बहू ने ददिया ससुर से चूत बजवाई- 2

Xxx बहू सेक्स कहानी में नव वधू ने अपनी सास को ददिया ससुर से चुदाती देखा और उनका बड़ा लंड देखा तो उसने भी उस विशाल लौड़े का मजा लेने का मन बना लिया.

अन्तर्वासना के सभी पाठको को नमस्कार!
दोस्तो, कहानी के पिछले भाग
बेटे की बीवी की चुदाई का मजा
में आपने पढ़ा था कि पूनम शादी एक छोटे परिवार में हुई थी।
उसने अपनी विधवा सास को अपने ददिया ससुर से चुदते हुए देख लिया।
पूनम के पति के छोटे लंड के चलते वो भी अपने ददिया ससुर का लंबा मोटा लंड लेना चाहती थी।

रात को जब पूनम का पति रमेश उसे चोद रहा था तो उसका ददिया ससुर भी चुपके से खड़ा होकर उनकी चुदाई देख रहा था।
मन ही मन वह खुश हो रहा था कि अगले दिन पूनम उसके पास आकर खुद ही अपनी चूत चुदवाकर जाएगी।

अब आगे Xxx बहू सेक्स कहानी:

दूसरे दिन पूनम नहा-धोकर तैयार होकर अपनी सास सीमा से बोली- माँ, हम दादाजी को तेल मालिश कर देते हैं।

सीमा मुस्कराकर बोली- हाँ बहू! वो तुम्हारे भी ददिया ससुर लगते हैं इसलिए सावधानी से तेल मालिश करना।

पूनम मुस्कराकर बोली- हाँ माँ जी! हमें सब मालूम है कि कैसे तेल मालिश होती है। हम से दादाजी जरूर खुश होंगे।

यह कहकर पूनम उत्साह के साथ रामेश्वर सिंह के कमरे में पहुँच गई।

रामेश्वर सिंह जानते थे कि पोते की बहू आज जरूर चुदने के लिए आएगी।
वे पहले ही अपनी बालों भरी छाती नंगी करके लेट गए थे।

रामेश्वर ने सिर्फ धोती पहनी हुई थी और उसके नीचे अंडरवियर भी नहीं था।
टांगें फैलाकर वे पलंग पर लेटे हुए थे।

पूनम ने आकर कहा- दादा जी, मालिश करवा लीजिए।

रामेश्वर मुस्करा दिए और बोले- हां-हां, आ जाओ बेटी, मालिश कर दो … बहुत मन कर रहा है मालिश करवाने का!

पूनम ने रामेश्वर की बालों भरी छाती को एक नजर देखा और फिर नजरें नीचे करके बेड के किनारे आ बैठी।

उसने तेल की शीशी से तेल लिया और पैरों के तलवों पर मालिश करने लगी।
कुछ देर तलवे मलने के बाद उसने पिंडलियों का रुख किया।

उसके नर्म-कोमल हाथ पिंडलियों पर रामेश्वर को बहुत सुकून पहुंचा रहे थे।
बीच-बीच में वो अपने एक हाथ से लंड को धोती के ऊपर से खुजला देते थे।

पूनम भी उनके खुजलाने को देख रही थी और अच्छी तरह जान गई थी कि लुंगी में लंड किस तरफ पड़ा हुआ है।

मन तो पूनम का अभी कर रहा था कि रामेश्वर के लंबे और मोटे लंड को हाथ में ले ले, एक असली मर्दाना लंड का अनुभव ले।
लेकिन एक संकोच उसे रोके हुए था।

वह भी जानबूझकर अपने हाथों को ऐसे चला रही थी कि रामेश्वर का लंड खड़ा होने पर मजबूर हो जाए।

रामेश्वर के लंड में हल्का तनाव आने लगा था और वो चाह रहा था कि पूनम उसका लंड पकड़ ले।
वो बोला- बेटी, जांघों पर भी थोड़ा तेल लगा दो, हल्की मालिश दे दो, दुख रही हैं।

पूनम तो जैसे चाहती भी यही थी।
उसने जांघों पर से लुंगी को थोड़ा हटाया।

रामेश्वर के भारी, बालों वाले पट अब अंडरवियर तक नंगे हो गए।
पूनम उसकी मर्दाना जांघों को देखकर पिघलना शुरू हो गई।

रामेश्वर की मर्दानगी अब पूनम के संकोच को धीरे-धीरे पिघला कर उसे बेशर्मी पर उतारू होने के लिए उकसा रही थी।
उसने जांघों पर तेल की मालिश करना शुरू किया।

