बहेनचोद ब्रो सेक्स कहानी में मेरी कजिन दीदी बहुत बोल्ड थी. मेरे साथ उनकी दोस्ती थी. उन्होंने पैसे के लालच में अपने अधेड़ बॉस से शादी करने का फैसला किया. लेकिन शादी वाले दिन …
फ्रेंड्स, मेरा नाम बिट्टू यादव है.
मैं बिहार का रहने वाला हूँ.
मैंने अभी 12वीं पास की है और मैं पटना के कॉलेज से बी ए कर रहा हूँ.
मेरी उम्र 19 साल है.
यह बहेनचोद ब्रो सेक्स कहानी मेरी व मेरी कजिन सिस्टर सुरभि की चुदाई की है.
उनकी उम्र 23 साल है.
सुरभि दीदी शुरू से ही अपने परिवार की आर्थिक स्थिति को संवारने के लिए जॉब करती रही थीं और वे काफी बिंदास स्वभाव की थीं.
उनके मम्मी पापा अब इस दुनिया में नहीं हैं इसलिए वे अकेली ही रहती हैं.
मेरा उनसे बहुत स्नेह था तो मैं उनके पास आता जाता रहता था.
एक दिन मुझे जानकारी मिली कि दीदी ने अपने बॉस के साथ शादी करने का फैसला ले लिया है.
उनके बॉस एक रईस इंसान थे.
उनकी फैमिली में भी कोई नहीं था.
उनकी बीवी उनसे तलाक लेकर अमेरिका चली गई थी और अपने साथ वह अपनी इकलौती लड़की को भी ले गई थी.
अब दीदी के बॉस हिंदुस्तान में अकेले रहते थे और खुल कर ऐश करते थे.
हालांकि अब उनकी उम्र हो चली थी तो भी मेरी दीदी ने उनके साथ शादी करने का फैसला कर लिया था.
मैं समझ गया था कि दीदी ने एक ऐसा पति पा लिया है, जिसकी बकाया उम्र कम है और इनकम ज्यादा है.
ऐसा नहीं है कि उनका बॉस इस बात को समझता नहीं था.
वह भी जानता था कि उसके साथ दीदी क्यों शादी करना चाहती है.
दीदी ने अपने बॉस के प्रति वफादारी दिखाई और उसे सेक्स का सुख देते हुए उसके साथ जीने मरने की कसमें खाईं.
अब मेरी दीदी की शादी एक मई 2023 को अपने बॉस के साथ होनी थी जिसमें दीदी की तरफ से मैं उनका मेहमान था और उनकी कुछ सहेलियां थीं.
जबकि बॉस के साथ उनके कुछ गिने चुने चमचे टाइप के दोस्त थे जो शादी वाले दिन दीदी के बॉस के साथ दारू पीते हुए कहकहे लगा रहे थे.
शादी से दस दिन पहले दीदी ने मुझे कॉल किया था कि बिट्टू तुमको मेरी शादी में रहना है.
तो मैंने हामी भर दी थी और मैं उनकी शादी के दिन बंगलोर से मुंबई आ गया था.
मैं दीदी से मिलने सीधे होटल में गया और उनसे मिला.
वे मुझे देख कर बहुत खुश हुईं.
उस वक्त दीदी फोन पर किसी से बात कर रही थीं और उनके सामने उनका पैग रखा हुआ था.
दीदी शराब की शौकीन थीं और यह उनकी जिंदगी का हिस्सा था.
मुझे देख कर दीदी ने एक गिलास मेरे लिए भी बनाया और हम दोनों चीयर्स करके सिप लेने लगे.
दीदी ने मुझसे कहा- सिगरेट है, तो एक सुलगा.
मैंने जेब से सिगरेट की डिब्बी निकाल कर दीदी की तरफ बढ़ा दी और दीदी ने एक सिगरेट सुलगा कर धुआं मेरी तरफ उड़ा दिया.
मैंने उनके हाथ से सिगरेट ले ली और मैं भी कश लगाने लगा.
मैंने कहा- दीदी, आपकी इस शादी का मुझे मतलब कम समझ में आया है. आपने यह निर्णय सोच समझ कर लिया है न?
वे कुछ नहीं बोलीं, बस सिगरेट और शराब का मजा लेती रहीं.
उन्होंने बस यह कहा- वक्त आने पर तुम भी मेरे फैसले का समर्थन करोगे.
