Xxx मा की चूत मारी मैंने … वो मेरी सौतेली मम्मी है जो मुझे अपने पति की तरह मान कर रोज चूत चुदवाती है. इस बार हम दोनों ने अकेले होली मनाने, मस्ती करने का तय किया.
दोस्तो, मैं राहुल कुमार बिहार से हूँ.
उम्मीद करता हूँ कि मेरी पिछली कहानी
सौतेली माँ को सैट करके चोद दिया
आपको पसंद आई होगी.
इस कहानी में आपने पढ़ा था कि मैंने कैसे अपनी सौतेली मम्मी को मनाया और Xxx मा की चूत मारी.
जैसा कि मैंने आपको कहानी में बताया था कि मेरी सौतेली मम्मी का नाम बबीता (35) है, पापा मोहन 45 साल के हैं और एक जवान छोटी बहन राखी है.
मेरे और मेरी सौतेली मम्मी के बीच में चुदाई जैसा सब कुछ हो चुका था.
मम्मी ने भी मुझको पूरी छूट दे दी थी.
उन्होंने कह दिया था- बेटा जब भी तुम्हारा मन करे और अगर मैं खाली समय में होऊं, तो तुम बस मुझको इशारा कर देना. हम दोनों एकांत में आ जाया करेंगे.
मैंने अपनी मम्मी से शादी भी कर ली थी.
पापा बिजनेस के काम में दिल्ली में ही ज्यादा रहते हैं, तो घर में बहन के स्कूल जाने के बाद मम्मी मुझको पति जैसा सम्मान देती हैं.
रोज सुबह बहन के स्कूल जाने के बाद हम दोनों न के बराबर के कपड़े पहनते हैं … और मम्मी खुद मुझको बाथरूम में अपने हाथों से साबुन लगाती हैं. मैं भी मम्मी को साबुन लगा कर नहलाता हूँ.
फिर हम दोनों एक दूसरे को तौलिया से पौंछते हैं.
मैं ही मम्मी को ब्रा और पैंटी पहनाता हूँ और मम्मी भी अपने हाथों से मुझको अंडरवियर पहनाती हैं.
फिर साड़ी पहन कर मम्मी सिंदूर की डिब्बी मेरे पास लाती हैं.
मैं अपने हाथ से मम्मी की मांग में सिन्दूर लगा देता हूँ.
उसके बाद मम्मी खुशी से कहती हैं कि मैं खुशनसीब हूँ जो कि रोज मेरी मांग में पति से सिंदूर लगवाती हूँ.
ये हम दोनों का लगभग रोज का नियम हो गया था.
ऐसे ही कुछ दिन बीत गए.
फिर बीए में एडमिशन की डेट जारी हुई तो मैंने बीए में एडमिशन ले लिया.
मेरा कॉलेज घर से 10 किलोमीटर दूर स्थित है तो मैं घर से ही आता-जाता था.
इधर छोटी बहन ने भी मैट्रिक की परीक्षा पास कर ली थी.
वह अच्छे नंबर लाई थी तो उसका एडमिशन भी अच्छे से कॉलेज में करवा दिया.
वहां हॉस्टल की सुविधा भी उपलब्ध थी. घर से कॉलेज दूर होने मैंने उसको वहीं हॉस्टल में डलवा दिया था.
अब घर में दो ही लोग रह गए थे, मैं और मम्मी.
मैं कॉलेज बहुत कम ही जाया करता था क्योंकि बीए में उतना ज्यादा जरूरी नहीं था.
उस दिन मम्मी खाना बनाने चली गईं.
मैं मूवी देखने लगा.
लगभग 11 बजे खाना बन गया तो मम्मी ने आकर बोला कि खाना खा लो फिर साथ में बैठ कर मूवी देखेंगे.
मैं भी खाना खाने आ गया.
मम्मी अपने हाथ से मुझको खिला रही थीं और मैं बीच बीच में मम्मी के मुँह में आधा चबाया खाना अपने मुँह में उगलवा कर खाता.
मेरी मम्मी भी ऐसी कर रही थीं.
ऐसे ही हम दोनों बातें करते हुए खाना खा रहे थे.
