बेसहारा लड़की को पनाह देकर मजा लिया- 1

देसी गर्ल X कहानी में एक जवान लड़की जख्मी हालत में मुझे सड़क पर मिली. मैं उसे घर ले आया और उसका इलाज किया. उसे कुछ याद नहीं था. उसकी जवानी मेरे लंड में हरकत ला देती थी.

नमस्कार दोस्तो, मेरा नाम बिलाल ख़ान है.
मेरी उम्र 50 साल है, हाइट 6 फुट, वजन 95 किलो, कमर 34 की, छाती 46 इंच है, रंग सांवला है.

मैं एक बहुत अमीर इंसान हूँ.
मेरा एक बहुत बड़ा मॉल है और एक स्टील फैक्ट्री है लेकिन मेरा इस दुनिया में कोई नहीं है.
क्योंकि मेरा परिवार मेरी बीवी और बेटी एक ट्रेन एक्सिडेंट में दस साल पहले गुजर गए थे.

अब मैं अकेला हूँ और घर में नौकर-चाकर के अलावा मेरा कोई नहीं है.
मेरी सेक्स लाइफ तो बिल्कुल खत्म हो गई है.

देसी गर्ल X कहानी यहाँ से शुरू होती है जब एक दिन मैं अपनी फैक्ट्री से घर आ रहा था कि रास्ते में मैंने एक दुबली पतली सी लड़की को देखा.
वह रोती हुई रास्ते पर चली जा रही थी.

वह पर्दानशीं थी और उसके सर पर गहरी चोट भी लगी थी जिसमें से ब्लीडिंग भी हो रही थी.

उसे इस हाल में देख कर मैं अपनी कार को साइड में रोक कर उसके पास गया और उससे पूछा- बेटी क्या हुआ क्यों रो रही हो? तेरा नाम क्या है और तेरे मां बाप कहां हैं?

लड़की कुछ नहीं बोली, बस रोए जा रही थी.
वह अच्छे घर की लड़की लग रही थी क्योंकि वह बहुत गोरी और काफी सुंदर थी.
उसके लंबे लंबे बाल थे लेकिन वह बहुत ही दुबली पतली लड़की थी.
उसकी उम्र का अंदाजा नहीं लग रहा था.

चूंकि उसका कोई अता-पता भी नहीं चल पा रहा था.
तो मैंने सोचा कि क्यों न मैं इसको मेरे साथ ले जाऊं और इसका कम से कम इलाज तो करवाऊं तब तक शायद यह कुछ बता दे.

तो मैंने उसे गाड़ी में बिठाया और पहले हॉस्पिटल ले जाकर उसका ट्रीटमेंट करवाया.
डॉक्टर ने मुझे बताया- इसके सर में गहरी चोट लगने की वजह से उसको कुछ भी याद नहीं है. अब यह लड़की सही है, आप इसको ले जा सकते हैं.

मैं उसको अपने घर ले आया और उसका नाम रखा नूरी.
अब वह थोड़ी सी सामान्य लग रही थी.

उसने मुझसे पूछा- आप कौन हैं?
तो मैंने उसको अपना परिचय दिया- मैं तुम्हारा अब्बू हूँ.

वह असमंजस में थी … पर मुझे अपना अब्बू मान कर मुझसे बात करने लगी.

कुछ दिन ऐसे ही चला.
उसके सर का घाव ठीक हो रहा था.

नूरी मुझको अब अब्बू बुला रही थी.
मैंने उसके लिए एक अच्छी सी टीचर रख दी क्योंकि बिना किसी सर्टिफिकेट के स्कूल में एडमिशन नहीं होना था.

अब वह खुश थी और खुश होकर मुझे गले लग गई.

जब नूरी मुझसे गले मिली तो मैंने महसूस किया कि नूरी की छाती पर उसकी चूचियां कुछ कुछ उभर रही हैं.
फिर मैंने उसे देखा तो उसकी छाती भरी हुई दिख भी रही थी.
मैंने आज तक उसके बदन पर अब तक इतना ध्यान नहीं दिया था.

तभी नूरी बोली- थैंक्यू अब्बू, आई लव यू अब्बू.
उसने मुझे मेरे गाल पर किस कर दिया.

मैं भी बहुत खुश था.

