मेरा पड़ोसी मेरी मां बहन को चोद गया

माँ बहन ओपन सेक्स कहानी में मेरे पड़ोसी ने मेरा माँ की चूत की प्यास बुझाई, फिर उसने मुझे पटाकर चोदा. इसके बाद मेरी छोटी बहन को चोदा. उसके बाद उसने हम सबको रखैल बना लिया.

यह कहानी सुनें.

नमस्कार दोस्तो, मैं अंजलि आज आपके सामने अपनी पाठिका सपना की सेक्स कहानी का आखिरी भाग लेकर आई हूं.

सपना की कलम से मजा लें.

हैलो फ्रेंड्स, जैसा कि अपनी पिछली कहानी
मेरे प्रेमी ने मेरे बहन की चूत फाड़ दी
में अब तक मैं बता चुकी हूं कि हमारा पड़ोसी विपुल अब मेरी बहन खुशबू को भी चोद चुका था और इस प्रकार हम तीनों मां बहनें उसके लंड के नीचे आ चुकी थीं.

अब हालत ये थी कि वह हमारी मर्जी से नहीं बल्कि अपने मन से हमारे घर आता था और जिसके ऊपर चाहे चढ़ जाता.
हमारा काम सिर्फ उससे चुदना था.

अब आगे माँ बहन ओपन सेक्स कहानी:

इस तरह वक्त बीतता गया और मेरी पढ़ाई भी पूरी हो गई थी.

परीक्षा में पास होकर मैं काफी खुश थी.

तभी अपने काम से वह कुछ दिनों के लिए बाहर चला गया और इस बार कुछ ज्यादा ही दिन बाहर था.

तभी पापा ने घर में मेरे रिश्ते की बात बताई और लड़के की तस्वीर सबको दिखाई.
मैं थोड़ी परेशान थी क्योंकि विपुल नहीं था और मेरी शादी तय होने जा रही थी.

जब वह आया तो उसने मुझे विवाह कर लेने की सलाह दी और घर में सभी मुझ पर जोर देने लगे.

फिर मेरी शादी समीर के साथ हो गई, जिसे पापा ने पसंद किया था.

शादी के चार दिन बाद एक रस्म के मुताबिक मुझे अपने घर आना था.
इसलिए विपुल ने मुझे एक दवा दी थी जो समीर को सुहागरात पर खिलानी थी.

समीर को भी लग रहा था कि वे तीन दिन से मेरे साथ सेक्स कर रहे हैं लेकिन मैं दवा देकर सुला देती थी.

यहां आने के बाद मेरी सहेलियां मुझसे काफी हंसी मजाक कर रही थीं.

जब मैं विपुल से मिली तो जानना चाहती थी कि उसने ऐसा क्यों किया?

विपुल ने जो बताया वह सुनकर मेरे पैरों तले जमीन ही खिसक गई.

मेरी मां विपुल के साथ रहना चाहती थीं.
इसलिए ये सारा खेल हुआ.
वे मुझे विपुल के साथ नहीं देखना चाहती थीं.

समीर के बारे में जानकारी भी विपुल ने ही पापा तक भिजवाई थी.

फिर उसने बताया की वह दवाएं उसने मुझे इसलिए दी थीं क्योंकि वह चाहता था कि वह अपनी निशानी मुझे दे सके.

इसके बाद अगले तीन दिनों तक उसने मेरे साथ सेक्स किया और वह हर बार अपना सारा वीर्य मेरी चूत के अन्दर ही डाल देता.

मेरे पति मुझे यहां छोड़कर डेढ़ महीने के लिए किसी डिप्लोमा कोर्स को करने चले गए थे जो कि उनके व्यवसाय के लिए जरूरी था.

कुछ दिनों बाद मेरे पापा ने मुझे ससुराल पहुंचा दिया.
वहां मैं पेट से हो चुकी थी मेरी ससुराल में इस बात से सभी लोग खुश थे.

लेकिन मैं जानती थी कि ये समीर का बच्चा नहीं बल्कि विपुल की निशानी है, जो मेरे पेट में पल रही है.

