मेरी चुदक्कड़ मम्मी और चालू दीदी- 5

माय हॉट सिस फक स्टोरी में मैं अपनी बहन की पहली चुदाई को याद कर रहा था जब उसने सर्दी में नंगी होकर मुझे अपनी रजाई में बुला कर मेरा लंड पकड़ लिया था.

दोस्तो, मैं समीर आपको अपनी कामुक मम्मी और दीदी की चुदाई की कहानी के चौथे भाग
मेरे दोस्त ने मम्मी को गांड चाट कर चोदा
में सुना रहा था कि किस तरह से साहिल ने मेरी मम्मी की चुदाई की और वह अब मेरी बहन चोदने के लिए मम्मी की चुत से हट गया.

अब आगे माय हॉट सिस फक स्टोरी:

मैं साहिल को मम्मी के कमरे से बाहर ले गया और कमरा बंद कर दिया.

साहिल अपना लंड सहलाता हुआ बोला- आज तेरी मम्मी फुल रंडी मूड में है. कर ले ज़िंदगी की बेस्ट चुदाई.
मैंने कहा- मैं तो रोज़ करता हूँ.

साहिल बोला- मैंने तेरी रंडी माँ को चुदास भरी टैबलेट खिला दी. अब वह रात भर तेरे लंड की प्यासी रहेगी. तेरी बहन के लिए भी लाया हूँ, ताकि उस रांड को रात भर बजा सकूँ और वह मेरे लंड की भूखी बनी रहे. ले, तू भी एक खा ले.

मैंने कहा- थैंक्स भाई.
साहिल अभी नंगा खड़ा था.

मैंने कहा- कपड़े तो पहन ले.
वह बोला- अबे बोल देना कि दरवाज़े पर उतारे हैं.

मैंने कहा- चल, ठीक है.
अपने कमरे का दरवाज़ा खोला तो रमन और दीदी 69 की पोज़ीशन में एक-दूसरे को चाट रहे थे.

दीदी के मुँह में रमन का पूरा लंड घुसा था. दीदी लंड चूसने में माहिर हैं.
वे लंड को अपने गले की जड़ तक पूरा उतार लेती हैं और मर्द को फुल मज़ा देती हैं.

साहिल अन्दर जाकर बोला- यहां तो पिच पहले से तैयार है, बस बैटिंग करनी है.

दीदी ने लंड मुँह से निकाल कर साहिल को हैलो कहा.
साहिल उनके पास गया, अपना लंड उनके मुँह में पेलते हुए बोला- हैलो इसे बोलो डार्लिंग, मज़े तो ये देगा तुम्हें!

मैंने कहा- दीदी, अब तुम आराम से चुदवाओ. मैं मम्मी के कमरे में जा रहा हूँ, ये देखने कि वे यहां न आ जाएं.
दीदी बोलीं- ठीक है, बाहर से दरवाज़ा बंद कर देना.

मैंने दरवाज़ा बंद किया और दीदी को दो लंडों के हवाले छोड़ दिया.

असल में साहिल मेरी और रमन की उम्र का नहीं है.
वह 35 साल का है, उसके दो ब/च्चे भी हैं.
हम साहिल से मैच खेलते हुए मिले थे और तब से गहरे दोस्त बन गए.

मैं मम्मी के कमरे में गया, दरवाज़ा बंद किया.

मम्मी नंगी लेटी मेरा इंतज़ार कर रही थीं, उनकी आंखों में चुदास की चमक थी.

मैं पास पहुंचा तो मम्मी ने लपक कर मेरा लंड मुँह में ले लिया और चूसने लगीं.
वे ऐसे चूस रही थीं जैसे जन्मों की लंड की भूखी हों.

थोड़ी देर चुसवाने के बाद मैं अपनी पसंदीदा जगह, मम्मी के चूतड़ों के बीच पहुंचा और उन्हें चोदने लगा.

रात भर में मैंने मम्मी को चार बार ठोका.
आखिरी बार जब मम्मी की चूत मार रहा था तो मेरा लंड भी रोने लगा कि अब बस कर.

मम्मी की चूत और गांड में चार-चार उंगलियां घुसेड़ते हुए मेरी पूरी हथेली अन्दर-बाहर होने लगी.

मैंने जोर से हथेली पेलना शुरू किया और मम्मी अपनी गांड उठा-उठाकर मेरे साथ ताल मिलाने लगीं.

उनकी सिसकारियां हवा में घुल रही थीं.

मम्मी की चूत दरिया की तरह बह रही थी, उनकी गर्मी मेरे हाथों को भिगो रही थी.

