अपने साले की बेटी की कामुकता से मैं भी मजे ले रहा था. मैंने उसको अक्सर नंगी अपने जिस्म से खेलते देखता था. एक रात वो नंगी अपनी चूत में उंगली कर रही थी तो …
कहानी का पहला भाग: साले की छोरी की खोल दी मोरी-1
दिव्या अपने बेड पर लेटी थी उसके बदन पर सिर्फ एक टीशर्ट और चड्डी थी। वो गोरी चिकनी नंगी टांगें खोल कर लेटी थी।
क्या नज़ारा था यार … वो अपने मोबाइल पर कुछ देख रही थी और मैं उसके अध नंगे बदन को देख रहा था। थोड़ी देर बार मैंने देखा कि वो अपना हाथ अपने मम्मों पर फिरा रही है। शायद कोई पॉर्न मूवी देख रही होगी।
मैं भी अपने लंड को सहलाने लगा।
मम्में सहलाते सहलाते वो अपना हाथ नीचे को ले गई और अपनी चड्डी के ऊपर से ही अपनी फुद्दी को मसलने लगी।
मैं खुश हो गया कि आज इसको हस्तमैथुन करते हुए देखूँगा और यहीं इसी दरवाजे पर मुट्ठ मार कर जाऊंगा।
मगर दिल में एक विचार ये भी आया कि जब यह पूरी गर्म होगी, चुदने को तड़प रही होगी तो क्यों न मैं अंदर ही घुस जाऊँ, शायद कडक लंड देख कर ये मुझसे चुदने को मान ही जाए।
मगर इस काम में बहुत रिस्क था और बेइज्जती अलग से; तो मैंने सिर्फ मुट्ठ मारने का ही प्लान रखा।
वीडियो देखते देखते वो गर्म होने लगी और मैंने भी सहला सहला कर अपना लंड खड़ा कर लिया।
उसने अपने हाथ से अपनी टी शर्ट ऊपर उठाई और अपने दोनों मम्में बाहर निकाल लिए। दूध जैसे गोरे, मम्मों पर हल्के गुलाबी रंग के दो छोटे छोटे निप्पल, जिन पर दो और भी छोटी छोटी डोडियाँ अकड़ी हुई खड़ी थी। मुंह में लेकर चूसो, तो नशा आ जाए।
फिर उसने अपना हाथ अपनी चड्डी में डाल लिया और लगी चूत को मसलने।
गर्मी दोनों तरफ बढ़ रही थी.
मैंने भी अपने पाजामे का नाड़ा खोल दिया तो पाजामा नीचे गिर गया. चड्डी मैं घर में पहनता ही नहीं। तो अब कमीज़ के नीचे से मैं बिल्कुल नंगा हो चुका था.
उधर दिव्या ने भी अपनी चड्डी उतार दी और पूरी उंगली अपनी फुद्दी में डाल डाल कर अपनी फुद्दी को चोदने लगी।
एक हाथ में मोटा मम्मा पकड़े वो हल्के हल्के फुसफुसा रही थी- ओहह … मर गई मैं … आ जाओ … कोई तो आ जाओ … एक जवान लड़की चुदने को बेताब है … कोई तो आ … कर मेरी फुद्दी मार लो।
कामुकता से भरी दिव्या बोले जा रही थी- डाल दो … अपना मोटा लंड मेरी फुद्दी में … चूस लो मेरे मम्मे, काट के खा जाओ मुझे … चोदो मुझे, इतना चोदो के मैं मर जाऊँ। कोई तो मेरी फरियाद सुनो … कोई तो हो … जवान हो … अधेड़ हो … बूढ़ा हो … बस अपना लंड खड़ा करके डाल दे मेरी फुद्दी में … आह, … ठंडी कर दो मुझे … फक मी प्लीज़, को तो हो … फक मी!
उसकी बातें सुन कर मेरी हिम्मत बढ़ गई। मैंने सोचा ये तो किसी से भी चुदने को तैयार है, और मेरा लौड़ा भी गर्म है; क्यों न मार दूँ हथौड़ा!
पर अगर ये बुरा मान गई तो?
