दामाद से चुदकर बेटी की सौतन बनी- 1

अन्तरावासना इंडियन सेक्स कहानी में एक विधवा की बेटी युवा हुआ तो उसका रिश्ता तय हो गया. एक दिन माँ जॉब से घर आई तो उसने अपनी बेटी को नंगी उसके मंगेतर के साथ देखा.

मेरे प्यारे पाठको, नमस्कार.
मैं आपका प्यारा अनुराग अग्रवाल उर्फ अन्नू आपके सामने हाजिर हूँ.

आपको मेरी पहले की सेक्स कहानियां पसन्द आई हैं और उनको लेकर आपकी मेल मेरा उत्साहवर्धन करती हैं.
मेरा प्रयास रहता है कि आपको अपनी सेक्स कहानियों के माध्यम से वासना के दरिया में गोते लगाने का आनन्द महसूस करा सकूं.
यही मेरी प्राथमिकता रहती है.

मेरी पिछली कहानी थी: मेरा जिस्म मांगे मोर

यह कहानी सुनें.

सेक्स मनुष्य को कितना आनन्द देता है, नारी के दो इंच के छेद की दुनिया दीवानी रहती है और इस दो इंच में ही सारी दुनिया समायी हुई है.
स्त्री के दो इंच के छेद को पाने की लालसा मनुष्य से न जाने क्या-क्या करवा देती है.

मेरी आज की यह नई अन्तरावासना इंडियन सेक्स कहानी भी इसी विषय पर आधारित है.

मेरी एक पाठिका कविता माथुर जी ने अपनी कहानी मुझसे लिखने व अन्तर्वासना या फ्री सेक्स कहानी के पटल पर प्रकाशित करने के लिए कहा है.

आप इस सेक्स कहानी पर अपनी प्रतिक्रियाएं अवश्य दीजिएगा कि क्या मेरी पाठिका ने सही किया, या उसने अपने बेटी के घर को उजाड़ दिया.
क्या उसे अपनी बेटी की सौतन बनकर रहना चाहिए था या नहीं.
जो भी आपको लगे, आप अपनी प्रतिक्रियाएं अवश्य दीजिएगा.

जिस्म की प्यास व कामुकता जब दिल और दिमाग पर हावी होती है, तो क्या-क्या करवा देती है.

पहले आप इस सेक्स कहानी को पढ़िए फिर बताएं.
मुझे उम्मीद है कि आपको बेहद मजा आएगा. साथ ही आपको पता भी लगेगा कि जब इंसान पर सेक्स का नशा हावी हो जाता है तो वह सब कुछ कैसे भूल जाता है.

मेरी प्यारी पाठिकाओ और मेरे प्यारे दोस्तो, मेरी यह सेक्स कहानी दिल्ली की कविता माथुर की है.
आइए उनकी ही जुबानी इसे सुनते हैं.

मैं कविता माथुर आप सभी को नमस्कार करती हूँ.

दोस्तो, यह मेरी सच्ची सेक्स कहानी है.
शादी के बाद के 1-2 साल तो हर किसी कपल की जिन्दगी का वह लम्हा होता है, जिसे वह अपने दिल और दिमाग में बसाये रखना चाहता है.

वह समय जिन्दगी की सबसे प्यारी और मीठी यादों में से एक होता है. ऐसा ही मेरे साथ भी हुआ.

मेरी शादी रवि के साथ हुई थी, वह एक अच्छे इंसान थे.

पहली नजर में ही जब मेरी बुआ ने रवि के बारे में मुझे बताया और उनका फोटो मुझे दिखाया था, मैं तो फोटो देखकर ही उनकी दीवानी हो गयी थी.
उनका सुन्दर चेहरा, कद-काठी बलिष्ठ शरीर फोटो में ही देखकर मैंने बुआ को रवि के लिए हां कर दी थी.
रवि एक बैंक में मैनेजर थे.

जल्दी ही हम दोनों की शादी हो गई, मैं अपनी ससुराल में अपने पति रवि के साथ अपनी नई जिन्दगी शुरू करने आ गई.

रवि और मेरी जिन्दगी बहुत ही बढ़िया गुजर रही थी, हम दोनों जिन्दगी का मजा ले रहे थे.

शादी के एक हफ्ते तो हमने इतनी चुदाई की थी, जितनी शायद ही कोई कपल्स करता हो.

दिन रात हमें जब भी समय मिलता, हम दूसरे में खो जाते थे.
घर की कोई भी ऐसी जगह हमने नहीं छोड़ी थी, जहां हमने चुदाई का आनन्द ना लिया हो.

रवि ने मेरे तीनों छेदों को इतना चोदा था कि मैं आपको बता ही नहीं सकती.
लगभग 1-1 घण्टे और तीन तीन बार रवि मुझे बड़ी ही बेरहमी से चोदते थे.