फिर अचानक से मुझे याद आया कि 10 दिन बाद होली है, तो मैंने मम्मी से कहा- बबीता रानी, इस बार होली कैसे मनाना चाहती हो … और मेरा एक गिफ्ट देना बाकी भी है आपको!
तो मम्मी बोलीं- वह गिफ्ट होली में ही मांगना, उसी समय दे देंगे … और उसके अलावा भी मैं अपनी तरफ से तुमको एक और तोहफा दूँगी.
अभी हम दोनों यह बात कर ही रहे थे कि उसी समय पापा का फोन आया.
पापा ने मम्मी से बात की, कहा- इस होली पर मैं घर नहीं आ पा रहा हूँ, तुम लोग मना लेना.
यह सुनकर मम्मी अन्दर ही अन्दर खुश हो गईं.
पर ऊपर से उन्होंने दुख जताया- आप क्यों नहीं आ रहे हैं?
पापा ने अपनी मजबूरी जताई.
फिर फोन कट गया.
मम्मी बहुत खुश दिख रही थीं.
वे फोन को टेबल पर रख कर मेरे करीब आईं और मुझे किस किया.
मम्मी बोलीं- अब तो और भी अच्छे से मनाएंगे होली.
मैंने मम्मी से कहा- छोटी बहन कहां जाएगी?
तो इस बात पर मम्मी बोलीं- उसको मौसी के यहां भेज देते हैं.
मैंने ओके कहा.
मम्मी ने तुरंत मौसी को फोन करके बताया कि इस बार होली में छोटी तुम्हारे पास जाएगी!
मौसी भी खुशी से बोलीं- ठीक है, राहुल को बोल दो कि पहुंचा दे!
मम्मी ने हामी भर दी.
खाना खाकर मैं रूम में आ गया.
मम्मी टेबल साफ करने लगीं.
थोड़ी देर बाद मम्मी मेरे पास आकर बैठ गईं.
तब मैं बोला- मम्मी आपको कौन से रिलेशन का सोच कर मेरे साथ चुदाई करते समय मजा आता है?
मम्मी बोलीं- हमको दोनों रिश्ते में तुमसे बात करते हुए चुदने में मजा आता है. तुम दोनों रिश्ते से मुझको बुलाओ … चाहे मम्मी कहो या बबीता कहो … या फिर कोई और भी नाम से बुलाओ मुझे सब में मजा आता है!
मैंने कहा- कोई और नाम से आपका क्या मतलब है बबीता रानी!
मम्मी- मेरा मतलब जैसे गर्लफ्रेंड समझ कर पेलो … या रण्डी समझ कर गाली देते हुए चोदो … मुझको तुम्हारे मुँह से सब कुछ सुनने में बहुत आनन्द आता है.
मैं- कैसा आनन्द आता है, खुल कर बोलो ना मम्मी!
मम्मी- ऐसा आनन्द जैसे चुदाई के समय हम दोनों एक दूसरे के आगोश में खो जाते हैं. मुझे ऐसा महसूस होता है मानो तुम मेरी चुदाई के समय मेरी चूत के रास्ते मेरे पेट, मेरे स्तन, हर जगह अन्दर तक अपना लंड घुसेड़ चुके हो.
यह बोलती हुई मम्मी मादक सी हो गईं और मेरे सीने से लिपट गईं.
मैंने उनके कान में धीरे से बोला- क्या सच में आपको इतना ज्यादा आनन्द आता है मम्मी?
यह कह कर मैंने उनकी गर्दन पर चुम्बन कर दिया.
मम्मी धीरे से मादक आवाज में बोलीं- बेटा, अब बेड पर लिटा कर तुम मुझको प्यार करो!
मैं समझ गया कि मम्मी चूत चुदाने के लिए उत्सुक हैं.
मैंने कहा- मम्मी, क्या अभी आपको चुदवाने का मन कर रहा है?
मम्मी- हां मेरे राजा बेटा … अपनी मम्मी को अपने हथियार से चोद दो.
मैं मम्मी को किस करने लगा.
हम दोनों एक दूसरे के मुँह में जीभ डाल कर मजा लेने लगे.
