नर्स डॉक्टर सेक्स इन हॉस्पिटल की कहानी में एक डॉक्टर अपनी नर्स को चोदना चाहता था. एक दिन उसने नर्स को नंगी देखा, वह यूनिफार्म बदल रही थी स्टाफ रूम में!
दोस्तो, मेरा नाम डॉक्टर राज सिंगला है और मैं चंडीगढ़ में रहता हूं.
मैं 42 साल का हूँ, मेरा लंड 8 इंच लंबा और 3 इंच मोटा है.
यह नर्स डॉक्टर सेक्स इन हॉस्पिटल कहानी मेरी और एक 29 साल की नर्स की है.
वह मेरे साथ हस्पताल में काम करती है.
उसका नाम कविता है.
पहले मैं कविता के बारे में बता दूँ.
कविता बहुत ही सेक्सी और हॉट माल है, एकदम जहर है.
वह बहुत ही कामुक स्वभाव की है.
उसका फिगर भी बहुत ही हॉट है.
उसकी चूचियां बहुत बड़ी बड़ी हैं, गांड एकदम शेप में भरी हुई है.
वह सेक्स की बहुत बड़ी भूखी थी, हमेशा सेक्स करने को रेडी रहती थी.
मुझको ये पहले नहीं पता था कि कविता सेक्स में इतनी रुचि दिखाती है और वह बहुत ज्यादा सेक्स करना चाहती है.
वह सब पोजीशन में सेक्स करना चाहती है.
कविता को लंबे समय तक चूत चुदाई करवाना पसंद है.
उसे लंड के ऊपर बैठ कर चुदवाना सबसे ज्यादा पसंद था.
वह लड़की अपनी गांड मरवाना भी पसंद करती थी.
कविता को वाइल्ड सेक्स और रफ़ सेक्स भी पसंद था.
मुझे ये भी पता चला था कि कविता के पहले भी कई सेक्स अफेयर रह चुके हैं और वह बहुतों के लंड ले चुकी थी.
मैंने कविता के दोस्तों से पता लगाया था कि वह कॉलेज में बहुत सारे लड़कों के साथ चुदाई कर चुकी थी.
उसे चुदाई करना बहुत पसंद था व नए-नए लंड के साथ सेक्स करना तो बहुत ही ज्यादा पसंद था.
वह मेरे साथ इमरजेंसी वार्ड में नर्स के तौर पर काम करती थी, तभी से उसकी दोस्ती मेरे साथ हो गई थी.
जब तक मुझे उसके बार में पता नहीं था, तब तक मैं हमेशा कविता को चोदने के लिए सोचा करता था.
मैं रात को हमेशा कविता को सपने में नंगी देखा करता था.
हम दोनों दिन भर साथ रहा करते थे तो मुझे उसके साथ बहुत उत्तेजना होती थी लेकिन कुछ करने में मैं डरता था.
बाद मैं जब उससे अलग हो जाता था तो मुठ मार कर खुद को ढीला करके रह जाता था.
एक दिन की बात है, हमारी रात को इमरजेंसी में ड्यूटी लग गई थी जिसके कारण हम दोनों को दिन और रात दोनों टाइम देखना पड़ रहा था.
कविता स्टाफ रूम में कपड़े चेंज कर रही थी.
अचानक से मुझे कुछ काम आ गया और मैं सीधा स्टाफ रूम के अन्दर चला गया.
अन्दर जाकर देखा तो वह एकदम नंगी बिना कपड़ों के खड़ी थी.
उसने मुझे नहीं देख पाया था.
उसे नंगी देख कर मेरा तो लौड़ा खड़ा हो गया और सलामी देने लगा.
ऐसे लग रहा था मानो कोई परी जमीन पर उतर आई हो.
उसको बिना कपड़ों के देख कर मैं वापिस आ गया.
कविता जैसे ही बाहर आई, तो वह थोड़ी उदास लग रही थी.
मैंने कविता से पूछा- उदास क्यों हो?
