गन्दी लड़की की गंदी बात है इस कहानी में! 19-20 साल की लड़की को चुदाई की ऐसी लत लगी कि जब उसे लंड नहीं मिला तो उसने अपनी चूत और गांड में खीरे घुसा लिए.
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फ्रेंड्स, मेरा नाम ज़या शर्मा है
और मैं पंजाब के लुधियाना शहर से हूँ.
मेरी उम्र 20 साल है. मैं दिखने में बिल्कुल श्रद्धा कपूर जैसी हूँ.
अब तक मैं काफी सेक्स कर चुकी हूँ और चूत व गांड दोनों छेदों में लंड लेने में महारत हासिल कर चुकी हूँ.
मेरी चूचियां मस्त रसीले आमों के जैसी हैं. मेरी ठुमकती हुई चाल देख कर मुझे चोदने के लिए किसी की भी नीयत डबडबा जाती है.
मेरे घर में मैं, मम्मी पापा और मेरा भाई हैं.
यह गन्दी लड़की की गंदी बात दो महीने पहले की है.
उस दिन मैं अपने कमरे में बैठी थी. मुझे बहुत सेक्स चढ़ा हुआ था लेकिन मेरा आजकल कोई ब्वॉयफ्रेंड नहीं था जो मेरी चूत चुदाई करके मेरी आग बुझा दे.
काफी देर के बाद जब न रहा गया तो मैं अपने किचन से दो बड़े आकार के खीरे उठा लाई.
उन दोनों खीरों में मैंने खूब ज्यादा सी कोल्ड क्रीम लगाई और एक खीरा को मैंने अपनी चूत में और एक को गांड में घुसेड़ लिया.
अब मैं उन दोनों का मजा लेने लगी.
कुछ समय तक मैं दोनों खीरों को अपने दोनों छेदों में अन्दर बाहर करती रही.
मेरी चूत और गांड दोनों को बड़ा सुख मिल रहा था.
खीरे भी साले लौड़े के जैसा मजा देते हैं ये सोच कर मैं अपनी चूत और गांड में किसी अफ्रीकन नीग्रो के लौड़े का अहसास करने लगी.
उस वक्त मुझे सच में किसी बड़े लंड वाले मर्द से चुदने का अहसास हो रहा था.
चूत में खीरा चलाते चलाते मेरा मन हुआ कि मैं आज कुछ अलग करूं.
आपको तो पता ही है कि जब दिमाग़ पर सेक्स का भूत सवार हो तो दिमाग में बहुत कुछ खुराफात आती है.
मैं अभी अपनी चूत से खेल ही रही थी कि दरवाजे पर दस्तक हुई.
मैंने आवाज देकर पूछा- कौन है?
बाहर से भाई की आवाज़ आई.
मैं बोली- एक मिनट रुको, मैं कपड़े चेंज कर रही हूँ.
अब मैंने जल्दी से जो खीरा मेरी गांड में था, उसको पूरा अन्दर कर लिया और जो चूत में था उसको भी पूरा चूत में डाल लिया.
फिर ऊपर से पैंटी पहन कर ऊपर तक चढ़ा ली; फिर उसके ऊपर मैंने पैंट पहन ली थी.
सारे कपड़े ठीक से पहन कर मैं सही हो गयी.
फिर मैंने दरवाजे को खोला.
भाई अन्दर आया.
वह बोला- तुम तैयार तो हो ही, चलो हमें अचानक अभी के अभी बुआ के घर चंडीगढ़ जाना है.
मैं बोली- क्यों?
भाई ने कहा- उनकी तबीयत ठीक नहीं है. उनका हाल पूछने जाना है.
इधर वे दोनों खीरे अभी भी मेरे अन्दर फंसे थे.
मैंने सोचा कि चलो आज यही नया अहसास करते हैं.
मैं खीरा अन्दर लिए हुई ही बोली- ठीक है … चलो चलते हैं.
बाहर मम्मी पापा भी तैयार खड़े थे.
मैं भी जल्दी से बाहर निकल आई.
पापा ने स्टेशन तक के लिए ऑटो बुला लिया था.
हम सब जल्दी जल्दी ऑटो में बैठ गए.
जब ऑटो चल रहा था तो दोनों खीरे मेरे दोनों ओर अन्दर आ जा रहे थे.
उन दोनों खीरों की रगड़ से वापस दिमाग में कामुकता सवार होने लगी और कुछ ही मेरी चूत में से पानी आने लगा था.
मुझे कुछ सा अजीब भी लग रहा था … लेकिन मैं ऐसे शांत बैठी रही, जैसे कुछ हुआ ही ना हो.
अब तक तकरीबन 40 मिनट हो गए थे जब खीरे मेरे दोनों छेदों में चल रहे थे.
