भाभी ने मेरे साथ सुहागरात मनाई- 4

सेक्स इन रेन का मजा मैंने तब लिया जब मेरे भाई नीचे कमरे में थे और मैं भाभी के साथ बारिश में खुली छत पर था. मैंने पहले भाभी की चूत, फिर गांड भी मारी.

फ्रेंड्स, मैं शिवम आपको अपनी भाभी की चुदाई की कहानी सुना रहा था.
कहानी के पिछले भाग
भाभी की गांड में लंड पेला
में अब तक आपने पढ़ लिया था कि मैं भाभी की गांड मार चुका था और उनकी मालिश करके उन्हें मजा दे रहा था और भाभी मेरी मालिश से बड़ी खुश थीं.

अब आगे सेक्स इन रेन का मजा:

अब मैंने अपना लंड भाभी की चूचियों के बीच में रख दिया.
लंड लोहे जैसा सख़्त हो गया था.

मैंने लंड को दोनों चूचियों के बीच रख कर उस पर तेल टपका दिया.

सुरभि भाभी ने तुरंत बिना कुछ कहे अपने हाथों से अपनी चूचियों के बीच मेरा लंड दबा लिया और बोलीं- चलो, चालू हो जाओ!
मैंने भी मौके पर चौका मार दिया और चूचियों को लंड से पेलने लगा.

दस मिनट में मेरा लंड भाभी की चूचियां पर झड़ गया.

सुरभि भाभी बोलीं- मजा आया?
मैंने कहा- बहुत ज्यादा.

फिर हम दोनों बिस्तर से उतर कर बाथरूम में नहाने घुस गए.

वहां हम दोनों ने थोड़ी मस्ती की.
कभी बाथटब में तो कभी फव्वारे के नीचे आकर.

लगभग एक घंटा बाद हम दोनों एक साथ नहा कर बाहर निकल आए और वैसे ही नग्न किचन में घुस गए.

वहां सुरभि भाभी खाना पकाने लगीं और मैं उनके पीछे से देखता रहा.

कुछ देर बाद खाना बन कर तैयार हो गया.
मैं जाकर कुर्सी पर बैठ गया और जब भाभी आईं, तो मैंने उन्हें अपनी गोद में बैठने को कहा.

वे बिंदास बैठ गईं.
उनके नंगे बदन से सटते ही मेरा लंड खड़ा हो गया.

मैंने भाभी को थोड़ा ऊपर की तरफ उठाया और उनकी चूत में अपना लंड डाल दिया.
लंड चुत में पेल कर मैं खाना खाने लगा.

सुरभि भाभी भी खाना खाते समय अपनी गांड को थोड़ी ऊपर नीचे कर रही थीं.
उनकी इस मदमस्त चुदाई से मुझे भी मजा आ रहा था.

अब तो हम दोनों घर पर नंगे ही रहते जब मन करता, जिस समय मन करता उसी समय चुदाई करने लगते.

हम लोग 24 घंटा में 5 से 6 बार सेक्स कर लेते मगर सुरभि भाभी गांड कभी नहीं चुदवाती थीं.

ऐसे करते करते एक महीना बीत गया.

मैं अब रोज बिना कंडोम के सुरभि भाभी को चोदता और अपना सारा पानी उनकी चुत के अन्दर ही बहा देता.

एक दिन सुबह सुरभि भाभी के फोन की घंटी बजी.
दूसरी तरफ फोन पर भईया थे.
उन्होंने बताया कि वे दिल्ली दो दिन में पहुंच जाएंगे.

सुरभि भाभी यह खबर सुनकर दुखी हो गईं.
उन्हें अब मेरे बड़े लौड़े की आदत लग गई थी.

मैंने उन्हें समझाया कि भाभी यह तो एक न एक दिन होना ही था इसलिए तुम बिल्कुल भी उदास न हो.
मेरी बात सुन कर भाभी रोने लगीं और मुझसे लिपट गईं.