फिर मैंने उन्हें घोड़ी बनाया, उनकी गांड में हथेली डाल-डालकर छेद को फैलाया और उसमें थूककर और चिकना कर दिया.
उस रात मैंने मम्मी की गांड की गुफा को हथेली से पूरी तरह खोल दिया था.

वे मज़े से पागल हो रही थीं, उनकी मादक आवाज़ें कमरे में गूँज रही थीं.
पिछले कई साल में मैंने उन्हें इतना एंजॉय करते नहीं देखा था.

फिर हम नंगे एक-दूसरे से चिपककर सो गए.

सुबह 6 बजे उठा तो मम्मी नंगी, बेसुध पड़ी सो रही थीं, उनका जिस्म रात की रंगरलियों से थका हुआ चमक रहा था.
मैं चुपके से उठ कर बाहर गया, दरवाज़ा बंद किया और अपने कमरे का दरवाज़ा खोला.

दीदी मॉर्निंग चुदाई के मज़े ले रही थीं. मैंने कहा- सोए नहीं तुम लोग?
दीदी बोलीं- दो घंटे सोए थे, फिर साहिल ने लंड मेरी बुर में डालकर मुझे जगा दिया. अभी कुछ मिनट पहले उठे हैं.

मैंने साहिल से कहा- जल्दी चोद दीदी को और निकल, वरना मम्मी जाग जाएंगी.

बीस मिनट बाद रमन और साहिल दोनों दीदी की चिकनी, गोरी, गुलाबी चूत को अपने माल से भरते हुए झड़ गए.
मैंने साहिल और रमन को बाहर छोड़ दिया और मम्मी का कमरा खोल दिया.

एक घंटे बाद पापा आ गए.
वे नहाने चले गए और मम्मी नाश्ता बनाने लगीं.

मैं और दीदी बाहर बैठ गए.
मैंने दीदी से पूछा- कल की रात कैसी रही?

दीदी ने किचन की ओर देखा कि मम्मी तो नहीं देख रही, फिर अपनी स्कर्ट ऊपर करके अपनी चूत दिखाई.
वे बोलीं- खुद देखकर पता कर ले!

दीदी की चूत वैसी ही थी, जैसे काले अमेरिकनों से चुदवाकर सूजकर डबल रोटी हो गई थी. मोटी, लाल और चिकनी.

मैंने उनकी चूत में उंगली डालकर कहा- लग रहा है किसी ने रात भर मज़े उठाए!
दीदी बोलीं- मेरी बुर में रात भर दो लंड एक साथ थे. रमन और साहिल ने मेरी चूत में लंड फंसाकर तड़पा-तड़पाकर चोदा.

मैंने कहा- तो मज़ा तो आया न?
दीदी ने मादक अंदाज़ में कहा- हां, मज़े में कोई कमी नहीं थी. दो-दो लंड बुर फाड़ चुदाई करें तो शिकायत कौन करेगा?

मैंने कहा- ये हुई न बात.

तभी मम्मी के आने की आवाज़ आई.
मैंने दीदी की बुर से उंगली निकाली और उन्होंने स्कर्ट नीचे कर ली.

मम्मी बोलीं- क्या बातें हो रही हैं भाई-बहन में?
दीदी ने शरारत से कहा- अरे कुछ नहीं मम्मी, वही ऑफिस की बातें बता रही थी कि बॉस मुझे उठने ही नहीं देते.

मम्मी बोलीं- मतलब?
दीदी ने घुमाकर कहा- मतलब इतना काम बता देते हैं कि दिन भर उसी में आगे-पीछे होती रहती हूँ.
मम्मी बोलीं- अच्छा.

मैं समझ गया कि दीदी अपनी डबल मीनिंग बातों का मज़ा ले रही थीं.

वह मम्मी-पापा के सामने अपनी चुदाई की सच्ची बातें ऐसे घुमाकर कहती हैं कि उन्हें कुछ समझ ही नहीं आता.

संडे था, दीदी और पापा घर पर थे. मैं हर संडे की तरह मम्मी को उनके होते हुए चोदने के नए तरीके सोचने लगा.

दीदी नहाने जाएंगी, तो एक राउंड आसानी से हो जाएगा, बाकी के लिए कुछ अलग सोचना पड़ता है.

दीदी नहाने गईं और पापा सोफे पर अखबार पढ़ने लगे.

मैं किचन में पहुंचा, मम्मी के चूतड़ फैलाकर दो उंगलियां अन्दर डालीं और बोला- और डालूँ क्या?

मम्मी ने मादक स्वर में कहा- देख ले, जाती है तो डाल दे
मैंने कहा- कल रात तो पूरी हथेली डाल दी थी.