स्टेशन आया तो मैं धीरे धीरे अपने मम्मी पापा के साथ प्लेटफॉर्म की तरफ जाने लगी थी.
हम सभी धीरे धीरे इसलिए चल रहे थे क्योंकि भाई टिकट लेने चला गया था. उस वक्त धीरे धीरे चलने से मेरी दोनों टांगें हौले हौले उन दोनों खीरों को पूरा मौका दे रही थीं कि वे दोनों मेरे दोनों छेदों को सही से रगड़ कर मुझे मजा दें.
कुछ ही देर में भाई टिकट लेकर आ गया.
वह मुझे देख कर बोला- तुझे क्या हुआ जया … तू ऐसे क्यों चल रही है?
चूंकि मैं मम्मी पापा के पीछे पीछे चल रही थी तो उनकी नजर मेरी चाल पर नहीं पड़ी थी.
अब भाई के अचानक से ये पूछने पर मैं थोड़ी सही से चलने लगी और बोली कि मुझे ट्रेन का नहीं पता है कि किधर आएगी. इसलिए मैं मम्मी पापा के पीछे पीछे चल रही थी.
भाई ने कुछ नहीं कहा.
फिर हम सब लोग ट्रेन आने पर उसेन एक खाली जगह देख कर बैठ गए.
मुझे अब तक अपनी गांड में जलन सी होने लगी थी क्योंकि अब तकरीबन एक घंटा हो गया था.
मैं ट्रेन के बाथरूम में गयी और खीरा चैक करने लगी.
जो खीरा मेरी चूत में था, पहले मैंने उसको बाहर निकाला. वह खीरा चूत के रस से मस्त सना हुआ था और एकदम चिकना हो गया था.
मैं उसे वापस चूत में डालकर अन्दर बाहर करने लगी.
उसकी मस्त रगड़ से मेरी आंखें मुंद गईं और मैं चूत की मुठ मारने लगी.
कुछ ही समय बाद मैं झड़ गयी.
मैंने खीरा को चूत से निकाल कर अपने मुँह में ले लिया और चूत का रस चाट कर खीरा वापिस चूत के अन्दर ही ले लिया.
इसी तरह गांड के खीरे को भी थोड़ा चला कर सैट किया और बाथरूम से बाहर आकर अपनी सीट पर बैठ गयी.
मम्मी पापा और भाई के पास बैठी और उन सबकी बातों में शामिल हो गई.
कुछ टाइम तक बातें करने के बाद मेरा मूड फिर से गर्म होने लगा.
मेरा सेक्स फिर से मुझे चुदास से भर रहा था.
मैंने एक बार मम्मी पापा और भाई की तरफ देखा और उनसे नजरें बचाती हुई अपनी पैंट के ऊपर से धीरे से चूत को ज़ोर से दबाया, तो कुछ राहत सी मिली.
लगभग 4 घंटे बाद हमारा स्टेशन आया.
अब तक मेरी चूत और गांड में दोनों खीरों को घुसे हुए पांच घंटे हो गए थे.
फिर स्टेशन से ऑटो करके हम सब बुआ के घर पहुंच गए.
उधर सबसे पहले मैं बाथरूम में गयी.
मैंने सोचा था कि अब टॉयलेट में जाकर खीरा निकाल देती हूँ.
मैं टॉयलेट गयी तो पहले मैंने चूत वाला खीरा बाहर निकाला.
लेकिन उसके बाद जब गांड वाला खीरा बाहर निकालने की कोशिश की तो वह बाहर ही नहीं आ रहा था.
मैं डर गयी कि अब क्या होगा?
मैंने जल्दी से अपने सारे कपड़े उतारे और जो चूत वाला खीरा था, उस पर तेल लगा कर अपनी गांड के छेद में पेलने की कोशिश करने लगी कि दो खीरों के कारण पर गांड का छेद फैल जाएगा फिर पहले वाला खीरा भी आराम से बाहर आ जाएगा.
तेल लगा कर मैं दूसरा खीरा भी गांड में डालने लगी.
कुछ देर की मेहनत के बाद दूसरा खीरा भी मेरी गांड में चला गया और मैं उसे अन्दर बाहर करने लगी.
कुछ ही देर में मुझे मजा आने लगा और मैं पूरा खीरा अन्दर बाहर करने लगी.
इससे फायदा भी हुआ. कुछ देर बाद जब मेरा छेद थोड़ा ज्यादा खुल गया, तो पहले वाला खीरा भी एकदम से बाहर आ गया.
अब मैं फ्रेश हुई, बैठ कर सुसू की और पानी से साफ सफाई करके बाहर आने की सोचने लगी.
मेरे पास दो खीरे भी थे, जिन्हें लेकर मैं सोचने लगी कि अब इन दोनों खीरों को कहां फेंकू!
