ब्रदर गे लव कहानी में मेरे बड़े भाई जिम जाते हैं, बहुत समार्ट दीखते हैं. मैं उनके जिस्म का फेन था और मेरे अंदर समलिंगी सेक्स की भावना थी. मैंने अपने भाई का लंड गांड में कैसे लिया?
दोस्तो,
मैं फिर से आया हूँ एक नई कहानी ले कर!
मैं पहले ही बता दूँ कि यह सच्ची कहानी है जो मेरे दोस्त ने मुझे बताई.
और मैं यह कहानी उसी की भाषा में सुनाऊंगा.
तो जहाँ भी मैं या मेरा जैसा शब्द आए तो मैं नहीं, मेरा दोस्त होगा जो इस कहानी का रियल हीरो है।
और उस हीरो का नाम है गौरव!
तो आइए अब गौरव से ही मिलते हैं या यूं कहें कि उसके ही मुंह से ब्रदर गे लव कहानी सुनते हैं।
हाय दोस्तो, मेरा नाम गौरव है और मैं वैसे तो कानपुर का हूं पर पढ़ाई के लिए अभी पुणे में रहता हूं।
मेरे मम्मी और पापा डॉक्टर हैं और वो कानपुर में ही रहते हैं.
हम तीन भाई हैं, बड़े भाई सौरव 23 साल के हैं.
फिर मैं यानी गौरव 21 साल का हूँ.
फिर मेरा छोटा भाई वैभव 20 साल का है।
मैं और भैया दोनों पुणे में साथ में रहते हैं.
मम्मी, पापा और वैभव कानपुर में।
मैं बचपन से थोड़ा शर्मीला हूं, बाकी दोनों भाई बेबाक और बिंदास.
इसलिए दोनों भाई जिम भी जाते हैं पर मैं नहीं जाता।
भैया का शरीर किसी हीरो से कम नहीं है.
एकदम कसा हुआ बदन, हमेशा शरीर से बाल हटवा कर चिकना किया हुआ चमकीला और गठीला।
मैं जब भी उन्हें बिना कपड़े के देखता तो मैं खो जाता।
उनकी शरीर को छूने का हर मौका मैं ढूंढता जब भी साथ होते।
रात में जब सोता तो जानबूझकर मैं उनसे लिपट कर सोता ये कह कर कि मुझे डर लगता है.
पर सच तो यह था कि मुझे उन्हें छू कर महसूस करना होता था।
जब वो सो जाते तो मैं कभी कभी उनके छाती को तो कभी उनके खड़े लन्ड को भी छू लेता।
पर मुझे उन्हें देखना था, उनके साथ खेलना था.
पर ऐसा कुछ हो नहीं सकता था.
और जैसे जैसे समय बीत रहा था, मेरी तलब और बढ़ती जा रही थी।
वो जब भी सुबह या शाम बाथरूम से बाहर आते तौलिया लपटे … तो लगता कि मैं उनका तौलिया खींच लूं और उनके लौड़े को अपने हाथ में ले लूं।
उन्हें ऐसे देख कर मैं अक्सर खो जाता और वो कभी कभी मुझे मेरे ख्याल से बाहर निकालते.
कभी वो भी इग्नोर कर देते।
पर अब बर्दाश्त की सारी सीमा पार हो चुकी थी अब तो बस उन्हें पाना था जैसे भी हो।
मैं अब हर रात भैया का लन्ड एक बार तो जरूर पकड़ता और उनका सख्त लन्ड को नापने की कोशिश करता.
पर कुछ ही पल में उसे छोड़ भी देता कि कहीं भाई जाग ना जाए।
एक रात मैंने एक प्लानिंग की कि भाई को पूरा नंगा कैसे देखा जाए.
और उस प्लानिंग पर सोचते सोचते मैं सो गया।
सुबह भाई के जागने से पहले मैं जाग गया और बाथरूम में मैंने अपने मोबाइल का कैमरा ऑन किया और वीडियो मोड को ऑन करके बाथरूम में ऐसे छुपा दिया कि भाई को कुछ पता ना चले और उसमें सब कुछ रिकॉर्ड हो जाए।
उनका छाती, उनका लन्ड, उनके उभार लिये चूतड़ … सब कुछ!