पहले तो उसने कोई जवाब नहीं दिया, फिर मेरे जोर देने पर वह बोली- आज मुझको कोई जरूरी काम था!
मैं समझ गया तो मैंने कविता से कहा कि तुम चली जाओ!
वह बोली- आप से ही काम था.
फिर उसने मुझको अन्दर जाने को बोला.
मैं अन्दर गया तो उसने पेट पर एक छोटी सी फुंसी सी दिखाई और बोली- ये दर्द कर रही है!
मैंने उसका इलाज किया और पूछा- तुम्हारी पीठ पर जो लाल निशान है, वह क्या है … चोट लग गई थी क्या?
मेरी बात सुन कर वह सिटपटा गई और बोली- आपको कैसे पता लगा?
मैंने कहा- मैंने देखा था आज!
फिर मैंने उसको सारी बात बताई.
बात करते-करते हम लोग बाहर आ गए.
वह अपनी चुदाई की बात बताने लगी.
बातों ही बातों में उसने मुझे बताया कि कोई मुझे खुश नहीं कर पाता है और वह रोने लगी.
मैं बगल में ही बैठा हुआ था.
उसने मेरे कंधे पर अपना सर रख दिया.
मैं उसे चुप कराने के लिए उसके सिर को सहलाने लगा.
उसे समझाते हुए ही मेरे और कविता के होंठ आपस में नजदीक आ गए.
मैंने खुद को कंट्रोल किया क्योंकि हम दोनों हस्पताल में थे.
हम लोगों ने एक दूसरे को थोड़ी देर तक देखा. कविता पूरे मूड में थी.
साफ लग रहा था जैसे वह मुझको कह रही हो कि चोदो मुझे.
ऐसा लग रहा था जैसे कविता ने एक अरसे से सेक्स नहीं किया है.
मैं धीरे उसे स्टाफ रूम में चलने का इशारा किया.
वह चली गई.
जैसे ही वह अन्दर गई मैं कविता के पीछे ही रूम में आ गया और उसे पीछे से पकड़ कर उसकी चूची दबाने लगा.
किसी लड़की को पीछे से पकड़ कर उसकी चूचियां दबाने का मजा ही अलग होता है.
कविता मेरे लंड को सहला रही थी.
हम दोनों बहुत मजे ले रहे थे.
कविता की चूची को दबाते दबाते मैंने उसका टॉप उतार दिया.
वह लाल ब्रा में और भी सेक्सी लग रही थी.
उसकी ब्रा को खोलते ही मैं उसकी मुलायम चूचियों को दबाने लगा.
वह पूरी मस्ती में अपनी कामुक आवाज ‘उम्म्ह … अहह … हय … ओह …’ निकाल रही थी.
मैंने उसको खड़े खड़े ही नंगी करना शुरू कर दिया.
जैसे जैसे कपड़े खुलते गए वह और भी सेक्सी नजर आने लगी.
क्या ही बताऊं दोस्तो, एक लड़की को बिना कपड़ों के देख कर क्या होता है, यह वही जान सकता है … जिसने उसे नंगी किया हो!
फिर मैंने कविता को अपनी ओर घुमाया, तो उसने मेरी पैंट की चेन खोलकर मेरा लंड बाहर निकाल लिया और उसे मुँह में ले कर चूसने लगी.
मेरे शरीर में एक अजीब सा अहसास होने लगा था.
लड़की के मुँह से लंड चुसवाने में मुझे भी मज़ा आने लगा था.
मैंने भी ऊपर से ही कविता की चूचियों को दबाना शुरू कर दिया.
अब तो कविता और भी ज्यादा गर्म हो चुकी थी.
मैंने कविता को खड़ा किया और उसकी जींस का बटन खोल दिया, फिर ज़िप भी खोल दी और जीन्स को नीचे सरका दिया.
उसने नीचे लाल रंग की पैंटी पहनी हुई थी.
मैंने हाथ लगा कर देखा कि उसकी पैंटी में चूत के पास से उससे निकले रस से पूरी गीली हो चुकी थी.
