देसी टीन वर्जिन पुसी स्टोरी में गाँव में घुमक्कड़ कबीले के परिवार थे. उनकी औरतें चुदाई करवाती थी. उनमें एक लड़की अभी जवान हुई थी. मेरी नजर उसकी जवानी पर थी.
दोस्तो, मेरा नाम सुरंग सिंह है. (बदला हुआ)
मेरी हाइट 6 फीट है और लंड 7 इंच का है.
यह देसी टीन वर्जिन पुसी स्टोरी कुछ साल पहले की है.
मैं अपने गांव का बहुत ही बदनाम लड़का हूँ.
मेरे गांव में कुछ खानाबदोश लोग रहते हैं.
मैं इस सेक्स कहानी में आपको बता रहा हूँ कि मैंने पड़ोस में रहने वाली खानाबदोश परिवार की संगीता चाची और उनकी लड़की डॉली को कैसे चोदा था.
संगीता चाची के बारे में बता दूँ, वे 5 फुट 2 इंच की सांवली देह की महिला थीं.
उनकी शायद यह आदत ही थी कि उनके ब्लाउज से उनकी आधी चूचियां बाहर ही निकली रहती थीं.
चाची आर्थिक रूप से जरा कमजोर थीं, तो वे नौजवानों पर डोरे डालती थीं.
उन्हें पैसे लेकर अपनी चूत चुदवाने से गुरेज नहीं था.
मैं उनके घर अक्सर जाया करता था.
उनके पास मेरे पापा भी जाया करते थे.
चाचा एक पुराने केस में जेल में बंद थे.
चाची के यहां खाने की भी कमी थी तो पापा उनकी मदद करते थे. (और मजे करते थे)
एक दिन मैं रास्ते से जा रहा था तो उनकी बीच वाली लड़की गली में थी.
वह दोपहर का समय था तो मैं उससे बोला- बाहर क्या कर रही हो?
वह आंख दबाती हुई बोली- मम्मी बोली हैं कि बाहर जाओ और खेलो!
यह सुनकर मैं घर के अन्दर चला गया.
दरवाजा अन्दर से बंद नहीं था तो मैंने अन्दर झांक कर देखा कि मेरे पापा चाची की चूचियां मसल रहे हैं और अपना लंड चुसवा रहे हैं.
मैंने तुरंत मोबाइल निकाला.
उस समय सैमसंग की मोटे फ़ोन चलते थे, वे स्मार्ट फोन नहीं थे लेकिन मल्टी मीडिया किस्म के कीपैड वाले फोन थे.
मैंने अपने मोबाईल से उन दोनों के बीच की सारी हरकत को रिकॉर्ड कर लिया.
लंड चुसवाने के बाद जब पापा झड़ गए तो उन्होंने अपनी जेब से चाची को सौ रुपए दिए और चूची दबा कर बोले- आज रात में मशीन पर आ जाना.
चाची बोलीं- ठीक है!
मैं जल्दी से बाहर चला गया.
कुछ देर बाद पापा बाहर निकल गए.
अब मैं अन्दर गया, तो वे झाड़ू लगा रही थीं.
मैंने पीछे से उनके चूतड़ पर एक चपत लगाई और कहा- संगीता की हॉट गांड!
वे पलट कर एकदम से मुझे घूर कर देखने लगीं.
उनको मेरा ऐसा कहना जरा साल गया था कि यह कल का लौंडा ऐसा क्यों बोला?
मैंने भी हिम्मत की और तुरंत एक उंगली उनकी गांड में की दरार में रगड़ दी.
वे अभी कुछ कहतीं इससे पहले मैंने जेब से मोबाइल निकाला और उनका वीडियो उन्हें दिखाने लगा.
मैंने कहा- चाची थोड़ा प्रसाद हमें भी चख लेने दो … कौन सा घिस जाओगी! अगर हल्ला करोगी तो मैं चला तो जाऊंगा … पर उसके बाद आपको बहुत से लोगों को प्रसाद बांटना पड़ेगा.
वह बोली- अरे यार कैसी बात कर रहे हो … मैंने तुमसे कुछ कहा भी है … तुम किसी को कुछ मत दिखाना, जो करना है कर लो.
मैंने उनको गोद में उठाया और उनके कमरे में ले गया. उधर उनकी साड़ी उठा कर उन्हें नंगी किया और चूत की फांक के बीच में लंड धर कर पेलने लगा.
जल्दी जल्दी से चाची को मैंने दो बार पेला और जाते समय कहा- मुझे रोज चाहिए … नाटक मत करना!