रामेश्वर का लंड लगभग पूरा तनाव में आ गया था।
उसने धोती को और ऊपर कर दिया और इसी वक्त लंड में झटका लगा जिससे पूनम को खड़े लंड का नजारा दिख गया।
धोती में तने उस मोटे मूसल में झटके लगते देख पूनम अब और आगे बढ़ने की सोचने लगी।

उसने जांघों की गहराई तक हाथ ले जाने शुरू कर दिए।
अब रामेश्वर की हालत खराब होने लगी, उसके लंड में झटके पर झटके लग रहे थे।
वह चाह रहा था कि बस अब पूनम उसके लंड को पकड़ ले और चूस डाले।

एक-दो मिनट तक दोनों ही इंतजार में रहे कि कहीं से पहल हो।
लेकिन हो नहीं रही थी।

आखिर में रामेश्वर ने खुजलाने के बहाने से लुंगी को झांटों तक ऊपर कर लिया।

अब उसका नंगा, फनफनाता लंड पूनम के सामने था।
एकदम से पूनम ने रामेश्वर की तरफ देखा।

वह भी पूनम की आंखों में देख रहा था और मुस्करा दिया।

नैनों के इसी मिलन के पल रामेश्वर ने लंड में एक जोर का झटका दिया और पूनम को बता दिया कि जान अब पकड़ लो इसे … और मत तड़पाओ।
पूनम भी इशारा समझ गई और शर्माते हुए उसने नजरें नीचे कर ली।

अगले ही पल रामेश्वर का तपता मोटा लंड पूनम के हाथ में था।
वह नजर नीचे किए हुए उसके लंड पर ऊपर से नीचे और नीचे से ऊपर हाथ चलाने लगी, हल्के-हल्के उसके मूसल लंड की मुठ मारने लगी।
रामेश्वर के मुंह से सिसकारियां फूटने लगीं- आह्ह … हाए … क्या कोमल हाथ हैं तुम्हारे पूनम … ये औजार तो फटने को हो रहा है!

पूनम कुछ न बोली और लंड को सहलाती रही।
इतने में रामेश्वर का हाथ पूनम की चूचियों पर आ पहुंचा और वे उन्हें छेड़ने लगे।
वे अपनी पोत बहू की चूचियों को साड़ी के ऊपर से ही दबाने लगे।

अगले ही पल पूनम का पल्लू छाती से उतर चुका था।
रामेश्वर ने ब्लाउज के ऊपर से चूचे को पकड़ लिया था।

पूनम भी गर्म हुई और उसने लंड पर हाथ की पकड़ और स्पीड, दोनों बढ़ा दी।

जैसे-जैसे वो लंड को मुठिया रही थी रामेश्वर की वासना भी उबल जाती थी।
उसने अपनी लुंगी को खोल दिया और एक तरफ हटाकर रख दिया।

अब वे टांगों को पूरी चौड़ी करके बिल्कुल ही नंगे होकर पूनम के सामने लेट गये।
रामेश्वर जोर से उसकी चूचियों को भींच रहे थे।
उनके लंड में तनाव ऐसा था कि नसें फटने को हो रही थीं।

फिर उनसे रहा न गया तो उन्होंने पूनम का सिर अपने लंड पर झुका दिया।

पूनम भी जैसे मुंह में लार इकट्ठा किए बैठी थी।
उसने सारा प्यार, इंतजार और मुंह की लार को रामेश्वर के लंड पर उड़ेलना शुरू कर दिया।
वह लंड को चूसने लगी … और ऐसे चूसने लगी जैसे जिंदगी में पहली बार लंड नसीब हुआ हो।

रामेश्वर के लंड को पाकर वो बहुत उत्साहित दिख रही थी।
पूनम के मुंह में लंड जाते ही रामेश्वर के सीत्कार फूटने लगे- आह्ह … पूनम बेबी … ओह … कहां थीं तुम … इतना अच्छा लंड चूसती हो। इतने दिन से घर में हो और मुझे इस सुख से वंचित रखा हुआ था तुमने!

सिसकारते हुए वे बोले- हए … रमेश को ही सारा मजा दे रही थीं! ऐसे लंड चुसवाकर को तो मैं परम सुख को पा जाता हूं। और चूसो … मेरी जान … मेरी रानी … चूसो बेटी … आह्ह।

पूनम के मुंह में लंड समा नहीं रहा था लेकिन ऐसा मूसल लंड चूसने में उसे भी शायद डबल मजा आ रहा था।
वह पूरी कोशिश कर रही थी कि रामेश्वर जी को खुश कर दे।

इधर रामेश्वर के हाल बुरे हो चुके थे, वे अपनी उत्तेजना को अब कंट्रोल नहीं कर पा रहे थे।