अब हम बाप बेटी सामान्य हो गए और मैं अपने काम में बिज़ी हो गया.
नूरी अपनी पढ़ाई में व्यस्त हो गई.

ऐसे ही दिन चलने लगे थे.

एक दिन रविवार था, मैं और नूरी साथ में बैठे टीवी देख रहे थे.

मैंने लुंगी पहनी हुई थी और नूरी एक छोटी सी वाइट स्कर्ट व टॉप वाली ड्रेस में थी.

वह सोफे पर मेरी गोदी में सर रख कर मोबाइल देख रही थी.
उस वक्त वह मेरे लंड से कुछ इंच की दूरी पर अपना सर रखी हुई थी. मैं टीवी देख रहा था.
उसी वक्त टीवी पर मुताह के बारे में बता रहे थे.

उस वक्त मेरे मन में सेक्स का अरमान जाग उठा और पूरे 11 साल बाद मेरा शेर एक दहाड़ के साथ जाग उठा.

मैंने चड्डी नहीं पहनी थी तो नूरी के सर को कुछ गर्म और सख्त सा लगा … जो उसके सर को ठोकर मार रहा था.

उसको जब ऐसा महसूस हुआ, तो वह अचानक से मेरी गोद से उठ गई और मुझसे पूछने लगी- आपके यहां क्या है अब्बू? मेरे सर में लग रहा है और बड़ा गर्म गर्म लग रहा है!

मैंने नूरी को अपनी तरफ़ खींच कर कहा- बेटी यह मेरा शेर है, मैं तुझे बाद में बताऊंगा और दिखाऊंगा.

नूरी तो अभी तक स्त्री पुरूष के मिलन के बारे में या सेक्स के बारे में कुछ नहीं जानती थी.

फिर एक दिन नूरी अपने पेट के निचले हिस्से की ओर इशारा करके बोली- अब्बू, मुझे यहां दर्द सा हो रहा है.

मैंने तुरंत नूरी का स्कर्ट उठाकर देखा, तो उसकी चड्डी पर खून लगा देख मैंने समझ लिया कि इसको मासिक धर्म हो रहा है.

उसे पहले भी यह होता होगा पर वह इसे भूल चुकी थी.

मैंने नूरी को अपने सीने से लगाया और उसके होंठों पर एक लंबा सा चुंबन दे दिया.
नूरी थोड़ा शर्मा गई क्योंकि यह चुंबन होंठों पर था और मैंने उसे पहली बार उसके होंठों पर किस किया था.

चूंकि मैं एक मर्द हूँ, इसलिए मर्द का स्पर्श पाते ही उसके अन्दर की मादा जाग गई थी और वह शर्मा गई थी.

‘आई लव यू बेटी, तू मुझसे थोड़ी दिन पहले पूछ रही थी ना कि मेरी गोद यानि मेरी दोनों जांघों के बीच में क्या है? तो बेटी आज वह समय आ गया है, जब तू उस चीज़ को पाने के योग्य हो गई है.’
नूरी पूरी खुश और उत्साहित होकर बोली- क्या सच में अब्बू, आप मुझे अपना शेर दिखाएंगे? तो जल्दी से दिखाइए न … मुझे बहुत इच्छा हो रही है!

मैं- बेटी, यह इतनी आसानी से एक नारी या लड़की को यह दर्शन नहीं देता है क्योंकि यह एक लड़की के लिए उसका खुदा होता है, वह इसकी इबादत करती है. तुझे रात के घुप्प अंधेरे में इसको बस छूने की इजाज़त है और इससे ज्यादा ज़िद मत करना!

नूरी थोड़ी मायूस हो गई लेकिन आज रात को कम से कम उसे मेरे शेर को छूने को मिलेगा इसलिए वह खुश भी थी.
तो नूरी बोली- ओके अब्बू!

मैं- बेटी अब सोफे के ऊपर बैठ जा और अपनी ड्रेस उतार कर पूरी नंगी हो जा, क्योंकि मैं अब तुझे अच्छी तरह से देखना चाहता हूँ और आज मेरे सामने तेरी पहली एम सी आई है, तो मुझे तेरा वह खून भी साफ करना है.
नूरी- ओके अब्बू!

