सेक्सी चुदाई का मजा मुझे दिया मेरे दोस्त की चुलबुली साली ने. मैं दोस्त के घर गया तो वह भी वहां थी. वह तो जैसे मेरे पीछे ही पड़ गयी और रात को मेरे बिस्तर में आ गयी.
कहानी के पहले भाग
दोस्त की साली की उफनती वासना
में आपने पढ़ा कि मैं अपने दोस्त के बेटे की शादी में गया तो दोस्त की साली ने मेरे ऊपर डोरे डालने शुरू कर दिए.
दोस्तो, मेरी आगे की कहानी शुरू हो रही है।
सभी अपने-अपने पार्टनर से चिपक जाएँ सेक्सी चुदाई का मजा लेने के लिए.
और जो पाठक सिंगल हैं वो अपने हथियार को मुठी में पकड़ लें और पाठिकाएँ अपनी चड्डी नीची कर चूत पर प्यार से अपने हाथों से सहलाना चालू कर दें, क्योंकि इस धधकती सेक्सी कहानी में माल लंडों और चूतों दोनों से बहेगा अब!
मैं इंतजार करने लगा और हथियार काले नाग की तरह पैंट में फुफकारने लगा।
रात के लगभग 12 बजे, एकदम सुनसान सर्द रात में मेरे कमरे के दरवाजे से एक परी, मेरी लाडली साली सुशीला का प्रवेश हुआ और उसने धीरे से दरवाजा बंद कर दिया।
मैंने अपने मोबाइल की डिस्प्ले चालू कर दी।
वो एक ऊनी कपड़े की पजामी-स्वेटर पहने हुए थी।
वो सीधा मेरे बेड पर आकर मेरे सिर की तरफ बैठ गई।
धीरे से मेरे सिर पर हाथ रखकर बोली- क्या जीजू, ज्यादा सिर में दर्द हो रहा है?
और धीरे-धीरे सिर दबाने लगी।
आहा, वो एकदम मुलायम, मेहँदी की खुशबू वाले हाथ।
मेरा तो रोम-रोम सुशीला को चोदने के लिए आतुर हो गया।
वो सर्दी की वजह से थोड़ा काँप रही थी तो मैंने अपनी रजाई थोड़ी उठाई और उसको अंदर घुसा लिया।
सुशीला अभी मेरे सिर को दबा रही थी और उसने अपनी स्वेटर की जेब से एक डब्बी निकाली।
शायद उसमें तेल ही था, जो गर्म करके लाई थी।
उसने मेरे माथे पर हल्का सा लगाया और मालिश करने लगी।
मैंने अपनी रजाई में उसको कसकर बाहों में भर लिया- आह, साली साहिबा, बहुत ठंडी लग रही है।
उसने बोला- रुको जीजू, अभी तो थोड़ा सब्र रखो, पसीने छूटने लगेंगे आपके तो!
