घर सेक्स कहानी में मेरी मौसी मेरे साथ सेक्स करने के लिए मेरे पास आ कर सो गयी रात को. मैं भी उनके साथ मजा लेना चाहता था. उन्होंने मेरा लंड पकड़ लिया.
दोस्तो, मैं अमन आपको अपनी कुसुम मौसी की चुदाई की कहानी सुना रहा था.
कहानी के पहले भाग
कुंवारी मौसी की अधूरी चुदाई
में अब तक आपने पढ़ा था कि मौसी ने किस तरह से मेरा लंड चूस कर अपनी ठरक को शांत किया था और बाद में मेरे लंड को अपनी चूत में घुसड़वाने का असफल प्रयास भी किया था.
अब आगे घर सेक्स कहानी:
अब तक मैं पूरा निखर गया था और इस दरमियान मैं पुरानी सारी बातें भूल गया था.
बस मुझे उनसे प्यार था और उन्हें भी मुझसे आत्मीयता थी.
आज मैं उनसे रितिका मौसी की शादी में मिला था.
शादी के बाद मौसी के अन्दर काफी कुछ बदलाव आ गया था.
उनके दूध काफी रसभरे हो गाए थे और मुझे बेहद आकर्षक लग रहे थे.
जब कुसुम मौसी शादी से 8 दिन पहले वहां आईं, तो मैं उन्हें देख कर बहुत खुश हुआ.
मौसी ने मुझे देखा और अपने सीने से लगा कर प्यार किया.
उन्होंने हमेशा की तरह मेरा सिर अपने बूब्स में दबा लिया.
मुझे पता था कि मेरे साथ ये होगा ही इसलिए मैं पहले से ही तैयार था.
जैसे ही मौसी ने मुझे अपने गले से लगाया तो मैंने अपने होंठ उनके बूब्स के ऊपर सैट कर लिए और अपने होंठों से मौसी के निप्पल को दबा लिया.
मौसी हंस कर बोलीं- दबा क्यों रहे हो? सब देख रहे हैं छोड़ो!
वे ठीक ही तो कह रही थीं क्योंकि मेहमान आने के कारण घर में काफ़ी लोग जमा हो गए थे और उस वक्त उधर भी काफी लोग देख रहे थे.
मैंने झट से उन्हें अपने से अलग किया और उनसे बात करने लगा.
दिन तो जैसे तैसे निकल गया, पर जब रात हुई तो सोने के लिए जगह कम पड़ गई.
उस समय गांव में लाइट का भी बहुत पंगा रहता था.
इसलिए मेरे छोटे नाना ने जल्दी ही शाम 7 बजे सबको डिनर करा दिया और सबके सोने की तैयारी चलने लगी.
उसके बाद मम्मी ने मुझसे कहा- तू यहां से अपने साथ मामा के बच्चों को ले जा. इन्हें रात को यहां पर नींद नहीं आएगी. इसलिए तू इन्हें सबसे ऊपर वाले रूम में ले जा. ये वहां बड़े आराम से सो जाएंगे और सुबह 8 बजे तक आराम से उठ भी जाएंगे.
मैंने कहा- ठीक है.
फिर जैसे ही डिनर खत्म हुआ, मैं उन सबको अपने साथ ऊपर वाले कमरे में ले गया.
वहां पर 3 बेडरूम थे, एक बड़ा हॉल और बाथरूम था.
दो बेडरूम में तो मेरे दोनों मामा मामी और उनके बच्चे सो गए थे.
तीसरे वाले बेडरूम में कुसुम मौसी और जिनकी शादी थी, वे यानि रितिका मौसी सो गई थीं.
मेरा और मम्मी व नानी लोग का बिस्तर हॉल में लगा हुआ था.
मैं सोने की तैयारी करने में लग गया.
कुछ ही देर में मुझे नींद आ गई और मैं कब गहरी नींद में चला गया, मुझे पता तक नहीं चला.
काफी देर के बाद मुझे कुछ ऐसा लगा कि शायद मुझे कोई जगा रहा है.
मैं उठा तो वे मौसी थीं.
मैंने पूछा- क्या हुआ?
मुझे लगा कि मौसी को कोई दिक्कत होगी.
तो उन्होंने मुझसे धीरे से कहा- मैं तेरे पास ही सोऊंगी. क्योंकि रितिका सोते हुए पैर इधर उधर मार रही है, जिससे मुझे नींद नहीं आ रही है.
मैंने मौसी को अपने पास अड्जस्ट कर लिया.
मौसी ने मेरे ऊपर अपना हाथ रखा और वे सो गईं.
मैं भी सोने की कोशिश करने लगा.