मम्मी हंसती हुई बोलीं- तो अभी भी चली जाएगी.
मैंने घी उठाया, हाथ पर लगाया, चार उंगलियों को कोन बनाकर मम्मी की गांड में पेल दिया.

मम्मी सिसकारियां भरने लगीं- हाआआ… थोड़ा और अन्दर.
मैंने धीरे-धीरे अन्दर-बाहर करते हुए हाथ फैलाया और उनकी गांड को हाथ से चोदने लगा.

मम्मी फिर सिसकारी भरती हुई बोलीं- आगे वाला छेद भी प्यासा है.
मैंने गांड से हाथ निकाला और बोला- बुर का भोसड़ा बनाए बिना मैं कहां जा रहा हूँ?

ये कहकर मैंने हथेली उनकी चूत में उसी तरह पेल दी और उनकी बुर को हाथ से ठोकने लगा.
मम्मी लचककर मेरे लंड को मुँह में डालकर रगड़ने लगीं, उनकी सांसें जोर-जोर से काँप रही थीं.

पांच मिनट में उनकी बुर से इतना पानी बहने लगा कि उनकी सांसें थरथराने लगीं.

मैंने लंड को दोपहर तक रेस्ट मोड में रखा था, इसलिए उसे इस्तेमाल नहीं किया।
पर मम्मी को पूरा संतुष्ट करके अपने कमरे में चला गया.

दीदी नहाकर कमरे में आईं, उन्होंने अपने बदन पर लपेटा हुआ तौलिया उतारा और नंगी होकर कपड़े पहनने लगीं.

उन्होंने एक ढीला-सा टॉप डाला और घेर वाली स्कर्ट पहन ली.
घर में वह अक्सर ऐसे ही लुभावने कपड़े पहनती हैं, जो उनके गोरे जिस्म को और निखारते हैं.

मैं भी नहाने चला गया. नहाकर लौटा, तो नाश्ता किया और मम्मी के कमरे में सोने चला गया.

जब मैं मम्मी के कमरे में जाकर सोया उस वक्त सुबह के दस बज रहे थे.
मुझे थकान बहुत ज्यादा थी तो गहरी नींद के आगोश में चला गया.

दोपहर 3 बजे मेरी आंखें किसी गुदगुदाने वाले अहसास से खुलीं.
मैंने देखा कि मम्मी के मेरे लंड को चूस रही थीं.

मम्मी पूरी नंगी मेरे लंड को मुँह में लिए मेरी टांगों पर पेट के बाल लेटी सी थीं, मेरा लंड उनके मुँह में गहराई तक जा रहा था.

मुझे जागता देख कर वे बोलीं- पापा बाहर गए हैं और कोमल सो रही है.

मम्मी के लंड चूसने के कारण मेरा लंड तनकर सलामी दे रहा था.
उनकी बात सुनकर मैंने उन्हें ऊपर आने का इशारा किया.

मम्मी मेरे ऊपर आ गईं और उन्होंने अपने हाथ से मेरे लंड को अपनी गांड के छेद पर टिकाया और उसे अन्दर सरकाकर गांड उठा-उठाकर चुदने लगीं.

उनकी कामुक चूचियाँ मेरे सामने मस्त थिरक रही थीं.
साथ ही उनके कंठ से मादक सिसकारियां कमरे में गूँज रही थीं.

मैं उनके भरे हुए चूचों को मसलते हुए बोला- मेरी रंडी माँ, आज बहुत हॉट हो रखी हो, क्या बात है?

मम्मी ने मादक अंदाज़ में अंगड़ाई लेते हुए कहा- अच्छा? जैसे मैं अपनी मर्ज़ी से चुदवाती ही नहीं. भूल मत साले मादरचोद, जब पहली बार तूने मुझे चोदा था … उस वक्त भी मैंने ही तुझे चुदवाया था.
मैंने कहा- हां, वह रात कैसे भूलूँगा मेरी रांड.

उस दिन की घटना मुझे याद आ गई.

दरअसल पापा हर महीने की तरह उस दिन भी अपने किसी काम से बाहर गए थे.
मम्मी ने दीदी से कहा था- आज समीर को मेरे पास सोने दे.

फिर वे मुझे कमरे में ले गईं, दरवाज़ा अन्दर से बंद किया और बोलीं- आ मेरे पास बैठ.
उस दिन भी मम्मी ने अपनी रोज़ वाली मैक्सी पहनी थी, जो उनकी गोरी जांघों को उजागर करती थी. वह मैक्सी सामने से कपड़े वाली बेल्ट से बंद होती थी.

मम्मी बोलीं- एक बात बता, मैं तुझे कैसी लगती हूँ?
मैंने कहा- अच्छी लगती हो!

