शौहर के चार दोस्तों से रातभर चुत चुदाई- 2

चुत फाड़ मोटा लंड सेक्स कहानी में मैं एक ही रात में चार मर्दों से चुदी. चारों लंड बहुत बड़े थे, लम्बे और मोटे. मोटा लंड मेरी चूत में घुसा तो चूत फट गई.

दोस्तो, मैं अलीशा एक बार पुनः अपनी चुदाई की कहानी के साथ हाजिर हूँ.
कहानी के पहले भाग
मेरे शौहर मुझे अपने दोस्तों से चुदने छोड़ गये
में अब तक आपने पढ़ लिया था कि मेरे शौहर के चार मुस्टंडे दोस्तों ने मुझे रात को नंगी करके चोदने का कार्यक्रम चालू कर दिया था.

अब आगे चुत फाड़ मोटा लंड सेक्स कहानी:

आज मैं चार पहलवान सरीखे मर्दों से अपने पाकीज़ा जिस्म को उनसे मसलवा रही थी.
भले ही शुरू में मैं दुविधा में थी, पर अब मैं बस यही चाहती थी कि इनके साथ मेरी चुदाई कभी खत्म ही ना हो.

फिर रमेश और अभिषेक ने मुझसे अपना लंड सहलाने को कहा.
मैं उन दोनों का लंड सहलाने लगी.

उधर सतीश मेरे मुँह में ही एक बार झाड़ चुका था.
उसका इतना सारा पानी पीने के बाद मुझे अहसास हुआ कि मेरे शौहर का एक महीने में भी इतना नहीं निकलता होगा, जितना इसका एक बार में निकला है.

मैंने उसका पानी थूकना चाहा तो उसने मुझे थूकने नहीं दिया.
वह बोला- तुम ये सारा पानी पी जाओ, तुम्हें ताकत आएगी.

मैंने अपने जिस्म की आग बुझाने के सदके उसके लंड का सारा पानी पी लिया.

सुरेश अभी भी मेरी चूचियों को मसल रहा था, वह भी बड़ी बेदर्दी से!
सतीश ने अपना लंड मेरे मुँह से बाहर निकाला और मेरी जीभ को चूसने लगा जिससे मैं और ज़्यादा गर्म हो गयी.

मेरी चूत से लगातार पानी निकल रहा था।
मैं वह सब एंजाय कर रही थी.

तभी अभिषेक ने कहा- कौन सब से पहले इस पाकीज़ा औरत को चोद कर अपने बच्चे की मां बनाएगा?
सतीश ने कहा- यार पहला हक़ रमेश भाई का है, क्योंकि भाभी को चोदने का प्लान उन्हीं का था, इसलिए वही सब से पहले इस पाकीज़ा रांड की चूत को फाड़ेंगे!

अब रमेश जी मेरे पास आ गए.
सतीश ने मेरी लेफ्ट चूची को और सुरेश ने मेरी राइट चूची को चूसना शुरू कर दिया.
जबकि रमेश जी ने अपना लंड मेरे मुँह में डाल दिया और वे उसे अन्दर बाहर करने लगे.

दोस्तो, मैं बता नहीं सकती उस टाइम मेरी क्या हालत थी.

जब रमेश जी ने मेरी चूत को चाटना शुरू कर दिया, तो मैं जोश में आकर बोलने लगी- आहह … ओह आह … मजा आ गया रमेश जी!

थोड़ी देर तक मेरी चूत को चाटने के बाद रमेश जी ने अपना लम्बा मोटा लंड मेरी चूत के छेद में रखा और अन्दर दबाना शुरू कर दिया.

चुदी होने के बाद भी रमेश जी के लंड के सामने मैं एक कुंवारी लड़की जैसी ही थी.
इसी वजह से उनके लंड के लिए मेरी चूत बहुत ही टाइट थी.

रमेश जी ने जैसे ही थोड़ा ज़ोर लगाया, तो मुझे बहुत तेज दर्द हुआ और मैं चिल्लाने लगी.

सुरेश ने रमेश जी से कहा- यार, जरा धीरे धीरे डालो, ये अभी तक कुँवारी जैसी ही है, साले इसके हिजड़े खसम में दम ही कहां होगा! साली की चूत बहुत टाइट होगी … देख ना कितना दर्द हो रहा है इस पर्दानशीं पाकीज़ा औरत को!

रमेश जी ने एक हल्का सा धक्का मारा तो उनका लंड मेरी चूत में एक इंच अन्दर चला गया.
मेरी तो चीख ही निकल गयी, मुझे लग रहा था कि कोई गर्म लोहा मेरी चूत में डाल दिया गया हो.