और मैं बाथरूम से बाहर आ गया.
बाहर आया तो देखा भाई भी जाग गए हैं.
वो बोले- गौरव, मैं फ्रेश हो लेता हूँ. मुझे आज कॉलेज में कुछ काम है तो जल्दी जाना है. वैसे तेरी क्लास कब की है?
मैंने कहा- भैया, आज मेरी क्लास नहीं है. तो आप जाओ।
भैया हां में सर हिला कर बाथरूम में चले गए।
करीब आधे घंटे में वो नहा कर बाहर आए.
तौलिया कमर से नीचे बंधी थी जिसमें से उनकी हल्की ट्रिम की हुई झांटें दिख रही थी और लन्ड का उभार भी दिख रहा था.
भैया ने तौलिया लपेटे ही अपना बैग रेडी किया, फिर कॉफी बनाई.
एक कप मुझे दिया और दूसरा खुद पीते हुए कपड़े पहनने लगे.
सबसे पहले उन्होंने अपनी v कट स्टाइलिश चड्डी पहनी और तौलिया हटा दिया.
अब उनके चूतड़ों की गोलाई भी दिखने लगी.
मेरा लन्ड खड़ा हो रहा था. ये सब देख कर!
पर मैं खुद को बेड पर बैठ तकिए से लन्ड को दबाए बैठा था।
फिर भैया ने टीशर्ट पहनी. फिर उसके ऊपर ओपन शर्ट, परफ्यूम लगाया, सिर्फ शर्ट पर ही नहीं, अपनी चड्डी पर भी मारी.
फिर जींस पहनी, जूते पहने और निकल गए।
आज पहली बार उन्हें इस तरह तैयार होते देखा था और मेरा लन्ड उछाल मार रहा था।
उनके जाते ही मैंने दरवाजा बंद किया और दौड़ कर बाथरूम में गया और अपना मोबाइल लेकर वापस बैडरूम में चला गया।
वह वीडियो चलाया.
शुरू से भैया बाथरूम में गए सारे कपड़े उतारे, फिर ब्रश किया, फिर नहाये, खुद को तौलिया से सुखाया.
और सब कुछ इतना स्पष्ट था जैसा मैं चाहता था.
उनका हर एक अंग साफ साफ दिख रहा था वीडियो में!
उनका लन्ड गजब का था 7 इंच का हल्की झांटों के बीच, नहाते नहाते उन्होंने अपने लन्ड को रगड़ना शुरू कर दिया और वो सख्त हो गया.
फिर वे मुठ मारने लगे और थोड़ी देर में उनके लन्ड से बहुत सारा माल कूदने लगा.
फिर वो नहा कर तौलिया लपेटे हुए बाहर आए।
मैं ये सब देख कर खुद को रोक नहीं सका और मैं भी वीडियो देखते देखते अपने लन्ड को अपने हाथ से ऊपर नीचे करने लगा.
थोड़ी देर में मेरे लन्ड ने भी बहुत सारा पानी निकाल दिया.
मैंने उसे चाट कर साफ किया ताकि भाई जब आए तो उन्हें पता ना चले.
फिर मैं नहाने चला गया।
नहा कर मैंने नाश्ता बनाया खाया और भैया के लन्ड के बारे में फिर से सोचने लगा.
और सोचते सोचते ना जाने कब मुझे नींद आ गई।
ट्रिंग ट्रिंग की आवाज से नींद खुली.
शायद कोई डोर बेल बजा रहा था.
मैंने घड़ी पर नजर डाली, दोपहर के 3 बज चुके थे.
मैं झट से खड़ा हुआ और दरवाजे की तरफ भागा और दरवाजा खोला.
सामने भैया थे।
अंदर आते हुए बोले- क्या कर रहा था? कब से बेल बजा रहा हूँ.
मैं सकपकाते हुए बोला- वो … वो भैया, मुझे नींद आ गई थी तो …
भैया- हम्म्म … सारी रात पहरा दे रहे थे जो इतनी गहरी नींद में सो गए थे?
मैं कुछ न बोल सका इसके आगे।
क्योंकि मैं जानता हूं कि उन्हें जब भूख लगती है तो उनका गुस्सा बढ़ जाता है.