मम्मी ने शरारत से कहा- हॉट या सेक्सी … कोई एक शब्द चुन!
मैंने कहा- दोनों!

मम्मी बोलीं- तो आज तक कहा क्यों नहीं?
मैंने कहा- आप मम्मी हो, कैसे कहता?

मम्मी बोलीं- अच्छा, यहीं बैठ … मैं अभी आती हूँ.
वे अपने बाथरूम में गईं और दो मिनट बाद लौटीं.

मेरी आंखें फटी की फटी रह गईं.
मम्मी ने टू-पीस सी-थ्रू लॉन्जरी पहनी थी. ऊपर नेट वाली ब्रा, नीचे स्ट्रिप वाली थॉन्ग, जिसकी पतली डोर उनकी बुर की दरार में घुसी थी और चूत के होंठ बाहर झाँक रहे थे.

मम्मी कमर पर हाथ रख कर किसी पॉर्न एक्ट्रेस की तरह इठला कर बोलीं- अब कैसी लग रही हूँ?
फिर वे पीछे घूमकर झुकीं, अपने चूतड़ मेरे सामने परोसते हुए उन्होंने अपनी गांड के दीदार करवाए.

उनके मोटे चूतड़ और गांड में लगा आस प्लग देखकर मेरा लंड फटने को तैयार हो गया.
पीछे से भी उनकी चूत साफ नज़र आ रही थी.

मेरे मुँह और लंड से लार टपकने लगी. मम्मी फिर बोलीं- अरे, बता न!
मैंने कहा- मम्मी, बताने के लिए शब्द चाहिए, जो मेरे पास नहीं हैं!

मम्मी बोलीं- ओह, इतनी अच्छी लगी मैं तुझे?
मैंने कहा- इससे भी खूबसूरत कुछ हो सकता है तो वह मैंने अभी तक देखा ही नहीं.

मम्मी सीधी हुईं और मेरे पास बैठ गईं.
मैं उनके मम्मों को घूरता रहा.

वे बोलीं- छूकर देख!
मैंने तुरंत उनके मोटे दूध पकड़ लिए.

फिर मम्मी ने ब्रा उतारी और बोलीं- चखोगे नहीं … क्या सिर्फ पकड़े ही बैठे रहोगे?
मैं उनकी चूचियों पर टूट पड़ा.
एक दूध को चूसने और काटने लगा.

मम्मी पहले से गर्म थीं, अब और भट्टी बन गईं.
उन्होंने मुझे उठाया, टांगें फैलाकर बोलीं- इसे भी चख.

मैंने उनकी स्ट्रिप पैंटी फेंक दी और उनकी चूत पर मुँह रखकर कुत्ते की तरह चाटने-चूसने लगा.

मम्मी मेरा सिर अपनी चूत में दबा रही थीं, उनकी वासना से भरी सिसकारियां तेज़ हो गईं.
फिर वे बोलीं- कपड़े उतारकर बेड पर आ!

मेरा लंड पहले ही पानी छोड़ चुका था, पर अभी भी तना हुआ था.
मम्मी घोड़ी बनकर मेरे सामने आईं और बोलीं- उसे निकाल, फिर जीभ से चाट और जीभ की जगह अपना लंड डाल!

मैं सपने में था. ऐसा नहीं कि उस रात से पहले मैंने मम्मी की चूत, चूतड़, या दूध न देखे हों. मैं तो रोज़ देखता था, दिन में कई बार, क्योंकि मम्मी ऐसी मैक्सी पहनती हैं और अन्दर ब्रा-पैंटी नहीं डालतीं.
पर आज वे खुद चुदवा रही थीं, जो उन्हें और सेक्सी बना रहा था.

मैंने उनका बट प्लग निकाला और उनकी गांड चाटने लगा.
मुझसे कंट्रोल न हुआ तो उठा और लंड उनकी चौड़ी गांड के छेद में पेलकर चोदने लगा.

मम्मी सिसकारी भरती हुई बोलीं- हां बेटा, ऐसे ही … अपनी मम्मी को चोदते रह आह.

फिर मैंने बिना कहे लंड उनकी बुर में डाला और ठोकने लगा.
लगातार चार बार बिना रुके चोदा.

मम्मी बोलीं- एक ही दिन में अपनी रंडी मम्मी को पूरा चोद लेगा क्या?

उस रात मैंने उनकी बुर और गांड का उद्घाटन किया और तब से आज तक ये सिलसिला चल रहा है.

दीदी की बुर मैं मम्मी से एक साल पहले से चोद रहा था और उसमें भी सारा क्रेडिट दीदी का था, मेरा कुछ नहीं.

