सुबह सवेरे सलहज के साथ चुदाई युद्ध

सेक्स वार Xxx कहानी में मैंने पूरी रात सलहज को चोदा. फिर अगले दिन सो कर उठे तो उसे भूख लग रही थी. मैंने कुछ नाश्ता आर्डर किया और फिर से साले की नंगी बीवी को पकड़ लिया.

नमस्कार दोस्तो,
में आयुष बिंदल एक बार फिर आप सबके सामने अपनी अगली कहानी लेकर उपस्थित हूँ.

जैसा कि आपने पिछली कहानी
सलहज के साथ एक रात बनी सुहागरात
में पढ़ा कि मानसी की मीटिंग के बाद हमने धमाकेदार चुदाई का मज़ा लिया और कुछ देर के लिए सो गये.

मानसी मुझसे लिपटकर सो रही थी और उसके स्तन मेरे सीने में दबे हुए थे.

रात तकरीबन बारह बजे के आस पास मानसी की नींद खुली.
उसने अपने होंठ से एक किस करके मुझे उठाया और बोली- थोड़ी भूख लग रही है!

मैंने उसके गद्देदार नितंब को मसलते हुए उसके किस का जवाब उसी तरह किस करके दिया और नीचे होटल में कॉल करके एक फ्राइड राइस और एक रेड सॉस पास्ता का ऑर्डर दिया.

मैं फिर मानसी से लिपट गया और हमारे होंठ एक दूसरे से चिपक कर उनका रस पीने लगे तथा हमारे हाथ एक दूसरे के बदन को सहलाने लगे.

कुछ देर बाद मानसी मेरे ऊपर आ गई और बिना देरी किए मेरे खड़े लंड के टोपे की चमड़ी को नीचे किया और उस पर जीभ फिराने लगी और मैं वासना के समंदर में गोते लगाने लगा.

थोड़ी देर तक वह मेरे लंड को मसलती रही और अपनी जीभ फिराती रही.
और फिर उसने मेरा लंड अपने मुंह में भर लिया और बड़ी ही प्यारी अदा के साथ जितना हो सकता था उतना अपने अंदर ले कर चूस रही थी और मुझे जन्नत का मज़ा दे रही थी.

पाँच मिनट के बाद मैंने उसका सर पकड़ा उसका उसके नर्म गुलाबी होंठों की चुदाई चालू कर दी.
जिससे मेरा लंड उसके गले तक पहुँचने लगा और उसे सांस लेने में तकलीफ़ होने लगी.

जब उसे दर्द ज़्यादा होने लगा तो मुझे रोककर अपनी उखड़ी हुई सांसों को संभालते हुए बोली- आराम से जान, सांस तो लेने दिया करो!
मैंने मुस्कुरकर उसके होंठों को चूमते हुए कहा- अब तुम आराम से सांस लो और बाकी काम में करता हूँ!

यह कह कर हमने अपनी पोज़िशन बदल ली.
अब वह मेरे नीचे थी और उसकी गुलाबी चिकनी चूत मेरे मुंह के सामने!

मैंने पहले उसकी चूत को सूँघा जो कुछ वक़्त पहले मेरे वीर्य से सराबोर थी.
उसमें से अजीब सी खुश्बू आ रही थी जो मेरे दिल दिमाग़ और लंड पर चढ़ गई.

मैंने लपककर उस नर्म चूत को अपने मुंह में भर लिया और दांतों से चबाते हुए चाटने लगा.
मानसी को इस सेक्स वार Xxx की उम्मीद नहीं थी.
वह कसमसाते हुए मेरे बाल नोचने लगी और अपनी छाती को उपर उठा लिया और कहा- आअहह आराम से जान … ह्म्‍म् आअहह मैं आआ हह श्हह्ह … आअहह … कहीं भाग आहह नहीं रही … उफ्फ़ श्ह्ह!

पर उसकी बातों को अनसुना करके मैंने अपने काम को जारी रखा.
नतीजा यह हुआ कि मानसी जल्द ही सिसकारियाँ भरते हुए झड़ गई और निढाल पड़ गई और ज़ोर ज़ोर से सांसें लेती हुई मुझे अपने पास खींच कर ज़ोर ज़ोर से किस करने लगी.
बल्कि किस नहीं, उन्हें चबाने लग गई.

तभी वेटर खाना लेकर आया और दरवाजे की घंटी बजाई.

