सिस्टर वर्जिन पुसी स्टोरी में मैं अपनी मौसी की कमसिन बेटी के साथ आधा अधूरा सेक्स कर चुका था. वह बुर में लंड घुसवाने से डर रही थी कि दर्द होगा. मैंने उसे कैसे चोदा?
दोस्तो, मैं एक्स आपको अपनी मौसी की कुंवारी लड़की की सीलपैक चूत की चुदाई की सेक्स कहानी सुना रहा था.
सिस्टर वर्जिन पुसी स्टोरी के पहले भाग
मौसी की कमसिन बेटी के बदन का मजा
में अब तक आपने पढ़ा था कि मैं परी की चूत में तेल लगा कर लंड पेलने की कोशिश कर रहा था मगर उसे दर्द हो रहा था तो वह मना कर रही थी.
अब आगे सिस्टर वर्जिन पुसी स्टोरी:
मैंने कहा- परी एक बार लेकर तो देखो, बहुत मज़ा आएगा. पहली पहली बार दर्द होता है, पर उसके बाद तुम्हें बहुत मज़ा आएगा … और तुम रोज चुदवाओगी.
उसने मना कर दिया.
पर मेरे बहुत मनाने के बाद वह मान गई.
मैंने सरसों का तेल अपने लोहे जैसे लंड पर लगाया और उसकी चूत में भी भर दिया.
फिर मैंने उसकी चूत में एक उंगली डाली ताकि उसे थोड़ा मज़ा आए.
पर पूरी उंगली डालने पर भी उसे दर्द हो रहा था.
फिर मैंने सरसों के तेल से सना हुआ अपना लोहे जैसा सख्त लंड उसकी कमसिन कुंवारी चूत पर रखा और धीरे धीरे डालने की कोशिश करने लगा.
पर मेरा लंड अन्दर नहीं जा रहा था और वह बार बार मना कर रही थी.
मुझसे कंट्रोल नहीं हुआ और मैंने एक जोर का झटका देकर लंड उसकी चूत में पेल दिया.
लंड अभी आधा ही घुसा था कि वह उछल कर पीछे हट गई और मुझे मना करने लगी ‘आह मुझसे नहीं होगा!’
मैंने बोला- जान कोशिश करो मज़ा आएगा … एक बार लेकर तो देखो!
पर वह नहीं मानी.
फिर मैंने उससे कहा- अच्छा मेरे लंड को चूस कर शांत करो!
वह मान गई और मेरे लंड को कपडे से पौंछ कर चूसने लगी.
ओह … बता नहीं सकता दोस्तो … क्या मज़ा था क्या आनन्द था … एक कमसिन लड़की, जिसे सेक्स के बारे में कुछ भी पता नहीं था, पूरी नंगी होकर मेरा लंड मज़े से चूस रही थी.
इधर मैं कभी उसकी जांघों को सहला रहा था, तो कभी गांड को मसल देता, तो कभी चूत को रगड़ने लगता, तो कभी उसकी चीकू के आकार की चूचियां दबा रहा था.
वह मस्ती से बस मेरा लंड चूस रही थी.
मेरा आधा लंड ही उसके मुँह में जा पा रहा था पर मुझे बेहद मज़ा आ रहा था.
मैंने उसे फिर से लेटाया और ऊपर से लंड उसके मुँह में डाल कर उसके मुँह को चोदने लगा.
वह भी मस्ती से अपने मुँह में लंड ले रही थी.
कुछ पल बाद मैंने उसे घुटनों पर बैठा दिया और मैं खड़ा हो गया.
अब मैंने उससे लंड चूसने के लिए बोला और उसके सिर के बाल पकड़ कर जोर जोर से अपना लंड चुसवाने लगा.
करीब 20 मिनट बाद मैं झड़ गया और मेरा पूरा पानी उसके मुँह में भर गया.
उसने अपना मुँह धोया और वह चली गई.
अब जब भी मौका मिलता, मैं उससे लंड चुसवा कर शांत हो जाता.
कभी छत की सीढ़ी पर ही, तो कभी उसके घर में जाकर, तो कभी अपने घर में मैं उससे खेलता रहा.
मुझे उसकी कुंवारी चूत को पेल कर खोलना था.