फिर मेरी सास ने कहा- अब तुम बच्चे को जन्म देने तक कहीं नहीं जाने वाली!

मैंने समय पर एक प्यारे से बेटे को जन्म दिया.
जिससे वहां सभी लोग खुश थे.

बच्चे की देखभाल करने में दो वर्ष कब बीत गए, पता ही नहीं लगा.

जब मैं अपने बेटे को लेकर पहली बार अपने घर आई, तो यहां बहुत कुछ बदल गया था.

खुशबू नौकरी करने लगी थी.
मैंने देखा कि मां भी घर पर नहीं थीं.
पापा भी अपने दफ्तर जाने वाले थे.

मैंने अपने बेटे को दूध पिला कर सुला दिया और सामान रखने लगी.
फिर मेरी भी आंख लग गई.

शाम तीन बजे के करीब खुशबू आई तो मैं उसे पहचान ही नहीं सकी.
वह साड़ी में थी और बिल्कुल एक घरेलू महिला लग रही थी. उसके शरीर में सब कुछ अब बड़ा दिख रहा था.

उससे मैंने मां के बारे में पूछा तो उसने विपुल के घर की ओर इशारा किया.
मैंने देखा तो वहां ताला लगा था.

खुशबू ने एक गमले के नीचे से चाभी निकाल कर ताला खोला.

जब मैं अन्दर गई तो मुझे मां की आवाज सुनाई दी.
मैं उसी कमरे की और बढ़ी. मैं नजारा देखकर बिल्कुल हैरान थी.

मां ने टॉप और स्कर्ट पहन रखा था और विपुल के लंड से खेल रही थी.
वे दोनों बातें कर रहे थे.

विपुल- तू अपनी लौंडिया की गांड कब दिलवा रही है! साली पीछे से चोदने ही नहीं देती.
मां- चिंता मत करो जल्दी ही दिलवाऊंगी.

विपुल- तेरे जैसी रण्डी आज तक नहीं देखी, हमेशा कहकर बात टाल देती है बहनचोद!

तभी खुशबू वहां आ गई और उसने मां को मेरे आने की बात बताई.

अन्दर आते ही विपुल ने उसे कसकर अपनी बांहों में जकड़ लिया और मसलने लगा.

मैंने सीधा विपुल से ही पूछा- ये सब क्या है?
क्योंकि वह मुझसे मिलने आता रहा लेकिन कभी ये सब नहीं बताया.

वे दोनों को अपनी बांहों में लेकर हंसने लगा.

विपुल- ये दोनों ही मेरी पत्नियां हैं, एक बिल्कुल सभ्य महिला तो दूसरी थोड़ी मॉडर्न और छबीली सी.

मुझे ये सब थोड़ा अजीब सा लग रहा था.
मैंने खुशबू से कहा- तू विपुल से शादी क्यों नहीं कर लेती?
उसने कहा- कर लेंगे न!

मुझे समझते देर न लगी कि विपुल ने ही सिखाया है.

फिर विपुल उसे लेकर दूसरे कमरे में चला गया और वहां से उन दोनों की आवाजें आने लगी थीं.

विपुल उसे गालियां देता या चाटों की आवाज सुनाई देती.
वहीं खुशबू आह … आह … ओह … बस म…र..र गई … बोल रही थी.

करीब आधा घंटा तक दोनों कमरे में एक दूसरे का रसपान करते रहे.
तभी मैंने मां से पूछा- इन दोनों की शादी क्यों नहीं करा देती?

मां का जवाब भी बिल्कुल वैसा ही था जैसा खुशबू का!
‘कर लेंगे न!’

शाम को मैंने ये बात थोड़ा घुमा कर पापा से भी कही.
तो उन्होंने बताया कि दोनों अभी फिजिकल रिलेशनशिप में हैं, कुछ समय बाद कर लेंगे.

मैं समझ गई कि पापा लिव इन रिलेशनशिप की बात कह रहे हैं लेकिन उनकी अंग्रेजी थोड़ी कमजोर है.

रात में विपुल भी हमारे घर आ गया और वह मां के कमरे में था.