मुझे भी इस प्रकार की चुदाई में उनका लंड चाटने में बहुत ही मजा आता था.
धीरे-धीरे समय गुजरता रहा और लगभग 2 साल बाद मेरी बिटिया अवनि पैदा हुई.

अवनि के पैदा होने पर हम दोनों बहुत ही खुश थे.
जिन्दगी हंसी खुशी से बीत रही थी.

अब अवनि 7 साल की हो गई थी.

परन्तु तभी एक अनहोनी हो गयी और वह हो गया, जिसकी मैंने कभी कल्पना भी नहीं की थी.

एक एक्सीडेन्ट में रवि मुझे छोड़कर चले गए.
उनके चले जाने का मुझे इतना गम हुआ कि मैंने हंसना, बोलना ही बंद कर दिया था.

रवि की याद में हर वक्त आंसू ही बहाती रहती थी.
भगवान की होनी को कौन टाल सकता है.

मैं भी धीरे-धीरे रवि की यादों के सहारे और अपनी प्यारी बिटिया अवनि के साथ अपनी जिन्दगी को आगे बढ़ाने लगी.

मेरे घर वाले मुझे दूसरी शादी के लिए बहुत उकसाया.

पर मैं रवि की यादों को नहीं छोड़ना चाहती थी इसलिए मैंने दूसरी शादी नहीं की.

चूंकि रवि की नौकरी बैंक में थी, तो मुझे भी रवि की जॉब ऑफर हो गयी.

मैंने रवि के बैंक में ही नौकरी कर ली और दुबारा से अवनि के साथ अपनी जीवन की नैया को पार लगाने लगी.
एक जीवन साथी के जाने का दुख आप समझ सकते हैं.

धीरे-धीरे अवनि भी बड़ी होने लगी.
स्कूल के बाद कॉलेज, कॉलेज के बाद उसने फैशन डिजाइनिंग में कोर्स किया और एक गारमेन्ट कम्पनी में उसकी भी जॉब लग गई.

दोस्तो, असली कहानी यहां से शुरू होती है.

अवनि के ऑफिस में ही राहुल नाम का एक लड़का भी काम करता था.
धीरे-धीरे अवनि और राहुल में दोस्ती हो गई और दोनों ही एक दूसरे से मुहब्बत करने लगे.

मुझे जब राहुल के बारे में पता लगा तो मैंने अवनि से राहुल के बारे में बात की और अवनि से मुझे राहुल से मिलवाने के लिए बोला.
अवनि- माँ, आज हम दोनों को राहुल ने शाम को पैराडाईज कैफे पर बुलाया है.

मैं- ठीक है अवनि बेटा, मैं बैंक से छुट्टी होने के बाद शाम को वहां पहुंच जाऊंगी.
अवनि- ठीक है माँ!

शाम को 5 बजे बैंक से छुट्टी होने के बाद मैं सीधे पैराडाईज कैफे पहुंच गई.
वहां एक टेबल पर राहुल और अवनि मेरा इंतजार कर रहे थे.

राहुल की लम्बी चौड़ी कद-काठी, आकर्षित कर देने वाला चेहरा देखकर मुझे अचानक से अपनी रवि के साथ वह पहली मुलाकात याद आ गई.

राहुल दूर से बैठा हुआ एकदम रवि की तरह ही चमक रहा था.

मेरे वहां पहुंचते ही राहुल ने हाथ जोड़कर मुझे प्रणाम किया और उसने मुझे बैठने के लिए कहा.

मैं बार-बार राहुल की ओर ही देख रही थी, मेरी नजर उसके इस आकर्षक चेहरे से हटने का नाम ही नहीं ले रही थी.

न जाने कैसा आकर्षण था उसमें, बार-बार रवि मेरे ख्यालों में आ रहे थे!

मैं अवनि और राहुल के साथ बैठ गई.
मैंने राहुल से अवनि के बारे में काफी सवाल किए, राहुल के जवाबों से संतुष्ट होकर मैं और अवनि घर आ गए.

घर आकर मैंने अवनि से राहुल की मम्मी पापा से मिलने के लिए बुलाने के लिए कहा.

उस रात मुझे नींद नहीं आ रही थी; बार-बार राहुल की ही चेहरा मेरे सामने आ रहा था.
मुझे रवि के साथ बिताए उन पलों की याद आने लगी.

इतने साल में पहली बार ऐसा लग रहा था कि आज मेरी चूत जोर जोर से लंड को याद कर रही है.
सालों से प्यासी मेरी चूत आज बाहर आने को तैयार थी.