मैंने उसकी पैंटी उतार दी और देखा कि उसकी चूत एकदम से सफाचट थी. उसकी चूत पर एक भी बाल नहीं था.
अब कविता ने नीचे बैठ कर मेरा लंड अपने मुँह में लेकर चूसना शुरू कर दिया था.
वह मेरे लंड को एकदम लॉलीपॉप की तरह चूस रही थी. वह कभी मेरे लंड को जीभ से चाटती, तो कभी होंठों से काटती.
उसकी कामवासना पूरे उफान पर थी.
मैंने मौके का फायदा उठाया और उसके मुँह को चोदना शुरू कर दिया.
करीब दस मिनट तक मुँह चोदने के बाद मैं उसके मुँह में ही झड़ गया.
वह मेरा सारा पानी पी गई.
कविता की चूत बहुत गीली हो गई थी.
मैं उसकी चूत में उंगली आगे पीछे करने लगा तो वह मेरे बालों से खेलने लगी और मेरे बालों को सहलाने लगी जिससे कविता को मज़ा आने लगा.
वह मेरे हाथ को अपनी चूत पर दबाने लगी.
लग रहा था जैसे कि वह मेरे हाथ को अपनी चूत के अन्दर घुसा लेगी.
पांच सात मिनट चूत चूसने के बाद वह झड़ गई.
हम दोनों आराम से लेटे रहे.
थोड़ी ही देर में कविता ने मेरे लौड़े को आगे पीछे करना शुरू कर दिया जिसके कारण मेरा लौड़ा दुबारा खड़ा हो गया.
हम दोनों 69 की पोजीशन में आ गए.
अब कविता मेरे लंड को चूस रही थी और मैं उसकी चूत चूस रहा था.
कुछ मिनट के बाद उसने मुझसे कहा- डॉक्टर साहब … अब मुझे चोद दो!
कविता एकदम प्रोफेशनल रंडी की तरह मेरे लौड़े को मुँह में रख कर चूस रही थी.
कविता का यह अंदाज मुझे बहुत अच्छा लगा.
मैं कविता के ऊपर आ गया और अपने लंड को उसकी चूत पर सैट करके मैंने एक धक्का लगाया.
मेरा लंड बड़े आराम से एक बार में ही पूरा अन्दर चला गया.
कविता को दर्द होने लगा और मुझको वह मना करने लगी, रुकने को कहने लगी.
मुझे पता था कि ये बहुत दिनों बाद सेक्स कर रही है.
पर मुझ पर सेक्स का भूत सवार हो चुका था तो मैंने उसे किस करते करते चोदना शुरू कर दिया.
वह ‘उम्म्ह … अहह … हय … याह …’ करती हुई चुद रही थी. उसे मजा आ रहा था.
वह मेरे नीचे लेटी हुई थी. थोड़ी देरी में वह अपने चूतड़ उछाल उछाल कर चूत चोदन में मेरा पूरा सहयोग करने लगी थी और चुदाई का मजा ले रही थी.
मैंने कविता को 20-25 मिनट तक लगातार ऊपर नीचे कर करके चोदा जिसमें कविता दो बार झड़ गयी.
फर्श पर उसके और मेरे पानी की बूंदें साफ दिख रही थीं.
उसके बाद मैंने कविता को अपने लौड़े के ऊपर बिठा लिया.
दोस्तो, इस पोज में सेक्स करने का मजा कुछ और ही है, उसकी चूची ऊपर नीचे हो रही थीं.
फिर कुछ तेज धक्के लगाकर मैं उसकी चूत में ही झड़ गया.
नर्स डॉक्टर सेक्स के बाद हम दोनों अगल बगल में लेट गए और बातें करने लगे.
बीच बीच में हम चूमा-चाटी भी कर रहे थे.
वह मेरे लंड को अपने हाथ में लेकर ऊपर नीचे कर रही थी.
मेरा लंड थोड़ी देर बाद फिर खड़ा हो गया तो मैंने कविता से गांड मारने की बात की.