तब कहीं मानसी ने मुझे छोड़ा.
क्योंकि हम बिल्कुल नंगे थे तो मानसी ने चादर अपने सिर तक ओढ़ ली और मैंने तौलिया पहन कर दरवाज़ा खोला.

वेटर ने अंदर आकर टेबल पर खाना रखा और हम दोनों के कपड़े जिसमें मेरी चड्डी और मानसी की ब्रा पैंटी आदि सब था, उन्हें देख कर और मानसी को पूरी चादर ओढ़ कर लेटे हुए माजरा समझ गया और मुस्कुराकर चला गया.
फिर हमने ऐसे ही नंगे खाना खाया,
बीच बीच में मानसी पास्ता के टुकड़े को आधा मुंह में रखती और आधा बाहर रखकर मेरी तरफ आती और मैं उस आधे पास्ता को मानसी के होठों से चबाकर ख़ाता.

फिर हम वॉशरूम से फ्रेश होकर आए और बेड में घुस गये.

मानसी मेरे सोए हुए लंड के साथ खिलवाड़ करने लगी, कभी उसे चूमती, कभी सहलाती, कभी मसलती, कभी मूठ मारती.
थोड़ी ही देर में मेरा सोया लंड फनफ़ना उठा और मानसी उसकी सवारी करने के लिए ऊपर चढ़ कर लंड को धीरे धीरे अपने अंदर घुसा लिया.

जैसे जैसे लंड उसकी नर्म चूत के अंदर जा रहा था, मानसी की दर्द मिश्रित सिसकारी की आवाज़ बढ़ती जा रही थी.

जब लंड पूरा अंदर घुस गया तो कुछ देर तक उसने अपने दर्द पर काबू पाने के लिए वक़्त लिया और उसके बाद धीरे धीरे ऊपर नीचे होने लगी.
क्योंकि मानसी मेरे ऊपर बैठ कर चुद रही थी, इस वजह से मेरा लंड उसकी जड़ तक पहुँच रहा था. हमें चुदाई का पूरा सुख मिल रहा था.

जब वह थोड़ा थक गई तो मैंने उसे अपने ऊपर लिटाया और नीचे से ज़ोर ज़ोर से धक्के लगाने लगा.
जिससे पूरा कमरा ठप ठप की आवाज़ से गूंजने लगा और मानसी की सिसकारियाँ दर्द भरी आहटों में बदलने लगी.

बीस पच्चीस धक्कों के बाद मैं बेड से नीचे उतरा और मानसी को अपनी और खींच कर उसकी दोनों टाँगों को अपने दोनों हाथों से पकड़कर पूरा खोल दिया जिससे उसकी चूत मेरे सामने पूरी खुल गई और मैं दनादन धक्के लगाने लगा.
मानसी घुटी घुती सी चीख ‘आअहह श्ह्ह्ह ह्म्‍म्’ निकालने लगी.

क्योंकि इस आसन में उसकी चूत के साथ उसकी जाँघों पर भी खिंचाव हो रहा था तो उसने इस आसन की जल्दी रोक दिया.
तब मैंने उसकी दोनों टाँगों को अपने एक कंधे पर चिपकाकर रखा और चुदाई शुरू कर दी.

साथ ही उसके मांसल स्तन भी दबाने लगा.

इस आसन में मानसी को भी काफ़ी मज़ा आ रहा था.
यह उसके चेहरे पर संतुष्टि के भाव से पता चल रहा था.

बीच बीच में मैं मानसी को उठा कर उसके नर्म होठों का भी मज़ा ले रहा था.

कुछ देर बाद मैंने नीचे खड़े रहते हुए मानसी को अपनी गोद में घुटनों के अंदर से हाथ लेजाकर उठाया जिससे उसके गद्देदार चूतड़ मेरे दोनों हाथों में थे.

तब मानसी ने अपना हाथ पीछे ले जाकर मेरे लंड को अपनी चूत में सेट किया.
जहाँ हमारे चूत और लंड आपस में चूम रहे थे, वहीं हमारे होंठ भी चिपके हुए थे.

फिर शुरू हुआ चुदाई का घमासान युद्ध जिसे हम दोनों चाहते थे कि यह युद्ध चलता रहे, चलता रहे.

हर धक्के के साथ इस आसन चूतड़ से ठप ठप की आवाज़ पहले से ज़्यादा आ रही थी.
मैं इस बार अपना लंड पूरा बाहर निकलता और फिर ज़ोर से मानसी की चूत में प्रवेश करता तो उसकी आवाज़ भी दर्द भरी हो जाती.