सुरेश ने मेरे होंठों को अपने होंठों से जकड़ लिया ताकि मेरी आवाज ना निकले.
रमेश जी ने फिर ज़ोर लगाया तो इस बार उनका लंड 3 इंच और अन्दर चला गया.

मुझे बहुत तेज दर्द होने लगा.
मैं चिल्लाना चाहती थी लेकिन सुरेश ने अपने होंठों से मेरे होंठों को सील कर रखा था.
इसलिए मैं चिल्ला भी नहीं सकती थी.

मैं रोने लगी और मेरी आंखों से आंसू बहने लगे.
रमेश जी ने फिर से ज़ोर लगाया तो लगा कि मेरी जान ही निकल जाएगी.

उनका आधा लंड मेरी चूत के अन्दर घुस चुका था.
मेरी चूत से खून भी निकल आया.

रमेश जी मेरी चूत से खून आता देख कर थोड़ी देर रुके रहे और कुछ पल बाद उन्होंने अचानक से एक ज़ोरदार धक्का दे मारा.

मुझे बहुत तेज दर्द हुआ. ये दर्द मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा था.

इस बार रमेश जी का पूरा लंड मेरी चूत के अन्दर पूरा जा चुका था.
उनके दोनों आंड को मैं अपनी गांड के पास महसूस कर रही थी.

सतीश और अभिषेक ने मेरे बूब्स को मसलना शुरू कर दिया.
जब मैं कुछ शांत हुई तो रमेश जी ने अपना लंड धीरे धीरे अन्दर बाहर करना शुरू कर दिया.

मैं फिर से चिल्ला उठी, ऐसा लग रहा था जैसे कोई चाकू से मेरी चूत को काट रहा हो.

रमेश जी ने कहा- घबराओ मत, अभी थोड़ी देर में सब ठीक हो जाएगा और तुमको भी खूब मज़ा आएगा!

तब रमेश जी ने चुदाई की स्पीड बढ़ा दी तो मुझे फिर दर्द होने लगा.

थोड़ी देर तक चुदवाने के बाद मेरा दर्द भी कम हो गया और मुझे मज़ा आने लगा.
मेरे मुँह से अब सेक्सी आवाज़ें निकलने लगीं.
मेरे अन्दर एकदम आग सी लग गयी.

मैंने रमेश जी का साथ देना शुरू कर दिया तो उन्होंने बहुत तेज़ी के साथ मेरी चुदाई करना शुरू कर दी.

आज एक पाकीज़ा पर्दानशीं औरत, जिसने आज तक अपने शौहर को ही सब माना हो, वह अपने घर में ही एक से नहीं बल्कि 4 पहलवान किस्म के मर्दों से अपनी चूत चुदवा रही थी.

बहुत देर तक मुझे चोदने के बाद रमेश जी चिल्लाए- ऑह … साली रांड पाकीज़ा कुतिया … मैं आ रहा हूँ … ले बहन की लौड़ी अपनी कोख में मेरे बीज को बुववा ले!
मैं अपनी गांड उठा उठा कर उस हाथी के लौड़े से चुदवा रही थी.

मैंने कभी अपने शौहर के अलावा किसी के बारे में सोचा तक नहीं था और अब यहां मैं एक गैर मर्द का इतना मोटा और लंबा लंड खा रही थी.

तभी मेरी चूत में उसके लंड से कुछ गर्म गर्म सा पानी निकलने लगा और साथ ही साथ मेरी चूत ने भी उसी तरह का पानी छोड़ना शुरू कर दिया!
आह … एक गैर मर्द ने मेरी पाकीजा चूत को अपने पानी से आज भर दिया था.
मुझे ऐसा लगा मानो मुझे जन्नत मिल गई हो.

मुझे अपनी चूत में रमेश जी के लंड का पानी निकलवाने से बहुत ही ज़्यादा मज़ा आ रहा था.
मेरा अंग अंग ख़ुशी से झूम उठा था.

रमेश जी के लौड़े का पानी तो जैसे निकलना खत्म ही नहीं हो रहा था.
वह पानी लगातार मेरी चूत के हर कोने को भरता जा रहा था.
उनका इतना वीर्य निकला कि वह मेरी चूत से बाहर निकल कर मेरी चूत के आस पास फैलने लगा था.

मैं एकदम से सातवें आसमान पर पहुँच गयी थी.

ढेर सारा पानी मेरी चूत में निकालने के बाद रमेश जी ने अपना लंड मेरी चूत से बाहर निकाला और हट गए.

