Xxx आंट सेक्स कहानी में मैं मामू के घर रहता था और मुमानी को चोदना चाहता था. वे सुबह अंधेरे में सैर करने जाती थी. एक दिन मैं भी उनके पीछे गया तो मैंने क्या देखा.
फ्रेंड्स, मेरा नाम अल्ताफ़ है. मेरी उम्र 24 साल की है और मैं बनारस का रहने वाला हूँ.
यह Xxx आंट सेक्स कहानी मेरी पहली कहानी है. मुझे कहानी लिखने के बारे में ज़्यादा कुछ नहीं पता है, तो जो हुआ जैसे हुआ … में वही सीधे सीधे लिखूँगा, ज़्यादा घुमा-फिरा कर नहीं लिख पाऊंगा.
मैं सब कुछ शुरू से बताऊंगा, तो कहानी थोड़ी लंबी हो सकती है और शुरू में यह आप लोगों को थोड़ी बोरिंग भी लग सकती है.
लेकिन मैं यकीन दिलाता हूँ कि जैसे जैसे कहानी आगे बढ़ेगी, वैसे वैसे आपको मज़ा आएगा.
मैं बचपन से ही अपने ननिहाल में रहा हूँ और यहां पर बहुत सारे लोग रहते हैं.
हमारी जॉइंट फैमिली है और हमारे घर में लड़कियों या औरतों का ज़्यादा बाहर आना-जाना नहीं होता है.
वैसे तो मेरी 4 मुमानी हैं लेकिन यह सेक्स कहानी मेरी सबसे बड़ी मुमानी को लेकर है.
उनका नाम शबनम है और उनकी उम्र 40 साल है.
वे दिखने में गोरी हैं. उनका फिगर का सही सही साइज़ तो मुझे नहीं पता था लेकिन उनके बूब्स और गांड थोड़े बड़े हैं.
मेरी ये वाली मुमानी बहुत ही ज्यादा नकचढ़ी हैं और सिर्फ़ अपनी ही मनमानी करती हैं.
वे सोचती हैं कि घर में बस उनकी ही चले.
इसीलिए वे जो चाहती हैं, घर में वही होता है.
मेरे मामू की उम्र 49 साल है और वे अपने बिजनेस में ही बिजी रहते हैं.
उनकी तबीयत नासाज ही रहती है.
इन दोनों के 3 बच्चे हैं. उनमें दो लड़के हैं और एक लड़की है. बड़ा लड़का जॉब करता है, छोटा लड़का मामू के साथ बिजनेस संभालता है.
यह एक साल पुरानी बात है.
मेरी पढ़ाई पूरी हो चुकी थी और मैं घर पर ही रहता था.
घर का कुछ भी काम होता तो उसे मैं ही करता था.
जैसे किसी को ले जाना, लाना हो … तो मैं ही सब काम करता था.
मेरी मुमानी अपनी सेहत का बहुत ख्याल रखती थीं.
वे रोज़ 4 बजे सुबह में टहलने जाया करती थीं और वे बड़ी निडर भी हैं क्योंकि वे अकेली ही घूमने निकल जाती थीं.
उनकी इस आदत से मामू भी कुछ नहीं बोलते थे.
उतनी सुबह अंधेरा होने की वजह से कोई आता-जाता भी नहीं था.
वह एरिया ज़्यादातर सुनसान ही रहता था.
मैं यहां आपको अपने बारे में भी कुछ बताना चाहूँगा.
मैंने छोटी उम्र से मुठ मारना शुरू कर दिया था और 24 साल का होने तक मैंने बहुत ऐय्याशी भी शुरू कर दी थी लेकिन यह बात किसी को मालूम नहीं थी.
मैं किसी को यह जाहिर ही नहीं होने देता था … यहां तक की मेरे दोस्तों को भी नहीं मालूम था.
मेरे आस-पास के लोग मुझे सीधा ही समझते थे और मैं किसी से ज़्यादा बोलता भी नहीं था.
मैं बहुत ज़्यादा ब्लू फिल्म देखा करता था और सेक्स स्टोरी पढ़ने की वजह से मैं घर की औरतों को भी सेक्स की नज़र से देखने लगा था.
सेक्स स्टोरी पढ़ने से पहले मैंने घर की औरतों को कभी सेक्स की नज़र से नहीं देखा था.
मैं सबसे ज़्यादा बड़ी मुमानी के बारे में ही सोचता था लेकिन वे हर किसी पर चिल्लाती बहुत थीं इसलिए मैं सिर्फ़ उनको सोच कर मुठ मारा करता था.