उसकी सील तोड़नी थी क्योंकि अभी तक मेरा लंड उसकी चूत में आधा ही गया था और वह उछल कर पीछे हट गई थी.
वह आधा लंड पेलने का अहसास मैं मरते दम तक नहीं भूलूंगा.
हम दोनों ने फिर से प्लान बनाया कि आज हम दोनों घर से कहीं और जाकर मिलेंगे.
उसने कई बार बोला भी कि भैया चुदवाना तो चाहती हूँ, पर बहुत दर्द होता है.
मैंने उससे कहा- आज कुछ भी हो जाए, कितना भी दर्द हो, पर तुम अपनी चूत चुदवाओगी.
उसने भी हां बोल दिया क्योंकि उसे उस दिन आधा लंड लेने से लंड का चस्का लग गया था, पर दर्द के कारण वह लंड ले नहीं रही थी.
हमारे घर से लगभग डेढ़ किलोमीटर दूर एक खंडहर था.
हम दोनों ने वहां मिलने का प्लान बनाया.
उस जगह पर मैंने जाकर देखा भी था, उधर कोई नहीं आता था.
वह कॉलोनी के बाहर तक आई, फिर मैं उसे अपनी बाइक पर बैठा कर उसे उसी खंडहर में ले गया.
वे सर्दियों के दिन थे तो ज्यादा लोग वहां नहीं आते थे.
शाम का अंधेरा भी हो चुका था.
वहां भी वही सब कुछ हुआ, पर उसने लंड अन्दर नहीं लिया.
हम दोनों उस खंडहर में 6 दिन तक लगातार मिले.
कभी तेल लगा कर कोशिश की, कभी बोरोप्लस लगा कर चोदने की कोशिश की.
पर कुछ भी कारगर नहीं हुआ.
उसे दर्द होता था, मेरा लंड अन्दर जाता ही नहीं था.
फिर एक दिन मेरे घर वाले कहीं गए थे.
मैंने सोच लिया कि आज कुछ भी जाए, उसे लंड का मज़ा और चुदाई का आनन्द तो ज़रूर ही दूँगा और एक कुंवारी चूत को फाड़ कर अपने लंड राजा को खुश कर दूँगा.
वह घर आई.
मैंने उसे चूसा, उसके होंठ चूचियां, चूत सब अंग चूसे. उसने भी मेरा लंड मज़े से खूब चूसा.
अब मैंने उसकी गांड के नीचे तकिया लगाया और उसने समझ लिया कि आज बुर का भोसड़ा बनना तय है.
उसने अपनी फिंगर क्रॉस कर लीं और अपनी आंखें बंद कर लीं.
मैंने ढेर सारा सरसों का तेल लंड बुर में लगाया और धीरे से आधा लंड चूत की फांकों में फंसा कर भेदा.
वह मचलने लगी और छूटने की कोशिश करने लगी- आह प्लीज भैया … छोड़ दो … बहुत दर्द हो रहा है प्लीज भैया … आआह!
पर मैंने ठान लिया था कि आज तो चोद कर ही रहूँगा.
मैंने उसे नहीं छोड़ा. मैंने अपने हाथ से उसका सिर पीछे से पकड़ रखा था ताकि वह पीछे को ना जा पाए.
सब कुछ सैट करने के बाद मैंने एक जोरदार झटके के साथ अपना पूरा लंड उसकी चूत में अन्दर तक पेल दिया.
ओह … क्या आनन्द था.
उसके मुँह से चीख निकल गई.
वह तड़फ कर छटपटाने लगी और बोलने लगी- आह मर गई … प्लीज भैया छोड़िए प्लीज छोड़ दीजिए … बहुत दर्द हो रहा है.
मैंने कहा- चुप रह मेरी जान … थोड़ा सहन कर ले … खूब मज़ा आएगा … चुप रो मत.
वह रोती रही.
मैं भी कुछ देर शांति से उसके ऊपर लेटा रहा और उसके होंठों को चूसता रहा.
फिर धीरे धीरे मैंने उसे चोदना शुरू कर दिया.
उसे अब भी दर्द हो रहा था और मज़ा भी आ रहा था.
उसकी दोनों आंखें बंद थीं और वह अपनी पहली चुदाई के आनन्द का भरपूर मज़ा ले रही थी.
