मॅाम फक माँ चोद कहानी में मेरी मम्मी एकदम सीधी देहाती विधवा है. वे मेरे सामने नंगी नहा लेती थी. उन्हें देखकर मेरा लंड खड़ा होने लगा और मैं उनको चोदने के ख्याल मन में लाने लगा.
फ्रेंड्स, मेरा नाम अविनाश है.
मैं अमरेली गुजरात में रहता हूँ.
मेरी उम्र 25 साल है.
मैं एम. बी. बी. एस. की पढ़ाई कर रहा हूँ.
मॅाम फक माँ चोद कहानी मेरी मम्मी की है. मेरी मम्मी का नाम शिल्पा है.
उनकी उम्र 42 साल है और उनका फिगर 34-32-36 का है.
मेरी मम्मी गांव से हैं तो उनकी शादी उनके पिताजी ने कम उम्र में ही करवा दी थी.
मेरे पिताजी आर्मी में थे, जो शादी के 2 साल बाद ही गुज़र गए थे.
तो मेरी मम्मी ने ही मुझे पाला और मेरी मम्मी को बहुत दिक्कत सहनी पड़ी.
पापा के आर्मी में शहीद होने से हमें सरकार से बहुत सारे पैसे मिले थे, तकरीबन 25 लाख रूपए.
मेरी मम्मी को उनके पिताजी ने भी उनके हिस्से के 12 लाख रूपए दिए थे.
घर में पैसों की कोई टेंशन नहीं थी लेकिन लोग मम्मी को बुरा भला कहते थे.
वे बोलते थे कि ये अपनी पति को खा गयी … और पता नहीं कितनों से चक्कर चल रहा होगा!
मेरे नानाजी ने मम्मी से कहा- तुम लोग गांव से दूर किसी बड़े शहर में चले जाओ और उधर रह कर बच्चे की पढ़ाई के बारे में सोचो. अपना पुराना सब भूल जाओ और नयी ज़िंदगी शुरू करो.
मम्मी ने भी सोचा कि मैं अपने बेटे के लिए यह सब करूंगी और दुबारा शादी भी नहीं करूँगी. अपने बेटे को लायक इंसान बनाऊंगी.
उसके बाद हम दोनों मम्मी बेटा 2-3 महीने बाद मुंबई में रहने आ गए.
मम्मी अनपढ़ थीं इसलिए पैसे घर में अल्मारी में साड़ी के नीचे रखती थीं.
मम्मी को बैंक का चक्कर समझ नहीं आता था.
फिर मम्मी ने मुझको यहीं मुंबई में ही पाला पोसा और बड़ा किया.
बचपन से ही मुझे मम्मी नहलाया करती थीं और वे खुद भी मेरे साथ नहाती थीं.
जब मैं छोटा था, तब एक बार मैंने मम्मी से पूछा था- मम्मी तुम कहाँ से सुसू करती हो, तुम्हारे पास तो मेरे जैसी सुसू नहीं है?
तो मम्मी ने कहा था- बेटा, तुम लड़के हो और मैं लड़की … हम दोनों का सुसू अलग अलग होता है.
मैं समझ नहीं पाया था, पर मैंने कुछ ज्यादा पूछा नहीं.
कुछ साल बाद मम्मी ने मुझे इंग्लिश मीडियम के स्कूल में अड्मिशन दिलवाया और सोचा कि मैं अच्छे से पढ़ूँगा.
मम्मी मुझे डॉक्टर बनाना चाहती थीं.
एक दिन मैं सुबह के 4 बजे सुसू करने के लिए उठा तो देखा मम्मी की सलवार के ऊपर खून लगा हुआ था.
मैं डर गया और मैंने उसी वक्त मम्मी को जगा कर उन्हें बताया कि मम्मी आपके कपड़ों में खून लगा है!
मम्मी ने मुझसे कहा- बेटा, चिंता मत करो … यह खून सभी महिलाओं को हर महीने निकलता है. ये सामान्य बात है.
मैंने कहा- मम्मी पर आपको दर्द हो रहा होगा ना!
मम्मी ने कहा- नहीं, मुझे कुछ नहीं हो रहा है.
फिर मम्मी बाथरूम में चली गईं. मैं उनके पीछे पीछे गया.