खुशबू ने बताया कि अब हम तीनों ऐसे ही रहते हैं.
कुछ दिनों तक वह यहां रहता है तो कुछ दिन हम उसके घर में!

रात में हम सब एक ही कमरे में साथ में थे.
विपुल मेरे बच्चे को प्यार कर रहा था और उसके साथ खेल रहा था.

वहीं मां और खुशबू किचन का काम खत्म कर रही थीं.

जब दोनों कमरे में आईं तो खुशबू ने नीचे बिस्तर लगा दिया और विपुल उसी पर चला गया.

मां पापा को दवा देकर आ गईं.

तभी विपुल बोला- चल साली रण्डी, मेरे पास आ जा.
मां नीचे बिस्तर पर उसके पास चली गईं.

फिर उसने खुशबू को बोला- मादरचोद चल मेरे लंड को खुश कर!

खुशबू उसका लंड चूसने लगी और विपुल ने मां के कपड़े उतार दिए.

अब दोनों एक दूसरे की बांहों में थे.

फिर विपुल मां को कुतिया बनाकर उसकी गांड चोदने लगा.
वह वैसे ही गाली देकर चोद रहा था.

कुछ देर तक मां चीखती रहीं, फिर उसके साथ मजे लेने लगीं और वह उतनी ही बेरहमी से चोदता रहा.

उसके बाद विपुल उन दोनों के संग सो गया.

मैंने उसके व्यवहार में एक अजीब बदलाव देखा.
जब वह दोनों से बात करता तो गाली देकर ही बोलता.

एक दिन पापा अपने बॉस के साथ कहीं बाहर जा रहे थे.
उसी वक्त उसने मां के साथ प्लान बनाया.

जब शाम को खुशबू आई तो थोड़ी थकी हुई थी इसलिए वह आराम करना चाहती थी.

जैसे ही वह कमरे में जा रही थी तो विपुल ने पीछे से धक्का लगा कर उसे बिस्तर पर गिरा दिया.

खुशबू आग्रह करने लगी- आज छोड़ दो!
विपुल- चुप रह कुतिया तेरी मां ने भी कल से भूखा रखा है मुझे!
खुशबू- मां, यहां आ जाओ न!

तभी विपुल ने उसकी साड़ी उतार दी और ब्लाउज फाड़ दिया.
अब खुशबू ब्रा में थी आधी नंगी.

मां वहां पहुंची तो विपुल बोला- देख कुतिया … तेरी लौंडिया को कोई और मिल गया है, साली इसीलिए नखरे दिखा रही है!

खुशबू- नहीं मां, ऐसा कुछ भी नहीं … बस मैं बहुत थक गई हूं.
विपुल- साली रण्डी तेरा काम मुझे खुश करना है … बहाने करना नहीं!

मां- आज थक गई है तो छोड़ दो न इसे!

वह मां के चूचे मसलते हुए बोला- रण्डी साली मेरा ख्याल रखना है तुझे … इसका नहीं.

फिर उसने खुशबू के बाल खींचते हुए खड़ा किया और बोला- क्यों कुतिया, तुझे कोई और मिल गया है तो उसे भूल जा … तेरी दुनिया सिर्फ यहीं है.

बस उसे झुका कर विपुल ने अपना लंड उसके मुँह में डाल दिया और बाल पकड़े रखा.

दूसरी तरफ मां को खींच कर उसके बूब्स दबाने लगा.

जैसे ही उसका लंड तन गया, उसने खुशबू को सीधा किया और उसकी ब्रा भी फाड़ डाली.
मां ने खुशबू को नीचे से नंगी कर दिया.

तभी विपुल ने खुशबू को बेड पर झुका कर अपना लंड उसकी चूत में घुसा दिया और उसे चोदने लगा.

वह कभी बाल खींचता, तो कभी उसके झूलते हुए बूब्स खींच देता, तो कभी गांड पर झापड़ जड़ देता.

खुशबू सिर्फ ‘आह ओह … मर … गई मम्मी … उई … आह.’ चिल्ला रही थी.

तभी अचानक से उसने लंड निकाल कर मां के मुँह में दे दिया और वे चूसने लगीं.

