फुल नाईट सेक्स विथ कजिन का मजा मुझे एक रिश्तेदार की लड़की ने दिया. शादी के कुछ दिन बाद ही वह हमारे घर आई थी और उदास थी. वह मेरे करीब आने की कोशिश कर रही थी।
दोस्तो, मेरा नाम बबलू है, मैं उत्तर प्रदेश के लखनऊ का रहने वाला हूं।
मेरी उम्र 40 साल के करीब है लेकिन शरीर दिखने में फिट है।
मैं बॉडी से मजबूत हूं और खुद को मेंटेन करके रखा हुआ है।
देखने में भी अच्छा लगता हूं।
आज मैं आपको अपनी जिंदगी का एक पुराना किस्सा सुनाने जा रहा हूं।
यह फुल नाईट सेक्स विथ कजिन की बात करीबन 22 साल पुरानी है।
तब मेरी उम्र 18 के करीब रही होगी।
बात काफी पुरानी है लेकिन उसके किस्से की यादें अभी भी लंड खड़ा कर देती हैं।
आपका ज्यादा समय न लेते हुए मैं अब सीधे अपनी बात आपके सामने रखता हूं।
एक दिन की बात है कि हमारे घर पर मामा के यहां से कुछ लोग आए थे।
उनमें एक मियां-बीवी और उनकी लड़की थी।
मैं उनको मामा-मामी ही कहता था क्योंकि वे मामा-मामी के बहुत करीबी थे।
उनके आने के बाद चाय-नाश्ता हुआ।
मेरी मम्मी फिर उन्हें लेकर मेडिकल कॉलेज चली गई।
खाना बनाने के लिए उनकी बेटी घर पर रह गई।
लड़की का नाम मैं यहां नहीं लूंगा लेकिन काल्पनिक नाम हम सरोज रख लेते हैं ताकि आपको कहानी पढ़ने में परेशानी न हो।
उस वक्त मोबाइल फोन नहीं होते थे, केवल एसटीडी-पीसीओ हुआ करते थे।
हमने भी पीसीओ खोला हुआ था और मैं जाकर अपने पीसीओ में बैठ गया।
मैंने देखा कि वह लड़की बार-बार बहाना बनाकर मेरे पास आने की कोशिश कर रही थी, मुझसे बात करने की कोशिश कर रही थी।
मुझे लगा कि वो मुझे पसंद करने लगी है।
फिर मैंने भी उससे बात करनी शुरू की।
दुकान में बैठकर हमने कुछ देर यहां-वहां की बातें की।
वह बहुत मायूसी भरी बातें कर रही थी।
मैं उसे खोलना चाहता था।
फिर मैंने निजी सवाल करने की सोची लेकिन जगह ठीक नहीं थी।
मैं घर जाने का इंतजार करने लगा।
दरअसल उसकी अभी नई-नई शादी हुई थी।
शादी को मुश्किल से महीना भी नहीं बीता था।
फिर जब मैं घर गया तो वह अकेली बैठी हुई थी।
मैं उसके पास जाकर बात करने की कोशिश करने लगा।
मैंने कहा- क्या बात है सरोज, बहुत उदास सी दिखती रहती हो तुम, तुम्हारी तो नई शादी हुई है अभी, तुम्हें तो खुश दिखना चाहिए।
वो बोली- कहां की खुशी? शादी के बाद मैं अपने ससुराल में सिर्फ तीन रात ही रुकी थी। उसमें से 2 दिन तो पूजा-पाठ में ही निकल गए। फिर तीसरी रात में जो कुछ भी हुआ उसमें इतना दर्द हुआ कि कुछ भी मजा नहीं आया। दर्द के कारण पति भी ज्यादा कुछ कर नहीं पाए।
मैं बोला- तो पहली बार में तो दर्द होता ही है।
वो बोली- तुम्हारी क्या शादी हुई है जो इतने विश्वास के साथ बोल रहे हो?