वह धीरे धीरे अपनी ड्रेस उतारने लगी.
उसने अपनी शर्ट उतारते समय अपने दोनों हाथों को अपनी छाती पर रख लिए और वह अपना सर नीचे करके सोफे पर बैठ गई थी.
मैं सोफे के नीचे अपनी बेटी के सामने बैठ गया.

‘बेटी अपनी दोनों जांघों को थोड़ा फैला, ताकि मैं तेरा ट्रीटमेंट कर सकूँ.
नूरी ने सर नीचे किए हुए ही अपनी दोनों चूचियों से बिना हाथ हटाए अपनी दोनों जांघों को अलग अलग कर दिया.

जैसे ही नूरी ने अपनी जांघों को खोला, मैं उसके सामने ही बैठा था तो मेरे नथुनों में उसकी कुंवारी बुर की खुशबू दौड़ गई.

मैं अपनी बेटी की खून से लथपथ कुँवारी बुर को देख कर मालिक को धन्यवाद करते हुए एक सूती कपड़े से उसकी बुर को साफ करने लगा.

मेरा बुर को छूना नूरी को एक अलग सा नशा दे रहा था.
उसके मुँह से आह निकल गई क्योंकि उसकी जवान बुर अब बहुत ही ज्यादा संवेदनशील हो चुकी थी.

बुर की सफाई करके मैं थोड़ा आगे की ओर बढ़ गया और उसकी बुर के ऊपर की जगह, जहां से लकीर शुरू होती सी दिख रही था, मतलब जहां से स्वर्ग का द्वार शुरू होता है, वहां पर एक किस कर दी.
मैं मालिक का शुक्रिया अदा करते हुए बोला- या मालिक तेरा लाख लाख शुक्र है, मुझे जन्नत दिखाने का!

मेरे होंठों का स्पर्श पाते ही नूरी मादक आवाज में कराही- आआह अब्बू!
मैं- बेटी, अब तू अपने हाथ अपनी छाती से हटा दे, शर्म मत कर … अब तुझे शर्म छोड़ना होगा क्योंकि तुझे अपने मालिक यानि लंड से मिलना ही है. मुझे तेरे बदन को देखना है, हर अंग का नाप लेना है, खड़ी हो जा.

नूरी जैसे ही खड़ी हुई, मैं अपनी बेटी की पूरी नंगी बॉडी को एकटक देखता ही रह गया.
उसके मादक बदन को देख कर मेरा शेर दहाड़ उठा और अपने शिकार को हलाल करने के लिए गुर्राने लगा था.

मैं भी खड़ा था और सिर्फ लुंगी व बनियान में था.
जबकि मेरी बेटी एकदम नंगी मेरे सामने खड़ी थी.

उसकी ऊंचाई मेरी कान तक आ रही थी.
वह बहुत ही स्लिम थी और एकदम दूध की तरह गोरी थी.
उसके लंबे काले बाल उसकी गांड तक लहरा रहे थे.

मेरी बेटी की नंगी बॉडी को देखकर मेरा 11 साल से सोया हुआ शेर एक लोहा बन कर आगे की ओर उठ गया और उसने लुंगी को सामने से उठा दिया था.
वह गुर्राता हुआ झटके दे रहा था.

मेरा पूरा घर सेंट्रल एसी चलने से एकदम ठंडा था, फिर भी मेरा बदन पसीना पसीना हो गया था.

उधर मेरी बेटी मेरी लुंगी को आगे से उठी हुई देख कर सवालिया नजरों से देखने लगी.

नूरी ने लुंगी की उठी हुई नोक कि तरफ इशारा करते हुए पूछा- अब्बू यही आपका शेर है ना … और मेरा मालिक है ना! यह मेरे मालिक को क्या हुआ … ये इतनी ज़ोर से क्यों हिल रहा है? मुझे अभी के अभी इसे देखना है!

मैं- रुक जा बेटी, अभी अपने मालिक का दीदार करने का टाइम नहीं हुआ है, धैर्य रख … इंतजार का फल मीठा होता है और यह तो बहुत ही मीठा फल है. मैं तेरा बाप हूँ, तुझे हर चीज़ में खुश रखना मेरा धर्म है. मैं तेरा दुश्मन नहीं हूँ, अभी देखेगी तो तुझे मैं जितना आनन्द देना चाहता हूँ, उतना नहीं मिलेगा. इसलिए मेरी प्यारी बिटिया रानी थोड़ा सब्र रख!

