आम के बगीचे में मेरी सौतेली माँ- 1

Www Xxx हिंदी मॅाम सेक्स इन गार्डन का मजा एक लड़के ने लिया अपनी सौतेली मम्मी के साथ. वे दोनों अपने आम के बाग़ में फलों का मजा लेने गए थे.

नमस्कार पाठको!
मेरा नाम मयंक है।
मैं अभी बी.एस.सी. के दूसरे वर्ष में हूँ और पटना में पढ़ाई कर रहा हूँ।

मेरे घर में मेरे अलावा माँ, पापा और दीदी हैं।
दीदी भी मेरे साथ पढ़ाई कर रही हैं।

पापा विदेश में नौकरी करते हैं।
जो साल–दो साल में एक बार घर आते हैं।

मेरी माँ जो मेरी सौतेली माँ हैं, सेक्स की देवी हैं, बिल्कुल माधुरी दीक्षित जैसी लगती हैं।
उनका नाम स्मिता है और उम्र 38 साल है पर लगती 28 साल की हैं।

माँ को केवल देखने मात्र से किसी का भी लंड खड़ा हो जाता है।
उनके शरीर की बनावट गजब की है।

वे गाँव में ही रहती हैं। वे गाँव की सीधी–सादी और सुंदर स्त्री हैं।

गाँव में हमारा बहुत अच्छा और बड़ा घर है।
वे घर पर रहकर घर का काम संभालती हैं।

यह Www Xxx हिंदी मॅाम सेक्स इन गार्डन मेरी सौतेली माँ की है तो आप सभी पाठक अपना लंड पकड़ लें या चूत में उँगली घुसा लें क्योंकि कहानी आपको बहुत गर्म कर देगी!

इस बार गर्मियों में मैंने घर जाने की योजना बनाई।
पर दीदी ने जाने से मना कर दिया और मेरा सारा मूड खराब हो गया।

एक दिन मैंने माँ से कॉल पर बात की तो उन्होंने ने खुद ही बोल दिया- इस बार गर्मियों में आओगे या मैं अकेली ही रहूंगी?
मैंने उनसे कहा– मैं तो तैयार हूँ माँ, पर दीदी नहीं आ रही!

तब वे बोलीं– कोई बात नहीं तुम ही आ जाओ!
मैं तो यही चाहता था और सुबह होते ही मैं घर पहुँच गया।

घर जाते ही उन्होंने मुझे एक चुम्मा दिया गाल पर और गले लगा लिया।

उन्होंने कहा– बाप तुम्हारा जल्दी आता नहीं है और तुम दोनों भी मुझे भूल जाते हो!
मैंने उनको पीछे से गले लगाते हुए और उनके गाल पर अपना गाल सटाते हुए कहा– मैं हूँ ना माँ, आपका ख्याल रखने वाला!
फिर वे मुस्कुराने लगी और बोलीं– अच्छा चल अब हाथ मुंह धो ले, खाना लगाती हूँ।

मैं उनको को देखकर बहुत ही गर्म हो गया था।
मैंने जब से सेक्स स्टोरी पढ़ना चालू किया, मेरा उनको देखने का नजरिया ही बदल गया।

घर पर आये मुझे अब कई दिन हो गये।
रोज मैं उनसे से चिपकता और उनके गालों पर चूमा देता।
बस इसी तरह दिन कट रहे थे।

एक दिन मम्मी को आम खाने की तलब हुई!
तो मम्मी ने मुझसे कहा– मयंक बेटा, चल आज बगीचे में चलते है।

मैं तो हमेशा से ही उनके के साथ अकेला समय बिताना चाहता था और आज वह मौका मिल रहा था।
मैंने झट से कहा– ठीक है माँ, आज 10 बजे खाना खा कर अपना बगीचा चलेंगे।