वह मीठा अहसास प्राप्त कर रही थी.
फिर मैंने स्पीड बढ़ानी शुरू की.
स्पीड के साथ उसका दर्द और मज़ा बढ़ता गया.
उसका मीठा मीठा दर्द, धीरे धीरे मज़े में तब्दील होने लगा था.
लंड भी सटासट चूत में आने जाने लगा था.
कुछ देर बाद मैंने उसे घोड़ी बनाया और उसकी पतली कमर पकड़ कर लंड उसकी चूत में ठांस दिया.
वह कराही मगर लंड झेल गई.
मैं उसकी पतली सी कमर पकड़ कर जोर जोर से धक्के मारने लगा.
गोरी गोरी गांड, रेशम सी कमर वाली … गोरी सफेद मक्खन सी कमसिन लौंडिया पूरी नंगी होकर घोड़ी बनी हुई अपनी कुंवारी चूत मज़े से चुदवा रही थी.
उसकी चूत बहुत गीली हो चुकी थी और वह झड़ भी गई थी.
मैं खड़ा हो गया और उस दुबली पतली फूल से बदन वाली कमसिन लड़की को अपनी गोद में उठा कर और उसकी गांड को अपनी हथेलियों का सहारा देकर उसे अपने कंधों का सहारा दिए लटकाए हुए था.
उसकी चूत में मेरा लंड किसी खूँटे के समान घुसा हुआ था.
वह मुझे देख कर हंस रही थी.
मैं उसे अपने लंड पर उछालने लगा.
जैसे ही मेरा लंड उसकी बुर की जड़ में घुसा, तो उसकी आंखें फैल गईं. उसका मुँह बड़ा हो गया और वह कराहने लगी.
क्योंकि इस पोजीशन में मेरा लंड उसकी चूत में पूरा अन्दर तक चला गया था.
कुछ देर बाद उसके मुँह से मादक आवाजें निकल रही थीं- ओह अहह!
वह हांफ रही थी.
उसे इस पोज में और ज्यादा मज़ा आ रहा था.
कुछ देर तक लंड पर झूला झुलाने के बाद मैंने फिर से उसे नीचे उतारा और पलंग पर लेटा दिया.
मैं नीचे खड़ा हो गया और उसके दोनों पैर अपने कंधों पर रख कर उसे उसकी जांघों को पकड़ कर दे दनादन पेलने लगा था.
दोस्तो और मेरी कमसिन चूत की रानियो … मुझे अपनी बहन को चोदने में बहुत मज़ा आ रहा था.
फिर मैंने उसे पुनः घोड़ी बनाया और उसके बालों को घोड़ी की लगाम के जैसे पकड़ा और तेज़ तेज़ झटके मारने लगा.
मेरा पूरा लंड उसकी चूत में अन्दर तक जा रहा था और बाहर आ रहा था.
वह अब तक कई बार झड़ चुकी थी और मैं एक बार भी नहीं झड़ पाया था.
वह बहुत थक गई थी. उसने अब और चुदने से मना कर दिया- बस भैया, अब नहीं होगा मुझसे … प्लीज अब बंद करो!
उसके चेहरे से साफ नज़र आ रहा था कि उसकी हालत बहुत खराब हो चुकी थी.
यह उसकी पहली चुदाई और वह भी लगातार काफी देर से हो रही थी.
हर एक स्टाइल में धकाधक चुदाई हुई थी.
फिर मैंने उससे कहा- चल मेरे लंड को चूस कर शांत कर दे.
उसने मेरा लंड बहुत प्यार से और खुशी से चूसा.
बहुत देर तक चूसने के बाद मेरा लंड का पानी फक फक करके उसके मुँह में भर गया.
उसने वीर्य थूका और मुँह साफ किया.
कुछ देर आराम करने के बाद वह चली गई.
मैंने उसे जाते समय दर्दनाशक दवा दे दी थी, जो उसके बुखार में भी काम आती क्योंकि उसे बुखार आना तय ही था.
वह दो दिन तक सही से चल ही न सकी.
दो दिन बाद उसकी चाल में सुधार आ गया था.
अब हमें जब भी मौका मिलता, हम दोनों तबीयत से चुदाई करते.