उस वक्त मेरे दिमाग़ ने काम करना तब बंद कर दिया था, जब उनका हाथ मेरे सीने से सरक कर मुझे अपने लंड पर महसूस हुआ.
उनके हाथ ने मेरे लंड के साथ जैसे ही मेरे टट्टों को सहलाया, तो बस मेरे लौड़े ने खड़ा होना शुरू कर दिया था और मेरे दिमाग़ में अब सेक्स चलने लगा था.
कुछ ही पलों में मेरा लंड पूरा खड़ा हो गया था और लंड लोवर फाड़ने को आतुर हो गया था.
मैंने सोच लिया था कि आज तो मौसी की चूत मारनी ही है चाहे कुछ भी हो जाए.
यह सब सोचना बहुत आसान था पर करने में मेरी गांड फट रही थी.
क्योंकि अब वे पुरानी वाली मौसी नहीं रह गई थीं इसलिए थोड़ा डर लग रहा था.
मैं कुछ करता, उससे पहले ही मेरे पूरे जिस्म में करेंट सा चलने लगा था.
मेरा लंड मुझे पागल कर रहा था, वह मेरी सोचने की शक्ति को कम कर रहा था.
आख़िर मैंने फ़ैसला कर ही लिया कि मैं आज मौसी के जिस्म के पूरे मज़े लूँगा, आगे जो होगा वह देखा जाएगा.
क्योंकि अब से पहले मौसी के साथ जो हुआ था, उसमें वह मजा नहीं था पर अब मैं भी गबरू जवान हो चुका था और मेरे लंड का साइज़ भी बढ़ चुका था. मैं अपने लंड को हिलाने भी लगा था.
मैं भी अब मौसी से चिपक कर लेट गया और उन्हें अपने जिस्म की गर्मी देते हुए सोचने लगा कि जो होगा, सो देखा जाएगा.
मुझे तो बस अब अपनी मौसी के जिस्म को भोगने का लालच था जो कि बहुत ही ज़्यादा मस्त था.
मैं अपनी आँखों को खोल कर अपनी प्यारी मौसी को सोते हुए निहारने लगा. उनके ब्लाउज के गहरे गले में से झाँकते उनके दूधिया पहाड़ मुझे उत्तेजित करने लगे थे.
मुझे अपनी सोती हुई मौसी को निहारना काफ़ी ज़्यादा अच्छा लग रहा था … और लगे भी क्यों नहीं, आख़िर मेरी मस्त व रसीली मौसी सोती हुई इतनी ज्यादा हॉट लग रही थीं कि उनके ऊपर से मेरी नज़र हट ही नहीं रही थी.
उनको देख देख कर मेरा मूड भी गर्म होने लगा था.
सच में शादी के बाद तो मेरी मौसी का फिगर बहुत ही कमाल का हो चुका है.
ये सब तो सोते हुए और भी ज़्यादा मस्त लग रहा था.
मेरा मन कर रहा था कि मैं अपनी मौसी को किसी तरह चोद लूं, पर एक अनजाना डर सा भी लग रहा था कि कहीं कुछ करने पर मौसी को वह सब ग़लत लगा तो मेरा क्या होगा!
पहले तो मैं उनको निहारते हुए यही सब सोचने में लगा रहा, पर जब मुझसे रहा नहीं गया तो मैंने पहल कर ही दी.
मैंने धीरे से मौसी की कमर पर हाथ डाल कर लेट गया.
हम दोनों एक दूसरे के काफ़ी करीब हो कर सो रहे थे.
अब मैंने उनके एक पैर पर अपना पैर डाल कर फंसा लिया और अपना सिर उनके बूब्स के काफ़ी करीब लगा लिया.
मैंने यह सोचा था कि जैसे ही वे सांस लेंगी, तो उनके बूब्स खुद ब खुद मेरे मुँह से टकरा जाएंगे.
मौसी जिस कमरे से आई थीं, उस कमरे में मम्मी चली गई थीं व जो हॉल था वह दो हिस्से में था.
एक हिस्से में मैं और कुसुम मौसी लेटे थे और बगल वाले हिस्से में सारी नानियां और दूसरे रिश्तेदारी वाली औरतें सोई हुई थीं.
जैसा मैंने सोचा था, ठीक बिल्कुल वैसा ही हो रहा था.
हर सांस के साथ मुझे मौसी के दूध अपने मुँह पर लग रहे थे और मुझे इस खेल में काफ़ी ज़्यादा मज़ा भी आ रहा था.
अब मेरा लंड भी पागल हो रहा था इसलिए मैंने डरते हुए अपना हाथ उनके मम्मों पर ले जाकर रखा.
पर जैसा मैं उस वक्त चाहता था, वैसा कुछ भी नहीं हो पा रहा था.