कविता मना करने लगी और कुछ देर आना-कानी के बाद वह राजी हो गई.
उसने अपने पर्स से वैसलीन क्रीम निकाल कर दे दी.
मैं पानी लेने दूसरे कमरे में जाने लगा तो उसने मुझे रोका और अपने पर्स में से पानी निकाल कर मेरे को पानी पिला दिया.
फिर उसने मेरे लौड़े पर वैसलीन क्रीम लगा दी, जिससे लंड आसानी से उसकी गांड में चला जाए.
मैंने उसे घोड़ी बनाकर गांड के छेद पर लंड लगाकर जोर लगाना शुरू किया.
मेरे लंड का सुपारा अन्दर घुस गया.
इस बार कविता को दर्द हुआ, वह रोने लगी और उसकी आंखें बाहर आने लगीं.
एक मिनट तक मैंने उसकी नंगी पीठ को सहलाया, उसकी चूची को पीछे से दबाया और किस किया.
उसके बाद मैंने एक जोर का धक्का मारा तो मेरा आधा लंड कविता की गांड में समा चुका था.
कविता रोने लगी.
मैंने थोड़ी देर उसकी चूची दबाई, गर्दन पर किस किया और फिर से एक जोर का झटका मारा तो कविता की गांड में लंड पूरा घुस गया.
कविता को घोड़ी बनाया तो कविता बेड पर गिर गई क्योंकि वह मेरे जोर के झटके खाने के लिए तैयार नहीं थी.
कुछ मिनट तक रुकने के बाद मैंने धीरे-धीरे लंड को अन्दर बाहर करना शुरू किया.
अब लंड अपनी जगह बना चुका था तो मैंने धक्के लगाना तेज कर दिया.
मैंने कविता की गांड की जोरदार ठुकाई की.
अब मैं लंड को पूरा बाहर निकालता और एक बार में ही अन्दर तक डाल देता जिससे कविता को दर्द भी होता और मजा भी आता.
कभी-कभी मैं गांड मारते मारते लंड निकाल कर अचानक से चूत में डाल देता और चूत में धक्के मारने लगता.
मुझसे चुदने में कविता को बहुत मजा आ रहा था.
मैं बारी-बारी कविता की गांड और चूत एक साथ चोद रहा था.
कविता की चूत इस बीच एक बार और झड़ चुकी थी.
लगभग आधे घंटे की चुदाई के बाद मैं कविता की गांड में ही झड़ गया.
इस तरह से मैंने कविता को रात भर जमकर चोदा.
वह अपनी चूत और गांड चुदाई में मिले आनन्द के कारण बहुत खुश नजर आ रही थी.
उसके बाद हम लोगों ने कुछ देर आराम किया.
फिर कविता नंगी ही बिस्तर से उठी और उसने अपने आपको साफ किया.
मैंने उसको फिर से एक बार चोदा.
इस बार मैंने उसे खड़े खड़े चोदा था.
इस तरह से मैंने दो घंटे में उसको तीन बार चोदा.
उसको बहुत मजा आया और मुझको भी.
अभी मूड और था कि तभी एक पेशेंट आ गया.
उसके बाद कविता और मैं पेशेंट को देखने में लग गए.
अब तो मैं कविता को कभी भी कहीं भी चोद सकता था.
वह अभी तक मेरे साथ है, मैं उसको रोज चोदता हूं.
अब तो हम दोनों ने एक फ्लैट भी ले लिया है.
अगली कहानी में बताऊंगा कि कैसे मैंने कविता को उसके जन्म दिन पर दिन में ही चोदा.
उस दिन मैंने उसे कई बार चोदा था.
अभी भी हम लोगों को मन सेक्स के लिए करता है तो हम लोग खुल कर चुदाई करते हैं.
दूसरी सेक्स कहानी के लिए बस जरा सा इंतजार करें.
यह नर्स डॉक्टर सेक्स इन हॉस्पिटल कहानी कैसी लगी, जरूर बताएं.
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