मैं उसके एकदम कड़क चूचे अपनी छाती पर महसूस कर रहा था।
मेरा हथियार उसकी पजामी के ऊपर से ही उसकी चूत को रगड़ खा रहा था।
लंड का स्पर्श होने के बाद सुशीला भी अपनी चूत का दबाव मेरे लंड की तरफ बढ़ाने लगी थी।
उसने भी अपने पैर मेरे पैरों में फँसा दिए थे।
“आप कितनी प्यारी हो, सुशीला!” मेरे बोलने के साथ ही उसने मेरी गर्दन पर एक प्यारी सी पप्पी दी।
वो बोली- आप भी न, कितने मजबूत हो। मैं आपको पहली बार मिली हूँ, लेकिन देखते ही मन में सोच लिया था कि चाहे कुछ भी करना पड़े, एक बार तो आपसे पक्का रिश्ता बनाना है, यानी चुदाई करवानी है। बड़े शरीफ बन रहे हो, आपकी शराफत देखनी है मुझे। इतना मजबूत और स्मार्ट, 6 फुट हाइट का नौजवान एक बार मिले तो मेरे शरीर की प्यास बुझे। आपने पहली नजर में ही मुझे अपना दीवाना बना लिया था। मैंने दीदी से सिर्फ सुना था आपके बारे में, लेकिन देखते ही तो आपकी दीवानी हो गई।
मैंने बोला- मैं भी आपको पहले पहचान नहीं पाया, लेकिन आपकी फोटो तो मैंने देखी थी भाई और भाभीजी के मोबाइल में। सच में तुम बहुत सेक्सी और गदराई हुई हो।
अब मैंने सुशीला के माथे को चूमा, गालों को प्यारी चुम्मी दी और फिर सीधे लिप-किस लगा दी।
आहा दोस्तो, क्या मस्त लिपस्टिक वाले होंठ।
लगभग पाँच-सात मिनट तो लिप-किस ही किया हमने।
इसी बीच मैं उसकी स्वेटर के अंदर हाथ डालकर कभी कमर तो कभी पजामी में हाथ डालकर चूतड़ों पर हाथ फेरने लगा।
सुशीला के चूचे बड़े मस्त थे 34″ के।
मैं उसकी स्वेटर को ऊपर खिसकाकर ब्रा की साइड से ही चूचे पीने लगा।
सुशीला भी मुझसे एकदम चिपकने लगी और उसका एक हाथ मेरे माथे से मुँह, गले तक होते हुए मेरी छाती तक पहुँच गया था।
वो चूत के दबाव से ही मेरे लंड को मापने लगी थी।
उसकी गर्म-गर्म साँसें मेरी गर्दन पर एकदम से हीटर की माफिक चल रही थीं।
मैं उसके चूतड़ों पर हाथ फेरते हुए उसकी पजामी को नीचे सरकाने लगा तो सुशीला ने अपनी गांड उकसाकर अनुमति जाहिर की।
इसी तरह से हम एक-दूसरे को चूमते-मसलते कपड़े उतारने लगे।
उसने मेरी बनियान और पैंट निकाल दी, मैंने उसकी पजामी और स्वेटर एवं ब्रा को निकाल फेंका।
अब हम दोनों सिर्फ अंडरवियर में ही थे।
सुशीला का हाथ मेरे अंडरवियर के ऊपर से ही मेरे लंड को मापने लगा।
मैंने भी एक हाथ सुशीला की चड्डी में डालकर चूत को अपनी अंगुलियों का स्पर्श दिया।
एकदम चिकनी चूत थी उसकी, और थोड़ी गीली भी हो गई थी।
उसने भी मेरे लंड पर हाथ फिराते हुए अपने चूचे मेरे मुँह के सामने ला दिए।
मैं उसके 34″ चूचों के निप्पल को चूसने लगा।
वो लंड पर एकदम गुस्से से हाथ चलाने लगी और बड़बड़ाने लगी- हाय राजू, आप मुझे पहले क्यों नहीं मिले? आहा, आहा … आपका लंड पाकर मैं कब की अपनी जवानी को पानी पिला चुकी होती। हाय मेरी किस्मत, जो आज मुझे एक भरपूर लंड मिला है। आहा … आज तो पूरे को खा जाऊँगी मैं!