फिर सोचा कि साली खुद भी तो नंगी लेटी हाथ से कर रही है।
देख लेते हैं।
बेशक मन में डर था, मगर ना चाहते हुये भी मैं कमरे के अंदर घुस गया। गया तो दबे पांव था, तो उसको पता नहीं चला। मगर फिर भी इंसान की छठी इंद्री उसे होने वाले खतरे का आभास
करवा देती है।
दिव्या ने आँखें खोली तो देखा कि सामने मैं खड़ा हूँ हाथ में लंड लिए।
वो एकदम से उठ कर बैठी और अपने कपड़ों से अपना नंगा बदन ढकने की कोशिश करने लगी।
मैं थोड़ा सा उसके करीब गया और बोला- देखो बेटी, मैंने सब कुछ देख लिया है। और इस वक्त हम जिस हालत में हैं, उस हालत में हम दोनों ही एक दूसरे की इच्छा पूरी कर सकते हैं। मुझे कोई ऐतराज नहीं है, अगर तुम्हें भी कोई ऐतराज नहीं है, तो हम इस बारे में और आगे बात करें।
दिव्या ने मेरे लंड की ओर देखा तो मैंने अपनी कमीज़ ऊपर को उठा कर उसे अपने पूरे लंड के दर्शन करवाए।
वो कुछ नहीं बोली तो मैं बेड पर उसके पास जाकर बैठ गया।
वो थोड़ा सा चौंकी तो मैंने बड़े प्यार से उसका हाथ पकड़ा और उसे अपने लंड से लगाया।
पहले तो उसने अपना हाथ पीछे खींच लिया मगर जब दोबारा उसे अपना लंड पकड़ाया तो उसने पकड़ लिया।
मैंने भी वो कपड़े हटाने शुरू किए जिनसे वो अपना बदन छुपा रही थी।
था भी क्या … एक टीशर्ट और एक निकर।
मैंने दोनों लेकर एक तरफ रख दिये और फिर उसका हाथ भी पीछे हटाया. खूबसूरत गोरे मम्में मेरे सामने थे, मेरे हाथ की पहुँच में। मगर मैंने हाथ की जगह सीधा मुंह लगा कर उसका निप्पल चूसा।
उसके मुंह से एक शानदार सिसकारी निकली; मतलब उसको मज़ा आया।
अब वक्त था कि उसे पूरी तरह मजबूर कर दिया जाए।
मैंने उसकी दोनों जांघों पर चूमा और उसकी टांगें खोल कर अपना मुंह उसकी फुद्दी पर लगा दिया।
अब एक लड़की जिसने सिर्फ ब्लू फिल्मों में सेक्स देखा हो, जब सच में मर्द की जुबान उसकी फुद्दी में फिरी तो वो तो पगला गई। मैंने भी उसकी पूरी फुद्दी अपने मुंह में ले ली, और अंदर तक जीभ घूमा दी।
वो तड़प उठी- फूफा जी, नहीं … मत करो … बहुत गुदगुदी हो रही है।
मैंने कहा- मेरी जान, गुदगुदी में ही मज़ा है।
और फिर से उसकी फुद्दी चाटने लगा; और चाटते चाटते उसको अपनी ऊपर लेटा लिया।
अब मैं बिस्तर पर सीधा लेटा और वो मेरे ऊपर उल्टी लेटी हुई थी। मेरा लंड उसके हाथ में और उसकी फुद्दी मेरे मुंह में।
मैंने अपनी 27 साल की शादीशुदा ज़िंदगी का सारा तजुरबा उसकी फुद्दी चाटने पर लगा दिया। लड़की जवान थी और गर्म थी, खूब तड़पी। इतना तड़पी कि कब उसने मेरा लंड चूसना शुरू कर दिया, मुझे भी पता नहीं चला।
मैं उसकी फुद्दी चाटता रहा और वो मेरे लंड को ब्लू फिल्मों की हीरोइन की तरह चूस रही थी। मगर मैं तजुर्बेकार था, वो थी कच्ची खिलाड़िन!
तो मैंने उसकी फुद्दी चाट चाट कर ही 2-3 मिनट में ही उसका पानी गिरा दिया।
हालांकि जब उसका पानी गिरा तो जोश में आकर उसने मेरे लंड को काट खाया। पर उसके काटने में भी मुझे बहुत मज़ा आया।
उसने अपने बदन को अकड़ाया, टांगें झटकी, बहुत कुलबुलाई। मगर मैंने उसकी कमर को पूरी मजबूती से अपने चेहरे से सटाये रखा, ताकि जब तक वो बिल्कुल शांत न हो जाए, मेरी जीभ उसकी फुद्दी से बाहर न निकले।
जब वो शांत हो गई तो मैंने उसे सीधा करके नीचे लेटाया, और फिर अपना लंड उसकी कुँवारी फुद्दी पर रखा, और मार के धक्का अपने लंड का टोपा उसकी फुद्दी में घुसेड़ दिया।
तड़प उठी मेरी बेटी! दर्द से बिलबिला गई वो!
मगर मैं अब उसे छोड़ने वाला नहीं था। एक बार ही हो ले जो भी, जितना भी दर्द होना है।
मैं ज़ोर लगा लगा कर अपना लंड उसकी फुद्दी में घुसेड़ता ही रहा।
वो चिल्लाती रही- अंकल जी, रुको, अरे सुनो, हाये … मर गई, … अंकल रुको। प्लीज़ रुको दर्द हो रहा है … आई … , हाये माँ … अरे नहीं!
