शर्मीली पत्नी की गैर मर्द का लंड दिलाया- 2

वाइफ शेयर Xxx कहानी में मैंने अपनी बीवी को गैर लंड से चुदने के लिए मना कर उसके बेडरूम में एक बड़े लंड वाला आदमी भेज दिया. मेरी बीवी बड़ा लंड देख कर गर्म हो गयी.

दोस्तो, मैं आपको अपनी बीवी की एक गैर मर्द से चुदाई की कहानी सुना रहा था.
कहानी के पहले भाग
शर्मीली पत्नी की गैर मर्द का लंड दिलाया- 1
में अब तक आपने पढ़ा था कि मेरी बीवी अनिरूद्ध के लौड़े से चुदने के लिए गर्म हो गई थी.

अब आगे वाइफ शेयर Xxx कहानी:

फिर अनिरूद्ध के पास आकर बोला- चल भाई.
उसने उठते ही अपनी पैंट उतार दी और लुंगी लपेट ली।

मेरे सामने ही उसने अंडरवियर भी खींचकर सोफे पर फेंक दिया, मानो अपनी मर्दानगी का नंगा नाच शुरू करने को बेताब हो।

मैंने गौर किया कि अब तक शांत दिखने वाला अनिरूद्ध का लंड पतली लुंगी को फाड़ने को तैयार था।
उसका तगड़ा, मोटा लंड लुंगी में तनकर ऐसा खड़ा हो गया कि लगा, ये सब्र नहीं करेगा और आशा की चूत में सीधा घुस जाएगा।

मैंने अनिरूद्ध को सारी सिचुएशन समझाई- रूम में अंधेरा कर रखा है आशा ने। मैं तुझे बिस्तर तक छोड़ आऊंगा। आराम से हैंडल करना.

फिर मैंने जानबूझ कर यह भी बोला कि सॉरी यार, मैं साथ नहीं दे पाऊंगा। मुझे ज्यादा चढ़ गई है, सोना चाहता हूं.
अनिरूद्ध शायद मन ही मन खुश हो गया।

मैंने ऐसा इसलिए कहा ताकि वह भी अपनी मर्ज़ी से आशा को चोद सके।
मुझे असली वाइफ शेयर Xxx चुदाई का नज़ारा चाहिए था, कोई ब्लू फिल्म की बनावटी स्क्रिप्ट नहीं।

मैं उसे आशा के रूम तक ले गया।
आशा शायद सो चुकी थी।

मैंने अनिरूद्ध को बेड का कोना दिखाया और बोला- मैं सोने जा रहा हूं। ज्यादा पीने की वजह से मुझे दिक्कत हो सकती है.

उसे बेड के एक कोने में बिठाकर दरवाज़ा बंद किया और उत्सुकता से अपने रूम में आ गया।
सारी तैयारियां पूरी थीं, आज मुझे पूरा मज़ा मिलने वाला था।

मैंने तुरंत पहले से बनाए छेद पर कान सटा दिया।
दो मिनट तक कोई हलचल नहीं हुई।

मैं परेशान होने लगा।

अचानक बेड के चरमराने की हल्की आवाज़ आई।
मैंने अंदाज़ा लगाया कि शायद अनिरूद्ध आशा की पोज़ीशन भांपकर लेट गया है।

फिर 4-5 मिनट तक सन्नाटा रहा।
मैं सोचने लगा, कहीं मेरा मज़ा किरकिरा तो नहीं हो जाएगा?

तभी अचानक आशा की चूड़ियां खनखनाईं और बेड पर हलचल मची।

चूड़ियों की तेज़ छन-छन और बेड की चरमराहट से लगा कि कुछ ज़ोर-ज़बरदस्ती चल रही है।
शायद आशा इतनी आसानी से चुदने को तैयार नहीं थी और अनिरूद्ध का लंड सब्र खो चुका था।

अनिरूद्ध बोला- आशा जी, आप खुशकिस्मत हो। इतना अच्छा पति मिला है। मेरी ज़िंदगी में तो अब कुछ बचा नहीं, बस आप ही सहारा हो.
अब तक थोड़ी दूरी बनाए रखने वाली आशा ने शायद अनिरूद्ध के जिस्म से सारी दूरियां मिटा दी थीं।

अनिरूद्ध का हौसला बढ़ा, वह बोला- आशा जी, मैं आपको चूमना चाहता हूं.
फिर बिना जवाब का इंतज़ार किए अनिरूद्ध ने खेल शुरू कर दिया.