इसलिए चुप रहना ज्यादा अच्छा था।
वो कपड़े चेंज किए , फ्रेश हो कर खाना निकाला और दोनों लोग खाने बैठ गए।
खाना खत्म कर मैं पढ़ने बैठ गया और भैया बेड पर लेट गए थे।
फिर भैया ने बात करना शुरू किया- तो जनाब ने आज पढ़ाई तो की न होगी?
मैंने बिना कुछ कहे सर उठा कर उन्हें देखा और फिर किताब में कुछ ढूंढने का नाटक करने लगा।
भैया फिर बोले- हम्म, ऐसे ही मेहनत करो शायद सफल हो जाओ। अच्छा एक और बात बताओ!
मैंने धीरे से कहा- हम्मम बोलिए।
भैया- मोबाइल में रिकॉर्डिंग सही हुई थी।
मैं ये सुन कर सहम गया, धड़कन मेरी अचानक से बहुत तेज हो गई.
मैं कुछ कहता उससे पहले ही वो फिर बोले- तूने देखी तो जरूर होगी. तभी देर तक सोते रहे हो।
मैं लड़खड़ाते हुए बोला- वो …. वो भैया … वो मोबाइल गलती से बाथरूम में छूट गया था।
भैया- वीडियो मोड ऑन करके छिपा कर? क्या भाई? भैया को ही समझा रहा है पागल? और तू इतना डर क्यों रहा है?
मैं- भैया सॉरी! पर …
भैया मेरी बात बीच में ही काटते हुए बोले- अरे पागल, मैं तेरा बड़ा भाई हूँ, तू मुझसे एक बार इस बारे में बात तो करता, मैं तेरे लिए इतना भी ना कर सकूं तो कैसा भाई? अच्छा बता वीडियो में क्या क्या अच्छा लगा तुझे?
मैंने धीरे से कहा- सब कुछ!
भैया बोले- चल पहले मेरे पास आ … और अब बता क्या क्या अच्छा लगा?
मैं उनके पास गया और फिर बोला- सब कुछ।
वो बोले- फिर भी कुछ ऐसा जो ज्यादा अच्छा लगा, उसके बारे में बता।
मैं- आपका औजार और उससे निकलता फव्वारा।
वो जोर से हंसे और बोले- अच्छा वो ज्यादा अच्छा लगा?
मैं हां में सर हिला कर जवाब दिया।
उन्होंने फिर कहा- अच्छा बता, मेरे शरीर में तुझे क्या क्या अच्छा लगता है?
मैंने कहा- आपकी छाती!
और इतना सुन कर उन्होंने अपना टीशर्ट उतार दिया और कहा- ये?
मैंने देखा और नजर झुका ली।
भैया- और?
मैं- सिक्स पैक!
भैया- और?
मैं- आपकी जांघ!
और अब उन्होंने ये सुन कर अपने शॉर्ट्स उतार कर कहा- देख!
भैया- अच्छा और?
मैं- आपके गोल गोल चूतड़!
और इस बार वो पीछे मुड़ गए और अपनी चड्डी उतार कर एक तरफ फेंकते हुए बोले- ले छू कर देख!
पर मेरी हिम्मत नहीं हो रही थी कि मैं उन्हें छू सकूं।
भैया हंसते हुए बोले- अच्छा और?
मैंने कहा- और आपका औजार!
भैया बोले- औजार को और क्या कहते हैं?
मैंने कहा- लौड़ा.
भैया बोले- हां अब सही है!
और इतना कह कर अब वो मेरी तरफ मुड़ गए जिसमें उनका 7 इंच का लन्ड खड़ा हो चुका था.
वो बोले- ये ही ना? अच्छा और क्या अच्छा लगता है वो बता?
मैंने कहा- सब तो बता दिया।
भैया ने मुझे अपनी ओर खींचा और होंठ से होंठ मिलते हुए कहा- मेरे लिप्स अच्छे नहीं क्या?
मैं कुछ बोल पाता … भैया मेरे लिप्स को अपने लिप्स से कैद कर चुके थे और अपने हाथ से मेरे एक हाथ को अपने सीने पर और दूसरा हाथ अपने लौड़े पर रख दिया था।
लौड़ा लोहे की तरह एकदम सख्त हो चुका था.