कुछ देर बाद विपुल ने खुशबू की गांड में घुसा दिया. अन्दर आधा ही लंड गया था और खुशबू चीखने लगी.

विपुल उसके बूब्स मसलते हुए चोदने लगा.
फिर एक ही झटके में पूरा लंड अन्दर तक पेल दिया.

खुशबू अधमरी सी हो गई थी.
कुछ देर बाद जैसे ही संभली, विपुल जोर जोर से चोदने लगा.

कुछ देर बाद वह उसकी गांड में ही झड़ गया.

अगले दिन मैंने उससे बताया कि पापा लिव इन रिलेशन शिप को फिजिकल रिलेशन शिप कह रहे थे.

उस समय खुशबू बिस्तर पर आराम कर रही थी क्योंकि कल की चुदायी से उसकी हालत खराब हो गई थी.

विपुल हंसने लगा और एक चांटा खुशबू की गांड पर मारते हुए बोला- तेरे बाप ने सही बताया. मैं इन दोनों के साथ फिजिकल रिलेशन में ही रहता हूं और मजा लेता हूं. लिवइन रिलेशन नहीं.
वह खुशबू को बांहों में लेकर चूसने लगा.

माँ बहन ओपन सेक्स देख देख कर कुछ दिनों बाद मैं वहां से अपने घर आ गई.
सभी अपनी दुनिया में खुश थे.

मैं विपुल से छुप कर मिलती थी, जब भी वह हमारे शहर आता.

करीब दो साल बीत गए.

ऐसे ही एक बार विपुल मुझसे मिलने आया था.
मैं भी घर से कहकर निकली थी कि एक रिश्तेदार के यहां दो चार दिन के लिए जा रही हूं.

मेरी सास ने मेरे मुन्ने को नहीं भेजा था मेरे साथ.

मैं और विपुल एक होटल में थे.
वह काफी दुःखी होकर बात कर रहा था.

पूछने पर उसने मुझे बताया कि वह अब जा रहा है दूसरी जगह जहां कंपनी भेज रही है. ये हमारी शायद आखिरी मुलाकात हो.
मैंने भी दुःखी होकर कहा- हम शादी कर सकते थे … आखिर तुम्हारे बच्चे की ही मां हूं, फिर यह क्यों किया?

विपुल- हां मेरी जान, मैं भी तुम्हें ही चाहता हूं. सारे इशारे तुम्हारे लिए ही करता था. लेकिन तुम्हारी मां ने मुझे अपनी चूत खोल कर उसमें फांस लिया.
मैं- मतलब?

विपुल- मैं क्या करता, वे मुझे छोड़ ही नहीं रही थीं और मैं तुम्हें उनके साथ बांटना नहीं चाहता था. इसी लिए उनकी बेटी खुशबू को उनके सामने ही ठोकता हूं. बस तुम उन्हें यह कभी मत बताना कि हम अकेले में मिलते थे.
मैं उसके सिर पर हाथ फेरती हुई बोली- बिल्कुल नहीं बताऊंगी.

मैं उसके साथ तीन दिनों तक वहां रही और उसने हर तरीके से मुझे चोदा.
फिर वह चला गया.

मैंने अपने बेटे के साथ विपुल की याद में दुलार करती हूं. शायद कभी किस्मत हमें मिला दे.

इस तरह पड़ोस में रहने आया एक इंसान मेरे जीवन का बहुत ही खास हो गया था.
हमारे न मिल पाने के कारण उसने सारा गुस्सा खुशबू पर उतारा.

आज मां और खुशबू दोनों ही उसके बगैर खुद को अकेला महसूस करती हैं.

दोस्तो, आपने पढ़ा कि कैसे विपुल ने विमला, सपना और खुशबू को चोदा और फिर उनको धोखा देकर चला गया.
आप लोग बताएं कि जो विमला, सपना और खुशबू के साथ हुआ, क्या वह सही था!
अगली सेक्स कहानी मैं अपनी एक और सच्ची कहानी लेकर आऊंगी, तब तक इन्तज़ार करें.
माँ बहन ओपन सेक्स कहानी पर आप अपनी राय जरूर दें.

आपकी अंजलि
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