पहलवान जी ने मुझे रगड़ कर चोद दिया

हॉट वर्जिन टीन सेक्स कहानी में गाँव की रहने वाली एक लड़की अपनी बुआ के पास रहने लगी. उसके पड़ोस में रहने वाल एक विधुर उसे पटाने लगा. अन्तर्वासना के जोर से लड़की चुद गयी.

दोस्तो, मेरा नाम अमृत है.
यह कहानी मैं अपनी एक प्रशंसिका के आग्रह पर लिख रहा हूँ.
उसी के शब्दों में पढ़ें.

यह कहानी सुनें.

मेरा नाम कोमल है.
मेरा रंग गोरा है और मैं बहुत दुबली पतली हूँ. मेरा फिगर 28-24-30 का है.
मेरी हाइट कुछ ज्यादा ही है, यह पांच फुट आठ इंच की है.
इस तरह से मैं एक बांस जैसे लंबे शरीर की मालकिन हूँ.

मैं एक गाँव की रहने वाली हूँ.
हम लोग ज्यादा अमीर नहीं हैं.
पापा खेती करते हैं. घर में मम्मी पापा और एक भाई हैं. वे मुझसे चार साल बड़े हैं.

मेरी यह हॉट वर्जिन टीन सेक्स कहानी सन 2005 की है.
उस वक्त मैं स्कूल में 12 वीं क्लास में पढ़ रही थी.
तब मुझे एक लड़के ने खत लिखा जो मेरे घर में पकड़ लिया गया और मेरे पापा ने मेरा स्कूल जाना बंद करवा दिया.

उस एक खत ने मेरी जिंदगी बदल कर रख दी थी.
अब घर में मुझसे कोई बात नहीं कर रहा था जबकि मेरी कोई गलती नहीं थी.

फिर चार दिन बाद मेरी बुआ आईं और मेरे घर वालों ने मुझे मेरी बुआ के घर रहने के लिए भेज दिया.
उधर से मेरी कहानी शुरू हुई.

मेरी बुआ के घर में सिर्फ मेरी बुआ ही थीं, फूफा जी की एक साल पहले मृत्यु हो गई थी और बुआ का लड़का विदेश में था.

बुआ के घर के सामने एक पहलवान आदमी रहता था.
उसका नाम रणजीत पहलवान था.
उसकी उम्र 35 साल थी और कद तो एकदम सांड जैसा था, उसकी हाइट यही कोई छह फुट चार इंच की थी.
वह देखने में बिल्कुल खली जैसा लगता था.

उसकी पत्नी की मृत्यु हो गई थी और उसका एक दो साल का बच्चा था.
उसके बच्चे का नाम रोहित था.

जब वह पहलवान कहीं जाता था तो अपने बच्चे को बुआ के घर छोड़ जाता था और कभी कभी तो वह खाना भी बुआ के घर ही खाता था.

कोई दस दिन में ही मेरी रोहित के साथ दोस्ती हो गई थी.
अब मैं स्कूल तो जाती नहीं थी तो उसके साथ मेरा टाइम अच्छे से पास हो रहा था.

रोहित के पापा मुझे चोर नजर से देखते रहते थे.
मुझे भी अच्छा लगता था.

अब कोई और तो था नहीं जिंदगी में … इसलिए मैं उसकी तरफ झुकने लगी.

एक दिन मैं अपनी बुआ से बात कर रही थी- बुआ जी, रोहित के पापा ने दूसरी शादी क्यों नहीं की?
बुआ बोलीं- रणजीत को कुँवारी लड़की चाहिए थी, जो रोहित को भी संभाल सके … लेकिन उसे कोई मिली ही नहीं. लेकिन एक बात तो है, जो लड़की रणजीत से शादी करेगी, वह राज करेगी.

इसी तरह से कुछ देर इधर उधर की बात होने के बाद हमारी बात खत्म हो गई.
अब मेरे मन में रोहित के पापा के लिए कुछ कुछ होने लगा था.

रात को मेरे सपनों में भी रोहित के पापा आने लगे थे.
अब रोहित भी ज्यादा टाइम मेरे पास ही रहता था.