मैंने कहा- हमारे पास आज की रात है रंगीन करने के लिए!
सुरभि भाभी ने अपने हाथों से अपनी आखों से बह रहे आंसुओं को पौंछते हुए कहा- हां, आज की रात तो पूरी बाकी है.

रात को मैंने सुरभि भाभी को गोदी में लिया और कहा- आज मुझे खाना नहीं चाहिए, आज केवल तुम चाहिए.
मैंने भाभी को ले जाकर कमरे के बिस्तर पर लिटा दिया.

उस दिन सुरभि भाभी ने साड़ी पहनी हुई थी.

मैंने उनकी साड़ी उतार दी और उनके बूब्स को ब्लाउज के ऊपर से दबाने लगा, उनके होंठों को अपने होंठों से चूसने लगा.

मगर सुरभि भाभी मेरा साथ नहीं दे रही थीं.
तब मैंने उनके गाल पर एक चपत मारते हुए कहा- क्या हुआ जान?
‘सॉरी यार … मैं मन से सेक्स नहीं कर पा रही हूँ!’
इस पर मैंने कहा- तुम आज कुछ मत सोचो, बस समय के साथ चलो. समय बहुत बलवान होता है.

मेरी बात सुनकर सुरभि भाभी मान गईं और मेरा साथ देने लगीं.
हम दोनों ने दस मिनट तक चुम्बन किया.
एक दूसरे के होंठों को दांत से दबाया.

फिर मैंने उन्हें गले पर किस करते हुए ब्लाउज के ऊपर से उनके बूब्स को दबाने लगा, उधर चुम्बन किया और नीचे सरकने लगा.
उनके पेट पर चुंबन करता हुआ मैंने भाभी की कमर को दोनों हाथों से दबा दिया.

इस दौरान सुरभि भाभी आहें भरती हुई आनन्द के सागर में गोते लगा रही थीं.
मैंने उनके ब्लाउज और ब्रा को उतार दिया और बूब्स को दबाने लगा.
एक को मुँह में ऐसे भर लिया, जैसे कोई छोटा बालक दूध पीता है.

उसी के जैसे मैं दूध दबा दबा कर चूसने लगा, भाभी के भूरे निप्पलों को चूमने लगा.

मैंने कई जगह उनके बूब्स को दांत से काट भी लिया.
सुरभि भाभी बस सिसकारियां ले रही थीं … मगर वे मुझे रोक नहीं रही थीं.

तब मैंने अपना अंडरवियर उतारा और लंड को उनके मुँह के पास लाया.
सुरभि भाभी ने मेरा पूरा लंड अपने मुँह में भर लिया और कुल्फी के जैसे चूसने लगीं.

फिर मैंने कहा- 69 के पोजीशन में आते हैं.
वे मान गईं.

मैंने उनके पेटीकोट को और पैंटी को उतार दिया.
मैंने अपनी एक उंगली उनकी चूत में डाल दी और उंगली से ही चुत चोदने लगा.
कुछ पल बाद मैं अपना मुँह उनकी चूत के पास लाया और अन्दर जीभ डालकर चाटने लगा.

वे मेरा लंड चाट रही थीं.
पंद्रह मिनट में हम दोनों झड़ गए.

मैंने उनका सारा रस पी लिया और उन्होंने मेरा रस काट लिया.

कुछ देर बाद हम दोनों का खेल फिर से शुरू हो गया.
मैंने भाभी की टांगों को फैलाया और चूत के छेद पर लंड सैट कर दिया, फिर एक ही शॉट में पूरा लवड़ा अन्दर घुसेड़ दिया.

भाभी चिल्लाईं- आह आराम से … दर्द हो रहा है.
वे कामुक सिसकारियां लेने लगीं.
उनकी मादक सिसकारियों और चोदने के आवाज पूरे कमरे में सुनाई दे रही थी.

मैं भाभी के बूब्स के निप्पलों को दांत से काट रहा था.

