टीचर गांड X कहानी में मेरा एक स्टूडेंट अपनी जॉब लगने की ख़ुशी में मिठाई लाया. वह मेरे गले मिला तो मेरी गांड का कीड़ा जाग जाया. मैंने उसे गर्म करके गांड का अट्टा बट्टा किया.
दोस्तो, आज मैं अपने कमरे में बैठा था, तभी समर आया.
‘मे आई कम इन सर?’
‘हां आ जाओ समर.’
वह अन्दर आ गया.
‘कैसे हो?’
‘ठीक हूँ सर, आज मेरा जन्म दिन है.’
यही सब कहते कहते उसने मेरे पैर छू लिए.
‘अरे वाह .. जन्म दिन शुभ हो!’
मैंने उसे उठा कर अपने गले से लगा कर दबा लिया.
उस अपने सीने से लगाते ही एक अद्भुत अहसास हुआ.
यहीं से यह टीचर गांड X कहानी जन्म लेने लगी.
क्या छरहरा बदन था.
मैंने उसको अपनी बांहों में भरा तो उसकी पीठ की मांस पेशियां मस्त लग रही थीं.
तभी उसने भी मुझे कस कर भींच लिया और न जाने क्या हुआ कि मैंने उसे अपनी बांहों में कसे हुए ही उसको चूम लिया.
वह मासूम सा इसे मेरा दुलार समझा और बोला- एक और खुशी की बात है सर!
मैंने उसे पकड़े-पकड़े ही पूछा- हां बोल न!
‘मेरी जॉब लग गई है सर!’
‘क्या सच में …’ यह कह कर मैंने फिर से उसे भींच लिया.
‘बहुत-बहुत बधाई हो समर. यह कह कर मैंने उसे फिर से चूम लिया.
थोड़ी देर तक बाहुपाश में मैंने उसे भींचे रखा.
फिर जब वह मुझसे अलग हुआ तो मैंने अपने हाथ को कुछ ऐसे खींचा कि मेरा हाथ उसके लौड़े को सहलाता हुआ आया.
मेरी इस हरकत से समर थोड़ा आश्चर्य चकित हुआ, पर वह कुछ नहीं बोला.
उसकी जीन्स के ऊपर से भी, यद्यपि उसका लौड़ा खड़ा नहीं था, पर बड़ा ही मांसल लग रहा था.
फिर उसने अपने साथ लायी हुई मिठाई मुझे खिलाई और मैंने उसे!
मैंने कहा- कभी घर आओ!
वह बोला- हां सर जरूर .. आप बता दीजिए कब आऊं?
‘मैं इंफोर्म करूँगा, कोई दिक्कत तो नहीं है न!
यह पूछ कर मैं उसका मन पढ़ना चाहता था.
वह बोला- नहीं सर, मैं अपने घर पर बता दूँगा कि सर के घर जा रहा हूँ.
मैंने उसकी रजा समझते हुए कहा- ओके.
फिर वह एक दिन घर आया, औपचारिक वार्ता के बाद कुछ इधर उधर की बातें हुईं.
मैंने ही धीरे से टॉपिक छेड़ा और पूछा- तुम्हारी सेक्स में क्या रुचि है?
उसके लिए यह सवाल एकदम शॉकिंग था, शायद सबसे अधिक अनपेक्षित प्रश्न था.
उसने शर्मा कर सर नीचे कर लिया और बोला- सर, आप ये क्या पूछ रहे हैं!
अब बारी थी उसको पटरी से उतरने से रोकने की.
मै उसके बगल में बैठा और अपना हाथ उसके कंधे को जकड़ते हुए ऊपर डाल दिया.
मैंने पूछा- मैंने कोई गलत सवाल पूछा क्या?
वह बोला- हां सर .. नहीं सर .. मेरा वह मतलब नहीं था सर .. पर आपके मुँह से ये प्रश्न सुनकर कुछ अजीब सा लगा.
उसको सहज करने के लिए मैंने उसे चूम लिया और पूछा- मुझे चूम सकते हो?