अब जब भी रोहित के पापा मेरे सामने आते तो मैं उनको स्माइल देने लगी.
वे भी ख़ुश हो जाते थे.

एक दिन वे मुझसे रोहित को ले रहे थे, तो उनके हाथ मेरे बूब्स से टच हो गए.
मैं शर्म से लाल हो गई और अपने कमरे में आ गई.
उन्होंने भी इस बात को समझ लिया था.

अब तो ये रोज की बात हो गई थी. रोहित को लेते टाइम रोहित के पापा मेरे बूब्स जरूर टच करते और मैं मुस्करा कर अपना मुँह नीचे कर लेती.

कुछ दिन ऐसे ही चला.

फिर वह दिन आ ही गया, जिसका मुझे इन्तज़ार था.
उस दिन मेरी बुआ रिश्तेदारी में गई हुई थीं.

कुछ देर बाद हमारे पड़ोसी के घर बुआ का फोन आया कि आज वे वापस नहीं आ पाएंगी. रात को रणजीत घर पर आ जाएंगे.
मैं तो मन ही मन ख़ुश हो गई थी.

शाम के पांच बज रहे थे तो मैं जल्दी से नहा धोकर अच्छे से तैयार हो गई.
मैंने लाल रंग की सलवार और हरे रंग की कमीज पहन ली, ऊपर से मैंने लाल रंग की चुनरी ओढ़ ली.
अपने बाल भी मैंने अच्छे से बना लिए और रणजीत जी का इंतज़ार करने लगी कि कब आएंगे.

शाम को छह बजे रणजीत अपने बेटे रोहित के साथ आए.

वे रोहित को मुझे देकर बोले- कोमल, तुम दलिया बना कर रोहित को खिला देना और सुला देना. मैं हम दोनों का खाना बाहर से ले आऊंगा.
मैंने हां में सर हिला दिया.

वे चले गए.

मैंने रोहित को दलिया खिला कर सुला दिया.
शाम साढ़े सात बजे रणजीत जी आए और खाना मुझे देकर नहाने चले गए.

नहा कर रणजीत जी ने धोती कुर्ता पहन लिया और हम दोनों ने खाना खा लिया.

रणजीत जी बोले- कोमल आज मुझे सोना कहां पर है?
मैं बोली- बेड पर ही सो जाएंगे, रोहित तो सो गया है. आप उसके साथ ही सो जाओ.

रणजीत जी बेड पर जाकर लेट गए.
मैं दूध गर्म करके कमरे में गई तो बेड के ऊपर रणजीत जी अपने बेटे के पास लेटे हुए थे.

मैंने दूध का गिलास रणजीत जी को दे दिया और मैं सोफे पर जाकर बैठ गई.

तो रणजीत जी मुझसे बोले- अरे कोमल, तुम सोफे पर क्यों बैठ गई, यहां आ जाओ बेड पर.

मैं बेड पर आ गई. एक कोने में रोहित लेटा था.
रणजीत और मैं एक साथ लेट गई.

कुछ मिनट बाद रणजीत बाथरूम में फारिग होने गए.
जब वे वापिस आए तो अन्दर आकर उन्होंने कमरे का दरवाजा बंद कर दिया और कुंडी लगा दी.
फिर कमरे की सारी खिड़कियां बंद कर दीं.

मैं सोने का नाटक कर रही थी.

उसके बाद रणजीत जी बेड पर अपनी जगह आकर लेट गए.

कुछ मिनट बाद रणजीत का पैर मेरे पैर को टच करने लगा.
तो मैं समझ गई कि रणजीत मेरा मूड बना रहे हैं.
लेकिन मैंने कोई हरकत नहीं की.

फिर रणजीत मेरे साथ चिपक कर लेट गए.
मेरी गांड रणजीत की तरफ थी. रणजीत का सख्त लंड मुझे अपनी गांड पर महसूस हो रहा था. मेरी धड़कन तेज हो रही थीं.

रणजीत को शायद पता था कि मैं जाग रही हूँ.