मम्मी ने मेरे सामने अपनी सलवार निकाली और मैंने मम्मी को बिना कपड़ों के देखा.
मम्मी ने अपनी टांगों के बीच में दिखाते कहा कि देखो बेटा, यहां से खून निकलता है. यह हर महिला को निकलता है और यह सामान्य बात है.
फिर मम्मी ने अपने पूरे कपड़े निकाले और मुझे भी कपड़े हटाने को बोला.
वे मुझे नहलाने लगीं और खुद भी नहाने लगीं.
मेरी नज़र मम्मी की दोनों टांगों के बीच में टिकी थी, जहां से वे सुसू करती हैं.
मम्मी मुझे देख रही थीं.
वे बोलीं- बेटा कुछ नहीं है वहां, दर्द नहीं हो रहा है, देखो खून भी नहीं आ रहा है!
मैंने वह जगह छूकर देखी और कहा- अच्छा ठीक है मम्मी.
फिर नहाने के बाद मम्मी ने एक बड़ा सा कपड़ा लिया और उसने अपनी टांगों के बीच से होते हुए पूरे पिछवाड़े से निकालते हुए लंगोटी के जैसे बांध लिया.
मैंने पूछा- यह क्या कर रही हो मम्मी?
तो उन्होंने कहा- बेटा, दुबारा खून कपड़े पर ना लगे, इसलिए ऐसा कर रही हूँ. अब ये 5 दिन तक रुक रुक कर खून आएगा, लेकिन मुझे दर्द नहीं होगा.
मम्मी ब्रा-पैंटी, पैड, माहवारी के समय इस्तेमाल करने वाली महिलाओं के काम आने वाली वस्तुओं से पूरी तरह अनजान थीं.
चूंकि वे गांव में रहती थीं ना इसलिए ऐसा था … और उन्होंने कोई पढ़ाई भी नहीं की थी.
अब यह सब चलता रहा.
जब मैं स्कूल की बड़ी क्लास में आया, तो मैंने अपने स्कूल में टॉप किया.
मम्मी मेरी सफलता से बहुत खुश थीं.
उसके बाद मैंने साइन्स विषय ले लिए और बायलॉजी भी ले ली.
अपनी कड़ी मेहनत से मैंने अपनी बोर्ड की परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त किए व साइन्स में 90% स्कोर किया.
मेरी मम्मी बहुत ज़्यादा खुश हुईं.
उन्होंने मुझे बाइक खरीद दी और नया फोन भी.
हम मम्मी बेटे ने मेरा रिज़ल्ट अच्छा आने से खूब एंजाय किया, हम दोनों बाहर गए रेस्टोरेंट में डिनर किया.
बाहर नयी बाइक पर घूमे और देर रात को घर वापस आ गए.
मैं और मम्मी रात को सोने के लिए कपड़े चेंज करके बेड पर आ रहे थे, तब मैंने देखा कि मम्मी फिर से अपने पैरों के बीच में पहले जैसा कपड़ा बांध रही थीं.
मैंने मम्मी से कहा- मम्मी आप ये कपड़ा मत बांधो, आजकल बाजार में सैनिटरी पैड आ गए हैं. लड़कियां उसी का इस्तेमाल करती हैं.
मम्मी कुछ समझ नहीं पाईं.
मैंने मम्मी से कहा- मैं कल ले आऊंगा.
सुबह उठते ही मैं मम्मी के लिए सैनिटरी पैड का पैकेट ले आया और साथ में 4-5 जोड़ी ब्रा और पैंटी भी मम्मी की साइज़ की ले आया.
जब मम्मी नहाने जा रही थीं, तब मैंने उन्हें इस सबके बारे में बताया.
मम्मी ने कहा- ठीक है, इसे इस्तेमाल करूँगी, पर मुझे नहीं पता कि कैसे पहनना होता है.
मैंने उन्हें बताया कि दो पैरों के बीच में पैंटी के अन्दर पैड को रख कर पहनना होता है.
वे नहाने चली गईं.
अब मैं बड़ा हो गया था, इसलिए मम्मी के साथ नहाने नहीं जाता था.
फिर थोड़ी देर बाद बाथरूम से आवाज़ आई- अवि बेटा, यहां आना ज़रा!