सुशीला बहुत फुसफुसा रही थी।
उसके गोल-मटोल 36″ चूतड़ बहुत घूमने लगे थे अब।
“अरे यार सुशीला, पूरा 6 फीट का हट्टा-कट्टा नौजवान आपकी सेवा में हाजिर है। जैसे मर्जी खाओ।”
और मैंने उसकी चड्डी को एक झटके में चूतड़ों से सीधा खींचकर पैरों से निकाल फेंका।
आज वो ब्यूटी पार्लर से एकदम मखमल जैसी होकर आई थी और पूरा महक रही थी।
मैंने नीचे झुककर उसके पेट, नितंब, जाँघों और फिर चूत पर किस कर दिए।
चूत पर किस करते ही सुशीला एकदम मदहोश सी हो गई थी; “उहँ, ऊँ, ओंस, याँ हाँ,” करते हुए एकदम चुदासी हो चुकी थी।
“मैं मर जाऊँगी, मैं प्यासी हूँ, मैं चुदासी हूँ। आह, जीजू, मेरे राजू, संभालो मुझे। मेरी जवानी में आग लगी है, बुझाओ। आह, उँह … राजू … जीजू…”
मैं बोला- अभी तक अंडरवियर तो निकाला ही नहीं मेरा, घंटा मजे करोगी।
वो अंडरवियर के ऊपर से ही लंड को सहला रही थी।
क्या बताऊँ, अगर मेरी किसी पाठिका ने ऐसे ही ऊपर से मसला हो, और किसी लंडधारी ने अंडरवियर के ऊपर से ही अपनी माशूका का हाथ फेरने का नजारा महसूस किया हो, वही जान सकता है उस समय की फीलिंग को। मुझे बहुत मदहोशी छाने लगी थी इस अदा से।
“जीजू! आप थोड़ा अंडरवियर को अपने हाथों से नीचे कर दो न, मेरी इच्छा है.” सुशीला ने बड़े ही प्यार से होंठों से होंठ सटाकर बोला।
मैंने अपना अंडरवियर नीचे खिसका दिया।
सुशीला ने मेरे मोबाइल की स्क्रीन चालू की और लंड को देखते ही आँखों में आँसू भरकर बोली- क्या जीजू! इतने मजबूत भी लंड होते हैं?
और लंड के सुपाड़े को होंठों के बीच लेकर चूसने लगी।
मैं बोला- क्यों, आपके पति के पास नहीं है क्या लंड? साली, इतनी हुस्न की मलिका को तो आदमी दोनों समय चोदे तो भी कम है। साली, एकदम भरपूर जिस्म की धनी और हर अंग से सेक्सी औरत हो तुम तो!
मैंने उसके होंठों से फिर होंठ चिपका दिए।
एकदम से लाल आँखें हो गई थीं साहिबा की।
मेरे होंठों को एकदम गुस्से में होकर काटने लगी और बोली- क्यों घाव पर नमक छिड़क रहे हो? अगर उनकी नूनी में ही दम होता तो आज आपके पास चुदने क्यों आती मैं?
और उसकी आँखों से आँसू निकलने लगे।
“मेरे पति को सिर्फ और सिर्फ पैसों से प्यार है। मैं कितनी बार उनको बोल चुकी हूँ कि कहीं से कोई दवा वगैरह करवा लो, तो वो सिर्फ दुकान यानी अपने काम पर ही ध्यान देते हैं। उनका किराने का होलसेल का बड़ा दुकान है। सुबह 6 बजे से रात 11 बजे तक बस वहीं व्यस्त रहते हैं। मेरी जवानी की माँ चोद दी मेरे पति ने तो!”
“मैं आज इतने बड़े लंड के दर्शन करके बहुत खुशकिस्मत मानती हूँ अपने आप को। इसलिए मैंने आपसे ही अंडरवियर निकलवाया ताकि सबसे पहले अपने होंठों से खुशी जाहिर करूँ।”
इतना बोलते ही अब एक बार फिर से लंड पर अपने लाल-लाल होंठ रख दिए और अब जाकर उसने अपना हाथ भी लंड को स्पर्श दिया।
मुट्ठी में भरकर लंड को ऊपर-नीचे हिलाते हुए जबरदस्त चुसाई करने लगी सुशीला अब!