फिर रणजीत ने अपना एक हाथ मेरे पेट पर रखा और धीरे धीरे हाथ मेरे सीने की तरफ जाने लगा.
रणजीत ने मेरे एक दूध को पकड़ लिया और उसको दबाने लगे.

मेरी चूत पानी छोड़ रही थी और मेरे मुँह से हल्की हल्की सेक्सी आवाजें निकलने लगी थीं.

रणजीत मेरे कान में बोले- कोमल, मुझे पता है कि तुम जाग रही हो. आई लव यू कोमल, मैंने जब से तुमको देखा है, उसी दिन से मैं तुमको प्यार करने लगा हूँ, लेकिन मैंने कभी कहा नहीं.

यह बोल कर रणजीत ने मेरा मुँह अपने हाथों से अपनी ओर किया और मेरे होंठों पर किस करने लगे.
कुछ ही देर में पागलों की तरह मुझे भँभोड़ने लगे.

फिर वे मेरे ऊपर चढ़ गए और अपनी बनियान उतार कर ऊपर से नंगे हो गए.
वे मुझे किस कर रहे थे और मैं भी उनका साथ दे रही थी.

फिर वे बोले- कोमल मुझसे शादी करोगी?
मैं चुप रही.

वे फिर से बोले- कोमल बोलो कुछ … करोगी शादी मुझसे? बनोगी मेरे दूसरे बच्चे की मां?
मैं बोली- मुझे शर्म आ रही है.

फिर वे बोले- अच्छा मेरी जान, अभी उतार देता हूँ तुम्हारी शर्म!
यह बोल कर रणजीत ने मुझे खींच कर बैठा लिया और मेरी कमीज उतार कर बेड से नीचे फेंक दी.

फिर उन्होंने मुझे धक्का देकर लिटा दिया और मेरा दूध पीने लगे.
मगर मेरे चूचों में से दूध तो आ ही नहीं रहा था.

पर जिस तरह से रणजीत मेरे थन चूस रहे थे, उससे मुझे लग रहा था मानो अन्दर से कुछ बाहर आ रहा है.

रणजीत बारी बारी से मेरे दोनों निप्पलों को चूस रहे थे और हल्के से काट भी रहे थे.

चुदास के मारे मेरा बुरा हाल हो गया था.
मुझे दर्द और मजा एक साथ मिल रहा था.

दस मिनट तक मेरे निप्पल चूसने के बाद रणजीत ने मेरी सलवार का नाड़ा खोल दिया और जल्दी से मेरी सलवार उतार कर बेड से नीचे फेंक दी.

मेरी आंखें शर्म के कारण बंद हो गईं. मैं कुछ बोल भी नहीं पा रही थी.

फिर रणजीत ने मेरी टांगें खोलीं और मेरी चूत चाटने लगे.

वे अपनी जीभ को मेरी चूत के अन्दर तक पेल कर चूत चाट रहे थे.
फिर वे मेरी कुँवारी चूत में उंगली करने लगे.

उनकी मोटी सी उंगली तेज तेज चूत में चल रही थी तो मुझे दर्द होने लगा था और मैं ‘आह ओह मर गई’ की आवाजें निकाल रही थी और मेरी चूत का पानी लगातार बह रहा था जिसे रणजीत बाबू चाटते जा रहे थे.

फिर रणजीत ने अपनी धोती खोल कर अपना लंड मेरे हाथ में थमा दिया.

उनका लंड काफी मोटा और लंबा था.
मेरे हाथ में आकर लंड तो किसी नाग की तरह फुंफकार मार रहा था.

लंड देख कर मेरा तो नशा हिरण हो गया था … उनका लंड तो किसी गधे का लंड लग रहा था.

रणजीत ने मेरा सर पकड़ कर लंड चूसने का इशारा किया.
मैं लंड को चूसने लगी.

उनका मूसल लंड मेरे मुँह में बहुत मुश्किल से जा रहा था.
किसी तरह से पांच मिनट तक उनका लंड चूसने के बाद मैंने और चूसने से मना कर दिया.
उनका लंड चूसने से मेरा मुँह दर्द करने लगा था.