मैंने सोचा कि अगर इतने बड़े खीरा लेकर बाहर जाऊंगी और किसी ने देख लिया, तो बड़ी बदनामी होगी कि मैं बाथरूम में खीरा लेकर जाती हूँ.
जब कुछ समझ नहीं आया तो मैंने फिर से उन दोनों खीरों को वापस अपनी चूत और गांड में डाल लिए और बाहर आ गई.
मैंने बुआ के पास जाकर उनका हाल चाल पूछा कि अब आपकी तबीयत कैसी है.
कुछ और बातें भी की.
फिर उनकी रसोई में जाकर पानी पिया और बाहर आ गई.
अब तक मैं कई बार झड़ चुकी थी तो काफी थक गयी थी.
मुझे सोने का मन कर रहा था.
मैं जब सोने गयी तो मुझे नींद ही नहीं आ रही थी क्योंकि गांड में और चूत में खीरा चल रहा था.
फिर मैंने खाना खाया और बिस्तर पर आ गई.
अब तक खीरा मेरी गांड और चूत में चलते हुए आठ घंटे हो गए थे.
बिस्तर पर लेटते ही मुझे थकान के चलते ज़ोर की नींद आ गई, तो मैं सो गयी.
सुबह जब उठी, तो मुझे बहुत जलन और तेज दर्द हो रहा था.
खीरा अन्दर डाले तकरीबन 16 घंटे हो गए थे.
अब मैं बुआ के घर की छत पर गयी.
मम्मी पापा भाई बुआ और फूफा जी सब नीचे थे.
मैं छत पर गयी और आस पास देखा, तो साथ वाली छत पर लड़के खड़े थे.
वे मुझे देख कर और मस्ती से देखने लगे.
मैंने सोचा था कि खीरा निकाल कर छत से बाहर फेंक दूँगी.
लेकिन इधर तो पूरा बवाल होने की संभावना दिख रही थी.
अब मैं क्या करती, तो वापिस नीचे आ गयी.
मैंने मम्मी के पास जाकर पूछा- हम लोग वापिस कब जा रहे हैं?
मम्मी बोलीं- हमारी ट्रेन दो घंटे बाद है. बुआ की तबीयत भी अब ठीक है, तो बस चल ही रहे हैं.
मैं बोली- ठीक है.
अब 20 घंटे हो गए थे और ट्रेन से वापस जाने में एक घंटा रह गया था.
मैं जल्दी से बुआ के घर के बाथरूम में गयी.
अपनी चूत और गांड से खीरा निकाल कर फ्रेश हुई.
फिर वापस अन्दर पेल कर बाहर आ गयी.
कुछ देर बाद हम सब ऑटो पकड़ कर स्टेशन पहुंचे और ट्रेन में बैठ गए.
मैं फिर से ट्रेन के बाथरूम में गयी और खीरा से चूत की मुठ मार कर अपनी चूत का पानी निकाल कर मैं शांत हो गयी.
उसके बाद मैंने गांड से भी खीरा निकाला.
ट्रेन के बाथरूम में ही मेरी ठरक फिर से जागी और मैंने इस बार दोनों खीरा एक साथ अपनी चूत में डाल लिए.
दर्द तो बहुत हुआ लेकिन मैंने ज़बरदस्ती अन्दर डाल लिए और खीरा डाले हुई ही मैं अपनी सीट पर जाकर बैठ गयी.
कुछ टाइम बाद एक खीरा अपने आप बाहर को आने लगा था.
ये साला बवाल हो जाता, तो मैं गन्दी लड़की अपनी गंदी बात किसी तरह से सबकी नजरें बचा कर उस खीरा के ऊपर ही बैठ गयी.
इससे हुआ ये कि जो दोनों खीरा चूत में घुसे थे, वे मुझे अपने पेट के अन्दर महसूस होने लगे थे.
कुछ देर के दर्द के बाद मैंने उन्हें जज़्ब कर लिया था.
फिर मैं जब घर पहुंची तो जल्दी से दोनों खीरे चूत से बाहर निकाले और सो गयी.
मुझे खीरा निकाल देने से बहुत राहत मिली.
इसके बाद मैंने एक सप्ताह तक कुछ नहीं किया क्योंकि चूत और गांड में पूरे 25 घंटे तक खीरा अन्दर रहा था.
मुझे बहुत दर्द हुआ था.
दो दिन तक मुझे चूत और गांड में बोरोलीन लगा कर रखनी पड़ी.
दोस्तो, ये थी मेरी खुद की सेक्स कहानी.
आपको मेरी गन्दी लड़की की गंदी बात कैसी लगी, मुझे मेरी ईमेल आईडी पर जरूर बताएं.
मुझे इंतजार रहेगा.
मेरी ईमेल आईडी है
[email protected]