मैं बोला- शादी तो नहीं हुई लेकिन मैंने किताबों में तो बहुत कहानियां पढ़ी हैं, पहली बार में दर्द होता ही है।
फिर हम ऐसे ही बातें करते रहे और पता नहीं कब मेरा लंड खड़ा हो गया।
मेरे लंड में झटके लगने लगे।
मेरा ध्यान सरोज के ब्लाउज में कसे उरोजों पर जाने लगा।
वह भी देख रही थी शायद कि मेरी नजर उसके ब्लाउज में अंदर झांकने की कोशिश कर रही है।
यही भांपकर उसने अपना पल्लू थोड़ा और सरका दिया।
शायद वह भी यही चाह रही थी जो मैं चाह रहा था।
मैंने हिम्मत करके उससे कह ही दिया- तुम चाहो तो मैं आज रात को बहुत कुछ कर सकता हूं!
यह सुनकर उसके चेहरे पर एकदम से सन्नाटा छा गया और फिर एक मुस्कराहट के साथ उसका चेहरा शर्म से लाल हो गया।
मैं समझ गया कि ये भी मेरे साथ एक होने के लिए तैयार है।
वह कुछ नहीं बोली, बस नीचे देख रही थी।
मैंने कहा- आज रात को मौका देखकर मेरे कमरे में आ जाना।
फिर मैं दोबारा से अपनी पीसीओ की दुकान पर जा बैठा।
मेरे मन में अब बेचैनी के घोड़े दौड़ रहे थे।
लंड ने चूत की आस पाकर पानी छोड़ना शुरू कर दिया था।
दुकान पर बैठे हुए बार-बार मेरा ख्याल सरोज के ब्लाउज में कसे चूचों पर जा पहुंचता था।
मेरा हाथ बार-बार मेरे लंड को सहला कर आ जाता था।
लगभग कुंवारी चूत चोदने को मिलने वाली थी और वो भी ब्याहता।
मैं अब इंतजार नहीं कर पा रहा था।
मुट्ठी मारने का मन कर रहा था लेकिन फिर चुदाई के लिए वो हवस नहीं रह जाती जो अब मेरे अंदर भड़क रही थी।
इसलिए मैं मन पर काबू करके बैठा रहा।
उसके बाद मैं कई बार घर के अंदर-बाहर गया।
जब भी सरोज से नजरें मिलतीं … वह हर बार मुस्कराकर नजरें नीचे कर लेती थी।
फिर शाम हुई तो घरवाले वापस आ गए।
रात को 11 बजे मैंने पीसीओ बंद कर दिया।
फिर सरोज ने मुझे खाना दिया और मैंने खाना खाया।
मेरी मम्मी और सरोज के घर वाले अब तक सब सो चुके थे क्योंकि वो दिनभर से थके हुए थे।
फिर मैं अपने रूम में चला गया।
मैंने टीवी चला दिया और लेटा रहा।
कुछ देर के बाद सरोज भी मेरे रूम में आ गई।
वह भी बैठकर टीवी देखने लगी।
मैंने कहा- यहां पलंग पर बैठकर देख लो, वहां परेशान हो जाओगी।
फिर वो मेरे पास पलंग आकर बैठ गई।
कुछ देर बाद मैंने धीरे से पूछा- तो क्या इरादा है?
जैसे ही मैंने उसकी तरफ देखा वो शरमा गई।
उसने अपना चेहरा नीचे कर लिया।
मैं समझ गया कि इसका भी मन है चुदाई करवाने का लेकिन ये मुंह से नहीं कहेगी, मुझे ही कुछ करना पड़ेगा।
मैंने अपना हाथ उसकी जांघ पर रख दिया।
वह कुछ नहीं बोली।
मैं उसकी जांघ को सहलाता चला गया।
वह बस बैठी हुई महसूस करती रही।
फिर मैंने उसके कंधे को सहलाना शुरू किया, उसके गालों पर उंगलियां फेरीं।
आराम से उसके ब्लाउज पर हाथ रख दिया, उसकी चूचियों को धीरे-धीरे दबाने लगा।
फिर मैं थोड़ा जोर से दबाने लगा तो उसकी आंखें बंद होने लगीं और सांसें तेज होने लगीं।
उसको चूचियां भिंचवाने में मजा सा आ रहा था।
इधर मेरा लंड कच्छे में उधम मचा रहा था; बार-बार सांप की तरह फन उठाकर फुंफकार रहा था।
सरोज मेरे उछलते कच्छे को एक नजर देखती और फिर से आंखें नीचे कर लेती।
फिर मैंने उसे धीरे से अपने पास लिटा लिया।
मैं उठकर उसके ऊपर आ गया और उसकी साड़ी के ऊपर चूत की जगह लंड लगाकर उसके ऊपर लेट गया।
मैंने उसके होंठों पर होंठ रख दिए।
वह अभी मुंह नहीं खोल रही थी लेकिन मैं बार बार होंठों को चूम रहा था, उसके गालों को चूम रहा था और उसकी गर्दन को किस कर रहा था।
फिर वह गर्म होने लगी, उसके होंठ खुलने लगे और मैंने उसके रसीले होंठों पर अपने होंठों से हमला कर दिया।
काफी मजे से मैं उसके होंठ चूसने लगा।
वह भी पूरा साथ दे रही थी।
फिर मैंने उसकी साड़ी बदन से हटानी शुरू की।
साड़ी हटाकर अब वो केवल ब्लाउज और पेटीकोट में थी।
मैंने उसे उठाकर ब्लाउज के हुक खोले.