मम्मी धीरे धीरे मेरे पैंट में हाथ डालकर लंड को हिलाने लगीं.
मैंने मम्मी की साड़ी को उतार दिया और उनकी बड़ी बड़ी चूचियों को दबाने लगा, एक दूध को होंठों से लगा कर पीने लगा, दूसरे को हथेली में भर कर मसलने लगा.
मम्मी भी ‘आह आह ओह’ करने लगी थीं.
कुछ देर बाद मैंने मम्मी का सब कुछ खोल दिया.
मम्मी ने भी मेरा लम्बा लंड मुँह में भर लिया और जोर जोर से पीने लगीं.
मैंने मम्मी की चूत में अपनी जीभ को डाल दिया और जीभ से चूत की चुदाई करने लगा.
कुछ ही देर बाद मम्मी बोलीं- बेटा, अब चोदो ना! अपनी मम्मी को और कितना तड़पाएगा!
मैंने अपने लंड को मम्मी की चूत पर सैट करके उन्हें चोदने लगा.
मम्मी भी सिसियाने लगीं- आह आह आह … ओह यस बेटा … और जोर से चोदो मुझे … ले लो पूरा मम्मी को … आह मादरचोद … फाड़ दो मम्मी के भोसड़ा को … आज अपनी मम्मी को खुश कर दो बेटा चोद चोद कर!
कुछ बीस मिनट बाद मम्मी बोलीं- बेटा मुझको पेशाब लग रही है … लंड निकालो, मैं मूत कर आती हूँ.
मैंने कहा- मम्मी आज मैं आपकी पेशाब पीना चाहता हूं!
मम्मी उठीं और मेरे लंड को किस करके बोलीं- बेटा, सच में तुम हमको रण्डी की तरह चोदते हो … लो मेरी जान पियो मेरी पेशाब!
मम्मी मेरे मुँह पर आकर बैठ गईं और मूतने लगीं.
मैंने मूत पीने के लिए मम्मी की चूत में मुँह को सटा दिया.
मम्मी पेशाब करने के बाद उठीं और बोलीं- अब चोद डालो मेरी चूत को!
मैंने मम्मी को फिर से चोदना शुरू कर दिया.
मम्मी भी पूरा साथ देने लगीं.
तकरीबन 15 मिनट बाद वे बोलीं- बेटा अब मैं झड़ने वाली हूं, तुम कितनी देर में झड़ोगे!
मैंने कहा- बस थोड़ी देर में!
मम्मी बोलीं- आओ बेटा, मेरे मुँह को चोदो … तब जल्दी ही वीर्य गिरेगा.
मैं मम्मी का मुँह चोदने लगा.
सही में 5 मिनट बाद मेरा भी पानी निकलने वाला हो गया था.
मैंने मम्मी को बताया.
मम्मी बोलीं- अब फिर से मेरी चूत में लंड डालो और चूत चोदो. हम दोनों को साथ में ही झड़ना है!
मैंने चूत में लौड़े को पेला और धाँए धाँए चोदना चालू कर दिया.
मम्मी- आह आह … उउह उई … हां बेटा और जोर से … दबा कर चोद दे अपनी मम्मी को!
मैं भी बोला- हां मॉम यस बेबी आह आह … ओह माई गॉड आह गया.
उधर मम्मी ने भी दो झटके जोर जोर से दिए और हम दोनों झड़ गए.
मैं मम्मी की चूत में ही लंड डाले उनके ऊपर सो गया.
थोड़ी देर बाद मुझको पेशाब लगी, तो मम्मी बोलीं- ला, मैं तेरा मूत पी लेती हूं. तू अपनी मम्मी के मुँह में मूत दे!
मैंने चूत से लंड बाहर करके मम्मी के मुँह में डाल दिया और मूतने लगा.
मां सब पेशाब पी गईं और लंड को चाट चाट कर साफ़ कर दिया.
उसके बाद मम्मी बोलीं- आई लव यू मेरे शेर बेटा … सच में तुम अपनी मम्मी को पूरा खुश कर देते हो!
इसी तरह 5 दिन बीत गए.
होली की छुट्टी मिल गई.
मैं बहन को लेकर घर आया.