मैंने ओके कहा और उनसे कहा- मैं अभी बाहर जा रहा हूँ. मुझे कुछ काम करना है … आधा घंटा में मैं वापस आ जाऊंगा, तब तक आप रेडी हो जाओ. आपकी शादी की सब तैयारी तो हो गई हैं ना!
दीदी बोलीं- हां सब हो गया है, बस पंडित जी के आने का इंतजार है. उनके आते ही शादी हो जाएगी.
मैं बाहर आ गया.
अभी मैं अपने काम से जाता कि कुछ ही पलों में तेज बारिश शुरू हो गई.
उस समय अचानक से बहुत ही तेज बारिश आने लगी थी, आंधी तूफान का मौसम हो गया था.
तभी दीदी ने कॉल किया और मुझे अन्दर बुलाते हुए कहा- बिट्टू अब कहीं मत जाओ, तुम मेरे कमरे में आ जाओ.
मैं उनके कमरे में गया तो उन्होंने मुझे अपने पास बुलाया और मेरे साथ बैठ कर बातें करने लगीं.
हम दोनों के नए पैग बन गए थे और व्हिस्की की चुसकियों के साथ हमारी बातें होने लगी थीं.
धीरे धीरे दीदी मुझसे मेरी पर्सनल लाइफ के बारे में पूछने लगीं- तेरी जीएफ है या नहीं!
मैंने कहा- नहीं.
वे बोलीं- मुझे देख कर बताओ, मैं कैसी लग रही हूँ?
मैंने कहा- लग रही हो कि जैसे कोई जन्नत की हूर ज़मीन पर आ गयी हो!
दीदी हंस कर बोलीं- सही में क्या?
तो मैंने बोला- हां सही में दीदी … भला मैं झूठ क्यों बोलूँगा … और वह भी अपनी प्यारी बहन से!
वे सिगरेट के छल्ले उड़ाती हुई बोलीं कि मेरा एक काम है, करोगे?
मैंने बोला- क्या काम है?
वे बोलीं- बाहर नहीं जाना है, यहीं एक काम है. मगर पहले बोलो पक्का प्रॉमिस … मेरा काम करोगे ना?
मैंने बोला कि क्यों नहीं … आप बोलो तो!
दीदी बोलीं- मुझे तुम्हारे साथ सुहागरात मनानी है!
मैं अचकचा कर बोला- ये सब क्या बोल रही हो?
वे बोलीं- तुमने प्रॉमिस किया है करना होगा, नहीं तो मुझसे बात नहीं करना!
इस सब को लेकर मैं एकदम से हड़बड़ा गया था.
पर मुझे कहीं न कहीं दीदी की बात में कुछ ऐसा नजर आने लगा था, जो उनकी दूर की सोच को जाहिर कर रही थी.
कुछ देर बाद मैंने कहा- ओके ठीक है.
मैं उनके पास को सरका और उनको किस करने लगा.
वे भी साथ देने लगीं.
मैं उनके ब्लाउज के ऊपर से ही मम्मों को दबाने लगा.
फिर धीरे से मैंने उनका ब्लाउज खोल दिया और ब्रा के ऊपर से ही उनके मम्मों को दबाने लगा.
साथ ही मैं उन्हें किस किए जा रहा था.
फिर मैंने उनके लहंगे को खोल कर निकाल दिया! फिर ब्रा को भी खोल दिया और उनके मम्मों को चूसने लगा.
कुछ 5 मिनट के बाद मैंने उनको लेटा दिया और उनकी पैंटी को भी हटा दिया.
मेरे सामने दीदी की झांट रहित एकदम चिकनी चूत आ गई.
मैं उनकी शेव्ड चूत को किस करने लगा, वे एकदम से सिहर गईं और मेरे बाल सहलाने लगीं.
मैं भी पूरी मस्ती से उनकी चूत को चाटने लगा और मम्मों को दबाने लगा.
दस मिनट के बाद मैं उठ गया.
उन्होंने मेरी शर्ट को खोला और जीन्स को खोल कर मेरा लंड अंडरवियर के ऊपर से ही सहलाने लगीं.
उसके बाद दीदी ने मेरा अंडरवियर भी निकाल दिया और मेरे लंड को हाथ में लेकर सहलाने लगीं.
उनकी आंखों में वासना के लाल डोरे साफ झलकने लगे थे.
हम दोनों की आंखों में वासना भरी हुई थी और हम दोनों ही एक दूसरे को प्यासी नजरों से देख रहे थे.