काफी देर बाद मैंने कहा- अब तुम मेरे ऊपर आओ.
मैं लेट गया और भाभी मेरे लंड के ऊपर चढ़ कर अपनी चूत में लंड को अन्दर घुसेड़ने लगीं.
लंड अन्दर लेते ही भाभी कूद कूद कर चुदवाने लगीं.

मैं उनके मम्मों को दबाने लगा.
इससे वे और ज्यादा उत्तेजित हो गईं और जोर जोर से कूदने से पूरे कमरे में चट चट पक पक की आवाज गूंज रही थी.

भाभी चिल्ला रही थीं- चोद साले बहन के लौड़े … मादरचोद आह क्या लंड है तेरा हरामी साले … मुझे अपनी रंडी बना लिया है तूने आह चोद आह और जोर से अन्दर तक ठांस दे … आह मैं ग..अ गई आह.

वे झड़ गईं. वे दूसरी बार झड़ रही थीं.
मैंने कहा- और 20-25 झटके लगा दो जान … मेरा भी पानी निकलने वाला है.

वे अपनी बॉडी को मेरे लौड़े पर रगड़ती रहीं और मैं भी झड़ गया.
मैंने उनकी चूत में ही रस निकाला था.

भाभी थक कर मेरे सीने के ऊपर ही सो गईं.
मैंने भी अपना लंड भाभी की चुत में ही घुसा रहने दिया और सो गया.

सुबह जब हमारी नींद खुली तो हम दोनों बिस्तर पर नंगे थे.
मैंने कहा- एक बार और चोद लूँ?

सुरभि भाभी ने हां में अपना सर हिलाया.
मैंने भाभी को घोड़ी बनाया और पीछे से उनकी कमर पकड़ कर अपना लंड उनके छेद में पेल दिया.

मैं उन्हें जोर जोर से चोदने लगा और अपने हाथों से उनके दोनों बूब्स को पकड़ कर आगे पीछे करने लगा.

फिर कुछ देर बाद चूत में लंड करने में मजा नहीं आ रहा था इसलिए मैंने अपना लंड बाहर निकाला और उनकी गांड में डालने लगा.

सुरभि भाभी ने गांड उचकाते हुए कहा- नहीं यार … उधर नहीं हो पाएगा, प्लीज तुम्हारा मोटा है, अन्दर नहीं जाएगा आह मत करो न … इसे बाहर निकालो … आह बहुत दर्द हो रहा है.
भाभी चीख कर रोने लगीं.

मैंने अपना लंड घुसेड़ना रोक दिया और उनके मम्मों को दबाने लगा.
अब वे सामान्य होने लगीं और अपने दूध मसलवाने का मजा लेने लगीं.

जब कुछ देर में भाभी गांड हिलाने लगीं तो मैं समझ गया कि इनको मजा आने लगा है.

मैंने तभी एक जोरदार झटका दे दिया और अपना पूरा लंड उनकी गांड के अन्दर घुसेड़ दिया.
सुरभि भाभी गाली देने लगीं- मादरचोद साले कुत्ते … गांड में पता नहीं क्या सुख मिलता है भोसड़ी के … आह फाड़ दी बहन के लौड़े ने!

मैं भाभी की बातों और उनके रोने धोने पर ध्यान ना देता हुआ उनकी गांड मारता जा रहा था.
मैं मस्ती में उनकी कसी हुई गांड बजा रहा था, मुझे बहुत मजा आ रहा था.

लगातार देर तक जोरदार धकापेल के बाद मैं भाभी की गांड में ही झड़ गया.

जब मैंने अपना लंड बाहर निकाला तो मेरा लंड खून से लथपथ था और सुरभि भाभी की गांड से खून बहने लगा था.

मैं खून देख कर डर गया.
उधर सुरभि भाभी ने रोते हुए कहा- मुझे सुबह से दर्द दे कर तुमको खुशी मिल गई न!