अब तो उसकी चूचियों का साइज़ भी बढ़ गया है और उसे अपनी चूत चुदवाने में बहुत मज़ा भी आने लगा है.
साथ ही उसे लंड चूसने में और भी मज़ा आता है, अब तो वह मेरे माल को गटक लेती है.
फिर एक दिन मैंने सोचा कि इसकी गांड मारी जाए.
जैसे उसकी चूत में लंड बहुत मुश्किल से कई दिनों के इंतज़ार के बाद गया था, वैसे ही गांड में भी लंड नहीं जा रहा था.
कभी उसकी गांड में मैं उंगली डाल कर चोदता, तो कभी प्लास्टिक की टेस्ट ट्यूब डाल कर गांड का छेद ढीला करता रहता.
फिर एक दिन मैंने उसकी चूत के नीचे तकिया रखा और उससे बोला- कितना भी दर्द हो, आज सह लेना. मैं तुझे छोड़ूँगा नहीं, तू पूरा डलवा लेना.
मैंने पहले उसकी गांड खूब चाटी, उंगली से चोदी, थूक लगा कर के चाटी.
फिर बॉडी लोशन, सरसों का तेल सब लगाया और उससे कहा कि दोनों हाथों से अपनी गांड फैलाओ.
उसने अपने दोनों हाथों से चूतड़ों को फैलाया.
मैंने अपना लंड उसकी गांड के छेद पर रखा और जोर से पेल दिया.
मेरा लंड अभी एक तिहाई ही अन्दर गया था कि वह चीखने लगी- ऊई मम्मी से मर गई … आह जानू निकालो प्लीज … जानू निकालो!
अब उसका भैया उसका जानू बन चुका था.
मैंने और दो तीन झटके दिए और अपना पूरा लंड उसकी गांड में घुसा दिया.
वह दर्द से कराह रही थी और छटपटा रही थी.
उसके मुँह से तेज़ तेज़ चीखें निकल रही थीं.
मैंने अपने हाथ से उसके मुँह को जोर से बंद कर दिया और धीरे धीरे उसकी गांड को चोदने लगा.
वह छटपटाती रही.
फिर मैंने और तेज़ तेज़ झटके मारने शुरू किए. अब वह बहुत तड़प रही थी और छूटने की कोशिश कर रही थी पर मेरे वजन के कारण वह हिल भी नहीं सकती थी और मैंने उसका मुँह जोर से बंद कर दिया था.
मैंने एक हाथ से उसकी चूची को दबोच रखा था और हवस में डूब गया था.
उसकी गांड तेल क्रीम की वजह से चिकनी हो गई थी, पर बहुत टाइट थी. मेरा पूरा लंड उसकी गांड में बहुत मुश्किल से अन्दर बाहर हो पा रहा था.
काफी देर मौसी की बेटी की गांड मारने के बाद मैं झड़ गया और लंड का पूरा पानी उसकी गांड में गिरा दिया.
फिर मैंने धीरे से लंड बाहर निकाला.
तो उसकी गांड फट चुकी थी.
मगर दोस्तो कुंवारी गांड फाड़ने में भी क्या मज़ा आया था … सच में बड़ा ही आनन्द मिला था.
उधर उसकी हालत खराब हो गई थी.
वह बोली- बहुत कमीने हो.
मैंने हंसते हुए उसे हग किया और उसे गले से लगा लिया.
अब हम दोनों को हमेशा जब मौका मिलता, हम दोनों किसी भी छेद में लग जाते.
मैं पूरी मस्ती से उसकी चूत चोदता हूँ और उसकी गांड भी मारता हूँ.
गांड मरवाने में आज भी उसे दर्द होता है … पर वह दर्द शुरुआती होता है, बाद में उसे बड़ा मज़ा आता है.
दोस्तो और मेरी चूत की रानियो, यह मेरी पहली सेक्स कहानी थी.
आप सभी से अनुरोध है कि प्लीज मुझे सिस्टर वर्जिन पुसी स्टोरी पर अपना फीडबॅक ज़रूर दें ताकि मैं आगे भी आपको अपनी सेक्स कहानी बताता रहूँ.
अगली सेक्स स्टोरी में मैं आपको बताऊंगा कि कैसे मैंने उसकी मॉम को चोदा था.
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