मैंने मुठ मारने के लिए अलग से एक टाइम भी बनाया था.
मैं हमेशा रात में ही मुठ मारता था.
रात में सबके सो जाने के बाद मैं उठ कर छत पर चला जाता और मुमानी के कपड़े ले जाता.
फिर उन्हीं को सूंघ कर उनके बारे में सोच सोच कर मुठ मारा करता था.
सालों से सेक्स स्टोरी पढ़ने की वजह से मुझे थोड़ा बहुत आइडिया भी मिल गया था.
हमारे घर में हर कोई कपड़े छत पर धोता है.
तो जब भी मुमानी कपड़े धोतीं, तो मैं किसी ना किसी बहाने से उनके पास जाकर कुछ ना कुछ काम किया करता था और तिरछी नज़र से उनके बूब्स देखा करता था.
जब वे कपड़े धोतीं, तो झुकने की वजह से उनके बूब्स की दरार दिखने लगती और मैं वह देख कर मज़े लेता.
फिर रात वही सब सोच कर मुठ मार लेता था.
लेकिन इसके आगे मैं कुछ नहीं कर पाता था.
वैसे तो मैं सुबह 8 बजे तक सोता था लेकिन मैं मुमानी के नशे में एकदम पागल होता जा रहा था.
अब तो 24 घंटे मेरे दिमाग़ में बस सेक्स ही घूमने लगा था.
मैंने एक आइडिया लगाया.
मैंने सोचा क्यों ना मैं भी 4 बजे भोर में उठ कर जाऊं.
तो मैंने दौड़ने जाने का बहाना किया और अगले दिन 4 बजे उठ गया.
मैं मुमानी के जाने का इंतजार करने लगा.
जब मुमानी गईं तो उनके बाद मैं भी निकल गया.
मैं अंधेरे का फ़ायदा उठा कर उनके पीछे जाने लगा लेकिन दबे पांव गया ताकि वे मुझे देख न सकें.
सर्दी का मौसम था तो सर्दी की वजह से लोगों का आना-जाना भी कम था.
मैं मुमानी के पीछे पीछे जा रहा था और मुमानी भी चलती जा रही थी.
मुमानी भी उधर ही एक सर्कल में टहलने लगीं और मैं हर बार की तरह अपनी जगह पर छुप कर देखने में लगा रहा.
वहां पर 5 आदमी भी झुण्ड बनाकर टहल रहे थे. सबके सब 25-30 साल के आस पास के थे और देखने में सब मज़दूर जैसे लग रहे थे.
वे मजदूर आपस कुछ बात कर रहे थे लेकिन जब मुमानी उनके पास से गुज़रतीं तो वे सब चुप हो जाते और उनके जाने के बाद फिर से बात करना शुरू कर देते.
मेरा पूरा ध्यान मुमानी पर था और मुठ मारने पर था.
मुमानी उन मजदूरों की तरफ देख कर मुस्कुरा रही थी.
फिर वे सब मजदूर लोग आगे आगे टहलने लगे और मुमानी उनके पीछे थोड़ी दूर पर टहल रही थीं.
चलते चलते उनमें से एक आदमी वहीं पर गिर गया, तो उसके साथ वाले सब उसको उठाने लगे.
मुमानी उनके पीछे ही चल रही थीं, वे भी तुरंत उन लोगों के पास जाकर देखने लगीं कि क्या हुआ!
इधर मैं मुठ मारता हुआ देखने लगा कि शायद उस आदमी को चक्कर वग़ैरह कुछ आया होगा.
उधर जैसे ही मुमानी उनके पास पहुंची देखने के लिए, तो उनमें से एक आदमी ने झट से मुमानी का हाथ पकड़ लिया और दूसरे आदमी ने मुमानी के मुँह पर हाथ रख कर उनको पीछे से पकड़ लिया, जिससे वे चिल्ला ना सकें.
अब मुमानी एकदम से चौंक गईं कि यह क्या हो रहा है.
वे घबरा कर छूटने की कोशिश करने लगीं.
इतने में जो आदमी गिरा था, वह तुरंत उठा और उन सबने मुमानी को कस कर पकड़ लिया.
इधर मैं कुछ समझ नहीं पा रहा था कि हो क्या रहा है!
मैं तुरंत उनके पास को जाने लगा और फिर एकदम से रुक गया.