मैं चुपचाप वहां से उठा और बाथरूम में नहाने चला गया.
फिर जब कमरे में वापस आकर सुरभि से पूछा- क्या दर्द अभी भी हो रहा है!
भाभी ने कहा- ठीक है मगर गांड बहुत तेज दर्द कर रही है.

वे उठ कर बाथरूम में चली गईं और उधर से नहा कर बाहर निकलीं.

भाभी अपनी कमर पकड़ कर चल रही थीं.
मैं उनका कष्ट देख कर उदास हो गया था.

मुझे उदास देख कर भाभी बोलीं- उदास मत हो, मुझे भी बहुत मजा आया. पर ये दर्द जरा मजा खराब कर देता है. सुहागरात रात वाले दिन भी जब तुम्हारे भईया ने जब मेरी चुत की सील तोड़ी थी, तब भी ऐसा ही महसूस हुआ था.

अब हम दोनों ने भईया का आने तक सेक्स नहीं किया.
मगर सुरभि भाभी रोजाना दिन में कई कई बार ब्लो जॉब दिया करती थीं.

दो दिन बाद शाम को भईया की ट्रेन दिल्ली पहुंच गई.
मैं उनकी कार लेकर स्टेशन से उन्हें घर ले आया.

भईया लगभग दो महीने के बाद घर को लौटे थे.
घर आते ही उन्होंने मुझे और सुरभि भाभी को गले लगा लिया.

हम सभी की आंखें आंसुओं से भर गई थीं.

फिर हम दोनों खाना खाने के लिए टेबल पर बैठ गए.
भाभी खाना परोसने लगीं.
मैंने कहा- भाभी, आप भी हमारे साथ ही बैठ जाओ न!

भईया ने भी कहा- हां हा आओ ना, हम सब साथ में खाना खाते हैं.
खाना के बाद हम सब अपने अपने कमरे में जाकर सो गए.

सुबह जब मैं उठा तो भाभी और भईया अभी सो रहे थे.
मैं समझ गया कि कल रात तो मिलन की थी इसलिए दोनों अभी सो रहे हैं.

मैं बाथरूम में गया और नित्य क्रिया से फारिग होकर किचन में आ गया.
चाय नाश्ता तैयार करके मैंने भाभी के कमरे के दरवाजे को खटखटाया.

तब अन्दर से आवाज आई- बस पांच मिनट में हम दोनों आ रहे हैं.
मैं समझ गया कि दोनों नंगे हैं और लगे हैं.

मैंने गेट के चाभी वाले छेद से अन्दर देखा तो मैं सही था.
दोनों जल्दी जल्दी उठकर अपने कपड़े पहन रहे थे.

मैंने नाश्ता टेबल पर रख दिया और मोबाइल चलाने लगा.
वे दोनों आकर सोफे पर बैठ गए और चाय पीने लगे.

भैया ने कहा- कल रात को हम दोनों देर तक बातें कर रहे थे, इसलिए आज उठने में देर हो गई.

यह कह कर उन्होंने भाभी को आंख मार दी.
मैंने भईया से कहा- मुझे पता है क्योंकि भाभी कभी देर से उठती ही नहीं हैं. वे रोज सुबह जल्दी उठकर सब काम कर लेती हैं.

फिर मैंने भईया से कहा- मुझे कानपुर वापस जाना है. मेरा कॉलेज स्टार्ट होने वाला है.
भाभी मेरी तरफ गुस्से से देख रही थीं.

भईया ने मेरी ट्रेन की टिकट बुक कर दी.
टिकट एक दिन बाद की थी.

नाश्ता खत्म करके जब भाभी किचन में जा रही थीं तो मैं भी उनके पीछे चला गया.

मैं बोला- मैं जाने से पहले अंतिम बार सेक्स करना चाहता हूँ.
सुरभि ने कहा- नहीं, तुम्हारे भैया को पता चला तो वे हम दोनों को मार डालेंगे.

मैंने कहा- वह सब मुझे नहीं पता कि आप कैसे करेंगी … मगर मुझे करना है.
मेरे जिद करने पर भाभी बोलीं- चलो कुछ योजना बनाती हूं.