मगर मर्द कहाँ रुकते हैं; मैंने तो पूरा लंड उसकी फुद्दी में डाल के ही दम लिया।
छोटी सी फुद्दी, फूल कर कितनी बड़ी दिख रही थी।
और बांस जैसा मोटा लंड अंदर तक घुसा हुआ।
लड़की की आँखों में आँसू थे, मगर मैंने उसके आँसू की परवाह नहीं करी।
मैंने कहा- तब तो बड़ा शोर मचा रही थी, कोई तो आओ, फाड़ दो मेरी फुद्दी को, अब क्यों रोती है?
वो बोली- मुझे क्या पता था कि इतना दर्द होगा. आपने तो मुझे मार ही डाला अंकल जी।
मैंने कहा- मुझे अंकल जी मत कहो।
वो बोली- तो क्या कहूँ?
मैंने कहा- सभी रिश्तों के नाम लो, पापा, मामा चाचा, फूफा, मौसा।
वो बोली- वो क्यों?
मैंने कहा- हर वो लड़की जो तुम्हारी उम्र की है, मैं जिसको चोदने के सपने देखता हूँ, उन सबको मैं आज तुम्हारे माध्यम से चोदने का सुख लेना चाहता हूँ।
वो बोली- अंकल जी, आप तो बड़े ठर्की हो।
मैंने कहा- ऐसा वैसा ठर्की, मैं तो तेरी माँ को भी चोद दूँ, अगर वो मान जाए तो।
वो बोली- पर माँ क्यों मानेगी?
मैंने कहा- अरे रहते थे, मम्में तो उसके मैंने दबा कर देखे हैं, बस तेरी दादी आ गई, और वो कहानी वहीं रुक गई, वरना हो सकता था के तेरी माँ को भी मैंने पेल दिया होता।
वो बोली- अरे जाओ, झूठ।
मैंने कहा- तो मत मान चारू!
वो बोली- ये चारू कौन है?
मैंने कहा- मेरी बहन की बेटी है।
वो बोली- अच्छा … उस पर भी गंदी नज़र?
मैंने कहा- सब पर … तुझ पर तो तब थी, जब तू इस घर में आई थी।
वो बोली- मुझे कभी कभी लगता था कि आप मुझे किसी और ही नज़र से देखते हो, पर आप प्यार भी इतना करते हो कि मैं बूझ नहीं पाई के आपके मन में क्या है।
मैंने कहा- मेरे मन में तो सदा से यही थी, तेरी फुद्दी में अपना लंड डालना, और बड़े प्यार से अपनी प्यारी प्यारी बच्ची को चोदना।
वो बोली- तो ओ के पापा, फक मी।
मैं उसे चोदता रहा और वो मुझे- चोदो मामा जी चोदो मुझे, ज़ोर से पेलो चाचू।
कभी मौसा, कभी फूफा, कभी सर, कभी कुछ।
लड़की ने मेरा पूरा साथ दिया और फिर मैंने उसे तेज़ तेज़ चोदते हुए एकदम से अपना लंड बाहर निकाला और उसके पेट पर अपने माल की एक के बाद एक कई धार मारी।
गाढ़ा सफ़ेद लेस उसके पेट और मम्मो पर यहाँ वहाँ बिखर गया।
लड़की के चेहरे पर खुशी थी और मेरे मन में भरपूर संतुष्टि। इतनी संतुष्टि जितनी सुहागरात पर अपनी 20 साल की बीवी की पहली बार चुदाई करने की बाद मिली थी।
उसके बाद तो हम अक्सर कोई न कोई बहाना ढूंढते। लड़की को भी धीरे धीरे चुदाई का चस्का लग गया। अगले 8 महीने तक हम चोरी चोरी ये सेक्स का खेल खेलते रहे।
मगर एक दिन हमारा ये खेल पकड़ा गया और मेरी बीवी ने हम दोनों सेक्स करते हुये पकड़ लिया।
घर में तो कोहराम मच गया।
मेरी बीवी ने अपनी भतीजी दिव्या को भी मारा और मुझे भी बहुत सी गालियां दी, बहुत भला बुरा कहा।
अब मेरी बीवी की दिक्कत यह कि वो अपने भाई को भी नहीं बता सकती थी।
तो उसने मुझसे तलाक की मांग की।
मैंने उसे बहुत समझाया मगर वो मानने को तैयार ही नहीं हुई। वो अंदर से बुरी तरह टूट गई।
दिन हफ्ते महीने बीत गए मगर हमारे संबंध बिगड़ते ही गए और फिर एक दिन हमने अदालत में तलाक की अर्ज़ी दे दी।
कुछ समय बाद हमारा तलाक कोर्ट ने मंजूर कर दिया। अब वो अपने पिता के घर रह रही है, और मैं अपने घर।
दिव्या हॉस्टल में चली गई।