उस रात दीदी रोज़ की तरह कमरे में आईं, दरवाज़ा बंद किया, लाइट ऑफ की और बेड पर लेट गईं.

सर्दियों का मौसम था, मैं रजाई ओढ़कर लेटा था और दीदी भी अपनी रजाई में लेट गईं.

कुछ देर बाद दीदी ने मादक स्वर में पुकारा- भाई, इधर मेरे बेड पर आ जा. आज रात मुझे बहुत ठंड लग रही है.
मैं उठा और उनकी रजाई में घुस गया.

दीदी ने पीछे से अपना हाथ और पैर मेरे ऊपर रखा, मुझे अपनी गर्मी से लपेटती हुई बोलीं- इतनी दूर लेटेगा तो मेरी ठंड कैसे मिटेगी? मेरी तरफ होकर चिपक जा न!

जैसे ही मैं पलटा और उनसे चिपका, मुझे अहसास हुआ कि दीदी पूरी नंगी थीं.
उनकी नर्म, गर्म चूचियां मेरे सीने से दब गईं.

दीदी ने मेरी टांग खींचकर अपनी टांगों के बीच उनकी बुर से चिपका दी.

उनका रसीला जिस्म मेरे शरीर को भट्टी की तरह गर्म कर रहा था. मैं चुपचाप लेटा रहा, कुछ बोला नहीं.

थोड़ी देर बाद दीदी ने शरारती लहजे में कहा- अभी भी ठंड लग रही है. अपने कपड़े उतार दे, फिर चिपककर लेट!
मैंने कहा- नहीं दीदी, ऐसे ही ठीक है. थोड़ी देर में आपको अच्छा लगेगा.

ऐसा इसलिए कहा क्योंकि मेरा लंड पहले से ही तन चुका था.

लेकिन दीदी ने उठकर मेरे कपड़े खुद उतार दिए.
अब उन्होंने मेरे लंड को छूते हुए कहा- लगता है किसी और को भी ठंड लग रही है!

दीदी ने मुझे अपनी नंगी बांहों में कस लिया और लंड को अपनी चुत से रगड़ती हुई धीरे से कान में फुसफुसाईं- इसे मेरे अन्दर डाल, तब मेरी ठंड जाएगी.
ये कहकर उन्होंने मुझे अपनी टांगों के बीच खींचा और टांगें फैला दीं.

मैं उनके ऊपर चढ़ गया था, मेरा तना हुआ लंड उनकी गीली बुर से टकरा रहा था.
दीदी ने मेरा लंड पकड़ा, अपनी बुर पर सैट किया और मेरी गांड को दबाकर अपनी ओर खींच लिया.

मेरा लंड उनकी गर्म बुर में फिसल गया.

दीदी ने मादक स्वर में कहा- बुर के अन्दर गर्म-गर्म है न?
मैंने कहा- हां दीदी, बहुत ज़्यादा गर्म है. दीदी बोलीं- तो अब कमर हिला, अन्दर-बाहर करते रह और मुझसे चिपका रह.

ये कहकर उन्होंने मुझे अपने ऊपर लिटा लिया और मेरे होंठों को चूमने लगीं. उनकी जीभ मेरे मुँह में नाच रही थी. मैं नीचे उनकी रसीली बुर में धक्के पेल रहा था.
हर धक्के के साथ उनकी सिसकारियां तेज़ होती जा रही थीं. दीदी मुझसे तब तक चुदवाती रहीं, जब तक मेरा लंड अपने आप मुरझा नहीं गया.

फिर वे बोलीं- मज़ा आया दीदी की बुर चोदने में?
मैंने कहा- माय हॉट सिस फक में बहुत ज़्यादा मजा आया.

दीदी ने शरारत से कहा- तो अब रोज़ रात दरवाज़ा बंद करके बिना कहे मुझे चोदना … और जब मेरे पीरियड हों, तो मैं तुम्हारा चूसकर खुश कर दूँगी.

ये दो रातें मेरी ज़िंदगी को उलट-पुलट कर गईं, लेकिन लाइफ को सैट भी कर गईं.

दोस्तो यह दास्तान अब भी इसी तरह मस्ती से चल रही है. अब शायद मम्मी और दीदी को एक साथ चोदने का वक्त आ गया है.
मेरे दोस्त भी यही कह रहे हैं कि दोनों को एक साथ लिटा कर मिल कर चोदा जाए.

आपको मेरी इस कामुक मम्मी और माय हॉट सिस फक स्टोरी में कितना मजा आया, प्लीज जरूर बताएं.
tobeymagure13@gmail.com