उसने पूनम को नीचे पटका और उसकी साड़ी को खोल दिया।
फिर पेटीकोट निकालकर उसकी जांघों को भी नंगी कर दिया।

अब वह पैंटी और ब्लाउज में ही उसके सामने मुंह छुपाकर लेटी हुई थी।

हल्के से पलटते हुए उसने पूनम के ब्लाउज के हुक खोल दिए।
ब्लाउज को हटाते हुए पूनम के कागजी नींबू जैसे चूचे एकदम से नंगे हो गए।
गोरे चूचे और उन पर हल्के भूरे रंग के तने हुए निप्पल।

रामेश्वर सिंह उन पर टूट पड़े और बारी-बारी से बेसब्री से उन्हें एक-एक करके चूसने लगे।

एक चूचे पर मुंह लगाते तो दूसरे को दबाने लगते।
फिर दूसरे को चूसते तो पहले को भींचने लग जाते।

पूनम अब चुदासी होती जा रही थी।
एकदम से रामेश्वर ने उसके हाथ हटाकर उसके होंठों पर हमला बोल दिया।

पूनम थोड़ी सकुचाई हुई सी रामेश्वर के होंठ चूस रही थी।

लेकिन दो मिनट बाद ही उसने मुंह खोलकर रामेश्वर की जीभ का स्वागत करना शुरू कर दिया।

रामेश्वर सिंह का लंड पूनम की पैंटी पर चूत के मुहाने पर सटा था और पैंटी में छेद करके चूत में घुस जाना चाहता था।

एकदम से रामेश्वर का हाथ पूनम की पैंटी में घुस गया।
उन्होंने चूत को जोर जोर से सहलाना शुरू कर दिया।

पूनम तड़पने लगी।
वह चूतड़ उठाकर रामेश्वर के हाथ से चूत को रगड़वाने लगी।

जब उससे रुका न गया तो बोली- दादा जी कर दो! बस कर दो अब! कल से चुदने के लिए तड़प उठी थी। मुझे भी असली लंड का सुख दे दो!

दादा जी बोले- हां बेटी, तेरी चूत की आग को मैं कल रात को ही भांप गया था जब तेरे पति रमेश का लंड तेरी चूत के लिए कम पड़ रहा था! आज देख … तुझे आज से ही औरत बनाना शुरू कर देता हूं। लेकिन पहले इस औजार को अपनी चूत में जाने के लिए तैयार तो कर दे!

पूनम इशारा समझ गई।
वह तेल लेकर दादाजी के लंड पर लगाने लगी।

रामेश्वर सिंह ने पूनम को पलंग पर लिटाया और उसकी गुलाबी मखमली चूत को चाटने लगा।
पूनम पागल होकर बेड की चादर को खींचने लगी।

रामेश्वर की जीभ उसकी चूत में आग लगा रही थी।
चुदासी होकर बोली- दादा जी! अपना लंड अंदर घुसाकर अपना काढ़ा पिलाओ न! मुझे बहुत खांसी हो गई है, और आपके पोते रमेश ने कहा है कि दादा जी के पास बहुत अच्छा काढ़ा है, जिसे पीने से सब दुख-दर्द खत्म हो जाते हैं।

रामेश्वर सिंह मुस्कराकर बोले- ऐसा रमेश ने बोला है तो ले मेरे लंड का काढ़ा!
कहते हुए रामेश्वर ने एक जोरदार धक्का चूत पर लंड रखकर दे डाला।
फचाक की आवाज से सुपारा चूत में घुस गया।

पूनम चिल्लाकर बोली- ऊई मा आआआ … ऊईईई आईई … मर गई!

रामेश्वर सिंह मुस्कराकर बोले- क्या हुआ मेरी पूनम की चाँद! दर्द हो रहा क्या? पहली बार में मेरे लंड से सबको ही दर्द होता है, फिर ठीक हो जाएगा।
पूनम दर्द से छटपटाती हुई बोली- हाँ ससुर जी! दर्द तो हो रहा है परन्तु खुशी भी है कि आपका तीन इंच मोटा, मूसल लंड का सुपारा मेरी चूत में आखिरकार घुस गया है!

रामेश्वर सिंह ने उसी अवस्था में पूनम के मुँह, गाल और कागजी चूचों को चूमना शुरू कर दिया।
बार बार चूमते हुए वो बोले- मेरी जानेमन! मेरी दिलरूबा! मेरी पूनम की चाँद! तुम बहुत ही अच्छी लड़की हो, और धीरे-धीरे सबकुछ अच्छा लगने लगेगा तुम्हें!