मुझे अन्दर से आज लंड की इतनी तीव्र इच्छा हो रही थी कि कोई आए और अपने लंड को मेरी चूत में डाल दे.

इतने सालों में पहली बार था, जब आज मुझे कुछ कुछ हो रहा था. मेरी अन्तरावासना जोर मार रही थी.

मैं उठी और घर के फ्रिज में से एक खीरा लाकर अपने रवि को याद करते हुए अपनी चूत को उस खीरे से चोदने लगी.

उस रात न जाने कितनी बार मैंने अपनी चूत को खीरे जैसे लंड से चोदा था, फिर भी मैं प्यासी थी.

आदमी का लंड आदमी को ही होता है. खीरा, गाजर कहां से आदमी की कमी को पूरा करेंगे.
उस रात मेरी कामाग्नि बहुत ही भड़क गई थी, कम से कम 5-6 बार खीरे से चोद चोद कर मैंने अपनी चूत का जूस निकाला था.

उस दिन मेरी चूत ऐसी हो गई थी जब पहली बार मुझे रवि ने सुहागरात पर चोदा था.

अगले दिन मैंने अवनि से राहुल के माता पिता से बात करने के लिए राहुल से बात करने के लिए कहा.

दो दिन में मैं राहुल के माता पिता से मिली और फिर अवनि और राहुल की शादी तय हो गयी.

मुझे दुख और खुशी दोनों ही हो रही थी.
खुशी इस बात की कि मेरी बेटी अवनि भी अपने प्रियतम के साथ अपने नए जीवन में प्रवेश करने जा रही है और दुख इस बात का कि मैं अब अकेली होने जा रही थी.

20 दिन के बाद की तिथि को अवनि और राहुल की शादी तय हो गयी थी.
शादी की तैयारियां शुरू हो गयी थीं.

शादी से 5 दिन पहले की बात है.
आज सुबह से ही मेरी तबियत थोड़ी से डाउन थी, फिर भी मैंने बैंक जाने का निर्णय लिया.

बैंक में भी मुझे अपनी तबियत ठीक नहीं लग रही थी.
पता नहीं कैसे मेरा पेट खराब था और मुझे बैंक में एक जोरदार उल्टी हो गयी थी.

मैंने अब बैंक से घर जाने का निर्णय लिया और बैंक मैनेजर को अपनी तबियत का हवाला देकर मैं बैंक से घर के लिए निकल गई.

रास्ते में एक कैमिस्ट की दुकान से दवा लेकर घर के लिए आ गई.

चूंकि फ्लैट की दो चाबियां थीं, एक मेरे पास रहती थी और दूसरी अवनि के पास.

मैंने जाकर फ्लैट का दरवाजा अपनी चाबी से खोला तो देखा फर्श पर जेन्ट्स कपड़े पड़े हुए थे.

मुझे बड़ी हैरानी हुई कि ये सब कपड़े किसके हैं, कौन यहां है!
अवनि तो इस समय अपने ऑफिस में होगी.

अचानक से 100 सवाल मेरे जहन में आने लगे.

तभी मुझे वहां अवनि की पैंटी, जींस, ब्रा फर्श पर गिरी पड़ी नजर आई.

मैं अनजाने डर से धीरे-धीरे से बेडरूम की ओर जाने लगी.
दरवाजा थोड़ा सा खुला हुआ था, अन्दर धीमी रोशनी जल रही थी.

अन्दर का नजारा देखकर तो मेरे होश ही उड़ गए.
अवनि घोड़ी बनी हुई थी और पीछे से कोई अच्छी कद काठी का लड़का अवनि की चूत को कुत्ते की तरह चाट रहा था.

मैं एकटक उन दोनों को देखे जा रही थी.
चूंकि दोनों के मुँह दूसरी साइड में थे. दरवाजे की तरफ पीठ करके वह लड़का अवनि की चूत को चाटे जा रहा था.

फिर अचानक से उसने अपना लंड अवनि की चूत के मुँह पर रखा और जोर से धक्का मार दिया.
एक ही झटके में उसका पूरा लंड अवनि की छोटी सी चूत में घुस गया.
अवनि की बहुत जोर से चीख निकल गई- आह राहुल … मार दिया. साले तुमने मेरी चूत फाड़ दी. आह मर गई.

वह जोर जोर से रोने लगी- आह नहीं राहुल … प्लीज बाहर निकालो आह राहुल उह मैं मना कर रही थी … पर तुम नहीं माने … आह फाड़ दी मेरी चूत राहुल!

वह जोर जोर से ‘आह उह आह’ कर रही थी.
राहुल उसकी आवाज का अनसुना करता हुआ जोर जोर से उसे चोदे जा रहा था.

मैं दरवाजे पर खड़ी अवनि को चुदती हुई और राहुल को चोदते हुए बड़े ध्यान से देख रही थी.