अगले दिन मौसम एकदम खराब हो गया था और जोर की बारिश होने लगी थी. भाभी को बारिश बहुत पसंद थी इसलिए वे भाग कर छत पर चली गईं और पानी में भीगने लगीं.
मैं भी उनके पीछे जाने लगा और भईया को चलने को कहा. मगर भईया को बारिश से एलर्जी थी, जिसके कारण भईया नहीं आए.

मैं छत पर गया तो देखा भाभी के पूरे कपड़े भीग चुके थे और उनका पूरा बदन झलक रहा था.
मैंने छत पर आने का दरवाजा बंद कर दिया ताकि कोई और न आ सके.

इसके बाद मैं सीधा सुरभि भाभी के पास गया और उन्हें चूमने लगा.
सेक्स इन रेन का मजा लेने में वे भी मेरा पूरा साथ दे रही थीं.

छत के चारों तरफ ऊंची दीवार थी इसलिए कोई हमें देख ही नहीं सकता था.
मस्त चुम्बनों के बाद मैं नीचे बैठ गया और सुरभि भाभी की सलवार को नीचे कर दिया.

फिर भाभी की पैंटी नीचे करके खड़े खड़े अपना लंड उनकी चुत में डालने लगा.

मैंने भाभी के मुँह को अपने हाथों से दबा लिया और अपना लंड एक झटके में अन्दर डाल दिया.
भाभी को दर्द तो बहुत हुआ मगर मेरा हाथ लगा होने के कारण उनकी चीख अन्दर ही रह गई.

उन्होंने मुझे अपनी बांहों में जकड़ लिया मैं उनको जोर जोर से चोदने लगा.

लग रहा था कि बारिश भी हमारा साथ दे रही थी.
बहुत तेज बारिश हो रही थी जिससे काफी आवाज हो रही थी.

मैं पूरी शिद्दत से भाभी की चुदाई कर रहा था.
आधा घंटा में हम दोनों एक साथ झड़ गए.

मैंने अपना पूरा पानी उनकी चुत में ही डाल दिया और मैंने अपना लंड उनकी चूत से बाहर निकल कर सुरभि भाभी को नीचे बैठ कर लंड को चूसने को कहा.

वे तुरंत लंड को चूसने लगीं.
मेरा लंड वापस तनकर खड़ा हो गया तब मैंने उन्हें पीछे घुमाया और डॉगी स्टाइल में कर दिया.

फिर भाभी की कमर को पकड़ कर उनकी गांड में अपना लंड घुसेड़ दिया.
मैं भाभी की गांड मारने लगा और कपड़ों के ऊपर से उनके बूब्स दबाने लगा.

भाभी के मुँह से ‘आह … आह … आह … आह.’ की आवाज निकल रही थी.
लगभग 50-60 झटके लगाने के बाद जब मैं झड़ने वाला था, तब मैंने गांड से अपना लंड बाहर निकाला और उनके मुँह में दे दिया.
फिर उसके मुँह में कुछ झटके लगाने के बाद मैं भाभी के मुँह में ही झड़ गया.

भाभी ने भी सारा पानी पी लिया.
तब तक बारिश भी बंद हो गई थी.

सुरभि भाभी ने कहा- अब ठीक है न! मैंने तुम्हारी इस इच्छा को भी पूरी कर दिया है.
अब भाभी ने अपने कपड़े ठीक किए और वे नीचे उतर गईं.

मैं कुछ देर छत पर ही बैठा रहा.
फिर मैं नीचे उतरा और बाथरूम में जाकर कपड़े बदल कर अपना बैग पैक कर लिया.

अगले दिन दोपहर को मैं घर से निकल गया और शाम को वापस कानपुर आ गया.

तो ये थी मेरी पहली सेक्स कहानी, सेक्स इन रेन का मजा मैंने लिया, आप सबको कैसा लगा? आप जरूर बताएं.
धन्यवाद.