शायद अब तक वह भी एंजॉय करने के मूड में आ गया था और उसने गाल की जगह मेरे होंठों को फिल्मी स्टाइल में अपने होंठों से दबोच लिया और जोर से चूसने लगा.
इस पर शॉक होने की बारी मेरी थी.
मैंने भी पूरा सहयोग दिया और मौके का फायदा उठा कर उसके लौड़े पर हाथ लगाया तो ये क्या .. उसका लौड़ा तो बिल्कुल पथरा चुका था.
तब मैंने फिर से पूछा- तुम्हारी सेक्स में क्या रुचि है?
वह बोला- खूब!
मैंने पूछा- क्या-क्या पसंद है?
तब वह एक गुब्बारे की तरह फूटा और बोला- सर, सारी रुचियां हैं!
‘तब शर्मा क्यों रहे थे?’
वह बोला- आप हमारे सर हैं इसलिए!
‘फिर शर्म टूटी कैसे?’
वह बोला- जब आपने लौड़े को पकड़ लिया, तो मैं समझ गया कि सर मूड में हैं.
‘वाह समर वाह, क्या-क्या किया है?’
वह बोला- नियमित सड़का मारता हूँ दो तीन दिन में एक बार, पड़ोस में एक चिकना सा लौंडा है, जब मन होता है तो बुला कर उसकी गांड भी मार लेता हूँ.
‘लौंडा बुलाने पर कैसे आ जाता है?’
वह बोला- आपसी समझ है सर. कभी वह मेरी मारता है तो कभी मैं उसकी मार देता हूँ. बस .. हां एक बार एक लड़की की चुत भी चोद चुका हूँ!
‘वह कैसे?’
वह बताने लगा:
एक बार ट्रेन की जनरल बोगी में जा रहा था.
मेरे बाजू में 18-19 साल की एक लड़की बैठी थी.
ट्रेन के झटके से मेरा हाथ उसकी चूचियों पर चला गया.
मैंने उससे सॉरी बोला, तो वह मुस्कुरा कर बोली कि कोई बात नहीं, हो जाता है.
फिर पता नहीं कुछ सामान उठाने के चक्कर मेरे पीछे से उठने की कोशिश कर रही थी.
मैं थोड़ा आगे को झुका, तो बोली कि कोई बात नहीं मिल जायेगा!
और बस इसी दौरान उसकी चूचियां मेरी पीठ को रगड़ खाने लगी थीं. इससे पजामे में मेरा लौड़ा टन्ना गया था, जो शायद उसने देख लिया था.
थोड़ी देर के बाद वह बोली- भैया, जरा वह बैग उतार देना.
मैं बैग उतारने गया तो वह बोली- अगली बोगी के बाईं तरफ वाले टॉयलेट में रात साढ़े ग्यारह पर आ जाना.
मैं खुश हो और रात में चला गया.
वहां मैडम पहले से ही मौजूद थीं, कोई बातचीत नहीं, सीधे कपड़े उतारे और उसको वाश बेसिन पर बैठा कर चोद दिया.
सर, चूंकि लड़की का पहला मामला था इसलिए मेरा बहुत जल्दी ही मतलब दो ही मिनट में निकल गया.
पर लड़की प्रसन्न हो गयी थी. वह बोली- अगले हफ्ते मुझे इसी ट्रेन से वापस आना है, हो सके तो आना.
मैं बोला- ठीक है. पर ऐसे सही से मुलाकात कहां हो पाती है?
वह कुछ नहीं बोली और चली गई.
मैंने पूछा- और लौंडे की गांड कैसे ली?
वह गांड मारने की घटना बताने लगा:
लौंडा मेरे पड़ोस में ही रहता है, बहुत संपन्न नहीं है.
वह एक दिन पड़ोस में खेत में निपटने गया था.
मेरी निगाह पड़ी, तो देखा साले का लौड़ा काफी बड़ा था. तय किया कि इसकी मारनी है और इसको अपने शीशे में उतारना है.
‘फिर एक दिन उसको घर पर बुलाया और थोड़ा बातचीत करके पूछा कि तुम कितने साल के हो?