उसके दो दिन बाद मैं अपनी बहन को मौसी के यहां पहुंचाने गया.
उसे उधर छोड़ कर मैं उसी दिन वापस आ गया क्योंकि अगले दिन होली का उत्सव था.
फिर अगले दिन सवेरे जल्दी उठकर बाजार से रंग अबीर, पकवान, मसाला सब कुछ सामान बाजार से ले आया.
मम्मी भी घर का सब काम निपटा चुकी थीं और मेरे आने का इंतजार कर रही थीं.
उन्हें मेरे साथ होली जो खेलनी थी.
मम्मी ने मुझसे सामान लिया और उसे लेकर अन्दर चली गईं.
मैंने भी तुरंत अपने कपड़े बदले और पजामे के अन्दर जांघिया नहीं पहना ताकि मम्मी के साथ रंग खेलने में कोई दिक्कत न हो. मम्मी भी उधर घर में सब जमा करके रखी थीं.
मम्मी आईं और बोलीं- हैप्पी होली बेटा!
मैं भी बोला- हैप्पी होली मॉम!
फिर मम्मी ने धूल लेकर मेरे ऊपर डाल दी.
हमारे यहां धूल से ही होली खेलने की शुरुआत होती है.
मैंने भी मम्मी को पकड़ा और उनके मम्मों में हाथ डाल कर रंग लगाने लगा.
साथ ही मैं मम्मी के मम्मे मसल भी रहा था.
मम्मी ने भी धूल ली और मेरे पैंट में हाथ डाल कर मेरे लंड को पूरा भर दिया.
वे घर में भागने लगीं.
मैं भी भागा और उन्हें पकड़ कर नीचे चूत में उंगली डाल कर धूल भर दी.
धूल में कंकड़ पत्थर होने के कारण मम्मी की चूत में जलन होने लगी और कंकड़ गड़ने लगे.
मम्मी तुरंत बाथरूम गईं, मैं भी पीछे से चला गया.
मम्मी की हालत गंभीर हो गई थी.
मैं तुरंत बाथरूम में टेबल लाया, उस पर मम्मी को बैठाया, फिर उनकी नाइटी खोली. टांगें खोल कर पानी के प्रेशर से चूत भर दी.
मैंने अपनी उंगली अन्दर तक डाल दी थी.
फिर मैंने मम्मी से पूछा- कुछ आराम मिला?
वे बोलीं- अभी भी अन्दर चूत में दो चार कंकड़ गड़ रहे हैं!
मैंने अपने एक हाथ से Xxx मा की चूत को फैलाया और दूसरे की उंगली डाल कर पानी का तेज प्रेशर दिया. ऐसा चार पांच बार किया, तब सब निकल गया.
मम्मी बोलीं- अब गड़ नहीं रहा है, पर जलन हो रही है.
मैंने मम्मी से सॉरी बोलते हुए कहा- मेरी वजह से ये सब हुआ, होली खराब कर दी!
मम्मी- ओह नहीं बेटा, ऐसा नहीं बोलते … ये सब तो छोटी छोटी बातें हैं. रात तक सब ठीक हो जाएगा. मैं होली तो मना कर ही रहूँगी … तुम टेंशन मत लो.
मैंने मम्मी को नहलाया.
फिर मम्मी भी बोलीं- तू भी नहा ले, अपना पजामा खोल ले … कहीं तुम्हारे पाइप में भी कोई दिक्कत न हो गई हो!
मैंने पजामा खोला तो मेरे लंड पर भी कंकड़ से चीरा लग गया था, यह मुझको पता ही नहीं चला था.
हम दोनों नहाए, फिर नंगे ही खाना खाए ताकि मम्मी के चूत में हवा लगे.
मेरे लंड में भी जल्दी दर्द खत्म हो सके.
दोस्तो, मैं आपको अपनी इस Xxx मा की चूत मारी कहानी के अगले भाग में उनकी गांड चुदाई की कहानी भी लिखूँगा.
आप मुझे मेल से बताएं कि आपको कहानी में मजा आ रहा है?
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Xxx मा की चूत मारी कहानी का अगला भाग: सौतेली मॉम के साथ होली में चुदाई का मजा- 2