आपको बता दूँ दोस्तो, मेरा एक छोटा सा बगीचा है, जिसमें कुछ आम, अमरूद और जामुन वगैरह का कुछ पेड़ है।
गर्मियों के दिन थे और धूप भी ज्यादा थी तो हम 10 बजे के थोड़ा पहले ही बगीचे के लिए निकल गए।

माँ ने पारदर्शी काली साड़ी पहनी थी, एकदम सेक्स की देवी लग रही थी।
मन कर रहा था कि उनके होंठ चूस लूँ।

फिर हम माँ बेटा दोनों बाइक से चल दिये।
यही कोई 5 मिनट का रास्ता था, हम पहुँच गए।

रास्ता छोटा होने की वजह से मैं उनके साथ मस्ती नहीं कर पाया बाइक पर!

वहां पहुँचने के बाद मैंने बाइक को अन्दर बगीचे में एक पर के नीचे खड़ा कर दिया।
बगीचे में एक कमरा बना हुआ था वहीं जाकर हमने थोड़ा आराम किया।

मैंने उनसे पूछा– बताओ माँ, आप कितने आम खाओगी?
उन्होंने कहा– आज जितना तू खिला दे! आज पूरा चूस के खाऊंगी!
और हँसने लगी.

मम्मी के मुंह से ऐसी बात सुन के मेरा लंड तन गया।
वे बोलीं– जल्दी से चढ़ ना!
मैंने पूछा– कहां चढ़ूँ?

उन्होंने हँसते हुए कहा– पेड़ पर!
फिर मैंने कहा– ओह सॉरी मम्मी!

और झट से पेड़ पर चढ़ कर आम तोड़ने लगा।

गर्मी ज्यादा थी तो आम पके हुए थे।
मैंने एक आम तोड़ा और उनसे पूछा– माँ, आम कहा फेंकूँ?
माँ– यहीं नीचे गिरा दो!

मैं– माँ आम नीचे गिरेगा तो खराब हो जाएगा!
माँ– अच्छा! फिर क्या करें?

मैं– माँ अपने आंचल में छानो, वहीं गिराता हूँ!
फिर मां ने अपनी साड़ी का पल्लू खोला और आँचल फैला दिया।

उफ … उनकी आधी चूचियां ऊपर से साफ़ दिख रही थी।
मेरा तो लंड तन कर मोटा हो गया था।

माँ– क्या सोचने लगे, आम गिराओ आंचल में!
मैं– ठीक है माँ!

फिर मैंने उनके आंचल में सारे आम गिरा दिए और उनके शरीर की कल्पना करते हुए नीचे पेड़ से उतर गया।

हम दोनों माँ बेटा रूम में आ कर आम खाने लगे।
दोपहर ज्यादा हो गई थी तो लू चलने लगी जिससे गर्मी और बढ़ गई।
धूप भी बहुत तेज हो गई थी।

आम खाते–खाते थोड़ा आम मेरे गाल पर भी लग गया जिसे वे देखकर हँसने लगी।

मैं– क्या हुआ माँ?
माँ– तेरा चेहरा तो एकदम कृष्ण कन्हैया की तरह हो गया!

मैं– अच्छा तो साफ कर दो, इसे चाट के!
वे हँसने लगी और बोलीं– ठीक है कर देती हूँ चाट के!

फिर वे मेरे गाल को अपने गर्म जीभ से चाटने लगी।
ओह … मेरा लंड एकदम तन चुका था और अब उनको भी पता चल गया था।

उन्होंने मेरी गाल और होंठ चाट के साफ़ कर दीं।

फिर वे बोलीं– ले बेटा साफ कर दी! अब आम खाना हो गया तो चल थोड़ा यहीं शाम तक आराम कर ले फिर घर चलेंगे क्योंकि मैं बहुत ज्यादा थक चुकी हूँ।
मैं– ठीक है माँ, चलो थोड़ा सो लेते हैं!