वह लड़का बोला कि उन्नीस साल का हूँ.
मैंने उससे कहा कि तुम्हारा लौड़ा खूब बड़ा है.
वह बोला कि हां भाई, मालिक की देन है.
‘दिखाओगे?’
अब लौंडा थोड़ा शर्माया और थोड़ा हतप्रभ भी हुआ, पर थोड़ी मनुहार के बाद राजी हो गया.
मैंने उसकी पैंट और चड्डी उतार कर उसे पीछे से पकड़ा और लौड़ा सहलाते-सहलाते अपनी नेकर और चड्डी को उतार कर धीरे से लौड़ा उसकी गांड पर लगा दिया.
वह बोला- ये क्या कर रहे हो!
मैंने कहा- बस दो मिनट!
फिर बस उसका लौड़ा पकड़े पकड़े ही अपना लौड़ा उसकी गांड में घुसेड़ दिया.
वह थोड़ा चिल्लाया और छटपटाया भी, पर तब तक मेरा पूरा लौड़ा अन्दर घुस गया था.
वह बार बार छोड़ने को कह रहा था और मैं ‘बस दो मिनट ..’ कह कर उसे चोदने में लगा था.
जल्दी बाजी में साला रस निकलता भी नहीं है .. और मुझे उसको छोड़ना नहीं था, सो लगभग पाँच मिनट बाद जब मेरे लंड से लावा निकला और जब स्पीड कम हुई, तब जा कर लौंडा शांत हुआ.
पर लग रहा था कि उसे दर्द काफी हुआ, शायद पहली बार मरवाई होगी.
मेरे शिश्न मुंड पर थोड़ा खून भी लगा था.
चुदने के कारण उसका अच्छा खासा खड़ा लौड़ा भी छोटा हो गया था.
फिर मैंने उससे कहा कि मेरी चोदोगे.
वह बोला- हां.
साले ने अपना लौड़ा सहलाया और जल्द ही टन्ना गया. उसका लगभग बीस सेंटीमीटर का लग रहा था और लगभग पांच सेंटीमीटर मोटा भी रहा होगा.
मैंने कहा- तेल लगाओगे!
वह बोला- हां.
पर उस समय कमरे में तेल नहीं था तो मैंने अपनी सुरक्षा के लिए नाश्ते के लिए लायी गयी मक्खन की टिकिया उसे दे दी.
उसने मक्खन पोत कर लौड़े को मेरी गांड पर लगाया और थोड़ा सा प्रेशर लगा कर पूरा लौड़ा मेरी X गांड में खोंस दिया.
यकीन मानिए ऐसा लगा जैसे किसी ने मेटल की रॉड डाल दी हो.
लगता था मराने की खुन्नस थी क्योंकि साले ने लवड़ा डालते ही घचा घच्च फुल स्पीड से चुदाई शुरू कर दी.
मुझे ऐसा लग रहा था मानो उसका लौड़ा मेरे मुँह में आ जाएगा.
लगभग 6-7 मिनट तक वह अपना लंड मेरी गांड में घुसेड़ता और निकालता रहा.
फिर चरमोत्कर्ष पर आया तो आठ नौ करारे झटकों के साथ अपने लंड से गर्म मलाई निकाल दी.
फिर जब कमीने ने अपना हथियार बाहर निकाला तो उसके लौड़े पर भी जगह जगह खून लगा था, मतलब लौंडा मेरी फाड़ चुका था.
यह सब बताया कर समर ने मेरी तरफ देखा.
मैंने समर से पूछा- तकलीफ बहुत हुई थी क्या?
वह बोला- हां सर, पर मजा भी आया.
मैंने पूछा- और मजा करना है?
समर बोला- मतलब?
मैंने कहा- मेरी लोगे?
समर साउथ का था, बात को कम समझ पाया.
वह पुनः बोला- क्या सर?
मैंने पूछा- मेरी गांड मारोगे?
अब लड़का क्लीयर था, वह बोला- आपको बुरा नहीं लगेगा?
मैंने कहा- बुरा लगता तो कहता क्यों!