यह कह कर मैं पैंट के बटन लगा कर सीधा खड़ा ही हुआ था कि डॉली आ गयी.
चाची की बड़ी लड़की डॉली जवान हो गई थी और वह अभी भी एक पुरानी फ्रॉक पहने हुई थी, जिसमें से उसकी छोटी छोटी सी चूचियां उभार लेती हुई साफ दिख रही थीं.
मैं उसके गले के अन्दर से चूचियों को देखने की कोशिश करने लगा.
मैं मुड़ा और चाची से बोला- मुझे ऐसे जवान फूल पसंद हैं.
वे मुझे घूरने लगीं.
तो मैंने फ़ोन दिखा दिया.
उनका गुस्सा तुरंत ठंडा हो गया.
मैंने डॉली को पकड़ कर चाची के सामने ही गोद में उठा लिया और उसकी छोटी सी चूची मसलने लगा और उसकी चूत में उंगली डाल कर हिलाने लगा.
उसने जल्द ही पानी छोड़ दिया.
उस समय डॉली जवानी की दहलीज पर थी तो उसको सेक्स की कुछ कुछ जानकारी हो गई थी.
वह शायद अपनी चूत में उंगली करने लगी थी इसलिए उसे मेरी उंगली से ज्यादा दर्द नहीं हुआ था.
मैंने जाते समय पर्स में से पचास रूपए निकाल कर उसे दे दिए और चला गया.
अगली दोपहर में मैं गया तो चाची और डॉली सोई हुई थीं.
मैं चाची की चूची पकड़ कर मसलने लगा और दूसरे हाथ से डॉली की चूचियों को मींजने लगा.
वे दोनों जाग गईं.
चाची मुझसे गिड़गिड़ाने लगीं- मुझे चोद लो, पर इसको जाने दो.
मैंने तुरंत मोबाइल दिखाया तो वे शांत हो गईं.
उसके बाद मैं डॉली की चूचियों को नंगी करके चूसने लगा.
तब तक चाची सरसों का तेल लेकर आ गईं और लंड बाहर निकालने का इशारा करने लगीं.
मैंने लंड बाहर निकाल दिया.
मेरा लंड पहले से ही खड़ा था.
वे सरसों का तेल लौड़े पर लगाने लगीं.
मैं समझ गया कि चाची आज अपनी बेटी की चूत फड़वाने को राजी हो गई हैं.
मैंने झट से डॉली की चूत को नंगी किया और उसके दोनों पैरों को अपने हाथ में पकड़ कर फैला दिया.
तब तक चाची ने उसके मुँह को हाथ से बंद कर दिया.
मैंने एक झटका देसी टीन वर्जिन पुसी में लंड रख कर मारा और मेरा लंड उसकी सीलपैक चूत को फाड़ता हुआ अन्दर चला गया.
वह दर्द से रोने लगी, चिल्लाने की कोशिश करने लगी थी.
पर उसकी आवाज़ निकल ही नहीं पाई.
मैं लगातार धक्के पर धक्के मारे जा रहा था.
वह छटपटा रही थी.
मैंने उसको जरा सा भी आराम नहीं करने दिया, लगातार पेलता रहा.
वह बेहोश हो गयी तो चाची मुझे गाली देने लगीं- यह क्या कर दिया?
मैं भी डर गया और गमछा लपेट कर बाहर चला गया.
उधर पानी के नल से पानी लाकर मुँह डॉली के मुँह पर छींटा मारा तो वह होश में आ गई और रोने लगी.
मेरी जान में जान आई कि चलो लौंडिया सही है.
अब तक मेरा लंड सो गया था तो मैंने फिर से डॉली की चूची पकड़ ली.
अब चाची ने मेरा हाथ पकड़ लिया और मुझसे हाथ जोड़ कर घुटने के बल होकर रोने लगीं.
मैंने उनसे कहा- पर अभी मेरा हुआ ही नहीं है?
तो वे बोलीं- मुझे चोद लो.
मैंने अपना गमछा हटा कर अपना लंड उनके मुँह में दे दिया और डॉली के सामने ही चाची को दो बार चोदा.
बाद में मैंने चाची को एक हजार रुपए पकड़ाए और कहा- लौंडिया की नथ उतराई रख लो, ये पेशगी है … पूरी चुदाई के बाद बाकी के भी दूंगा!
चाची हजार रुपए देख कर खुश हो गईं.
उसके बाद मैंने कई बार उन दोनों को एक साथ चोदा.
मेरा बाप भी चाची को चोदता रहा.