यह कह कर मैंने उसके माथे पर एक किस किया.

अब मैं अपनी बेटी के नंगे जिस्म का नाप-जोख करना चाहता था.
मैं एक इंची टेप लाया और पहले उसकी छाती का नाप लिया. उसकी छाती का 34 इंच निकला.

मैं हैरान था कि इस देसी X गर्ल की इतनी बड़ी चूचियां तो है नहीं, फिर यह नाप कैसे है!
उसकी कमर 26 इंच की और गांड 36 की निकली. उसका सीना सच में बहुत आकर्षक था क्योंकि एकदम गोल गोल चूचियों के ऊपर उसके निप्पल भूरे रंग के थे.

मैंने उसके एक निप्पल को थोड़ा हाथ लगाया तो उसके निप्पल एकदम कड़क थे, जैसे मेरा लंड कड़क था.

उसके बूब्स एकदम मुलायम होते हुए भी सख्त दिख रहे थे.
पीछे गांड मक्खन जैसी मुलायम थी.

मैं उसकी बॉडी को जैसे जैसे टच कर रहा था, मेरी बेटी के मुँह से सिसकारियां निकल रही थीं.
उसकी बॉडी बहुत ही कामुक और संवेदनशील थी. वह एकदम अप्सरा जैसी दिख रही थी.

मैंने सोचा कि मेरी बेटी शायद हस्तिनी नस्ल की लड़की थी इसलिए इतनी ज्यादा संवेदनशील है.
उसकी बुर भी बहुत गहरी होगी, यह सोच कर ही मेरे लंड से प्री-कम निकल कर मेरी लुंगी को भिगोने लगा था.

पूरे कमरे में मेरे प्री-कम की खुशबू मानो भर गई थी. मेरा बुरा हाल था और मैं सोच रहा था कि अब मैं क्या करूँ!
पहले सोचा कि अभी के अभी मैं अपनी बेटी को यहीं सोफे पर पटक कर चोद दूं, लेकिन खुद पर काबू करके मैंने अपने आपको संभाला.

उधर मेरी बेटी की नज़रें मेरी लुंगी पर ही टिकी हुई थीं लेकिन वह चुप थी.

मैंने उसको बोला था कि मैं उसे जन्नत का सुख दूँगा.
तो उसके मन में उसका मालिक चल रहा था, जो मेरी लुंगी के अन्दर गुर्रा रहा था.

नूरी ने जब मेरे लंड को मालिक बोल कर संबोधित किया था, तब मुझे बहुत आनन्द महसूस हुआ था और मैंने वही सुख अपने लंड के अन्दर भी महसूस किया था.

उसी समय लंड ने पुनः एक ज़ोर का झटका मार दिया और ढेर सारा प्री-कम उगल दिया.

अब मेरा शेर लंबे लंबे झटके दे रहा था और प्री-कम तो इतना ज्यादा उगल रहा था कि लुंगी की नीचे तक पानी की धार बह गई थी.

मेरा लंड बहुत देर से खड़ा था, तो दुखने लगा था.
ऐसा लग रहा था मानो बोल रहा हो कि मुझे जल्दी शांत करो नहीं तो ताण्डव मचा दूँगा.

मैंने नूरी से कहा- बेटी, अब तेरा यह मालिक तुझे देख कर लार टपका रहा है. तेरे ऊपर यह बहुत प्रसन्न है इसलिए यह बोल रहा है कि मुझे ढेर सारा प्यार चाहिए. यदि नूरी मुझसे पूरी समर्पण भाव से पहले अपने मुँह से प्यार करेगी और मेरे अमृत का पान करेगी, तब जाकर मैं उसको जन्नत घुमाने ले जाऊंगा.

नूरी- ओके अब्बू, मेरे मालिक को बोल दीजिए कि मैं पूरे तन मन से सेवा करूँगी, कोई शिकायत का मौका नहीं दूँगी. जल्दी बोलिए अब्बू, मुझे क्या करना है?

अब मुझे अपनी बेटी की रजामंदी जानने की तमन्ना थी.
बिना उसकी मर्जी के मैं एक कदम भी आगे नहीं बढ़ सकता था.

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