मैं भी एक हाथ उसकी गर्दन पर और एक हाथ साली की चूत पर मसलने लगा।
अब हमारा पूरा जोश फोरप्ले पर था।
लंड चूसते-चूसते साली की गांड ऐसे घूम रही थी जैसे उसमें बैरिंग लगे हों।
धीरे-धीरे लंड चूसते हुए और घूमते हुए उसकी एकदम चिकनी, गदराई हुई, और ताजा शेविंग की हुई चूत मेरी तरफ पूरा घूम चुकी थी।
मैं भी बीच-बीच में उसकी नाभि के नीचे की तरफ किस किए जा रहा था।
अब सुशीला की चूत पर किस करके अपनी रजाई साइड में करके मैं उसके पैरों के बीच में आ गया था।
सुशीला ने जो अपने साथ एक डब्बी लेकर आई थी, उसमें से थोड़ा तेल अपनी हथेली पर लिया और लंड को पूरा चिकना कर दिया था।
उसके पाँव अपने कंधे पर लिए और अपने इंतजार की घड़ियों को खत्म किया क्योंकि अब बर्दाश्त कौन सी भी साइड से नहीं हो रहा था।
सुशीला ने नीचे हाथ ले जाकर लंड को सही ठिकाने पर टिकाया ही था कि मेरा भी सब्र का बाँध टूटकर सीधा सुशीला की चूत में घुसने लगा।
अभी आधा ही लंड चूत में घुसा था कि सुशीला ‘ओहो … ओरे … नहीं … याह’ करके एकदम ऊपर को खिसक गई।
“जीजू! थोड़ा धीरे-धीरे करो न, बहुत बड़ा लौड़ा है। साला चूत में मिर्ची सा लगता है। धीरे-धीरे करो, सब सह लूँगी, वरना एकदम से तो चूत फाड़ देगा ये हब्शी लौड़ा मेरी। आपको मेरी जरा सी भी फिक्र है तो थोड़ा आराम से करो। वादा करती हूँ, पूरा लंड खा लूँगी।
दोबारा से लंड ने चूत का दरवाजा खटखटाया और अंदर घुसने लगा।
2 मिनट तक सिर्फ आधा ही लंड घुसाए रखा।
“जीजू … जीजू … आह … मेरी चीख निकल जाएगी … नांह … उँह … बना-बनाया खेल बिगड़ जाएगा.” और मैंने थोड़ा-थोड़ा चूत में पेलना चालू किया।
क्या मस्त एकदम टाइट चूत है साली की, लंड फँस रहा था।
अब क्योंकि लंड चाहे कोई भी हो, वो इस अवस्था में पूरा चूत में समाना ही चाहता है, वही अब मेरा लंड भी करने लगा।
मैंने सुशीला के होंठों को अपने होंठों में दबा लिया था और पेल दिया अपना लौड़ा कमसिन कली की छोटी सी फुद्दी में।
“नां … आँहा … नईई … मर गई … ओह … चीर दिया…” सुशीला छटपटाने लगी।
मैंने होंठों की और बाहों की पकड़ और मजबूत बना ली थी।
अब सुशीला का पूरा शरीर काँपने लगा और गोल-मटोल चूतड़ ज्यादा काँपकर ऊपर की तरफ सरकते जा रहे थे।
उसकी “घुं … उँअ … घुं … घुं…” की आवाज निकल रही थी।
लेकिन अब आगे बेड का सरहाना सुशीला के सिर को आगे नहीं सरकने दे रहा था।
अब तो लंड की चोट को सहन करना ही बच गया था।
अब मैंने भी पूरे जोर के साथ लंड को सुशीला की चूत में ठोक दिया था।
क्या मस्त, गद्देदार, मुलायम, मखमली और मलाईदार चूत है।
आह … मैंने पूरा लंड पेलकर एक अनुभूति महसूस की।
वहीं सुशीला अपने आप को एक मूसल से लंड से चुदवाने के लिए अपने आप को सांत्वना देने लगी थी।
2 मिनट तक मैं लंड को ऐसे ही चूत में फँसाकर सुशीला के ऊपर दबाव डालने लगा।
अब उसके चूतड़ फूलने लगे थे और लंड को महसूस हो रहा था कि चूत के अंदर कोई उनको सहलाने आया है कि अब चुदाई कार्यक्रम शुरू किया जाना है।
सुशीला के शरीर से हर तरफ से गर्म हवाएँ बहने लगी थीं।
अब धीरे-धीरे साली साहिबा के चूतड़ नॉर्मल होकर ऊपर-नीचे, ईधर-उधर और फिर आगे-पीछे हिलने लगे थे।
धीरे-धीरे गांड हिलाकर चुदने को आतुर सुशीला और थोड़ी-थोड़ी स्पीड के साथ फिर से लंड उसकी बच्चेदानी तक ठोकर मारने लगा।
“आऊच … ओह … रोको … सी … अहसीई … दर्द हो रहा है जीजू। धीरे जीजू … फट गई … चूत … ओए … रुको न…”
क्योंकि सुशीला जितना शरीर को ढीला छोड़ती और अपने आप को एडजस्ट करती, उतना ही लंड चूत की जड़ तक जाने के लिए आगे बढ़ने लगा।
“क्या जीजू … उहुँ … फाड़ ही डालेगा क्या ये आपका जालिम लौड़ा … मेरी तो … ओहो … जान ही ले लोगे आप और ये आपका लौड़ा!”