जब तक चाचा जेल से छूट नहीं गए, तब तक चाची की और उनकी लड़की की चूत चुदाई चलती रही.
मैंने कई बार उन दोनों को रखैल की तरह चोदा.
मेरा चाची से में इंटरेस्ट कम होता गया.
मैं डॉली को कली से फूल बनाने की मिशन में लग गया.
जब भी कहीं भी उसे सूनी गली या रास्ते में अकेली देखता, तो चूचियां दबा देता या उसकी गांड मसल देता.
वह भी कम उम्र में ही बड़ी माल लगने लगी थी. उसकी चूचियों का साइज़ बढ़ने लगा था.
मैं उसको कभी खेत में ले जाता, तो कभी उसी के घर में चोद देता, वह भी मेरे साथ मस्ती से चुदवाती थी.
मैं कई दिनों तक उसे चोदता रहा.
एक बार मैं डॉली को पकड़ कर उसकी चूचियां मसल रहा था और उसे अपना लंड चुसवा कर लंड चूसना सिखा रहा था.
हम दोनों आपस में ही मगन थे, वह लंड चूसे जा रही थी.
मैं आह आह आह कर रहा था.
तभी मेरा बाप आ गया.
जैसे ही उसके मुँह में मेरा माल गिरा, तब तक मेरे सर पर एक जूता लगा.
मैंने घूम कर देखा तो अपने बाप को पाया.
हम दोनों सन्न रह गए.
पापा ने मुझे बहुत गाली दीं और भगा दिया.
मैं भी हरामी आदमी था, पीछे खिड़की में से देखने लगा.
पापा ने डॉली को गोद में उठाया और अन्दर कमरे में ले गए.
उसे समझाने लगे- ऐसा नहीं करते बेटा, यह सब ग़लत है.
वे उसे अपनी गोद में बिठा कर समझा रहे थे. डॉली बार बार उनकी गोदी में अपनी गांड हिला रही थी, साफ समझ आ रहा था कि पापा का लंड भी टाइट हो गया था.
वे डॉली की चूचियां भी दबाने लगे थे.
डॉली भी रंडी की तरह आहें भरने लगी थी.
तभी चाची आ गईं और उन्होंने डॉली को कमरे से बाहर भगा दिया.
फिर उन दोनों में थोड़ी बहस होने लगी.
तभी पापा ने चाची को 200 रुपए दिए तो वे शांत हो गईं.
अब उन दोनों में खेल शुरू हो गया.
मैं घर चला गया.
अब जब भी दोपहर में मौका मिलता, मैं उनके घर चला जाता.
मैं एक पैकेट मैगी ले जाता हूँ और उन दोनों को भोजन के साथ साथ चोदन भी मिल जाता था.
चाची भी अब हम दोनों का भरपूर साथ देती थीं.
मैंने चाची और डॉली को कई बार एक साथ अलग अलग पोजीशनों में चोदा है.
एक दिन मैंने चाची के सामने ही डॉली की माँग में सिंदूर डाल दिया और कहा कि आज से यह लड़की मेरी रखैल है.
चाची हंसने लगीं और बोलीं- मैं क्या हूँ?
मैंने उनको पकड़ा और उनकी दोनों चूचियों को पूरा ज़ोर लगा कर मरोड़ दिया तो वे चिल्ला दीं.
मैं बोला कि तुम मेरे बाप की रखैल हो?
इस पर वे मुस्कुराने लगीं.
मैंने तुरंत उनको झुकाया और अपना लंड निकाल कर उनकी चूत में ठांस कर चोदने लगा.
तभी डॉली उठ कर आई और मुझे गाल पर किस करने लगी.
मैं उसकी चूचियों को दबाने लगा और चूसने लगा.
कुछ देर बाद जब मैं झड़ गया तो चाची उठीं और बोलीं- अपनी मां को चोद लिया!
मैंने उनकी चूचियों को पकड़ कर कहा- रखैलें किसी की मां नहीं होतीं. तुम मुझसे भी चुदोगी और मेरे बाप से भी चुदोगी. तुम्हारी लड़की मेरी रखैल है.
अब जब भी मुझे टाइम मिलता था, मैं उन मां बेटी दोनों को चोद लेता था.
वे भी एक साथ नंगी होकर मस्त चुदवाती थीं.
दोस्तो, आपको मेरी देसी टीन वर्जिन पुसी स्टोरी अच्छी लगी होगी.
प्लीज कमेंट्स जरूर करें … मैं अपनी बहुत सारी सेक्स कहानी आपसे साझा करना चाहता हूँ.
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