कुछ मिनट के बाद मानसी के वजन से मुझे उसको उठाए रखना मुश्किल लग रहा था.
तब मैंने उसे नीचे उतार कर एक टेबल पर बैठाया जो लगभग मेरी कमर जितना उँचा था.

मानसी के दोनों पैर मैंने अपनी कमर में फंसा लिये जिससे उसकी चूत मेरे सामने काफ़ी खुल कर दिखने लगी.
मैंने उसकी चूत में एक बार जीभ फिराई और फिर से दनादन धक्के लगाना शुरू कर दिया.

मैं अपने पाठकों से यह आग्रह करना चाहूँगा कि अगर आप इस आसन में सेक्स करते हैं तो सबसे ज़्यादा मज़ा आपको इसी आसन में आयेगा. यह मेरी गारेंटी है.

मेरा लंड मानसी की चूत में इंजिन में पिस्टन की रफ़्तार से अंदर बाहर हो रहा था.
एक हाथ से मैंने उसके चूतड़ को मसला हुआ था तथा दूसरे हाथ से मैंने उसके एक स्तन को दबोचा हुआ था.

मानसी ने अपने दोनों हाथ मेरी गर्दन पर फंसा रखे थे.
इस आसन में चुदाई करने से हम दोनों को थकान बिल्कुल भी नहीं हो रही थी.

जबकि मानसी इसी आसन में दो बार झड़ चुकी थी.
बीस मिनट के बाद जब मेरा लावा फूटने को हुआ तो मेरी सांस उखड़ने लगी.
तब मानसी फटाफट नीचे उतरी और मेरे लंड मुंह में भरकर ज़ोर ज़ोर से चूसने लगी.

मैंने उसे बोला- लंड छोड़ो क्योंकि किसी भी वक़्त मेरा वीर्य निकल सकता है.
पर उसने मेरी ना सुनने की तो जैसे कसम खा रखी थी.

तो फिर मैंने भी कुछ सोचे बिना दोनों हाथों से मानसी के सर को पकड़ा उसके मुंह की चुदाई शुरू कर दी.
उसके मुंह से सिर्फ़ गों गों को आवाज़ आ रही थी.

दो मिनट बाद मेरा लावा फूटा और मानसी के मुंह के अंदर पूरा भर गया.
झड़ते समय मैंने अपना पूरा लंड मानसी के मुंह के अंदर घुसा दिया जिसकी वजह से काफ़ी सारा वीर्य मानसी के मुंह से बाहर निकल गया और उसके गर्दन और वक्ष पर बहने लगा.

बाकी बचे वीर्य को मानसी ने अजीब सा मुंह बनाते हुए अपने अंदर ले लिया और मेरे लंड को मुंह से बाहर निकाल कर जीभ से अच्छे से चाट चाट कर साफ करने लगी.

मैं निढाल होकर पीछे बेड पर गिर पड़ा.
पर मानसी को इससे कोई फर्क नहीं पड़ा और बहुत देर तक मेरे लंड को चूसती रही और पूरा वीर्य चाट चाट कर साफ कर दिया.

फिर वह उठी और वॉशरूम जाकर अपने मुंह को अच्छे से साफ करके कुल्ला किया और वापस बेड में आकर मेरे उपर लेट गई.

मैं अभी तक अपनी सांसों को संतुलित करने में लगा था क्योंकि इस चुदाई मैं मुझे पिछली दोनों चुदाई से ज़्यादा आनद प्राप्त हुआ.
और इस बार में वीर्य भी काफ़ी ज़्यादा निकला.

मानसी मेरे ऊपर आई और किस करने लगी.
वीर्य की वजह से उसके मुंह से अलग सी गन्ध आ रही थी.
लेकिन दोस्तो, अगर आप दिल से चुदाई कर रहे हो तो आपको चुदाई के वक़्त कभी भी किसी भी चीज़ से घिन नहीं आयगी.

फिर कुछ देर बाद मैंने मानसी को साइड में लिटाया और किस करते हुए अपने आगोश में भर लिया.
और इस प्रकार अंत में हम दोनों ही यह चुदाई युद्ध जीत गए.

अगले दिन उसे दोपहर को जाना था मीटिंग के लिए … इसलिए हमें सोने की कोई जल्दी नहीं थी.

इस सेक्स वार Xxx रात में हमने कुल चार बाद चुदाई का सुख लिया.
लेकिन बाकी की दो चुदाई का विवरण अगली कहानी में!
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