रामेश्वर सिंह ने देखा कि अब पूनम भी धीरे से छटपटाती हुई कमर हिला कर खुश हो रही है।
उसकी मुस्कराहट देखकर रामेश्वर सिंह मुस्कराकर बोले- माई स्वीट डार्लिंग! अब कैसा महसूस कर रही हो मेरी दिलरूबा!बताओ अब मेरा लंड लेकर कैसा महसूस हो रहा है?

पूनम कमर हिलाती हुई बोली- ससुर जी! मेरी बुर के अंदर कुलबुलाहट हो रही है। खुजली हो रही है … मन कर रहा है जैसे कोई हाथ घुसाकर खुजली मिटा दे।

रामेश्वर सिंह मुस्कराकर बोले- मेरी रानी! तुम्हारी चूत मेरा मोटा लंड अंदर करने के लिए कह रही है।
पूनम उत्साह से बोली- मेरे प्यारे ददिया ससुरजी! देर किस बात की है … अपना मोटा लंड अंदर घुसाकर खुजली मिटा दीजिए। हमें तो इसी समय का इंतजार था।

रामेश्वर ने बस आव देखा न ताव, पूनम की टाँग को अपनी कमर पर रखकर धक्का मारना शुरू कर दिया।
वह भी कमर हिलाकर धक्का मारती हुई बोली- पूरा लंड घुसाकर बुर फाड़कर रख दो ससुरजी!

रामेश्वर सिंह अब जोर-जोर से धक्का देकर दनादन दनादन चुदाई करने लगे।
पूरा कमरा पच-पच की आवाजों से गूंजने लगा।
फिर वे पूनम को घोड़ी बनाकर पीछे से बुर में लंड पेलने लगे।

वह भी खुश होकर दनादन … दनादन पिलवाने लगी और Xxx बहू सेक्स का मजा लेने लगी।

रामेश्वर ने पूनम को अपने ऊपर चढ़कर लंड को बुर के अंदर लेकर उछलने के लिए कहा।
कहे अनुसार वो ऊपर चढ़कर बुर के अंदर लंड लेकर उछल-कूद करने लगी।

लगभग 20 मिनट की चुदाई के बाद रामेश्वर के लंड ने वीर्य फेंकने का अहसास उसे करवाया।
रामेश्वर सिंह बोले- पूनम बहू! मेरे लंड से वीर्य निकलने वाला है … क्या करूँ?

पूनम चुदती हुई बोली- ददिया ससुर जी! अपना काढ़ा (वीर्य) मेरी चूत को पिलाओ न। सब दुख-दर्द मिटा दो!
रामेश्वर सिंह मुस्कराकर बोले- सोच लो पूनम! मेरा काढ़ा चूत में गया तो गर्भवती हो जाओगी।

पूनम चुदाई करवाती हुई बोली- ससुर जी! आप चिन्ता मत कीजिए न। यह बात हमारे और आपके बीच रहेगी। बच्चा होने दीजिए … मुझे खुशी होगी कि मेरी चूत से एक मर्द का बच्चा पैदा होगा।

यह सुनकर रामेश्वर सिंह ने अपना वीर्य पूनम की चूत में गिराना शुरू कर दिया।
उन्होंने सारा वीर्य पूनम की चूत को पिला दिया और फिर निढाल होकर उसके ऊपर लेट गये।

ददिया ससुर की पीठ सहलाती हुई पूनम संतुष्टि से भरकर बोली- आज मेरा मन आपका लंड लेकर खिल उठा है। मेरी बेचैनी शांत हो गई है। अब मैं चैन से सोऊंगी।

रामेश्वर सिंह मुस्कराकर बोले- क्या बोल रही हो धोखेबाज! अब आगे से हमसे नहीं चुदवाओगी क्या?
पूनम मुस्कराकर बोली- नहीं मेरे दिल के राजा! अब से मैं आपसे ही चुदाई करवाया करूंगी।

रामेश्वर का लंड अब पूनम रोज ही लेने लगी।

कुछ महीने बाद ही पूनम ने एक बच्चे को जन्म दिया।

रामेश्वर का पोता रमेश बच्चे को पाकर खुश हो गया।
उसने बच्चे को रामेश्वर की गोद में देते हुए कहा- ये लीजिए आपका पड़पोता!

रामेश्वर सिंह उसे गोद में लेकर खिलाने लगा।
यह नजारा देखकर रामेश्वर की विधवा बहू सीमा और पूनम दोनों मिलकर हंस दी!

तो दोस्तो, आपको यह कहानी कैसी लगी इस बारे में ईमेल आईडी पर अपनी प्रतिक्रिया जरूर भेजें।
Xxx बहू सेक्स कहानी के नीचे दिए कमेंट बॉक्स में कमेंट करके आप अपनी राय दे सकते हैं।
[email protected]