उनकी छाती भी इतनी कसी हुई थी कि हाथ से फिसल जाती थी।
मैं उनके लन्ड को अपने हाथ से ऊपर नीचे कर रहा था और वो मेरे दोनों चूतड़ों को शॉर्ट्स के ऊपर से ही मसल रहे थे।
मेरे होंठों को उन्होंने ऐसे जकड़ रखा था जैसे रसगुल्ला हो.
किस्स करते हुए उन्होंने मेरी टीशर्ट उतार दी और अब वो किस के साथ मेरे निप्पल को मसलने लगे थे.
थोड़ा दर्द हो रहा था पर मजा भी बहुत आ रहा था।
किस्स करते हुए उन्होंने मुझे बेड पर गिरा दिया और मेरे ऊपर चढ़ कर मेरे गर्दन में अपने होंठ और दांत रगड़ने लगे.
मेरे मुंह से आह निकल रही थी और मजे से मैं मदहोश हुआ जा रहा था.
अब उनके होंठ मेरे निप्पल पर थे और दांत भी उनमें गड़ाने लगे थे।
कभी वो इतना तेज काटते कि दर्द से मैं बेचैन हो जाता, फिर उनके प्यार में सब भूल भी जाता।
निप्पल को काटते हुए वे मेरे नाभि को चाटने लगे और दूसरी तरफ मेरी शॉर्ट्स उतार दी.
जैसे ही उन्होंने मेरे शॉर्ट्स उतारे, मेरे लन्ड के आस पास झांटों को देख कर गुस्सा होते हुए बोले- क्या बे … इसे तो साफ कर लेता. सारा मजा खराब कर दिया।
मैं कुछ कहता, उससे पहले ही वो उठे और ट्रिमर उठा लाए और सबसे पहले मेरी झांटों को ट्रिम करके एकदम छोटा कर दिया.
फिर मुझे पलट कर मेरी चूतड़ और गांड के आस पास के सारे बालों को साफ किया.
फिर पास पड़े तौलिया से साफ करते हुए बोले- हां, अब लग रहा है ना के तू मेरा भाई है. अरे रे … भाई नहीं, मेरी लुगाई!
और वो ठहाके मार कर हंसने लगे।
फिर उन्होंने मेरी नाभि को चाटना शुरू कर दिया और फिर वहां से सरकते हुए मेरा लन्ड अपने मुंह में ले लिया और चूसने लगे।
10 मिनट की चुसाई के बाद बोले- चल आ अब तू चूस खुश कर दे मुझे भी!
मैं भी उठा और उनका लौड़ा हाथ में ले कर रगड़ने लगा.
और मैं तो कब से चाह रहा था कि मैं उसका स्वाद लूं.
मेरी तो मुराद पूरी हो रही थी।
मैं अब चूसने लगा था, वो मेरे चूसने से एक दम मस्त हुए जा रहे थे.
उनका लौड़ा एकदम सख्त हो चुका था.
थोड़ी देर बाद वो उठे और बोले- चल अब मेरी घोड़ी बन, सवारी करेंगे हम तेरी!
और मैं जैसे ही उनके सामने झुका, उन्होंने अपना लौड़ा मेरी गांड के छेद पर टिका कर एक जोर का झटका मारा.
मेरी तो जान निकल गई.
मैं रो पड़ा और गिड़गिड़ाते हुए बोला- भैया छोड़ दो. बहुत दर्द हो रहा है. मुझसे नहीं होगा।
वो हंसते हुए बोले- अरे मेरी जान, कितना इंतजार किया है मैंने तेरी गांड मारने को. और तू कहता है छोड़ दूं. और तू भी तो रोज मेरे लन्ड को नापता था, फिर तू मुठ मारता था. मैं रोज ये सब देखता था तुझे करते हुए। और आज जब मैं तेरी ख्वाइश पूरी कर रहा हूँ तो तू मना कर रहा है? थोड़ा दर्द और थोड़ा प्यार का मजा ले मेरे भाई।
मैं उनकी ये बातें सुनकर थोड़ा आश्चर्य में था कि भैया को सब मालूम था।
मैंने फिर भी पूछा- जब आपको सब मालूम था तो आपने कभी कुछ कहा क्यों नहीं?