“अरे सा … साली … साहिबा … आय … आह … अब जन्नत की सैर करने दो इस गोरी-गोरी चूत में मेरे लौड़े को। आह…”
और अब सुशीला भी लंड के टोपे को अपनी चूत की गहराई, यानी बच्चेदानी तक ले चुकी थी।
अब सुशीला भी अपनी गांड को हिला-हिलाकर लंड लेने लगी थी और उसने मुझे कसकर जकड़ लिया- जीजू … ए … आआआ … आह … मेरी … चूत … बहुत प्यास … आह … याय … ओह … ये … ईई … येई … ये … ये स … यस … जीजू … चोदो … मेरी … चूत को … ओ, ओओ, ओह … यह … यहं, हं हं, … चोदो … और … और … चोदो … फाड़ दो मेरी चूत को।
“आहा … राजू … मेरे प्यारे जीजू … मेरी चूत … का बन गया आज तो कचूमर … आह … राजू … हूं … हूं … हुआ … आँ … आँ … आंच … चोद-चोद कर फाड़ दो साली को … आज साला जिंदगी में पहली बार चुदवाने से खुश हुई है मेरी कमसिन सी चूत … आह … पेल दो ओ ओ ओओ ओओ ओ ओ…”
“राजू … और कसकर मुझे पकड़कर चूतड़ों को उठाकर पूरा लंड चूत में ले गई।
अब मेरे को लंड पर गर्म-गर्म लावा यानी कि सुशीला की चूत का फव्वारा मेरे लंड पर महसूस हो रहा था।
“आह … राजू, भर दो अपने लंड की मलाई मेरी चूत में ताकि ये कभी चुदाई की प्यासी न रहे।
और उसने मुझे जकड़कर रखा था।
क्योंकि सुशीला का पहला राउंड हो चुका था और मेरे लंड की प्यास अभी अधूरी थी।
तो अब मैंने सुशीला को घोड़ी बना लिया और एक झटके में पूरा लंड फिर ठोंक दिया चूत की गहराई तक।
सुशीला फिर चिल्लाने लगी- नहीईईई … जीजू … फट गई … लंड सहन नहीं हो रहा। थोड़ा कम डालो ना … कल फिर चोद लेना … प्लीज, थोड़ा नाजुक चूत पर रहम करो न!
मैं बोला- अरे वो लंड और शख्स ही क्या जो चूत पर तरस खाए … आह … सुशीला … सुशीला … मेरी छोटी सी मखमली चूत वाली साली … आह … तेरी तो आज पूरी रात चूत बजानी है साला, जब तक लंड थक न जाए।
“आये जीजू … उन्नन्नं न्नं … हंन्नं न्न … आपका लौड़ा थोड़े ही थकने वाला है। इतना कठोर लंड मेरी चूत की बैंड बजा देगा आज। मेरी चूत तो गई काम से आज। तुम्हारा ये लंड मेरी चूत में हथौड़े के जैसे लग रहा है। प्लीज जीजू, थोड़ा रुककर कर लेना अपने लंड की इच्छाओं को पूरी। थोड़ा रुको न, जीजू, आपकी लाडली साली की थोड़ी तो परवाह करो। एकदम से जलता हुआ लौड़ा घुस रहा है चूत में!”