मैं अन्दर गया तो देखा कि मम्मी मेरे सामने बिल्कुल नंगी खड़ी थीं.
उन्हें यूं देख कर मैं एकदम से बौखला सा गया.
आज पहली बार मुझे कुछ अजीब सा महसूस हो रहा था.
उन्होंने कहा- बताओ, कैसे इस्तेमाल करते हैं?
मैंने कहा- मम्मी मैंने आपको बताया था तो सही!
फिर मैंने ही मम्मी को पैंटी पहनाई, पैंटी में पैड खोल कर उनकी सुसू वाले स्थान पर लगाया और पहना कर सैट कर दिया.
फिर मैंने ही मम्मी को ब्रा भी पहनाई.
इसी बीच मेरा लंड एकदम हार्ड हो गया था.
आज पहली बार मुझे मम्मी को ऐसा देख कर हुआ था.
मम्मी मेरे फूले हुए लंड को देख रही थीं.
वे बोलीं- अरे तुम्हारी सुसू को क्या हुआ … यह इतना बड़ा कैसे हो गया और पजामे के ऊपर से काफी बड़ा दिख रहा है?
मैंने कहा- कुछ नहीं मम्मी ऐसे ही!
मम्मी को ये सब नहीं पता था कि यह बड़ा क्यों हुआ, क्योंकि मुझे लगा कि मम्मी को इन सब बातों का कोई खास ज्ञान नहीं हुआ होगा.
उनके साथ पिता जी ने एक या दो बार ही सेक्स किया होगा और वह भी अंधेरे कमरे में … तो मम्मी को लंड के आकार के बारे में और सेक्स से रिलेटेड कुछ भी पता नहीं था.
मम्मी के पीरियड्स खत्म हो गए थे.
उसके बाद मम्मी ने कहा- बेटा, मेरे महीने के दिन खत्म हो गए हैं, अब इन सब चड्डी ब्रा आदि का क्या करना है?
मैंने कहा- मम्मी इसे पहने रखा करो. ऐसे ही रहना अच्छा नहीं होता. सभी लेडीज लोग पहनती हैं.
मम्मी ने कहा- इसे पहन कर मुझे कुछ अजीब अजीब सा लगता है, पर ठीक है पहनने में मजा भी आ रहा है. धीरे धीरे पहनने की आदत हो जाएगी.
फिर एक रात कुछ ऐसा हुआ कि मैं और मम्मी रात को सो रहे थे, तो मम्मी का नाइट गाउन उनके घुटनों तक चढ़ गया था.
मैं मम्मी के पैर और जाँघ देख रहा था.
पता नहीं कैसे, मेरा हाथ उन्हें छूने को आगे आ गया.
फिर धीरे धीरे मैं उन्हें सहलाने लगा.
धीरे धीरे मैं मम्मी की गांड को सहलाने लगा.
मम्मी ने पैंटी नहीं पहनी थी. मैंने ही कहा था कि रात को पैंटी ब्रा मत पहनना, नींद अच्छी आएगी.
मैं मम्मी की गांड को मसलने लगा.
क्या गांड थी … एकदम मुलायम.
मेरा लंड एकदम से टाइट हो गया.
मैंने कंट्रोल खो दिया और मैं उनकी गांड पर अपना लंड घिसने लगा.
तुरंत ही मेरे लंड वीर्य की पिचकारी छूटी और मम्मी की गांड पूरी मेरे माल से भर गयी.
फिर मैंने मम्मी के गाउन को ठीक किया और सो गया.
सुबह देखा तो सब सामान्य था.
मम्मी को कुछ पता नहीं था.
पर मेरे मन में मम्मी के बारे में गंदे ख्याल आ रहे थे.
अब मैंने मम्मी को गंदी नज़र से देखना चालू कर दिया.
तभी सुबह मम्मी जब नहा कर आईं, तो वे बोलीं- बेटा मुझे ये वाली पैंटी ब्रा पहन कर बहुत अच्छा लग रहा है. तुम्हारा शुक्रिया इनके बारे में बताने के लिए!
मैंने कहा- इसमें शुक्रिया कैसा! आप मेरी मम्मी हो … आपके लिए मैं कुछ भी कर सकता हूँ.
पर मैं तो अब मम्मी को बिना अंडरगार्मेंट्स में देखना चाहता था.
मेरा मम्मी को चोदने का मन कर रहा था. मेरा दिमाग़ काम नहीं कर रहा था; सब जगह मुझे मम्मी की चूत, गांड दिख रही थी.
मैंने मम्मी को चोदने का सोच लिया था.
मुझे पता था कि मम्मी के पीरियड्स 3 दिन बाद शुरू होने वाले हैं.
तो मुझे 2 दिन में मम्मी को कैसे भी करके चोदना होगा ताकि मैं मम्मी की चूत चोद भी लूं और मम्मी प्रेग्नेंट भी ना हों.
फिर रात को मैं मम्मी के सोने का इंतजार कर रहा था. लगभग 12 बजे मम्मी सो गयी थीं.
मैंने धीरे धीरे मम्मी का गाउन ऊपर उठाया.
तभी मम्मी ने तुरंत मेरे मुँह के सामने करवट ले ली.
मेरी मम्मी की चूत उनके गाउन के ऊपर से मेरे लंड को छू रही थी.
फिर मैं मम्मी के गाउन के ऊपर से उनके बूब्स दबाने लगा.
क्या बूब्स थे … एकदम मुलायम!
मैंने मम्मी के गाउन के ऊपर के बटन खोले और अन्दर हाथ डाल कर बूब्स दबाने ही जा रहा था कि मम्मी जाग गईं.
वे बोलीं- अवि बेटा, क्या कर रहा है?
मेरा हाथ उनके गाउन के अन्दर था.
मैंने कहा- कुछ नहीं मम्मी, आपका बटन खुला था तो बंद कर रहा था.
मम्मी ने कहा- अच्छा ठीक है, कर दे बंद!
थोड़ी देर बाद मैंने मम्मी से पूछा- मम्मी, आपके स्तनों से दूध निकलता है क्या अब?
मुझे तो पता था कि नहीं निकलता है.
वह तो बच्चे की डिलेवरी के बाद ही आता है!
मम्मी- नहीं बेटा, अब दूध तो नहीं निकलता है, पर पता नहीं क्यों ऐसा हो गया! अचानक जब तू 5 साल का हुआ, तो तूने दूध पीना बंद कर दिया था, तभी से शायद दूध बनना बंद हो गया है!
मैं- अच्छा ऐसा है मम्मी, क्या मैं एक बार और चूस सकता हूँ शायद दूध निकलने लगे!
मम्मी- हट … अब तू बड़ा हो गया है अब तू थोड़ी ना दूध पी सकता है!
मैं- क्यों नहीं पी सकता? आप पिलाइए … मैं देखता हूँ … शायद दूध आ जाए!
मम्मी- ठीक है, ले पी ले मेरा दूध!
मैंने मम्मी के बटन खोल कर उनके बूब्स बाहर निकाले और उनसे चिपक कर उनकी एक चूची को अपने मुँह में ले कर चूसने लगा.
मम्मी ने हँसते हुए कहा- आ रहा क्या दूध? मुझे पता था कि नहीं आएगा … चल छोड़ अब!
पर मैंने कहा- मम्मी चूसने दो ना, बहुत साल हो गए, मजा आ रहा है चूसने में!
मम्मी बोलीं- ठीक है बेटा!
मैं चूसते चूसते मम्मी का दूसरा उरोज दबा रहा था.
मम्मी बोलीं- दर्द हो रहा बेटा, दबा मत!
मैंने कहा- सॉरी मम्मी.
तभी मेरा लंड एकदम सख़्त हो गया जो मम्मी को पेट में चुभ रहा था.
मम्मी- ये तो उस दिन के जैसे कड़क हो गया … यह कैसे हो गया?
बस मम्मी मेरे लंड को छूकर देखने लगीं.
मैंने नादान बनते हुए कहा- पता नहीं मम्मी, शायद मैं बड़ा हो रहा हूँ तो ऐसा होता होगा!
मैं सोच रहा था कि मम्मी को पता होगा.
मम्मी ने पापा का लौड़ा अपनी चूत में लिया होगा, तभी तो मैं पैदा हुआ … फिर भी मम्मी एसा क्यों पूछ रही हैं?
मम्मी- हां ऐसा ही होता होगा शायद!
मैं- मम्मी एक बात पूंछू?
मम्मी- हां बोल ना बेटा!
मैं- बच्चा कैसे पैदा होता है?
मम्मी- बेटा जब तुम्हारी शादी होगी तब तुम अपनी पत्नी के साथ रहोगे तो बच्चे हो जाएंगे.
मैं- अच्छा … और क्या इसके लिए कुछ करना नहीं पड़ेगा?
मम्मी- नहीं बेटा, कुछ नहीं करना पड़ेगा!
मैं सोच में पड़ गया कि यह कैसे हो सकता है. जब मम्मी पापा से चुदी होंगी … तभी तो मैं पैदा हुआ होगा. क्या मम्मी को सच में कुछ नहीं पता है? या वे अपनी भावनाएं मुझसे खुल कर नहीं बता पा रही हैं.
मैं- अच्छा ठीक है!
मम्मी- अब जल्दी सो जाओ, कल पढ़ने भी जाना है ना?
मैं- हां मम्मी, ठीक है … चलो सो जाते हैं.
तभी मैं बाथरूम में जाकर मुठ मार कर आया और मम्मी के साथ चिपक कर सोने लगा.
मैंने सोचा कि अब एक ही दिन है कल या परसों से मम्मी के पीरियड्स शुरू हो जाएंगे.
आज रात को कैसे भी करके मम्मी को चोदना ही होगा.
मैंने दिमाग़ के घोड़े दौड़ाए और मुझे मम्मी को चोदने का आइडिया मिल गया.
अब बस कल का इंतजार था. मैं मीठे सपने देखने लगा और सो गया.
करीब दो घंटा बाद मुझे अपने लंड पर कुछ हरकत सी होती महसूस हुई.
मैंने अपनी आंख को हल्के से खोला तो देखा कि मम्मी जाग रही थीं और उनका हाथ मेरे लंड को सहला रहा था.
वे उसे बड़े ही प्यार से सहला रही थीं उससे मेरा लंड कड़क होने लगा.
कुछ ही देर में मेरे लौड़े में एकदम से तनाव आ गया और मम्मी उसे पकड़ कर कुछ सोचने लगी थीं.
तभी मैंने अपनी मम्मी को अपनी बांहों में भर लिया और उनके साथ चिपक गया.
मम्मी भी मेरे साथ चिपक गईं, उनकी सांसें तेज तेज चल रही थीं.
मैंने ठान लिया था कि यह मौन ही ठीक है और इसी मौन में सेक्स हो जाने देता हूँ.
कुछ ही पलों बाद मैंने मम्मी के गाउन को ऊपर उठा दिया और उनके एक दूध को चूसने लगा.
मम्मी भी गर्म आहें भर रही थीं. मैंने अपने लोअर को हटाया और अपने लंड को मम्मी के हाथ में दे दिया.
कुछ ही देर बाद मैंने मम्मी को सीधा लिटाया और उनके ऊपर चढ़ गया.
मैंने उनकी चूत में लंड को लगाया और पेल दिया.
मम्मी चीखने की कोशिश करतीं कि मैंने उनके मुँह को अपने मुँह से बंद कर दिया और उनकी चुदाई चालू कर दी.
आधा घंटा के लगातार मॅाम फक के बाद मैं मम्मी की चूत में ही झड़ गया.
उसके बाद हम दोनों नंगे ही सो गए.
मैं माँ चोद बन गया था.
अगले दिन मम्मी मुझे नजरें नहीं मिला रही थीं.
मैंने उनको अपनी बांहों में भर लिया और कहा- मम्मी, मैं आपका बेटा हूँ और आपको सुख से वंचित नहीं रख सकता था. समाज की नजरों में भले ही यह गलत हो लेकिन मैं आपको स्त्री सुख देना उचित समझता हूँ.
मम्मी भी रोती हुई मेरे सीने से लग गईं और हम दोनों फिर से एक होने लगे.
उसके बाद से मम्मी मेरी माशूका बन गईं और हम दोनों मम्मी बेटे अपनी इस नई जिंदगी से खुश रहने लगे.
मेरी मॅाम फक माँ चोद कहानी पसंद आई होगी आपको!
तो लाईक कीजिए, कमेंट्स कीजिये और मेल भी कीजिये.
इस कहानी से आगे की कहानी भी आपको बताऊँगा.
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