भैया- क्योंकि मुझे मालूम था कि सही वक्त पर तू मुझे मिल जायेगा. और आज जब तूने मोबाइल बाथरूम में रखा तो मैंने वहाँ तेरी मोबाइल देखी और समझ गया कि अब तू पूरी तरह तैयार हो चुका है. तभी तो जानबूझकर तेरे कैमरे के सामने आकर सब कुछ किया ताकि तू सब अच्छे देख सके।
मैं- वाह भैया, आप तो शातिर खिलाड़ी निकले।
भैया इस दौरान अपना काम कर ही रहे थे, उनकी कमर ऊपर से और अंदर उनका लौड़ा चल रहा था.
अब दर्द भी कम हो चुका था, मेरी चुदाई चालू थी।
मैं भी मस्ती में सिसकारियां भर रहा था- आह हह भैया … या या चोदो मुझे और … बहुत इंतजार किया है इस दिन का … आह हह!
भैया बोले- अब से मैं तेरा भैया नहीं, तेरा यार हूं जो रोज तेरी गांड मारेगा. और तू मेरी रण्डी होगा जिसका काम होगा मुझे रोज खुश करना! समझा?
और वो मुझे चोदे जा रहे थे, कभी घोड़ी बना कर, कभी गोद में उठा कर, कभी बेड पर लिटा कर।
अब मैं थक गया था और मेरा लन्ड भी पानी छोड़ चुका था.
मैंने भैया से कहा- भैया, अब बस बहुत थक गया हूं।
वो बोले- चल ठीक है. कौन सा तू भागा जा रहा है. अब रात में चोद लूंगा. चल मुंह खोल और मेरा रस का स्वाद बता।
फिर वो मेरे चेहरे के सामने अपना लौड़ा रगड़ने लगे.
और थोड़ी देर में उनके लन्ड से पिचकारी की धार की तरह सारा पानी मेरे चेहरे पर फैल गया.
और वो बगल में धड़ाम से गिर कर लेट गए, बोले- बता मेरी जान, मजा आया ब्रदर गे लव करने में?
मैंने कहा- बहुत।
थोड़ी देर बाद हम उठे फ्रेश हुए, फिर कपड़े पहनने लगे.
तो भईया ने कहा- काहे का कपड़ों को कष्ट दे रहे हो. यहां हम दोनों के अलावा कोई होता नहीं. और अब ऐसा कुछ नहीं जो छुपा है. तो आज से हम यहां बिना कपड़े के रहेंगे. समझा।
मैंने हाँ में सर हिला कर जवाब दिया।
फिर वैसे हम किचन में गए और चाय बनाई, दोनों ने पी.
चाय पीते पीते भैया को सुसु लगी तो उन्होंने उसी कप में सुसु किया और मुझे बोला- तू भी मूत अपने कप में!
मुझे ज्यादा तेज की सुसु थी नहीं तो थोड़ी कोशिश के बाद आधा कप सुसु मैंने भी किया।
भैया ने कहा मेरा कप उठाया और अपना कप मुझे देते हुए बोले- आज की ये पार्टी के नाम.
और बोले- चल पी … मैं तेरा पीता हूं।
मैं कुछ कहता, उससे पहले ही उन्होंने कप को मेरे मुंह में लगा दिया।
हम दोनों ने एक दूसरे का मूत पिया.
ज्यादा बुरा भी नहीं था।
और फिर हम एक दूसरे की बाहों में थे।
उस दिन पूरी रात चुदाई हुई मेरी!
और उस दिन क्या अब तो रोज होती है।
जब भी भैया को मौका मिलता है, मुझे चोद देते हैं.
गलती की सजा में चुदाई, रिजल्ट अच्छा आया तो चुदाई!
कहीं कुछ भी हो जाए … बात चुदाई पर ही खत्म होती है।
चुदाई चुदाई और सिर्फ चुदाई।
तो दोस्तो, यह थी गौरव की पहली कहानी।
ब्रदर गे लव कहानी कैसी लगी?
कॉमेंट में बतायें ताकि उसके आगे की कहानी भी आपको सुना सकूं।
धन्यवाद।
mailmerudransh@gmail.com
मेरी पिछली कहानी थी: दो जवान लड़कों का समलैंगिक रिश्ता