एक ज़ोरदार चुम्मे की आवाज़ गूंजी।
आशा की कोई आवाज़ नहीं आई, लेकिन चूड़ियों की तेज़ खनखनाहट और बेड की चरमराहट से लगा कि कुछ ज़ोर-ज़बरदस्ती हुई है।

फिर लगातार चूमने की आवाज़ें आने लगीं।
मैं समझ गया कि भरपूर नखरे के बाद आशा ने हथियार डाल दिए या अनिरूद्ध ने उसे अपने नीचे दबोच लिया।

अचानक आशा की आवाज़ आई- बाप रे!
शायद उसका हाथ अनिरूद्ध के तगड़े लंड से टकरा गया था।
अब हल्की चूमने की ध्वनियां लगातार सुनाई दे रही थीं और बीच-बीच में आशा की सिसकारियां भी कानों में मिठास घोल रही थीं।

अचानक आशा चिल्लाई- उई मां!
पता नहीं अनिरूद्ध ने उसके मम्मों को मसला या चूत पर हाथ रख दिया।

अनिरूद्ध बोला- आशा जी, जब से बीवी ने छोड़ा है, मैं इसके लिए तरस गया हूं.
मैंने अंदाज़ा लगाया कि उसने आशा की चूत को सहला दिया होगा।

आशा बोली- अपनी बीवी का गुस्सा मुझ पर निकालोगे?
अचानक आशा चीख पड़ी- उई माँ, आराम से!

साथ ही उसकी सिसकारियां तेज़ हो गईं, मानो उसकी चूत में कोई आग भड़क उठी हो।

कुछ ही पलों में ‘फच-फच’ की आवाज़ों ने हवा में तैरना शुरू कर दिया। मुझे अहसास हो गया कि अनिरूद्ध ने बिना वक्त गंवाए अपना मोटा लंड आशा की नर्म चूत में पेल दिया है।

चुम्बनों की गीली चटख, फच-फच की रसीली ध्वनि और आशा की मादक सिसकारियां एक साथ मेरे कानों में शहद घोलने लगीं।

कोई 10-15 मिनट तक ये कामुक संगीत चलता रहा.
तभी अनिरूद्ध की भारी आवाज़ गूंजी- आह … आह … आशा भाभी!’

कुछ ही पलों में सारी आवाज़ें थम गईं, मानो तूफान के बाद सन्नाटा छा गया हो।
कुछ मिनट बाद आशा की सुस्त आवाज़ आई- सो गए?

अनिरूद्ध बोला- नहीं जान, मैं अपनी इस भाभी को उजाले में देखना चाहता हूं। प्लीज़, लाइट ऑन कर दो.

आशा उठ खड़ी हुई और उसने लाइट जला दी।

मैंने देखा, वह पेटीकोट और ब्लाउज़ में खड़ी थी।
ब्लाउज़ के सारे बटन खुले थे और ब्रा उसकी चूचियों से ऊपर खिसक गई थी, जिससे उसके गोरे, रसीले मम्मे नंगे चमक रहे थे।

आशा ने जल्दी से ब्रा को नीचे खींचकर अपनी चूचियों को ढक लिया।
बिस्तर पर नज़र गई तो अनिरूद्ध पीठ के बल लेटा था, उसकी कमर और जांघों पर लुंगी पड़ी थी और बगल में आशा की साड़ी सिलवटों में बिखरी हुई थी।

अनिरूद्ध ने उसे पूरी नंगी नहीं किया था, बस पेटीकोट उठाकर उसकी चूत को भेद दिया था।

अब रूम में तेज़ एलईडी लाइट की चमक थी, जिसमें आशा का गोरा बदन दूध की तरह दमक रहा था।

आशा ने बिखरी साड़ी हटाई और अपने पुराने स्थान पर जाकर बैठ गई।

अनिरूद्ध अभी भी सीधा लेटा था।

आशा उसकी जांघों के पास सरक गई और अपना चेहरा उसके चेहरे की ओर कर लिया, ताकि बातचीत में उसकी आंखों की शरारत को पी सके।