बाहर लू बहुत ज्यादा चल रही थी पर यहाँ बगीचे में आम के पेड़ की छाया में मस्त लग रहा था।
मैं जाकर बाइक को भी इधर कमरे की तरफ ले आया।

झाड़ी बहुत थी तो बगीचे के बाहर और अंदर का कुछ पता नहीं चलता था।
मैं अब कमरे में गया तो देखा कि वे सिर्फ साया और ब्लाउज में लेटी हुई थी।

मुझे देखते ही वे बोलीं– बेटा, तू भी अपना कपड़ा उतार दे, बहुत गर्मी है और यहां पंखा भी नहीं है!
मैं– ठीक है और अपने कपड़े उतार के केवल चड्डी–बनियान में उनके पास लेट गया।

उनको ऐसे देख मेरा लंड बिल्कुल तन चुका था।
मन कर था कि झट से साया उठा कर उनको पेल दूँ!

मैं उनकी तरफ मुंह कर के लेटा हुआ था और वे मेरी ओर गांड की हुई थी।

उनकी गांड को देख कर के मैं उनको चोदने की कल्पना कर रहा था।
वे अब सो चुकी थी।

थोड़ी देर बाद वे थोड़ी हिली और उनकी गांड मेरे लंड पर बैठ गया।
उउफ … ऐसा लग रहा था कि लंड कस के गांड में पेल दूँ!

मैं भी पीछे नहीं हटा बल्कि और सट गया।
मैंने उनकी गांड पर दवाब और बढ़ा दिया।

माँ पलटी, अब उनका मुंह मेरी तरफ हो गया था।
मैं डर गया पर वे सोते वक्त बहुत ही खूबसूरत और मासूम लग रही थी।

वे गहरी नींद में थी।

कुछ देर बाद उन्होंने अपना हाथ मेरे ऊपर फिराया।
फिर वे अपना हाथ मेरे पेट पर फिराने लगी।

मुझे लगा वे जगी हुई है पर नहीं, माँ सपना देख रही थी और वे कुछ बोल भी रही थी।
पर आवाज साफ नहीं थी!

फिर उन्होंने अपना हाथ मेरे अंडरबियर के अंदर डाल दिया।
अंदर लंड एकदम टाइट हो गया था!

उन्होंने मेरा लंड पकड़ लिया और धीरे–धीरे हिलाने लगी।

वे भी गर्म हो गई थी और सपने में मजा ले रही थी, पर कर सब हकीकत में रही थी।

मेरा गला एकदम सूख रहा था।

फिर उन्होंने मेरा हाथ उठा कर अपने चूचियों पर रखा और अपने होंठ मेरे करीब ले आयी।
उनकी गर्म सांस मुझे और उत्तेजित कर रही थी।

मैं उनके होंठ को बस अपनी जीभ से थोड़ा–थोड़ा चाट रहा था।
वे मेरे लंड को सहला रही थी।

मैंने थोड़ी हिम्मत की और उनका साये का नाड़ा खोल दिया और पूरा साया निकाल दिया।
उनकी गोरी चूत एकदम सामने आ गई।

अंदर वे कुछ नहीं पहने थी।
माँ की चूत पर एक भी बाल नहीं था, लगता है उन्होंने हाल ही में चूत शेव की थी।

वे कहीं जाग ना जायें … इसलिए धीरे–धीरे चूत को सहला रहा था।
वे कभी आआह्ह कभी उउफ़्फ़ करती।
नींद में ही उनकी चूत पानी–पानी हो गयी थी।

बाहर बहुत तेज लू चल रही थी।
तेज़–तेज़ हवाओं की आवाज़ और उनकी मधुर सिसकारियों की आवाज़ मुझे पागल बना रही थी।

मैंने धीरे से उनके होंठों पर अपने होंठ रख दिये और अपनी उंगली उनकी चूत में डाल दी।
उनकी सिसकारियां ‘आआहह …’ पागल कर रही थी!