मैंने सोचा कि अगर मैं जाऊंगा तो मैं भी फंस जाऊंगा क्योंकि मैं तो रनिंग के लिए दूसरी तरफ जाता था तो इधर कैसे आ गया.
यह सब सोच कर मैं वहीं रुक गया और देखने लगा कि ये सब आगे क्या करते हैं.
मुमानी उन सबसे छूटने की नाकाम कोशिश कर रही थीं, पर वे लोग 5 आदमी थे.
मुमानी हिल भी नहीं पा रही थीं सिर्फ़ ‘घूँ घूँ …’ की आवाज़ कर रही थीं.
फिर उन सबने मुमानी को उठाया और वहीं पर थोड़ी दूरी पर एक मकान बन रहा था, उसी में ले गए.
वहां 2-3 घर बन रहे थे.
ये सब उस इलाके में अभी नए नए मकान बन रहे थे और कोई नई कॉलोनी बन रही थी.
उधर ही एक घर था, उसमें सिर्फ़ दीवार और छत बनी थी, अभी दरवाजे और खिड़कियां नहीं लगी थीं.
वे सब मुमानी को अन्दर की तरफ ले गए.
मैं भी उनके पीछे पीछे जाने लगा और अन्दर जाकर सीढ़ियों की साइड में छुप कर देखने लगा.
जब मैंने अन्दर का नज़ारा देखा तो मैं शॉक्ड हो गया क्योंकि उन लोगों ने ये सब प्लान करके किया था.
जैसे मैं एक साइड से छुप कर मुमानी को देखा करता था, वैसे ही दूसरी साइड से वे लोग भी मुमानी को रोज़ देखा करते थे.
मुमानी अकेली ही जाती थीं और उस वक्त उतने लोग आते भी नहीं थे.
अक्सर सुनसान ही रहता था तो उन लोगों की नियत मुमानी को अकेली देख कर खराब हो गई.
मैं सीढ़ियों के पीछे छुप कर उन सबकी बातें सुन रहा था.
उन लोगों ने वहां अन्दर अच्छा सैटअप कर रखा था. नीचे ज़मीन पर बिछावन डाला हुआ था.
उन्होंने मुमानी को ज़मीन पर पटक दिया और सबने ज़ोर से पकड़ा हुआ था.
फिर उन सब ने अपना अपना फोन निकाल कर फ्लश ऑन करके ज़मीन पर रख दिया जिससे कमरे में अच्छी ख़ासी रोशनी हो गई.
उनमें से एक आदमी हंसने लगा और बोलने लगा- साली बहुत दिनों से तुझे देख रहे थे, आख़िर आज मौका मिल ही गया. आज तो तुझे मन भर के चोदेंगे.
एक आदमी मुमानी के मुँह पर हाथ रख कर कसके पकड़े हुए था और बाकी के 4 लोग अपने अपने कपड़े उतारने लगे थे.
देखते ही देखते वे सब एकदम नंगे हो गए. उनमें से 2 के लंड तो सामान्य साइज़ के थे लेकिन बाकी 2 लोगों के लंड बड़े साइज़ के थे.
वे सब एक साथ मुमानी के ऊपर टूट पड़े.
अब वे सब मुमानी के कपड़े उतारने की कोशिश करने लगे. उन सबने मुमानी के सारे कपड़े उतार दिए.
सलवार सूट कमीज़ ब्रा … सब उतार दिए.
मुमानी ने पैंटी नहीं पहनी हुई थी. शायद वे पैंटी नहीं पहनती होंगी.
उन सबने मुमानी के सब कपड़ों को एक तरफ फेंक दिए.
मैंने मुमानी के बूब्स की दरार तो बहुत बार देखी थी, जब वह कपड़े धोती थीं … लेकिन आज मैं पहली बार उनके बूब्स नंगे देख रहा था.
उनके बूब्स बड़े और लटके हुए थे लेकिन एकदम गोरे थे.
उनमें से दो लोग मुमानी के बूब्स को दबा रहे थे और मुँह में लेकर चूस रहे थे और 2 लोग मुमानी की चुत और गांड में उंगली कर रहे थे.
एक आदमी मुमानी के मुँह को पकड़े हुए था, वह कुछ भी नहीं कर रहा था.
यहां तक कि उसने अभी तक अपने कपड़े भी नहीं उतारे थे.
दोस्तो, यह सब क्या हो रहा था और दरअसल क्यों हो रहा था इसका राज आपको Xxx आंट सेक्स कहानी के अगले भाग में जानने को मिलेगा.
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