मेरी आंखों में झाँकती हुई दीदी ने मेरे लौड़े को अपने मुँह में भर लिया और वे उसे चूसने लगीं.
कुछ मिनट तक लंड चूसने के बाद दीदी बोलीं- बिट्टू अब बस … जल्दी से अन्दर डाल दो … मुझसे अब और सहन नहीं हो रहा है.
मैंने अपना लंड उनकी चूत पर सैट किया और एक जोरदार झटका दे दिया.
मेरा आधा लंड उनकी चूत में समा गया.
वे तड़फ उठीं और कराहती हुई कहने लगीं- आह बिट्टू … तुम्हारा लंड बहुत मोटा और लंबा है … इसे बाहर निकालो … मुझे बहुत दर्द हो रहा है!
मैं वहीं रुक गया और दीदी के एक दूध को अपने होंठों से खींचता हुआ चूसने लगा, दूसरे को दबाने लगा और निप्पल को मसलने लगा.
इससे दीदी को राहत मिलने लगी.
जब उनकी चूत का दर्द कुछ कम हुआ, तो वे बोलीं- अब करो!
मैंने फिर से एक जोरदार झटका दे दिया.
इस बार मेरा पूरा लंड समा गया.
मैं आगे पीछे करते हुए झटके देने लगा.
कुछ देर बाद मैं उनको घोड़ी बना कर चोदने लगा.
वे मस्त होकर हिनहिनाने लगीं.
फिर कुछ देर बाद मैंने कहा- अब लंड की सवारी का मजा भी ले लो दीदी!
वे हंस दीं और गाली देती हुई- साले बहनचोद … अपनी बहन को लंड की सवारी करवाएगा!
मैं भी हंस दिया और बिस्तर पर लेट गया.
दीदी मेरे लौड़े पर अपनी चूत सैट करके बैठ गईं और उन्होंने मेरे लंड को पूरा अन्दर ले लिया.
मस्त माहौल हो गया था.
दीदी की भरी हुई चूचियां जोर जोर से हिल रही थीं और वे भी मेरे लंड की जोरदार सवारी गांठ रही थीं.
फिर जब मैं झड़ने वाला हुआ तो मैंने कहा- दीदी मैं आने वाला हूँ … रस कहां निकालूँ?
वे बोलीं- आज ना पूछ भाई … आज तो सारा माल अन्दर ही निकाल दे, कल से तो इस चूत पर तुम्हारे जीजा जी का कब्जा हो जाएगा. कोई चिंता की बात ही नहीं है!
फिर मैं उनकी चूत में ही झड़ गया और हम दोनों उसी पोजीशन में लेट गए.
बहेनचोद ब्रो सेक्स के बाद वैसे ही लेटे हुए हम दोनों को दस मिनट हो गए.
दीदी ने मेरे लंड से उतर कर उसको फिर से अपने हाथ में पकड़ा और सहलाने लगीं.
मेरा लंड जल्द ही फिर से एकदम कड़क हो गया.
अब दीदी ने उसको मुँह में ले लिया और चूसने लगीं.
मैंने उनको 69 के पोज़ में किया और मैं भी उनकी चूत चाटने लगा.
वे मेरे लंड को चूस रही थीं.
चुसाई का मजा लेने के बाद मैंने उनको अपनी गोद में बिठा लिया.
दीदी की चूत मेरे लंड पर आ गई थी तो मैंने अपना लंड उनकी चूत में डाल दिया और उनके दूध मसलते हुए उन्हें चोदने लगा.
गोदी में लेकर दस मिनट तक चोदने के बाद मैंने उनको बेड पर लेटा दिया और दोनों पैर कंधे पर लेकर चोदने लगा.
उसके बाद मैंने उनको वापस बेड पर सीधा लेटाया और उनके एक पैर को उठा कर आगे से उनकी चूत में लंड डाल कर चोदने लगा.
इस आसन में मैं उन्हें किस भी करता जा रहा था और उनके बूब्स भी दबाता जा रहा था.
उनको ऐसे में चुदने में बहुत मज़ा आ रहा था.
अब दीदी बोलीं- मैं झड़ने वाली हूँ!
मैं भी बोला कि दीदी, मैं भी आ रहा हूँ.
हम दोनों ने एकदम से स्पीड पकड़ी और मैं तेज आवाज करता हुआ उनकी चूत में झड़ गया.
झड़ने के बाद हम दोनों जल्दी से 69 पोजीशन में आ गए और एक दूसरे को चाट कर साफ करने लगे.