इतना रिक्वेस्ट करने पर मैंने लंड को थोड़ा चूत से बाहर खींचकर सुशीला के कूल्हों और गांड के सुराख के ऊपर घुमाने लगा।
आहा, क्या शरीर दिया है भगवान ने सुशीला साली को।
साली के जहाँ भी लंड टच होता है, वहीं सेक्सी और मखमली फीलिंग होती है।
फिर मेरे लंड में भी चींटियाँ सी दौड़ने लगी थीं।
अब मैंने थोड़ा सा थूक अपने लंड के टोपे ऊपर और सुशीला की चूत पर लगाया, एकदम फिर से लंड चूत में पेल दिया।
प्रिय पाठिकाओं, जब घोड़ी बनाकर साला 8″ लंबा और 3″ परिधि वाला लंड जब पूरा-पूरा बाहर निकलकर घपा-घप चूत पर चोट देने लगे तो दोनों को कितना मजा आता है, बयान करना मुमकिन नहीं।
अब सर्दी की सर्द रात को 1 बजे हमने रजाई साइड फेंक दी थी और लंड स्पीड में सुशीला की चूत पर पीछे से वार कर रहा था।
पसीना आने लगा था दोनों को।
साला लंड भी एकदम फंस-फंस कर चूत की जड़, यानी कि बच्चेदानी के मुँह तक, तह तक फंस रहा था।
अब पूरे कमरे में “फच-खच … फच-फ़फ़ … घपड़-घपड़” की आवाज और सुशीला की मीठी-मीठी दर्द भरी आहें ही गूंज रही थीं।
लगभग 20 मिनट की धाकड़ चुदाई के बाद अब मेरे लंड की बारी थी क्योंकि चूत कुछ खट्टे, कुछ मीठे एहसासों से सराबोर हो चुकी थी।
अब लंड का भी फर्ज बनता है उसको चूत को थोड़ा राहत दे।
“अब साली साहिबा मैं … मैं … क्या करूँ … उहुँ … उह … बोलो … न … बोलो … क्या करूँ…”
सुशीला भी अपनी गांड को ढीला छोड़कर बोली- आश … एआ आआ … आआहह हह … जीजू ऊऊऊऊ … नन्नन्नं … भर दो चूत को … ओऊऊऊ ऊऊ…”
और पीछे अपने हाथ मेरे कूल्हों पर दबाकर लंड पूरा अंदर तक गटक गई।
“घचक, घचक … घचक … चक-चक, चक-चक” कर दोनों का फव्वारा एकसाथ चूत में फूट पड़ा।
सुशीला का दूसरी बार और मेरा माल पहली बार बहा था और चूत माल पीकर माला-माल हो गई थी।
मैं ऐसे ही 2-3 मिनट तक घोड़े की तरह सुशीला पर चढ़ा रहा और फिर धीरे-धीरे उसको घोड़ी की अवस्था में से ही उल्टा लेटने को बोला।
तो वो उल्टा इस तरह से सो गई कि लंड चूत में ही फँसा रहा और मैं उसके ऊपर सो गया।
करीब आधा घंटा तक औंधे मुँह सोई हुई सुशीला के ऊपर ही मैं रजाई ओढ़कर सो गया।
“जीजू! सही में मेरी चूत को आज कोई दमदार चीज मिली है। आज मैं बता नहीं सकती कि मुझे कितना सुकून मिला है। हालाँकि लंड आपका बड़ा कठोर और निर्दयी है लेकिन मैं मानती हूँ एक चूत को भी ऐसा ही लंड चाहिए होता है. जो मेरी चूत को खुराक देकर और उसको पूरा माल चूत में ठोककर अभी भी फँसा बैठा है। मेरी चूत को दर्द भले ही दिया, लेकिन चुदाई का असली मजा और एहसास भी करवा दिया। अब दिल करता है इसको चूत में घुसाकर ही रखूँ। तबीयत खुश हो गई आज तो!”