अनिरूद्ध ने उसकी नज़रों से नज़र मिलाई और पूछा- कैसा लगा, भाभी जी?
आशा बस मुस्करा दी, उसकी होंठों की वह हल्की सी लाली सब कह रही थी।

अनिरूद्ध को कोई जल्दी नहीं थी; वह आराम से उसकी बातों में डूबना चाहता था।
उसने आशा का हाथ ज़बरदस्ती अपने हाथ में लिया और धीरे-धीरे उसकी उंगलियों को दबाने लगा, मानो उसकी नर्मी को चख रहा हो।

अनिरूद्ध बोला- आशा, आज बहुत खुश हूं। तुम्हें देखकर लगा था कि तुम मेरे हाथ नहीं आओगी.

फिर उसने आशा का हाथ चूम लिया, जैसे उसकी खुशबू को अपने होंठों में समेट रहा हो।
आशा ने अभी तक अनिरूद्ध के लंड के दर्शन नहीं किए थे।

अनिरूद्ध उसकी गोरी जांघों पर हाथ फेर रहा था, जैसे उसकी चिकनी त्वचा को सहलाकर आग भड़का रहा हो।

आशा लुंगी के अन्दर हाथ डालकर उसके लंड को सहलाने लगी, मानो उसकी मर्दानगी को थपथपाकर जगा रही हो।
बातें भी चलती रहीं।

लंड पकड़ते वक्त उसके चेहरे पर एक पल को हैरानी झलकी, फिर वह आराम से उसे सहलाती हुई बातें करने लगी।
अब अनिरूद्ध का लंड लुंगी में तंबू की तरह खड़ा हो गया, जैसे कोई जंगली जानवर आज़ाद होने को बेताब हो।

आशा के हाथों को अब उस मोटे लौड़े को रगड़ने के लिए ऊपर से नीचे तक लंबा सफर करना पड़ रहा था।

अचानक अनिरूद्ध ने आशा के कंधों को पकड़ कर उसे अपने ऊपर लुढ़का दिया और उसके होंठों को चूमने लगा।
आदतन आशा ने अपने रसीले होंठ खोल दिए और अनिरूद्ध ने अपनी पूरी जीभ उसके मुँह में घुसेड़ दी, जैसे उसकी मिठास को चूस लेना चाहता हो।

आशा ने पूछा- आप कहां से आए हो?
अनिरूद्ध बोला- मुंबई से। मेरा गारमेंट एक्सपोर्ट का काम है, इसी सिलसिले में दिल्ली आया हूं.

आशा बोली- आपकी वाइफ, ब/च्चे कहां हैं?
वह बोला- कोई नहीं है.

‘क्यों, इस उम्र तक शादी नहीं की?’
‘की थी, पर तलाक हो गया। 6-7 साल से बिना बीवी के हूं.’
उसने दुखी मन से कहा।

आशा को शायद उससे सहानुभूति हुई।
उनकी बातें मेरी समझ से परे थीं, बस ‘हूं-हां’ सुनाई दे रहा था।

आशा बड़े चाव से अनिरूद्ध की जीभ चूस रही थी जैसे उसका स्वाद उसकी रगों में उतार रही हो।

अनिरूद्ध उसकी चूचियों को भी मसल रहा था, जैसे उनके रस को निचोड़ लेना चाहता हो।

आशा के उसके ऊपर लुढ़कने से लुंगी एक तरफ सरक गई और उसका लंड खुलकर आसमान को चुनौती देने लगा।

आशा के होंठ अभी भी अनिरूद्ध के कब्ज़े में थे और उसके कूल्हे अनिरूद्ध के पैरों की ओर थे, इसलिए उसने अभी तक उसके लंड को नहीं देखा था।

हालांकि, वह तगड़ा लौड़ा उसकी जांघों और चूत के आसपास मंडरा रहा था, बार-बार उसकी शर्मगाह को छूकर उसे गुदगुदा रहा था।

अनिरूद्ध ने आशा की चूचियों को चूसना शुरू कर दिया।
आशा की सांसें तेज़ हो गईं और उसके मुँह से सिसकारियां फूट पड़ीं, जैसे उसका बदन आग में तप रहा हो।

आशा बोली- आ जाओ अब!
अनिरूद्ध बोला- मेरी आशा, मेरे लिंग का जलाभिषेक नहीं करोगी?