फिर मैंने उनकी ब्लाउज़ के बटन खोले तो चूचियां बाहर आ गई।
उन्होंने ब्रा भी नहीं पहनी थी।

उफ … माँ अब एकदम नंगी थी!
मन कर रहा था कि खा जाऊं माँ के शरीर को, इतनी मस्त थी … मेरी माँ!

फिर मैंने उनके स्तनों को हल्के–हल्के जीभ से चाटना शुरू किया।
वे मुझे ‘हाय … उफ़ … आह … चाटो’ कह रही थी!

मैं उनकी मस्त चूचियों को चाट रहा था और चूत में उंगली करके, एकदम पानी–पानी कर दिया था।
अब मन कर रहा था कि बस मैं उनको चोद दूँ!

मैंने उनकी जांघों को चौड़ा किया और खुद उनके बीच में आ गया।
फिर मैंने अपनी लंड को उनकी चूत पर लगाया और धीरे–धीरे लंड चूत में डालने लगा।

वे ‘आह … उउ उफ’ करने लगी।
मैं आराम से अपनी लंड को उनकी चूत से उतार दिया।

उनकी चूत इतनी गर्म थी कि मुझे जोश आ गया और उनकी चूत में कस–कस के झटके मारने लगा, जिससे वे जग गई।
मेरी तो गांड फट गयी.
और वे एकदम घबरा गई कि ये क्या हो रहा है?

माँ– बेटा, यह क्या कर रहे हो? यह सब गलत है मत करो, हटो मेरे ऊपर से!
पर मेरे सर पर तो चोदने का भूत सवार था तो मैंने झटके मारना चालू रखा और उनके दोनों हाथ को पकड़ लिया!

वे छटपटाने लगी पर चुदाई का जुनून तो उनमें भी था.
माँ ‘उउफफ … आह’ करते हुए मुंह से तो कह रही थी ‘नहीं’ पर शरीर से जरा भी विरोध नहीं कर रही थी.
उलटा उन्होंने मेरे हाथ को अपनी मुट्ठी में पकड़ा हुआ था।

मैंने अब उनके होंठ को अपने होंठों से बंद करके झटके मारना तेज कर दिया।
अब वे भी मेरे होंठ चूस रही थी और गांड उठा कर चूत में लंड ले रही थी।

अब उनकी सिसकारियाँ तेज़ हो गयी ‘उफ … बेटा आह … और चोद … आह!’
मैं उनकी चूत में झटके मारे जा रहा था।

उनकी चूत गीली होने के कारण से पच–पच की आवाज आ रही थी।
वे उत्तेजना में मेरे मुंह में अपना जीभ डाल रही थी और गांड उछला–उछला कर चुद रही थी।

मैंने उनकी चूत से एकदम से लंड खींच लिया।
वे एकदम से तड़प उठी और बोलीं– उफ … बेटा चोद ना … क्यूं रुक गया? प्लीज … मेरी चूत लहर रही है … डाल दो ना बेटा!

मैंने उनके नर्म नर्म होंठों को चूमा, फिर गालों को चूमा और उनसे पूछा– बताओ तुम सपने में क्या देख रही थी? और ऐसा क्या था जो मेरा लंड को पकड़ रखा था? किसके साथ आखिर सपने में चुदने की तैयार थी?

माँ– छोड़ो ना वो सब बेटा … मैं कुछ नहीं देख रही थी! तुम चोदो, फिर से लंड डालो! चूत लहर रही है बेटा, चूत में लंड डालो बेटा!
मैं– नहीं माँ, पहले तुम बताओ किसके बारे में सपने में सोच रही थी?

माँ– अच्छा ठीक तो सुनो!

उन्होंने सपने में किसके साथ चुदाई की और उनका उससे क्या संबंध है; यह अगले भाग पता चलेगा।

तब तक माँ किसके बारे में सपना में सोच रही थी, आप सब मुझे कमेंट करें।
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