मेरे हाथ रखने के कुछ ही देर बाद मौसी की आंख खुल गई और जैसे ही मैंने उन्हें आंख खोलते हुए देखा तो मैंने अपनी आंखें बंद कर लीं.
जिस वक्त मौसी ने आंखें खोलीं, तो उन्हें लगा कि मैं सो रहा हूँ इसलिए अब वे मेरे साथ और ज़ोर से चिपक कर सो गईं.
उनके इस कदम से अब जैसा मैं चाह रहा था, वह खुद ही हो गया था.
मैं और मौसी एक दूसरे से लगभग चिपक कर सो रहे थे.
आप ऐसा मान लो कि हमें एक दूसरे की सांसों तक का पता चल रहा था.
इधर मेरा लंड भी उनकी जांघों से लग रहा था और उनके जिस्म की गर्मी की वजह से मेरे लंड ने अंडरवियर व लोवर में ही अपना दम तोड़ दिया था.
लंड से पानी की बरसात होने लग गई थी, जिससे मेरा अंडरवियर पूरा गीला हो गया था.
पानी निकल जाने के बाद मुझे अब काफ़ी ज़्यादा सुकून मिल रहा था और थोड़ी थकावट सी भी हो रही थी.
पर उस वक्त मैं लेटा हुआ था तो मुझे पता ही नहीं चला कि कब मेरी आंख लग गई थी.
मैं पूरे नशे में सो रहा था और मुझे तो नींद भी बहुत ही मस्त आ रही थी.
कुछ देर बाद मुझे कुछ अजीब सा महसूस हुआ.
पहले तो मुझे लगा कि मैं ये सब सपना देख रहा हूँ, पर बाद में मुझे लगा कि ये सपना नहीं हक़ीकत है.
मैंने अपनी आंख खोलीं और देखा कि मौसी मेरे लोवर में हाथ डाल कर मेरे सोए हुए लंड से खेल रही थीं.
ये देख कर मुझे काफ़ी ज़्यादा अच्छा लग रहा था.
मैं तब समझ गया कि मौसी भी तब तैयार थीं पर मैं ही डर गया था.
फिर सोचा कि चलो कोई बात नहीं, अभी भी तो मौसी मेरे साथ ही हैं. पर फिर भी मैंने थोड़ा नाटक किया और धीमी आवाज में मौसी से कहा- मौसी ये सब क्या कर रही हो!
मौसी– चुप कर तू, मुझे क्या पता नहीं है कि तू पहले क्या कर रहा था?
मैं- अच्छा, तो मतलब आप जाग रही थीं!
मौसी– हां.
मौसी बोलीं- तेरा लंड तो इतने साल में काफी ज़्यादा बढ़ गया है!
मैं बोला- इससे पहले आपने कब देखा था मौसी?
मौसी बोलीं- जब मैं तुम्हारे मामा के तिलक के समय तुम्हारे लंड को अपने मुँह में चूस रही थी और उसी वक्त मैंने उसे पूरा खड़ा भी कर दिया था और अपनी हवस मिटाने के लिए तुम्हारे लंड को अपनी चूत में जबरन डालने की खोशिश भी कर रही थी!
उन्होंने जैसे ही यह बात कही तो अब मुझे धीरे धीरे सब घर सेक्स वाली बात याद आ गई.
मौसी बोलीं- उस समय तुम मेरी आग नहीं मिटा पाए थे और मैं तड़फती रही थी, लेकिन मैं तुम्हें नहीं तड़पने दूँगी. आज तुम्हारी गर्मी को मैं अपने जिस्म से मिटा दूँगी अमन बेटा, चिंता ना करो!
अब कुसुम मौसी मेरे लंड को ऊपर नीचे कर रही थीं और कुछ देर बाद उन्होंने पोज सैट किया और मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए.
होंठ रखते ही मैंने बिना एक पल की देर किए, उन्हें अपने होंठों में भर लिया और चूसने में लग गया.
उनकें होंठ बड़े ही रसीले थे और मुझे उनके दोनों होंठों को चूसने में बहुत आनंद आ रहा था.
फिर मैंने अपनी जीभ को मौसी के मुँह में डाल दी और उनके बूब्स को अपने दोनों हाथों से ज़ोर ज़ोर से दबाना शुरू कर दिया.
मौसी भी आअहह आहह करने में लग गई थीं.
मैंने मौसी से कहा- अब देर ना करो मौसी!
तो मौसी बोलीं- जो करना है, खुद ही कर लो, मैं किधर रोक रही हूँ!
उनके मुँह से यह सुनते ही मैंने बिना एक पल गँवाए उनकी साड़ी को खींच कर उतार दिया और पेटीकोट के ऊपर से ही चूत को रगड़ने लगा.