पहले तो आशा समझी नहीं, फिर मुस्कराकर बोली- आप भी न!
आशा ने उसके लंड को हाथ में लेकर अपने मुँह से ढेर सारा थूक उस पर उड़ेल दिया, जैसे कोई पवित्र प्रसाद चढ़ा रही हो। इधर, आशा की चूत अनिरूद्ध के होंठों के निशाने पर आ गई।

अनिरूद्ध ने उसकी चूत की फांकों को दबोच लिया।
इससे पहले कि आशा कुछ कर पाती, अनिरूद्ध ने उसकी चूत को चाट-चाटकर पानी-पानी कर दिया।

वह थूक-थूककर उसकी चूत को चूस रहा था, जैसे उसका पूरा रस पी जाना चाहता हो।

उसने प्यार से आशा को सीधा लिटा दिया और फिर से उसकी चूत को चूसना शुरू कर दिया, मानो उसकी नर्म फांकों को अपने होंठों से चख रहा हो।
आशा तड़पने लगी, उसकी सिसकारियां हवा में घुलने लगीं।

फिर अनिरूद्ध बोला- आशा, तुम्हारा दीवाना हो गया हूं.
साथ ही उसने आशा की चूत पर चुम्मों की बारिश कर दी, जैसे उसकी हर सिलवट को अपने प्यार से गीला करना चाहता हो।

फिर उसने आशा के चेहरे की ओर मुँह करके चूमने का इशारा किया, पर आशा चुपचाप लेटी रही।
अनिरूद्ध अपने होंठ उसके रसीले होंठों के पास ले गया और बोला- मैं ज़बरदस्ती नहीं करूंगा, तुम चाहो तो चूमो.

थोड़ी देर आशा खामोश रही, फिर आंखें बंद कर अपने होंठ खोल दिए।
अनिरूद्ध उसके होंठों पर झपट पड़ा, अपने थूक से उसके होंठ और आसपास को पूरा गीला कर दिया, जैसे उसकी मिठास को चूस लेना चाहता हो।

आशा ने अपनी गर्दन लंबी की और सिर एक तरफ मोड़ दिया, ताकि अनिरूद्ध उसकी चूचियों और गर्दन को भी सहला सके।
अब आशा का पूरा बदन उसके कब्ज़े में था। उसने आशा के होंठ, गर्दन, चूचियां, नाभि और चूत पर अपने होंठों की गर्म छाप छोड़ दी।

फिर अनिरूद्ध ने अपना लंड आशा के होंठों के बीच छुआया।
आशा ने आंखें खोलकर उसे हाथ में पकड़ लिया और बोली- इतना बड़ा?

फिर उसके मोटे लौड़े को चूसने लगी, जैसे उसकी मर्दानगी का रस पी जाना चाहती हो।
कुछ मिनट तक लंड चुसवाने के बाद अनिरूद्ध उसकी जांघों के बीच आ गया और अपने विशाल लंड को आशा की चिकनी चूत से भिड़ाते हुए उसके ऊपर लेट गया।

उसने आशा की चूचियों को कब्ज़े में लिया और एक जोरदार धक्का मारा.
लंड उसकी चूत में घुस गया।

अचानक हुए हमले से आशा सकपका गई और चीख पड़ी।

अनिरूद्ध उसकी चूचियों को चूसने लगा.
आशा ने उसकी पीठ पर प्यार से मुक्का मारा और उसे कसकर जकड़ लिया।

अनिरूद्ध का लंड रुका नहीं, धीरे-धीरे उसकी चूत को चोदता रहा।

अचानक अनिरूद्ध को शरारत सूझी, वह मुस्कराकर बोला- आशा, आज तुम्हें जूठा करना है.
इतना कहते ही उसने आशा के होंठों को चूस-चूसकर गीला कर दिया।