अब शायद अवनि को भी मजा आने लगा था- आह राहुल यस मेरी जान … आह चोदो अपनी कुतिया को … आह ऐसे ही मेरी इस चूत को फाड़ डालो आज … आह राहुल!

राहुल अपनी पूरी ताकत से अवनि को चोदे जा रहा था- मेरी कुतिया मेरी रांड साली ऐसे ही चोदूंगा रात दिन तुझे!
मैं मन ही मन सोचने लगी कि 5 दिन बाद इन दोनों की शादी होने जा रही है, फिर भी इनसे कंट्रोल नहीं हुआ.

मेरी आंखें गुस्से से लाल हो गईं.
मैंने जोर से चीख कर कहा- अवनि, तुम यह क्या कर रही हो?

अचानक से मेरी आवाज सुनकर अवनि के तो होश ही उड़ गए और वह ‘माँ माँ तुम!’ कहती हुई अपनी आंखें फाड़ फाड़कर मुझे देखने लगी.

मेरी जोर की आवाज सुनकर राहुल भी एकदम से हड़बड़ा गया और साइड में गिर गया.

उसका मूसल सा लंड अब मेरी ओर ही था.
जब मैंने एकदम आवाज दी तो उसका लंड लावा छोड़ रहा था.

मेरी आवाज सुनकर राहुल ने अवनि की चूत से लंड निकाला और साइड में गिर गिया परन्तु उसका लंड अभी भी तना हुआ खड़ा था और उसके वीर्य की थोड़ी सी छींट अचानक से मेरे पेट पर भी आ गिरी.

मेरी नजर राहुल के लंड को ही निहार रही थी.
उसका वह मूसल लंड मेरी आंखों में बस गया था.

मुझे अचानक से देखकर राहुल और अवनि दोनों ही भौचक्के रह गए थे, उन्हें ऐसी उम्मीद बिल्कुल नहीं थी कि इस समय मैं घर आ सकती हूँ.

अवनि ने पास पड़ी चादर से अपने शरीर को ढकने की नाकाम कोशिश की.
मैं उन दोनों को उसी हालत में छोड़कर दूसरे कमरे में आकर बैठ गई.

कुछ देर बाद अवनि कपड़े पहनकर मेरे पास आई.

पर शायद राहुल अपने कपड़े पहन कर मुझसे बिना कोई बात किए जा चुका था.

अवनि- माँ, मुझे माफ कर दो.
अवनि हाथ जोड़कर रो-रोकर माफी मांग रही थी.

मैं अपना सिर नीचे किए बैठी थी.

मैंने अपना सिर ऊपर किया और एक जोरदार तमाचा अवनि के गाल पर मारा- हरामजादी, कुतिया, रंडी तेरी चूत में इतनी आग है तो उसी दिन तेरा ब्याह कर देती … कुतिया तुझसे 5 दिन का भी सब्र नहीं हुआ?
अवनि- माँ मुझे माफ कर दो. इसमें मेरी कोई गलती नहीं है. राहुल नहीं मान रहा था. वह कह रहा था कि अब तो हम दोनों की शादी होने ही वाली है यार, आज मजा करते हैं.

‘साली, कुतिया तू झूठ बोल रही है, तेरी चूत में ही आग लगी होगी!’ मैंने गुस्से में अवनि से कहा और उसे भगा दिया- अब जा यहां से … मुझे अपनी शक्ल मत दिखा!

उस दिन पहली बार मैंने अपनी फूल सी बेटी पर हाथ उठाया था.
आज तक जिस अवनि को मैंने इतने नाजों से पाला था.

जिसकी एक ख्वाहिश पर उसकी जरूरत पूरी कर देती थी, आज उस अवनि की आंखों में आसुओं का समन्दर था.
न जाने मुझे आज क्यों इतना गुस्सा आ रहा था.

रात को सोते हुए राहुल का वह लंड दिखाई दे रहा था.

जब वह अवनि को पीछे से कुतिया बनाकर चोद रहा था.
उसके वीर्य की वह छींट जो मेरे पेट पर लग गयी थी, वह मैंने चाट ली थी.

इतने सालों बाद आज रवि के बाद मुझे किसी आदमी का वह नैसर्गिक अहसास हुआ था!

राहुल के लंड को देखकर न जाने क्यों मेरे मन भी मुझे बार-बार काम सुख की ओर ले जा रहा था.
बार-बार अवनि और राहुल की चुदाई की रील मेरी दिन और दिमाग में बस गई थी.

दोस्तो, यहां से मेरी वासना ने अपना रंग दिखाना शुरू किया था.
सेक्स कहानी के अगले भाग में आपको बहुत मजा आने वाला है.

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