्ह्ह … उम्म्म, क्या कर रहे हो, मत करो ना!

उसने अपना हाथ अब मेरी चिकनी चूत पर रख दिया और उसे पकड़ कर मसलने लगा।

मेरी फूली हुई चूत अब गर्म हो चली थी- अअ ह्ह्ह चिराग, मत करो ना!
चिराग- देखो, थोड़ा दर्द होगा, तुम्हारा पहली बार है.

मैं- आप पहले कर चुके हैं क्या?
चिराग थोड़ा सकपकाते हुए- नहीं नहीं, मेरा भी पहली बार ही है। यह रात दोबारा नहीं आने वाली … और जिंदगी भर तुम्हें और मुझे याद रहेगी. इसलिए इसे यादगार बनाने के लिए मैं चाहता हूं कि तुम मेरे खंभे को हर तरह से महसूस करो और इसे अपना बना लो. इसे ऐसी जन्नत दिखाओ कि जब मैं ड्यूटी पर जाऊं तो कोई लड़की इसे अपने वश में ना कर सके। इसे अपनी जवानी का गुलाम बना कर अपना दीवाना कर लो चांदनी!

चिराग मेरी चूचियां चूसते हुए मेरी योनि द्वार में उंगली करने लगा.
मैं- आह्हह, दर्द हो रहा है … प्लीज़ मत करो.

चिराग ने अपना कड़क खड़ा लौड़ा मेरे हाथ में दे दिया और मेरे हाथ पर हाथ रख लौड़ा मेरे हाथों से हिलवाने लगा।

चिराग- हां … इसे ऐसे ही हिलाती रहो, ऊपर नीचे करती रहो, इसकी मालिश करोगी तो यह भी तुम्हारी अंदर तक मालिश करेगा।

अब चिराग अपना संयम खोता जा रहा था, उसने मेरा हाथ अचानक ही हटा दिया … और मेरी भगनासा पर अपना कड़क लिंग रगड़ने लगा.

मुझे अपनी योनि पर एक गर्म मलाई सी गिरती महसूस हुई … गाढ़ी, चिपचिपी, चिकनी मलाई जो चिराग के लिंग से निकली थी.
चिराग निढाल होकर मेरी बगल में लेट गया.

अपनी नासमझी में मुझे लगा शायद यही सम्भोग होता होगा.

मैं उठ कर अपनी योनि धो आई और चिराग की बगल में आकर सो गई।
तब तक चिराग खराटे भरने लगा था।

यह इनोसेंट गर्ल फर्स्ट सेक्स एक्सपीरियंस कहानी 5-6 भागों में चलेगी.
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