अचानक आशा ने उसकी जीभ अपने मुँह में खींच ली और बेल की तरह उससे चिपक गई।
इस बीच अनिरूद्ध ने लंड से जोरदार प्रहार शुरू कर दिए।

जैसा कि मैंने पहले बताया, आशा की चूत में गीलापन ज़्यादा होता है, सो अनिरूद्ध के धक्कों से उसकी चूत से ‘फच-फच’ की आवाज़ें गूंजने लगीं।
अनिरूद्ध रुकने का नाम नहीं ले रहा था, लगातार उसे ठोक रहा था।

आशा ऐसी ठुकाई से बदहवास होकर न जाने क्या-क्या बड़बड़ा रही थी ‘हाय, आराम से चोदो न!’
पर ‘फच-फच’ का बंद होने का नाम नहीं ले रहा था।

आशा अपनी चूत की निर्मम ठुकाई और उससे निकलने वाली ‘फच-फच’ की आवाज़ से मदहोश हो गई।
उसने बहुत सारा थूक अपने होंठों से बाहर निकाला और अनिरूद्ध की ओर कोई इशारा किया।

अनिरूद्ध समझ गया. उसने अपने मुँह से ढेर सारा थूक निकाला और सीधे आशा के होंठों पर होंठ टिका दिए।
आशा ने उसके गीले होंठों को चूस-चूसकर सुखा दिया, जैसे उसकी लार का हर कतरा पी लेना चाहती हो।

अब आशा अपने चूतड़ों को उछाल-उछाल कर अनिरूद्ध के लंड को सलामी देने लगी।
अनिरूद्ध का लौड़ा उसकी फुद्दी की धज्जियां उड़ा रहा था।

अचानक आशा की चूत से फुहार छूटी, उसकी जांघों को भिगोती हुई बेडशीट तक गीली कर गई।
आशा झड़ चुकी थी, निढाल हो गई।

अनिरूद्ध की कमर पर उसकी हाथों की पकड़ ढीली पड़ गई।
पर अनिरूद्ध अभी नहीं झड़ा था।

उसका लोहे की रॉड सा तना लंड अभी भी आशा की चूत में गहराई तक कब्ज़ा जमाए था।

हां, उसने अब ठोकरें मारना बंद कर दिया था।

अनिरूद्ध के लौड़े का सुपाड़ा आशा की ब/च्चेदानी के मुँह को छू रहा था, वह किसी भी पल लावा उगलने को तैयार था।
आशा की ब/च्चेदानी भी उसके वीर्य से अपनी कोख भरने को बेताब थी।

अनिरूद्ध ने लंड बाहर खींचा और फिर चूत की आखिरी दीवार तक घुसा दिया।
मैंने देखा कि उसके लंड की नसें फटने को तैयार थीं।

कुछ मिनट तक अनिरूद्ध चुपचाप आशा के ऊपर लेटा रहा।
फिर उसने दोबारा उसे चूमना शुरू कर दिया।

निढाल आशा फिर से सक्रिय होने लगी।

चूंकि लंड चूत के अन्दर ही था, उसे गर्म होने में देर नहीं लगी।

आशा की चूत की दीवारें फिर से चिकनाई छोड़ने लगीं।

उसने अनिरूद्ध का एक हाथ पकड़ कर अपनी चूची पर रख दिया।
आशा खुलकर कुछ नहीं कहती थी, पर इशारों में सब समझा देती थी।

उसने अपनी जांघें और फैला दीं और गले से एक गहरी ‘उंह’ निकली।

अनिरूद्ध उसके होंठों को चूसने लगा।
मुझे दिखा कि वह आशा के होंठों और जीभ पर अपने थूक का इस्तेमाल कुछ ज़्यादा ही कर रहा था।

आशा उसकी लार को लगातार गटक रही थी, जैसे उसका हर स्वाद चखना चाहती हो।

अचानक अनिरूद्ध उसकी चूचियों को पीने लगा।
आशा के बंद मुँह और गले से घुटी हुई ‘उंह-उंह’ की आवाज़ें निकल रही थीं, जैसे उसका बदन फिर से आग में तप रहा हो।