वह बोला- ठीक है.
मैंने पूछा- तुमने अपना साइज नापा है?
वह बोला- सर 18 सेमी लंबा और लगभग चार सेमी मोटा होगा!
मैंने कहा- ओके, खोलो अपना .. मैं भी तो देखूँ कि क्या चीज छिपा रखी है!
वह थोड़ा सकुचाते हुए बोला- आप खोलिए, मुझे शर्म आ रही है!
मैंने कहा- ओके!
मैंने अपनी जीन्स उतारी, तो साले की पतली पतली, पर सॉलिड जांघें देख कर मेरी लार टपक गयी.
फिर चड्डी उतारी, और लो .. केला सामने था.
क्या शानदार तना हुआ लौड़ा था. ऊपर से ट्रिम की हुई झांटें उसकी खूबसूरती को और बढ़ा रही थीं.
यकीनन, यह 18 के ऊपर ही था और मोटा भी खूब था.
साथ ही गजब का कड़ापन और खड़ापन था लौड़े में!
मैंने उसके लौड़े को जब मुँह में डाला, तो जैसे खूंटा जैसा घुस गया था.
जब समर ने आगे पीछे हिलाया तो पूरा मुँह अजीब सी महक से भर गया .. उल्टी जैसी आ रही थी.
एक मिनट में प्री-कम आना शुरू हुआ और मेरा मुँह कसैला सा हो गया.
मेरे मुँह से उल्टी जैसी आवाज सुनकर समर बोला- क्या हुआ सर?
मैंने कहा- तेरे लंड से कैसला सा रस निकल रहा है.
‘ओह..’ कहकर जब उसने लौड़ा खींचा तो लगा जैसे गाड़ी का पिस्टन सिलिंडर से निकाला गया हो.
खैर .. लंड चूसने का अध्याय बंद हुआ. मैंने अब अगला अध्याय शुरू किया.
आप विश्वास मानिये कि उसके भीमकाय लौड़े को देखकर मैं सोच रहा था कि आज अगर इसने बिना तेल के मारी तो गांड रास्ते पर आने में हफ़्तों लेगी.
इसलिए मैंने तुरंत तेल निकाला.
समर बोला- ये क्या है सर?
मैंने कहा- आयल!
वह बोला- वह किसलिए?
मैंने कहा- तेरे लौड़े और अपनी गांड में लगाकर डलवाउंगा, तेरा खूब हैवी लंड है रे!
यह सुनकर लौंडे ने शर्मा कर एक क्यूट सी मुस्कान मारी.
उसने अपने सुपाड़े और लौड़े पर खूब सारा तेल लगाया.
मैंने भी सहलाने के लिए सड़का मारने वाले स्ट्रोक के साथ तेल लगाया.
इसके बाद अब मेरी बारी थी.
मैंने पूछा- मेरे कपड़े उतारोगे!
वह बोला- ओके सर!
मेरे कपड़े उतारने के दौरान पूरे टाइम मैं उसका लौड़ा पकड़े रहा और वह धीरे धीरे मुझे नंगा करता रहा.
एक बात ध्यान देने वाली थी कि कपड़े उतार कर लौंडा मेरे नितंब और गांड को खूब सहला रहा था.
मैंने कहा- मेरी गांड में भी तेल लगा दो.
लौंडे ने गांड में खूब सारा तेल चुपड़ा और उसकी हरकतों से मुझे लग रहा था कि साला उंगलियां भी डाल रहा था, शायद पुराना अनुभव यूज़ कर रहा था.
फिर मैंने कहा- आ जाओ, शुरू करो.
उसने खूब तेल लगाया था अपने लंड में भी और मेरी गांड के छेद में भी.
मुझे तब भी थोड़ा भय लग रहा था.
समर आया और लौड़े को पकड़ कर गांड के मुहाने पर टिकाया, तो उसके वजन व स्पर्श से लग रहा था कि आज गांड का कीमा बनेगा.
लंड का स्पर्श करते ही मुझे लग रहा था कि गर्म खूंटा रख दिया हो.