रणजीत जी ने कुछ नहीं कहा और वे मेरी टांगों के बीच में आ गए.
उन्होंने मेरी टांगों को अपने दोनों कंधों पर रख लीं और मुझसे बोले- कोमल, थोड़ा दर्द होगा, बर्दाश्त कर लेना, फिर मजा ही मजा आएगा … ठीक है!
पहली चुदाई का जोश में मैंने स्वीकृति में सिर हिला दिया.

रणजीत अपने लंड को मेरी चूत पर रगड़ने लगे.
उनका लंड जब पूरा सख्त हो गया तो वे मेरे होंठों को चूसने लगे और पूरे जोर से अपने लंड को धक्का देकर मेरी चूत में पेल दिया.

मेरी तो चीख ही निकल जाती अगर रणजीत जी ने मेरे होंठ बंद ना किए होते.
उनका आधे से ज्यादा लंड मेरी चूत में घुस गया था और किसी बोतल के सँकरे मुँह में कॉर्क के ढक्कन की तरह कस चुका था.

मैं दर्द के मारे बिन पानी मछली के जैसे तड़फ उठी थी और मैं उनको धक्का देने की कोशिश करने लगी.

रणजीत ने मेरे दोनों हाथ पकड़ कर मेरे सर के पीछे करके दबा लिए और एक धक्का और मार दिया.
इस बार तो उनका पूरा लंड मेरी चूत में घुस गया.

फिर रणजीत कुछ मिनट तक ऐसे ही मेरे ऊपर चढ़े रहे और बिना हिले-डुले मुझे पकड़े रहे.

मैं रो रही थी और रणजीत मुझे किस कर रहे थे.
वे कभी मेरे गाल पर चूमते, तो कभी माथे पर.
साथ ही वे मुझे समझा रहे थे- जान पहली बार में दर्द होता है … बस अभी दर्द चला जाएगा, फिर मजा ही मजा आएगा.

जब मेरा दर्द कम हुआ तो रणजीत लंड को अन्दर बाहर करने लगे.
पहले हल्के हल्के, फिर तेज हो गए.
मैं भी अपनी गांड उठा उठा कर रणजीत का साथ देने लगी थी.

आधा घंटा तक मुझे एक सड़क छाप कुतिया की तरह रगड़ने के बाद रणजीत ने अपना सारा पानी मेरी चूत में ही भर दिया.
उनका गर्म गर्म पानी मुझे अपने पेट में जाता हुआ महसूस हो रहा था.

उस रात रणजीत ने कई बार मेरे अन्दर अपना पानी भरा था.

हॉट वर्जिन टीन सेक्स के बाद सुबह जब मैंने उठने की कोशिश की तो मुझसे चला भी नहीं जा रहा था.

फिर रणजीत ने मुझे गर्म पानी से नहाने को कहा, तो मैं गर्म पानी से नहाई और अपनी चूत की सिकाई भी की.
इससे मुझे थोड़ा आराम मिला.

आठ बजे रणजीत जी चले गए.
मैंने दर्द की गोली ले ली थी तो अब मैं भी ठीक हो गई थी.

फिर दस बजे बुआ भी आ गई थीं.
अब जब भी हम दोनों को मौका मिलता, तो हम दोनों चुदाई कर लेते थे.

दो महीने बाद मैं प्रेग्नेंट हो गई थी.
चौथे महीने मैंने और रणजीत ने शादी कर ली थी.

इसमें मेरी बुआ का हाथ था, यह बात मुझे बाद में पता चली थी कि वे उस दिन जानबूझ कर मुझे घर में अकेली छोड़ कर गई थीं.

लेकिन उन्हें यह नहीं पता था कि मैं उस रात ही अपनी सुहागरात मना लूँगी.

यह मेरी सच्ची सेक्स कहानी है.
हॉट वर्जिन टीन सेक्स कहानी आपको कैसी लगी प्लीज कमेंट करके जरूर बताएं.
थैंक्स.
यह स्टोरी मेरे आग्रह पर अमृत वर्मा ने लिखी है.
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अमृत वर्मा की पिछली कहानी थी: फूफा ने कुंवारी चूत को लगाया लंड का चस्का