“आपको कैसा लग रहा है जीजू?” सुशीला ने पूछा- जीजू, आप बताओ? कहीं आपकी खातिरदारी में पहली मुलाकात में कोई कमी तो नहीं रही न?
फिर धीरे-धीरे हम प्यार भरी बातें करते रहे और उधर लंड-चूत भी गहरी मुलाकात कर रहे थे।
चूत के अंदर ही लंड फिर से टुनुक-टुनुक करने लगा।
लेकिन अब थोड़ी देर के लिए मैंने लंड को चूत से बाहर निकाल लिया था क्योंकि चूत बेचारी का दम घुट रहा था और वो भी थोड़ी देर सुस्ता ले।
अब हम थोड़ा बिस्तर को ठीक करने लगे तो देखा चादर पर बहुत सारा पानी गिरा हुआ था।
सुशीला की चूत, जाँघें, और कूल्हे भी माल में पूरे सने थे।
उसने ये सब देखकर मेरे होंठों पर एक प्यारी सी किस दी और बोली- थैंक्स राजू जीजू! मैं आज तक ऐसी चुदाई की बरसात में पहली बार भीगी हूँ। मुझे खुशी है। कोई बात नहीं, चादर को सुबह मैं धो दूँगी।
और आधा समेटकर फिर बेड पर बिछा दी।
अब धीरे-धीरे प्यार भरी बातें करते-करते और एक-दूसरे के साथ अठखेलियाँ करते हुए दूसरे ट्रिप के लिए तैयार हो चुके थे।
दूसरे दौर की चुदाई में हर पोजीशन में हमने चुदाई की।
मैंने सुशीला का कोई अंग नहीं छोड़ा जिसपे लंड नहीं घुमाया हो और अपने माल से भिगोया नहीं हो।
दूसरे दौर की सेक्सी चुदाई के बाद अब सुशीला की चूत पर सूजन भी आ गई थी और दर्द भी होने लगा था।
मैंने उसको एक पेन-रिलीफ दी और हमने कपड़े पहने।
सुशीला ने मुझे कसकर बाहों में भरकर धन्यवाद बोला- जब तक इस शादी में रुकेंगे, रोज चुदवाएगी.
ये वादा किया।
अब वो सुबह के 4 बजे चादर लेकर लंगड़ाती हुई अपने कमरे की तरफ चली गई।
चार दिन तक और हम इस शादी में रुके थे, चारों रात हमने जमकर चुदाई का प्रोग्राम जारी रखा।
और अंत में विदाई के समय सेक्सी सुशीला ने गिड़गिड़ाते हुए मुझसे बोला- जीजू … हमारी खातिरदारी में कोई कमी रह गई हो तो अपनी साली-साहिबा को माफ करना। और अगर मजा आया हो तो मेरी हालतों को देखकर महीने-दो महीने में जरूर संभालते रहिएगा। हमारा मिलन और चुदाई यादगार रहेगा। आपके लंड की दीवानी- आपकी लाडली साली सुशीला।
हाँ तो, प्यारे लंडधारी मेरे पाठकों और चिकनी-चिकनी चूत की मलिकाओं, मेरी प्रिय पाठिकाओं, आपको मेरी सच्ची कहानी “दोस्त की साली की चुदाई की चाहत” कैसी लगी?
अपनी राय मुझे मेरी मेल-आईडी पर अपनी प्रतिक्रिया देकर अवश्य बताएँ।
आपके रेस्पॉन्स का इंतजार रहेगा।
आगे मेरी देखो कहाँ लॉटरी लगती है सेक्सी चुदाई का मजा लेने की, जो जल्द ही आप लोगों को लिख सकूँ।
धन्यवाद।
rajushah459945@gmail.com