अनिरूद्ध अब रफ्तार पकड़ने लगा।
आशा की मुलायम, रसीली चूत पर उसका लोहे की रॉड सा सख्त लंड भीषण प्रहार करने लगा, मानो उसकी नर्मी को कुचलने की ठान ली हो।

मैं समझ गया कि 10-15 मिनट रुकने के बाद अनिरूद्ध फिर से रिचार्ज हो चुका है और अब मेरी बीवी की चूत का भोसड़ा बनाने से उसे कोई नहीं रोक सकता।

हर धक्के के साथ आशा बिलबिला रही थी, उसकी घुटी हुई ‘उंह’ की आवाज़ें बता रही थीं कि उसे मज़ा आ रहा है, पर बीच-बीच में ‘उई मां’ की चीख से लग रहा था कि लंड सीधे उसकी ब/च्चेदानी से टकरा रहा है।

‘फच-फच’ की गीली आवाज़ों ने कमरे को फिर से भर दिया।
आशा के मुँह से ‘उई मां, उंह, आह, स्स्स’ की मादक ध्वनियां स्वाभाविक रूप से फूट रही थीं।

आशा कभी बनावटी चीख-पुकार नहीं करती थी.
अक्सर उसकी घुटी हुई ‘उंह’ ही सुनाई देती थी पर जब उसकी फुद्दी का भोसड़ा बन रहा हो तो प्राकृतिक आवाज़ों को रोकना नामुमकिन था।

अचानक आशा की आवाज़ गूंजी- स्स्स … कर दो भ्रष्ट, कर दो बर्बाद मुझे … आह भर दो अपना माल मेरी कोख में! मैं तो देती भी नहीं किसी को, पर तुम्हारे लौड़े ने मेरी चूत को गुलाम बना दिया.
अनिरूद्ध बोला- मेरी भाभी, बर्बाद नहीं, आबाद करूंगा तुझे आज.

इतना कहते ही उसके हाथ आशा के कंधों के पीछे चले गए और उसने उसे कसकर ऐसे जकड़ लिया, जैसे उसकी हर सांस को अपने सीने में कैद कर लेना चाहता हो।
आशा ने भी अपने हाथों और पैरों से अनिरूद्ध की कमर को लपेट लिया, मानो उसकी हर ठोकर को अपने जिस्म में समेटने को तैयार हो।

ऐसा लगा कि अनिरूद्ध आशा की ब/च्चेदानी पर आखिरी, निर्णायक प्रहार की तैयारी कर चुका है और आशा उस प्रहार के दंश को झेलने के लिए कमर कस चुकी है।

‘फच-फच.’ की तेज़ आवाज़ों के बीच अनिरूद्ध और आशा पूरी तरह एक-दूसरे से चिपक गए थे।
सिर्फ अनिरूद्ध के चूतड़ उछल-उछल कर आशा की योनि को रौंद रहे थे, जैसे कोई जंगली जानवर अपनी मादा को जीत रहा हो।

आशा ने अपना मुँह पूरा खोल दिया और अनिरूद्ध ने अपनी गीली जीभ उसके मुँह में घुसेड़ दी, जैसे उसकी सारी मिठास चूस लेना चाहता हो।
आखिरकार 5-7 जोरदार धक्कों के बाद अनिरूद्ध आशा की चूत पर निढाल हो गया।

आशा की चूत उसके वीर्य को धीरे-धीरे आत्मसात करने लगी, जैसे उसकी गहराई में कोई गर्म लावा समा रहा हो।
आशा संतुष्ट नज़रों से अनिरूद्ध को निहारने लगी, उसकी आंखों में एक अजीब सी चमक थी।

अनिरूद्ध ने उसे चूमकर अपना लौड़ा उसकी चूत से बाहर खींच लिया।
आशा बोली- आखिर जीत ही लिया किला?

अनिरूद्ध मुस्कराया और बोला- अभी नहीं, भाभी जी। रात बाकी है और चक्रव्यूह का एक किला अभी शेष है।
आशा समझ गई कि यह साला अब गांड भी मारेगा.

दोस्तो, गांड चुदाई की कहानी मैं बाद में लिखूंगा.
फिलहाल इस वाइफ शेयर Xxx कहानी पर आपके विचार क्या हैं, प्लीज जरूर लिखें.
masthoonmai@gmail.com