इसके बाद कुछ देर आराम हुआ.
अब शादी का समय हो गया था तो मैंने दीदी को अपने हाथ से रेडी कर दिया और बाहर आ गया.
अब तक बारिश भी खत्म हो गई थी और शादी की रस्में होने का समय आ गया था.
पण्डित जी भी आ गए थे.
जल्दी ही दीदी की जयमाल उनके बॉस के साथ हुई और अचानक से फिर से बारिश आरम्भ हो गई.
कुछ देर में सारी रस्में हो गईं.
दीदी अपने कमरे में चली गईं.
उन्होंने मुझे फिर से बुलाया और कहा- बिट्टू मन कर रहा है कि तुमसे ही चुदाई करवाती रहूँ!
मैंने कहा- मैं तो आपका गुलाम हो गया हूँ. आप जब बोलोगी, मैं आ जाऊंगा. आप निश्चिंत रहें.
वे बोलीं- बिट्टू मैं अभी फिर से तुम्हारे लंड का पानी पीना चाहती हूँ.
मैं बोला- हां पी लीजिए.
मैंने पैंट से अपना लंड बाहर निकाल दिया और वे मुँह में लेकर चूसने लगीं.
कभी वे टोपे पर किस करतीं, तो कभी उस पर अपनी जीभ फेरतीं.
काफी देर तक लगातार लंड चूसने के बाद मेरा पानी निकालने वाला हुआ.
तो मैंने कहा- दीदी मेरा निकलने वाला है.
वे और अच्छे से लंड को पकड़ कर उसे कुल्फी की तरह चूसने लगीं.
तभी मेरे लंड से एक मस्त पिचकारी की तरह रस निकला और सारा पानी उनके मुँह में निकलता चला गया.
वे सब पी गईं और उन्होंने मेरे लंड को चाट कर साफ कर दिया.
दीदी बोलीं- बिट्टू ये बात किसी को मत बताना.
तो मैं बोला- नहीं दीदी, मैं किसी को नहीं बताऊंगा.
फिर उन्होंने कहा- बिट्टू, ये लो 25000 रुपए ले लो, तुम्हारे काम आयेंगे. तुम अपने लिए कुछ कपड़े भी खरीद लेना. बस यह याद रखना कि जब भी मैं तुम्हें बुलाऊं, ज़रूर आ जाना.
मैंने कहा- हां क्यों नहीं.
उसके बाद मैं बंगलोर वापस आ गया था.
करीब नौ महीने बाद आज उनके घर पर बच्चा होने का जश्न मनाया जा रहा था तो मैं भी गया था.
मैं वहां गया तो दीदी से मिलने के लिए उनके कमरे में गया.
दीदी ने मुझे अपने बाजू में आने के लिए कहा.
उस समय उनसे मिलने काफी लोग आ जा रहे थे.
मैंने सबके सामने दीदी के पैर छूकर उन्हें प्रणाम किया.
उन्होंने आशीर्वाद दिया और जब मैं साइड में खड़ा हुआ तो दीदी ने एक कातिल सी स्माइल पास की.
फिर वे सामान्य हो गईं.
सब लोग मिल कर जाने लगे तो दीदी बोलीं- बिट्टू तुम ज़रा रूकना!
मैं रुक गया.
जब सब लोग चले गए तो मैं फट से दीदी के पास गया और उनके होंठों से होंठ लगा कर उनसे चिपक गया.
मैंने दीदी को जोरदार चुंबन किया और उनके मम्मों को जोर से दबा दिया.
वे मुस्कुरा कर कराहती हुई बोलीं- ये क्या कर रहे हो! तेरे जीजा जी देख लेंगे!
मैं बोला- कुछ नहीं दीदी, ये सब तो मैं वही कर रहा हूँ … जो मुझे करना चाहिए.
दीदी ने हंस कर कहा- तू रुक … मैं आज रात का प्रोग्राम सैट करती हूँ.
दीदी ने जीजा जी से बात की तो मालूम हुआ कि उन्हें रात को बाहर निकलना था. उनकी हैदराबाद में कोई जरूरी मीटिंग थी.
बस रात का प्रोग्राम सैट हो गया. अब अगली सेक्स कहानी में मैं आपको दीदी की गांड चुदाई की कहानी भी बताऊंगा.
दोस्तो, आपको कैसी लगी मेरी बहेनचोद ब्रो सेक्स कहानी, प्लीज कमेंट करके जरूर बताएं.
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