वह बोला- डालूँ सर?
मैंने कहा- ठीक है डालो.
मुझे मेरी बांहों के नीचे से पकड़ कर जब उसने थोड़ा सा दबाया, तो विश्वास मानिये कि उसका थोड़ा सा सुपारा घुसते ही लगा कि पूरी गांड की खाल फटती चली जाएगी. दर्द के मारे मेरा कलेजा मुँह को आने वाला था. फलस्वरूप मेरी चीख निकल गई और लौंडा घबरा गया.
उसने लौड़ा खींच कर कहा- क्या हुआ सर?
मैंने कहा- दर्द हो रहा थोड़ा सा, लौड़े पर और गांड में और तेल लगा लो.
‘ओके सर!’
तेल चुपड़ कर उसने फिर से लौड़ा लगाया और इस बार थोड़े से दबाव से ही सुपाड़ा अन्दर चला गया.
मुझे असहनीय दर्द हुआ, पर यह दर्द अकल्पनीय आनंद भी दे गया.
अब बाकी का लंड बचा था.
वह बोला- घुसेड़ूँ सर .. या ज्यादा दर्द हो तो निकाल लूँ!
मैंने कहा- नहीं क्यूट, तू घुसेड़ ही दे आज!
जैसे कहने की ही देर थी कि पूरे जोश के साथ और पूरी ताकत से उस हरामी ने अपना पूरा लौड़ा मेरी गांड के अन्दर तक ठेल दिया.
गांड की समझो मैया चुद गई थी. मुझे दर्द काफी था, पर न जाने कैसा अवर्णनीय आनन्द के साथ मुझे लंड सहने की शक्ति मिल गई थी.
एक दो बार धीरे धीरे घुसेड़ कर लौंडे ने पूरी गति से खचाखच मचा दी. वह पूरी मस्ती से मेरी गांड मारने में लगा हुआ था.
मैं भी कितनी देर तक अपने आप को कंट्रोल करता.
मैंने दांत भींच लिए और उस आनन्द का अहसास करने लगा.
साला लगभग पाँच मिनट तक मुझे बुरी तरह से चोदता रहा.
मेरी स्थिति मरे सांप सी हो गई थी. दर्द भी खूब हो रहा था और आनन्द भी आ रहा था.
अंततः दस मिनट तक चोदने के बाद जल्दी फचाक, फचाक कर खौलते पानी जितना गर्म मसाला, सुरसुराहट और तीव्र झटकों के साथ मेरे अन्दर निकलने लगा.
मैंने कहा- अब निकाल ले बेटा.
‘ठीक है सर.’
मेरा कहना मानकर जब उसने लौड़ा खींचा, तब मेरा छेद और गुदा मार्ग बुरी तरह चुदाई की रगड़ से घायल हो गया था.
उसके सुपाड़े पर थोड़ा सा मल व रक्त लगा था .. लंड के दंड पर भी रक्त लगा था.
मतलब काफी अन्दर तक चोदी थी उसने मेरी X गांड.
सिनेमा वाला विलेन रंजीत की याद दिला दी साले ने.
फिर सब धो धाकर लगभग दस मिनट बाद मैंने कहा की’ एक बार सहला कर थोड़ा नाप लूंगा तेरे लौड़े का!
वह बोला- ठीक है.
विश्वास मानिये कि मेरा शक सही निकला, मतलब समर का लौड़ा लगभग 19 सेमी लम्बा और 4 सेमी मोटा था.
तभी आज गांड चुदी नहीं, फट गयी थी और समर ने मेरी गांड को फाड़ कर गड्डा बना दिया था.
अब मैं उसको अपनी बांहों में दबाकर उसके गाल चूस रहा था.
वह पूछ रहा था कि सर दुबारा कहियेगा तो फिर आ जाऊंगा!
‘ठीक है मेरे कमीन आशिक!’
तो दोस्तो, यह थी चेले के लंड से गुरु की गांड फाड़ चुदाई की कहानी!
टीचर गांड X कहानी आपको कैसी लगी, प्लीज बताएं.
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