मैं अभी खुद को संभाल भी नहीं पाई थी कि सुरेश ने मेरी चूत में एक झटके से ही अपना आधा से ज़्यादा लंड पेल दिया.
‘हाई रे मर गई …’ मैं फिर से चिल्ला पड़ी.
पर इस बार मुझे दर्द के साथ मज़ा भी बहुत आया.

सुरेश ने फिर से एक ज़ोरदार धक्का मारा और अपना सारा लंड मेरी चूत के अन्दर घुसा दिया.
उसका पूरा लंड मेरी पहले से गीली चूत में उतर चुका था.

फिर उसने खूब तेज़ी के साथ मेरी चुदाई करना शुरू कर दी.
मुझे बहुत मज़ा आ रहा था और मैं भी खुल कर उसका साथ देने लगी थी.

रमेश जी मेरे मम्मों को मसल रही थे.
उन्होंने मुझे चूमते हुए कहा- वाह भाभी … वाह तुम तो बहुत जल्दी से चुदवाना जान गयी! आज के बाद तुझे बस हम जैसे मोटे मोटे लंड से ही चुदने में मज़ा आएगा!

उधर अभिषेक अब मेरे मुँह में अपना लंड अन्दर बाहर कर रहा था और सुरेश तो मेरी गर्म गर्म चूत को चोदते हुए एकदम पागल सा हो रहा था.
वह पूरी ताक़त के साथ बहुत ही तेज़ी से मुझे चोद रहा था.

लगभग 25 मिनट तक मेरी चूत चोदने के बाद वह भी अन्दर ही झड़ गया.
मेरे बदन का हर हिस्सा दर्द करने लगा था लेकिन मैं अभी भी गर्म थी.

उसकी चुदाई के दौरान मैं दो बार झड़ चुकी थी.

सुरेश के हट जाने के बाद अब सतीश ने उसका स्थान ले लिया था.
उसने मुझे रगड़ कर चोदना शुरू कर दिया.

सतीश का लंड उन दोनों के मुक़ाबले पतला और छोटा था.
उसका लंड अपने साथियों की बनिस्बत छोटा था, पर तब भी वह मेरे शौहर के लंड से दुगना था.

सतीश ने भी ज़ोर ज़ोर से मुझे चोदना शुरू कर दिया.
मैं खूब मज़े ले लेकर उससे चुदवा रही थी और नीचे से अपनी गांड उठा उठा कर उसका साथ दे रही थी.

उधर अभिषेक अब मुझे किस कर रहा था और मेरी चूचियों को मसल रहा था.

सतीश ने अपनी स्पीड बहुत तेज कर दी, जिससे मैं एकदम मस्त हो गयी और अपनी गांड उठा उठा कर उसका साथ देने लगी.
लगभग 20 मिनट तक ही चोदने के बाद उसने भी मेरी चूत के अन्दर ही अपना बीज बो दिया.

सतीश से चुदवाने के दौरान मैं केवल एक बार ही झड़ पाई थी.

अब बचे हुए अभिषेक से चुदवाने की बारी थी.
वह मेरी टाँगों के बीच आ गया और उसने मेरी टाँगों को फैला दिया.

मेरी चूत अपना मुँह खोल कर कर उसका लंड देख रही थी.
अभिषेक ने अपना खूब मोटा और लंबा नौ इंच का लंड मेरी चूत के मुँह पर रख दिया.

उसने मेरी कमर को पकड़ कर जैसे ही एक धक्का लगाया, तो मुझे बहुत दर्द होने लगा.
माना रमेश का लंड उससे लंबा था पर मोटाई मैं अभिषेक का लंड उससे ज्यादा था, चुत फाड़ मोटा लंड चूत में घुसने से मैं फिर से चीख पड़ी.

उसका आधा लंड अभी भी बाहर ही था और मुझे ऐसा लग रहा था मानो कोई मेरी चूत को हाथों से पकड़ कर फैला रहा हो.
उसने फिर एक ज़ोर का धक्का मारा, जिससे उसका मुश्किल से एक इंच लंड ही मेरी चूत में घुस पाया.

मैं दर्द से एकदम बेहाल होने लगी.
रमेश, सुरेश और सतीश मेरे बूब को मसलने में लग गए.

अभिषेक ने एक बार फिर से अपना लंड बाहर निकाल कर मेरी चूत में डालने की एक नाकाम कोशिश की.
लेकिन उसका लंड मेरी चूत में नहीं घुस पाया.

मैं उसके लंड को देख कर मन ही मन कह रही थी कि आह रब्बा … इतना मोटा लंड बनाने की जरूरत ही क्या थी!

अभिषेक ने मुझे बिना लंड निकाले ही उठा लिया और खुद नीचे लेट गया.
मैं अब उसके ऊपर थी.

रमेश जी, सुरेश और सतीश ने मुझे ज़ोर से पकड़ कर अभिषेक के लंड पर दबा दिया.
‘हययी मर गई …’

मुझे उनके ऐसा करने से अभिषेक का पूरा लंड मेरी चूत को चीरता हुआ अन्दर चला गया और मैं दर्द के मारे चिल्लाने लगी.
मैं दर्द से बुरी तरह से तड़फ रही थी और अपने हाथ पांव पटक रही थी.

उन तीनों ने मुझे पकड़ कर ऊपर नीचे करना शुरू कर दिया, मानो मैं कोई बेबी हूँ और वह तीनों मुझे झूला झूला रहे हो!’

उनके ऐसा करने से अभिषेक का पूरा मोटा लंड मेरी चूत के अन्दर बाहर होने लगा.
करीब 15 मिनट दर्द से तड़फने के बाद धीरे धीरे मेरा दर्द खत्म हो गया और मुझे बहुत मज़ा आने लगा.

कुछ देर तक इसी तरह करने के बाद अभिषेक ने मुझे डॉगी स्टाइल में कर दिया यानि अब एक पाकीज़ा पर्दानशीं औरत एक साढ़े नौ इंच के मोटे लंड वाले गैर मर्द की कुतिया बन चुकी थी.
कुतिया के जैसे बनने की वजह से मेरा चेहरा बुरी तरह से तमतमाया हुआ था क्योंकि मैंने लगातार चौथा लंड अपनी चूत में लिया हुआ था.

मैं अचानक से थक गई और वहीं जमीन पर अपने दोनों हाथ फैला कर सो गयी.

मेरी हालत देख कर वे चारों गैर मर्द हंस रहे थे कि साली पाकीज़ा औरत चुदती हुई सोने लगी है.

अभिषेक ने मुझे फिर खड़ा करके कुतिया बना दिया और वापस मेरे ऊपर चढ़ कर मेरी चुदाई करने लगा.

अब तो अभिषेक पूरी ताक़त से मुझे चोदने लगा था और अपने हाथ नीचे डाल कर मेरी दोनों चूचियों को मसल रहा था.

सच कहूँ तो मैं अभिषेक से चुदवाने में सबसे ज़्यादा मज़ा ले रही थी.
अभिषेक से चुदवाते हुए मुझे लगभग एक घंटा हो चुका था.

इस दौरान मैं 4 बार झड़ चुकी थी और वह था कि झड़ने का नाम ही नहीं ले रहा था.

लगभग दस मिनट और चोदने के बाद वह मेरी चूत में ही झड़ गया और साथ ही साथ मैं भी एक बार फिर से झड़ गयी.
अब मुझे ऐसा लग रहा था कि उसका वीर्य सीधा मेरे पेट में जा रहा हो और मुझे अन्दर से पाकीज़ा कर रहा हो.

मैं अब एकदम थक कर चूर हो गयी थी.
मेरी आंखों से सामने तारे दिखाई दे रहे थे … ऐसा लग रहा था कि मैं मन ही मन बहुत खुश हो रही हूँ.

अभिषेक ने अपना मोटा लंड मेरी चूत से बाहर निकाला और मेरे बाल पकड़ कर मेरे मुँह की तरफ अपना लंड कर दिया.
इतनी बुरी हालत होने के बाद भी मैं उसके लंड को चाटने में लग गयी.

मेरी चूत अभी भी परपरा रही थी.
मैंने अभिषेक का लंड चाट चाट कर एकदम साफ कर दिया और उसके बाद जैसे तैसे करके बाथरूम चली गयी.

बाथरूम से आने के बाद हम सब नंगे ही आराम करने लगे.

मैंने उन सभी को बेडरूम में चलने को कहा तो उन्होंने कहा कि यहीं ज्यादा शांति है.

उस रात उन्होंने मुझे एक एक बार और चोदा और सुबह मेरे शौहर आ गए.
शौहर ने उन सबको शुक्रिया कहा और वे सब चले गए.

मैं हैरान थी कि शौहर ने उन्हें कोई पैसा वापस नहीं किया था.

नौ महीने बाद मैं जुड़वां बच्चों की मां बन गई थी.
मुझे नहीं पता कि मेरे बच्चे किसके बीज से हुए, पर अब मैं बहुत खुश थी.

आपको यह चुत फाड़ मोटा लंड सेक्स कहानी कैसी लगी, प्लीज मुझे जरूर बताएं.
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