और उसने फिर खुद ही पेटीकोट का नाड़ा खोलना शुरू कर दिया।
मैंने ब्लाउज उतारा तो उसने पेटीकोट नीचे सरका दिया।
अब सरोज मेरे सामने कच्ची कली की तरह एकदम नंगी थी।
उसका बदन बहुत गोरा था और चूचियां एकदम कसी हुई थीं और छाती पर तनी हुई थीं जैसे गोल गोल सेब लगे हों।
मैंने उसकी चूत को देखा तो उस पर हल्के बाल थे।
ज्यादा छोटे भी नहीं थे और ज्यादा बड़े भी नहीं थे।
चूत सेक्सी लग रही थी। चूत देखकर लग रहा था कि लंड बस बाहर से छूकर ही गुजर गया हो, अभी कुंवारी जैसी ही चिपकी हुई थी।
सोचकर ही मुंह में पानी आ गया कि इसकी फांक हटाकर देखूंगा तो अंदर से कितनी रसीली और टाइट होगी।
फिर मैंने जल्दी से अपना बनियान और कच्छा उतार फेंका।
मैं नंगा होकर सरोज के उरोजों पर मुंह लगाकर लेट गया।
हम दोनों के जिस्म अब एक दूसरे से ऊपर से नीचे तक टच हो रहे थे।
मैंने उसके चूचों को भींचते हुए पीना शुरू कर दिया।
वह कसमसाने लगी।
फिर मैं एकदम से उसके होंठों पर टूट पड़ा।
वह भी पागलों की तरह मेरे होंठों को खाने लगी।
अब हम दोनों के बदन दो नागों की तरह एक दूसरे से उलझने लगे थे।
होंठों से होंठ लगे थे, उसकी चूचियों से मेरी छाती, चूत से लंड भिड़ गया था और पंजों से पंजे पेंचें लड़ा रहे थे।
दोनों के ही जिस्मों की गर्मी एक दूसरे में समा रही थी।
बड़ा ही आनंद आ रहा था।
लगभग 15 मिनट तक खूब एक दूसरे के होंठों को हमने चूसा।
सरोज भी शायद चूमा-चाटी की शौकीन लग रही थी।
मैंने उसकी चूत को रगड़ना शुरू कर दिया।
वो सिसकारने लगी तो मैंने उसका मुंह बंद कर दिया और धीरे से कहा- काबू रखो, बाहर खतरा है, कोई सुन लेगा।
फिर वो आवाजों को कंट्रोल करने लगा।
मैं चूत में उंगली करने लगा।
वह जांघों को भींचने लगी।
चूत वाकई काफी टाइट थी।
फिर मैंने नीचे जाकर उसकी टांगों खोल लिया और चूत की दोनों फांकों को खोलकर देखा।
आह्ह … क्या गुलाबी चूत थी अंदर से!
सरोज की चूत पूरी गीली हो चुकी थी।
फिर मैंने उसमें जीभ देकर चाटना शुरू किया।
वह एकदम से उछल गई।
मैंने उसे नीचे दबाया और फिर से चूत में जीभ दे दी।
वह मचलने लगी।
जितना वो तड़पती … उतना ही मैं चूत में गहराई तक चाटने की कोशिश करता।
आखिर में उसने मेरे सिर को अपनी चूत में जोर से दबा लिया।
इतनी जोर से कि मुझे सांस आना दूभर हो गया।
वह चूत को मेरे मुंह की तरफ धकेल कर जैसे मेरी जीभ से चुदने की कोशिश कर रही थी।
इधर उसकी चूत की खुशूब मेरी नाक में, और स्वाद मुंह में जा रहा था।
लेकिन नीचे लौड़े ने बेड को ही गीला करना शुरू कर दिया था।
मैं जोर-जोर से चूत चाटने लगा।
सरोज ने एकदम से मेरा मुंह चूत पर से हटा दिया, फिर ऊपर आने का इशारा किया।
मैं उसके मुंह के पास मुंह ले गया तो उसने कान में धीरे से कहा- कर दो!
मैं बोला- क्या?
सरोज- कर दो अब चूत में!
मैं बोला- चोद दूं?
उसने हां में सिर हिलाया।
मैं बोला- अपने मुंह से कहो न एक बार!
सरोज- चोद दो!
मैं बोला- क्या चोद दूं जान?
सरोज- मेरी चूत चोद दो!
बस ये सुनकर मेरे लंड में दोगुना करंट दौड़ पड़ा।
मैंने जल्दी से उसकी टांगों को फैलाया और अपना लौड़ा उसकी चिपकी पड़ी चूत पर लगा दिया।
चाटने के कारण अब वो कुछ फूल सी गई थी लेकिन मुंह बिल्कुल चिपका हुआ था।
फिर मैंने लंड का टोपा उसकी चूत की दीवारों को हटाने के लिए इस्तेमाल किया।
लंड का टोपा लगते ही उसे मजा आने लगा और मैं तो जैसे तड़प ही गया उसकी चूत में लौड़ा अंदर देने के लिए।
उसकी चुदास ऐसी बढ़ी कि वो मुझे अपने ऊपर खींचने की कोशिश करने लगी कि बस मैं उसके ऊपर लेटकर उसे चोद दूं।
मैंने भी उसके दिल की ख्वाहिश को तवज्जो दी और धीरे से लंड का जोर उस टाइट छेद पर लगाते हुए उसके ऊपर लेटता चला गया।
उसने मुझे बांहों में घेर लिया और कान में बोली- पति की तरह दर्द मत देना, सिर्फ मजा देना!
मैं बोला- चिंता मत करो मेरी जान … आराम से चोदूंगा।
फिर मैंने लंड का ज्यादा जोर नहीं लगाया।
बस उसके होंठों से होंठ मिलाकर धीरे-धीरे लंड को चूत पर लगाकर हिलाता रहा।
टोपा अभी चूत की बाहरी दीवारों में ही फंसा हुआ था।
सरोज भी कोशिश कर रही थी कि लंड को चूत में जाने की जगह मिलती चली जाए इसलिए वह भी चूत को हिला रही थी।
धीरे-धीरे करके मैंने थोड़ा जोर लगाना शुरू किया क्योंकि ऐसे में रुकना बहुत मुश्किल लग रहा था।
मैंने हल्का सा झटका दिया और उसके बदन में भी झटका सा लगा।
टोपा अंदर घुस गया।
लेकिन उसे ज्यादा दर्द नहीं हुआ बस हल्की आह्ह … निकल कर रह गई।
मेरा आधा काम हो गया था।
उस वक्त मेरा लंड भी नया नया जवान हुआ था और बहुत ज्यादा मोटा या बड़ा नहीं था।
6 इंच के करीब का साइज रहा होगा।
बाद में तो फिर चूत मार मारकर यह काफी मोटा हो गया।
तो मैंने सरोज की चूत में टोपा दिया और उसको बतहाशा चूमने लगा।
उसकी चूचियों को पीने लगा।
वह भी लंड को पूरा लेने की कोशिश में जुट गई।
करते-करते लंड सरकने लगा और 2 मिनट बाद पूरा लंड चूत में समा गया।
हमारी कोशिश रंग लाई और सरोज ने बिना दर्द के पूरा लंड ले लिया।
अब मैं धीरे-धीरे उसे चोदने लगा।
उसकी चूत अब लंड को जगह देने लगी और उसे मजा आना शुरू हो गया।
पांच मिनट बाद ही मैं चुदाई की पूरी स्पीड पकड़ चुका था।
सरोज भी चुदने का पूरा मजा लेने लगी।
उसके चेहरे पर हल्का सा दर्द और उससे कई गुना ज्यादा आनंद मैं देख रहा था।
एकाएक उसने अपनी टांगों को उठाकर मेरी गांड पर लपेट लिया और मेरी पीठ पर नाखूनों से चुभाने लगी।
वह बार-बार मेरे मुंह को अपने पास खींचने की कोशिश कर रही थी।
मैं नीचे मुंह ले गया तो मेरे होंठों में जीभ देकर लार को खींचने लगी।
उसके पैरों के पंजे मेरी गांड को चूत की ओर दबाने के लिए जोर लगाते हुए मुझे महसूस होने लगे।
सरोज चुदाई का पूरा मजा लेने लगी।
कुछ ही देर में उसकी आंखें बंद होने लगीं।
वह अब किसी और ही दुनिया में थी।
मुझे भी लगने लगा कि अब झड़ने के करीब हूं।
फिर एकदम से सरोज ने मुझे जकड़ लिया और उसका बदन ऐंठने लगा।
उसकी चूत ने पानी छोड़ना शुरू कर दिया जिससे मेरे लंड को और ज्यादा गर्माहट मिलने लगी।
चुदाई में पच-पच की ध्वनि गूंजने लगी।
मैं भी अब काबू न रख सका और जोर जोर से धक्के लगाते हुए उसकी चूत में झड़ने लगा।
आह्ह … टाइट चूत में झड़ते हुए मैं तो स्वर्ग की सैर कर रहा था।
मजा तो बस चूत चुदाई में ही है दोस्तो!
सरोज की चूत मेरे लंड के वीर्य में सराबोर हो गई।
उसके चेहरे पर थकान और आनंद के भाव बह रहे थे जो देखकर मुझे भी असीम संतुष्टि मिल रही थी।
एक प्यासी चूत को मैंने वो परम आनंद दे दिया था जिसके लिए वो लम्बे वक्त से तड़प रही थी।
हम दोनों एक दूसरे के ऊपर ही पड़े रहे।
लगभग आधे घंटे तक हम ऐसे ही लेटे रहे एक दूसरे से चिपके हुए।
फिर वो दोबारा से हिलने लगी।
हम फिर से एक दूसरे के बदन को सहलाने लगे और कुछ ही देर में हमारे होंठ मिल गए।
अबकी बार सरोज कुछ खुल गई थी।
वह खुले दिल से मेरे बदन को जहां-तहां छू रही थी, मेरा लंड पकड़ रही थी, आंडों को छेड़कर देख रही थी।
होंठ चुसाई के बाद मैंने फिर से उसकी चूत में लंड दे दिया और चोदने लगा।
कुछ देर लिटाकर चोदने के बाद मैंने उसको डॉगी स्टाइल में किया और पीछे से लौड़ा देकर चोदने लगा।
लगभग आधे घंटे तक मैंने उसकी चूत पेली और अबकी बार उसने खुलकर साथ दिया।
फिर मैंने दोबारा से उसकी चूत में पानी छोड़ दिया।
दो बार सेक्स करने के बाद हम काफी थक गए।
लेकिन दिल अभी भी नहीं भरा था।
फिर हम वाशरूम में गए और फ्रेश होकर आए।
वह आकर मेरे सीने पर सिर रखकर लेट गई।
मैंने पूछा- कैसा लगा?
बोली- बहुत अच्छा! यही तो अहसास मैं लेना चाहती थी।
फिर बोली- आपको कैसा लगा?
मैंने कहा- मजा आ गया! लेकिन मन अभी भी कर रहा है।
बोली- तो मना किसने किया है!
हम फिर से शुरू हो गए।
इस बार वो 69 में भी आ गई।
मैंने उसकी चूत चाटी और उसने मेरा लौड़ा चूसा।
अब वह पूरी तरह से खुल चुकी थी।
तीसरा राउंड भी काफी देर तक चला।
फुल नाईट सेक्स विथ कजिन के बाद और हिम्मत नहीं बची थी।
फिर वह धीरे से मेरे रूम से निकल कर चली गई और अपने कमरे में जाकर सो गई।
फिर अगले दिन वो अपने घर वापस चली गई।
उसके बाद भी हम दोनों को सेक्स करने के कई मौके मिले जिनके बारे में मैं फिर कभी बताऊंगा।
आपको मेरी यह रीयल सेक्स स्टोरी कैसी लगी मुझे जरूर बताना।
फुल नाईट सेक्स विथ कजिन कहानी पर मैं आपके कमेंट्स का इंतजार करूंगा।
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