मौसी भी मेरे लोवर को नीचे करके लंड को बाहर निकाल कर उसे ऊपर नीचे करने में लग गई थीं.
मौसी ने मुझे अपने ऊपर ले लिया और मेरा लंड उनके पेटीकोट के ऊपर से ही चूत पर मुँह मारने लगा था.
तब मैं मौसी से बोला- आप अपना ये ब्लाउज और पेटीकोट भी उतार दो!
मौसी ने मेरी बात मानते हुए खुद को पूरी नंगी कर दिया और साथ ही साथ मुझे भी नंगा कर डाला.
अब मौसी के नंगे दूध मेरी आंखों के सामने थे जो बहुत ही मस्त लग रहे थे.
मैंने उनके दोनों मम्मों को एक एक करके अपने मुँह में लेकर बहुत ही मजेदार तरीके से चूसा.
मौसी के दूध चूसने में मुझे बहुत ही ज़्यादा मज़ा आ रहा था.
मैं अपने दूसरे हाथ से उनके दूसरे बूब्स को दबा रहा था.
मौसी के बूब्स के निप्पल एकदम कड़क होकर खड़े हो गए थे, मैं अपने होंठों में एक निप्पल को लेकर खींचते हुए चूस रहा था.
उधर मौसी ने मेरे लंड को मुँह में लेने का इशारा किया तो मैंने बिना कोई रोक-टोक किए अपना लंड उनके मुँह में डाल दिया.
उस वक्त मैंने उनका सिर पकड़ लिया और लंड को उनके मुँह में ऊपर नीचे करने लगा.
वे भी बहुत ही मजेदार तरीके से लंड को चूस रही थीं, जिससे मुझे उनका मुँह चोदने में काफ़ी ज़्यादा मज़ा आ रहा था.
तभी मौसी बोलीं- अभी तक तुमने सेक्स किया है या नहीं?
मैं बोला- नहीं!
मौसी बोलीं- चल आज तुझे पूरा मजा देती हूँ. तुम उधर से मेरा बैग देना जरा!
मैंने उन्हें उनका बैग पकड़ा दिया तो उन्होंने उस बैग में से कोई गोली का पैकेट निकाला. उसमें से एक गोली निकाल कर मुझे पानी के साथ खिला दी और दूसरी खुद ने खा ली.
मैंने पूछा- मौसी यह क्यों खिलाई?
वे बोलीं- इससे तू 20 मिनट की जगह 40 मिनट तक जम कर सेक्स करेगा और वह भी बिना थके. तेरा लंड भी लंबे समय तक टाइट रहेगा और कुछ इंच बढ़ भी जाएगा!
मैंने कहा- आर वाह यह तो बहुत ही अच्छी दवा है मौसी, आप मेरा अच्छे से ख्याल रख रही हो … लव यू मौसी!
मौसी मुझे चूमती हुई बोलीं- लव यू टू बेटा!
अब मैं कुसुम मौसी के मुँह में बहुत ही मजेदार तरीके से लंड को पेलने लगा और करीब 20 मिनट तक लंड चूसने के बाद अब मेरा पानी निकलने वाला था.
मौसी ने मुझे आंख से ही इशारा करते हुए कहा कि मुँह में ही वीर्य निकाल दो.
यह सुनते ही मैंने मौसी के मुँह को ज़ोर ज़ोर से चोदा और कुछ ही पल बाद मैंने मौसी के मुँह में अपना पानी निकाल दिया.
गोली की वजह से मेरा लंड अभी ढीला नहीं होने वाला था.
मौसी ने सारा पानी पी भी लिया पर तब भी लंड की सख्ती में कमी नहीं आई थी जिस कारण से मौसी ने मेरे लंड को अभी तक अपने मुँह से बाहर नहीं निकाला था.
मुझे तब कुछ समझ नहीं आया कि मौसी ने मेरे लंड को मुँह से क्यों नहीं निकाला.
पर बाद में जब मौसी मेरे लंड को जीभ से चाटने लगीं, तब मैं सब समझ गया.
फिर बाद में मौसी ने मेरे लंड को मुँह से बाहर निकाल दिया.
अब मैं भी उनकी पीठ को मज़े से सहला रहा था.
दोस्तो, मौसी के साथ मुख मैथुन का सुख लेने के बाद मैं लंबी लंबी सांसें ले रहा था.
मेरा लंड जल्द ही वापस सख्त होने लगा था.
अब मुझे उनकी चूत चुदाई का मजा लेना था.
आपको इस घर सेक्स कहानी के अगले भाग में मौसी की चुदाई का वृतांत लिखता हूँ, आप मुझे अपनी राय से जरूर अवगत कराएं कि आपको सेक्स कहानी कैसी लग रही है.
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घर सेक्स कहानी का अगला भाग: