बेहेनचोद ब्रो सेक्स कहानी में एक शादी में एक सेक्सी माल लड़की से मुलाक़ात हुई तो मुझे बताया गया कि वह मेरी दीदी लगती है. लेकिन वह मुझ में रूचि ले रही थी. पहली रात को ही वह चुद गयी.
दोस्तो,
यह मेरी पहल सच्ची चुदाई की कहानी है.
हुआ यूं कि उस वक्त मेरे एक मामा की शादी हो रही थी और सारे रिश्तेदार वहां पहुंचते जा रहे थे.
शादी जहां हो रही थी, मैं वहीं रहता था तो तैयारी की सारी जबावदारी मेरी हो गयी थी.
मैं अपने काम में लगा था.
तभी मेरे मामा ने मुझसे कहा- सुन बेटा, कार ले जा और स्टेशन चला जा. उधर कुछ मेहमान आने वाले हैं, तू उन्हें लेकर आ जा!
मैंने पूछा- जिनको आना है, उनके नंबर दे दो.
तो मामा ने मुझें पिंकी दीदी का नंबर दे दिया और मैं लेने चला गया.
उधर पहुंच कर मैंने कॉल किया.
तो मेरे कान में मस्त सेक्सी आवाज़ सुनाई दी ‘हैलो!’
मैंने कहा- हैलो, मुझे मामा जी ने आप लोगों को लेने भेजा है, मैं बाहर खड़ा हूँ! नीली वाली कार के पास आ जाइए.
वह बोली- ओके हम सब बाहर आते हैं.
फिर जब वे लोग बाहर आए तो मैंने देखा कि 4 लोग थे.
उधर बहुत ज्यादा लोग बाहर नहीं आ रहे थे तो मैंने उन चार लोगों की तरफ ही अपना हाथ उठा कर इशारा करते हुए कहा- इधर!
वे समझ गए, फिर सब लोग आए.
मैंने सबसे नमस्ते बोला और कार में बिठाया.
अब मेरी नज़र उस मस्त गदरायी माल पर ही टिकी थी जो आते वक्त सबसे पीछे आ रही थी.
वह सामने वाली सीट पर मेरे बाजू में आकर बैठ गयी.
उसने अपनी मीठी आवाज में कहा- चलिए!
फिर हम लोग घर पहुंचे. वहां सब मिले और एक दूसरे से अपना रिश्ता बताने लगे.
तभी मेरी मां उस लड़की से बोलीं- पिंकी, ये तेरा छोटा भाई लगेगा!
वह हंसने लगी और मैं भी!
यह बेहेनचोद ब्रो सेक्स कहानी इसी लड़की की है.
मैंने सोचा कि अरे यार, यह तो दीदी निकल आयी!
पर ऐसे भी उसे देख कर मुझे पूरा मज़ा तो आ ही रहा था, फिर सोचा कि चलो ठीक है, छोड़ो रहने दो.
अब मैं वापस अपने काम में लग गया.
फिर शाम हुयी और मामा ने मुझसे कहा कि जा पिंकी को साथ ले जा और मार्केट घुमा ला, उसे कुछ सामान लेना है.
मैं खुश हो गया और रेडी होकर कार के पास इंतजार करने लगा.
पिंकी दीदी आयी और उसने कहा- चलें?
मैंने कहा- हां चलिए!
फिर मैंने उसके लिए गेट खोला और बैठने को कहा, तो वह यह सम्मान देख कर खुश हो गयी.
फिर हम दोनों मार्केट निकल गए.
वहां पिंकी ने खूब शॉपिंग की.
इधर मैं उसे देख रहा था.
उसकी चूचियां 30 इंच की और कमर 28 की थी.
जब उसकी मटकाती चाल पर नजर डाली तो उसकी उभरी हुई मस्त गांड मेरे सामने मटक रही थी.
उसके ये नाप यह मैंने उसके कपड़े लेते वक़्त देख साइज़ के नंबर देखते हुए भी समझ लिया था.
वैसे भी वह लग भी रही थी उसी साइज़ की.
मेरी नियत अब दीदी पर खराब होने लगी थी.
मैं सोचने लगा था कि साली एक बार रगड़ने को मिल जाए तो मज़ा आ जाएगा.
उधर उसने मुझसे कहा- मुझे एक ड्रेस भी लेना है, किसी अच्छी सी शॉप में ले चलो!
मैं उसे एक मॉल में ले गया.
वहां वह एक लेडीज ड्रेस वाली शॉप में गयी और उधर से उसने एक गाउन ले लिया.
उस गाउन को ट्राय करने के लिए वह चेंजिंग रूम में चली गयी.
मैं उसके बाहर निकलने का इंतजार करने लगा.
वह बाहर आयी तो उसे देख कर मेरे मुँह से निकल गया- ओह्ह!
तो वह बोली- क्या हुआ?
मैंने कहा- कुछ नहीं!
वह बोली- ड्रेस अच्छी नहीं है क्या!
मेरे मुँह से निकल गया- मस्त ड्रेस है दीदी … आप कमाल की लग रही हो इसमें … एकदम टाइट फिटिंग … परफेक्ट ड्रेस!
वह हंसी और बोली- चल रहने भी दे यार … कुछ भी … इतनी भी खूबसूरत नहीं हूँ मैं!
मैंने मन में कहा कि यह तो मैं समझता हूँ या मेरा लंड समझ रहा है कि तू क्या चीज है!
सामने से कुछ नहीं बोलते हुए बस दीदी को देखता रहा.
फिर उसने पूछा- बताओ ले लूँ क्या?
मुझे लगा कि मेरा लेने के लिए कह रही है और मैंने कह दिया- हां ले लो न!
फिर वह पेमेंट के लिए गयी.
वहां पैसे कम पड़ गए.
वह ड्रेस 9000 की थी.
मैंने कहा- मैं दे देता हूँ.
बाकी के 4000 रुपए मैंने दे दिए.
वह खुश हो गयी और हमारी बनने लगी.
फिर हम लोग हंसी मजाक करते हुए घर आ गए.
रात को खाना खाया और बाहर आकर बैठे थे तभी वह भी आयी.
वह अपनी नाइट ड्रेस में थी.
ओह्हो … मेरा तो लंड कड़क हो गया उसको देख कर … एकदम बदन से चिपकी हुई ड्रेस देखकर पूरा मामला समझ में आ रहा था कि इसने ब्रा भी नहीं पहनी है.
वह आकर मेरे ही बगल में बैठ गयी और सबसे बातें करने लगी.
मेरा ध्यान वहां से हट कर इस बात में गया कि यह मेरे पास क्यों बैठ गयी!
पर मैंने कुछ नहीं कहा और हंसी मजाक में लग गया.
अब उसकी गांड मुझसे टच होने लगी और कंधा भी रगड़ खाने लगा.
मैं इस मज़े में खुश होने लगा और मेरा लंड कहने लगा कि बस थोड़ा और कोशिश कर ले यार.
मैं उसको पेलने का सपना देखने लगा और सोचने लगा कि ऐसा क्या किया जाए कि बिना बात किए ये लाइन में आ जाए.
फिर सोने का प्लान बना तो सब भाई बहनों के एक ही रूम में सोने की बात चली.
मामा मुझसे बोले- ऊपर वाले कमरे में तुम सब आ जाओगे, वहीं वर्कर को कहो कि गद्दे लगवा दे.
मैं कहने जाने लगा तो दीदी बोली- कहां चला?
मैं बोला- अभी आया बिस्तर लगवा के!
वह अजीब सी चमक वाली नज़रों से मुझे देखने लगी.
मैं समझ गया कि कुछ तो चल रहा साली के मन में!
फिर मैंने ऊपर जाकर तैयारी की और सबको कहा कि आ जाओ सोने!
सब आने लगे.
मैं नीचे आ गया और पानी पी रहा था
तभी वह आकर बोली- चल ऊपर!
मैंने कहा- दीदी आप चलो, मैं अभी आया.
वह ‘ठीक है’ बोल कर चली गयी.
अब मैं पहुंचा तो सब जगह फुल हो गयी थी.
मेरे लिए एक कोना बचा था. मैं वहीं जाकर लेट गया.
इतने में पिंकी दीदी बोली- तू इधर आ जा मेरे भाई, मेरा सर दबा दे!
मैं बोला- ज्योति से दबवा लो!
ज्योति मेरी बहन थी.
दीदी बोली- इसके हाथों में ताकत ही नहीं है, मैंने ट्राय कर लिया!
उसकी इस बात पर सब हंसने लगे और बातें होने लगीं.
मैंने पिंकी दीदी का सर दबाने लगा और उसी टाइम हम सबके बीच में गर्लफ्रेंड ब्वॉयफ्रेंड की बातें होने लगीं.
सब अपना अपना बताने लगे.
उस वक्त दीदी का सर मेरे लंड से टकरा रहा था, जिससे मेरा लंड टाइट हो गया था.
ये दीदी को भी पता लगा होगा, पर वह कुछ नहीं बोली.
मैं उसका सर दबाने में बिजी था.
फिर दीदी ने मुझसे पूछा- तेरी कोई है क्या?
मैंने कहा- नहीं, अभी नहीं!
वह बोली- झूठ बोल रहा ना!
मैंने कहा- नहीं सच में, बस दोस्त हैं एक दो लड़कियां!
वह मुझे छेड़ने लगी.
मैंने भी रिश्ते का लिहाज़ किया और कहने लगा- अरे दीदी, क्या मज़ाक बना रही हो!
वह बोली- सॉरी सॉरी!
फिर बोली- बन जाएगी, मेरा भाई तो इतना स्मार्ट है.
मैंने उसको देखा, तो वह मुझको देख कर कातिल निगाहों से मुस्कुराने लगी.
अब मैं सोचने लगा कि इसको ही बनाऊंगा अपनी गर्ल फ्रेंड … बस मौका मिल भर जाए.
फिर सब सोने लगे तो मैं अपने बेड में जाने लगा.
दीदी बोली- अकेले डर तो नहीं लगता ना तुझे!
मैंने उसको देखा और कहा- डर लगेगा तो आपसे आकर चिपक जाऊंगा, ठीक है दीदी!
यह कह कर मैं हंसने लगा.
वह भी हंस दी और हम सोने लगे.
मैंने लाइट ऑफ की, अब कमरे में पूरा अंधेरा था. पर मुझे नींद नहीं आ रही थी और ठंड भी लग रही थी.
मैं जाग ही रहा था और अपने लंड को सहला रहा था.
फिर उस वक्त रात के दो बज रहे होंगे, तब मैंने महसूस किया कि मेरे बगल में कोई है!
मैंने छुआ तो एकदम सॉफ्ट सॉफ्ट फील हुआ. मैंने अच्छे से छुआ तो दीदी का दूध मेरे हाथ से टकराया.
मैं चिहुंका और उठ कर बाहर आ गया.
मैंने सोचा कि क्या सच में वह पिंकी दीदी है, जो मेरे बगल सोई है. वह कब मेरे पास आयी, पता ही नहीं चला!
फिर मैंने सोचा कि मौका अच्छा है, आज इसके साथ मज़े ले लेता हूँ.
बस अब मैं वापस जाकर लेट गया और धीरे से अपना पैर उसके पैरों पर रख दिया.
वह कुछ नहीं बोली, तो मैंने अपना एक हाथ उसके पेट के ऊपर रख दिया.
वह फिर भी कुछ नहीं बोली.
मेरा तो इतने में ही लंड खड़ा हो गया था. बस यह लग रहा था आज ये ऐसे ही पड़ी रहे, कुछ ना बोले बस!
मैंने अब उसको अपने पास खींचा, वह मेरे करीब सरक आयी.
अब मैं समझ गया कि ये कुछ तो चाहती है.
फिर मैंने अपना एक हाथ धीरे से उसके कोमल पेट पर रखा और सहलाया.
वाह कितनी चिकनी थी यार … एकदम से हाथ रपट गया.
मुझे मज़ा आने लगा और मैं धीरे धीरे ऊपर की तरफ अपना हाथ सरकाने लगा.
ओहह … बड़ा मस्त लग रहा था जैसे जैसे मेरा हाथ उसकी चूचियों से छुआ, वह दूसरी तरफ पलट गयी.
मैं डर गया कि साली कुछ बोल ना दे! पर जब उसने कुछ नहीं कहा, तो मेरी हिम्मत बढ़ गई.
मैंने सोचा कि जब साली खुद मेरे पास आयी है सोने को, तो इसकी मंशा भी होगी न!
बस अब मैं भी कहां मानने वाला था, उसकी मंशा की सोच कर मैं पीछे से उससे चिपक गया और अपना लंड उसकी गांड में ऊपर ऊपर से रगड़ने लगा.
वह समझ तो गयी थी, पर कोई हरकत नहीं कर रही थी.
मैंने फिर से कोशिश की और पीछे से ही उसको जकड़ लिया.
वह कुछ नहीं बोली बल्कि उसने मेरे हाथ के ऊपर अपना हाथ रखा और मेरे हाथ को सहलाने लगी.
अब मैं पूरे मूड में आ गया और उसके बूब्स पकड़ कर मसलने लगा.
वह सांस भरने लगी.
मैं समझ गया कि मिल गयी परमिशन!
बूब्स दबाने के बाद मैंने उसके लोअर में अपना एक हाथ अन्दर डाल दिया.
वह एकदम से सिहर उठी.
मैंने अगले ही पल अपना हाथ उसकी पैंटी के अन्दर डाला और एक उंगली को उसकी चूत में रगड़ने लगा.
दीदी की चूत गीली हो चुकी थी. मैं समझ गया कि अब इसको मेरा लंड चाहिए.
मैं बेफिक्र होकर मज़ा करने लगा.
कभी दूध दबाता, तो कभी चूत में उंगली करता.
ऐसे करते हुए मुझे बहुत देर हो गई थी.
पिंकी दीदी भी गर्म हो गयी थी.
फिर मैंने उसको पलटा और अपने सीने से लगा लिया.
वह एकदम से चिपक गयी.
मैंने उसको खूब किस किया और उसके रसीले होंठों को चूसने लगा.
वह आपा खोने लगी और मेरी पैंट के ऊपर से ही मेरा लंड अपने हाथ में पकड़ कर उसे आगे पीछे करने लगी.
उसने धीरे से कहा- अन्दर करो न!
अब वहां सबके बीच उसे चोदना बड़ी रिस्क का काम था.
मैंने उसे किस करते हुए कहा- बाहर चलें!
तो वह बोली- बाहर कहां?
मैंने कहा- बाहर छत पर.
वह बोली- तुम चलो, मैं आती हूँ.
मैं सीधा उठा और चुपचाप बाहर चला गया.
बाहर सुनसान था, मैं पिंकी दीदी के आने का इंतज़ार करने लगा.
फिर पिंकी दीदी बाहर आई और मेरे पास आकर कहने लगी- क्या हुआ?
मैंने उसको वहीं दीवार पर टिकाया और चूमना शुरू कर दिया.
वह कहने लगी- यहां कोई देख लेगा यार!
मैंने कहा- कुछ नहीं होगा, अंधेरा है.
वह चुपचाप मेरा साथ देने लगी. मैंने उसको नीचे घुटनों पर बैठने को बोला.
वह समझ गई और घुटनों पर आ गई.
मैंने अपना लंड उसके मुँह में दिया, वह उसे पकड़ कर मस्ती से चूसने लगी.
वाह कितना सुकून मिल रहा था … वह पूरा ज़ोर लगा कर मेरे लंड का पानी निकालने में लग गयी और मैं भी उसके बाल पकड़ कर उसके मुँह को चोदने लगा.
मैं अब झड़ने वाला था.
मैंने कहा- अन्दर लोगी!
वह सर हां में हिलाने लगी.
मैंने रफ्तार बढ़ाई और पूरा पानी उसके मुँह में ही निकाल दिया.
वह पूरा वीर्य गटक गयी और मेरा लंड चाट कर साफ करने लगी.
मैंने उसको उठाया और उसकी पैंट नीचे सरका कर उसकी चूत चाटने लगा.
वह सिहर उठी.
उसकी ‘ओह्ह आह आह’ की हल्की हल्की आवाजें मेरे कान तक पहुंच रही थीं जो मेरा लंड फिर से खड़ा कर रही थीं.
क्या मस्त चूत थी साली की … फुल चिकनी. शायद शाम को ही उसने साफ किया था.
मैं भी मज़े से उसकी चूत का रसपान कर रहा था कि उतने में वह झड़ गयी और उसने मेरा सर पकड़ कर अपनी चूत में दबा दिया.
मैंने सारा पानी चाट लिया और चूत साफ कर दी.
वह उत्तेजना से कांपने लगी थी और ठंड में भी पसीने से लथपथ हो गयी थी.
अब मैंने दीदी को छत की दीवार के सहारे झुकाया और उसकी टांगें फैला दीं.
वह कहने लगी- आराम से करना, तेरा लंड बहुत बड़ा है … मेरी चूत फट जाएगी.
मैंने कहा- बड़ा था तो मुँह में कैसे गया था?
वह बोली- बड़ी मुश्किल से ले पाई थी.
मैंने कहा- यहां भी चला जाएगा, टेंशन ना ले मेरी जान!
फिर मैंने अपना लंड दीदी की चूत के ऊपर सैट कर दिया.
वह कुछ बोलने वाली ही थी कि मैंने दबा कर अन्दर डाल दिया.
वह चिल्लाने को ही थी कि मैंने अपना हाथ उसके मुँह पर दबा दिया.
वह छटपटाने लगी.
मेरा आधा लंड उसकी चूत में फंस गया था.
वह कहने लगी- दर्द हो रहा है, बाहर निकाल दे!
मैंने कान के पास झुक कर कहा- बस थोड़ा और … फिर नहीं देगा दर्द!
यह कहते हुए मैंने अपना 7 इंच का पूरा लंड उसकी चूत में डाल दिया.
वह शायद इसके लिए तैयार नहीं थी और उछल पड़ी, जिससे लंड बाहर निकल गया.
पिंकी दीदी की तो फट चुकी थी, वह रोने लगी और कहने लगी- रहने दे यार!
मैंने कहा- कैसे कर रही हो यार … प्लीज ले लो ना!
जैसे तैसे वह शांत हुई.
मैंने उसको फिर से घोड़ी बनाया और इस बार कसके पकड़ कर लंड ठांस दिया और चोदने लगा.
वह अपना मुँह अपने हाथ से बंद करके हम्म हम्म हम्म करने लगी.
मैं भी जम कर लंड अन्दर बाहर करने लगा.
कुछ मिनट के मस्त बेहेनचोद ब्रो सेक्स के बाद वह भी ‘आह ओह्ह ओह यस ओह्ह बेबी फक मी’ करके मुँह खोल कर चुदाने लगी और साथ देने लगी.
मैं भी मस्ती से उसकी चूत को पेलने लगा.
अब फच फच की आवाज़ भी आने लगी थी. शायद वह झड़ गयी थी.
वह ढीली भी पड़ने लगी थी.
मैंने रफ्तार बढ़ाई तो वह पागल होने लगी.
मैंने कहा- अब झड़ने वाला हूँ!
वह बोली- करते रहो मेरी जान, रुकना मत!
मैं यह सुन कर और जोर से जुट गया और उसके बालों को पकड़ कर ताबड़तोड़ चोदने लगा.
वह फिर से आवाज़ करने लगी.
मैंने कहा- चुप कर, मरवाएगी क्या साली!
वह हाथ अपने मुँह में रख कर हम्म हम्म करके चुप हो गयी.
एक मिनट बाद मैंने भी अपना आपा खो दिया और एक ज़ोरदार झटके के साथ अपना माल उसकी चूत में ही डाल कर झड़ गया.
फिर वह पलट कर मेरे सीने से चिपक गयी.
मैंने उनके लिप्स को बहुत देर तक चूसा.
फिर वह अपनी लोअर ठीक करके बोली- तुम चलो, मैं वाशरूम से होकर अभी आयी मेरी जान!
मैंने कहा- ओके.
मैंने भी अपना लंड झटका और पैंट पहन कर उसके आने का इंतजार करने लगा.
वह वाशरूम से होकर आयी और मेरे बगल में खड़ी हो गई.
मैंने पूछा- सब ठीक?
वह हंस कर बोली- मस्त … मज़ा आ गया … आज तेरी चुदाई ने मुझे तेरी दीदी से तेरी बीवी बना दिया मेरी जान!
मैंने कहा- अब मुझे एक चीज़ और चाहिए!
वह बोली- क्या, बोलो?
मैंने कहा- तेरी गांड!
वह सहम कर एक पल को ठिठकी. फिर आगे आई, मेरे गालों को चूमा और बोली- कल ले लेना … मेरी जान!
मैंने भी दीदी की गांड सहलाई और कहा- चलें फिर सोने?
वह बोली- ठीक है.
फिर हम जाकर अलग अलग बिस्तर पर सो गए.
तो दोस्तो, कैसे लगी यह बेहेनचोद ब्रो सेक्स कहानी, ज़रूर बताएं.
अपनी अगली चुदाई की कहानी में मैं आपको बताऊंगा कि अगले दिन मैंने कैसे पिंकी दीदी की गांड फाड़ी.
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मेरी पिछली कहानी थी: गर्लफ्रेंड से पहले उसकी सहेली चुद गयी