सलहज के साथ दिन रात चुदाई

सेक्स एंड सेक्स ओनली सेक्स कहानी में मैंने अपनी सलहज को होटल के कमरे में बार बार लगातार चोद चोद कर उसकी अन्तर्वासना तृप्त कर दी. हम दोनों ने भरपूर मजा लिया.

नमस्कार दोस्तो,
मैं आयुष बिंदल एक बार फिर आप सबके सामने अपनी अगली कहानी लेकर उपस्थित हूँ.
पिछली सेक्स कहानी
सुबह सवेरे सलहज के साथ चुदाई युद्ध
में आपने पढ़ा कि होटल में रात को सलहज की भरपूर चुदाई करने के बाद अगली सुबह भी उसकी चूत पेल कर मजा लिया.

अब आगे सेक्स एंड सेक्स ओनली सेक्स कहानी:

क्योंकि मैं दोपहर को अच्छे से सोया था इसलिए मुझे नींद की ज़रूरत ज़्यादा थी नहीं!
और जब बिस्तर पर आपका हर तरह से साथ देने वाला पार्ट्नर हो तो भला नींद किसे आयेगी.

तो 40-50 मिनट की झपकी के बाद मेरी नींद खुल गई.
और एसी भी 18 डिग्री पर था तो ठंड अच्छी हो गई थी.
मैं बाथरूम में मूतने के लिए गया और वापस आकर देखा कि मानसी थक कर बेसुध होकर सोई है.
क्योंकि हम एक ही चादर में थे तो जब मैं बाथरूम जाने के लिए उठा था तो चादर एक तरफ को सरक गई थी और मानसी के शरीर से भी हट गई थी.

कमरे में एक नाइट लैंप जल रहा था और उसकी दूधिया रोशनी में मानसी के संगमरमर सा बदन अंधेरे कमरे में पूर्णिमा की रात में चाँद जैसा चमक रहा था.
इतनी चुदाई और ऊपर से उसकी मीटिंग की वजह से वह काफ़ी थक चुकी थी.

मुझे उस पर तरस भी आया … पर यह भी सोचना पड़ा कि आज और कल बस दो ही दिन हैं हमारे पास!
फिर ना जाने कब मुलाकात होगी!
और उस मुलाकात में भी कुछ हो पायेगा या नहीं … क्या पता?

फिर मैंने उसे अपने आगोश में लिया और चादर को दोनों के नंगे शरीर पर औढ़ लिया.

इस बीच मानसी थोड़ा हिलने की वजह से कसमसाई और अपनी आंखें खोल कर मुझे देखा और हल्के से मुस्कुराई.
फिर बिना किसी के कुछ कहे हमारे होंठ आपस में मिल गये.

इस बार हमारा चुंबन एकदम धीरे धीरे हो रहा था, कोई जल्दबाज़ी नहीं, कोई किसी को काट भी नहीं रहा था, कोई हवस नहीं … सिर्फ़ प्यार और प्यार ही था इस चुंबन में!

मानसी मेरी पीठ और चेहरे को सहला रही थी और मैं उसकी गांड और दूध को मसल रहा था.

सिर्फ़ दो मिनट बाद मेरा लंड उफान मार कर उसकी चूत को टच कर रहा था.
मानसी ने एक हाथ से मेरे लंड को अपने हाथों में भर लिया और बेहतरीन तरीके से मसलने लगी.

पाँच मिनट बाद हमने चुम्बन बंद किया और मानसी सीधा नीचे सरक गई.
गप से एक झटके में उसने लंड को अपने मुंह में भर लिया और किसी छोटे बच्चे की तरह चूसने लगी जैसे उसे लॉलिपोप मिल गया हो.

वह कभी मेरे आंडों को मसलती, कभी उन्हें मुंह में भरती, कभी आँड से लेकर लंड के टोपे तक जीभ से चाटती.
कुल मिलकर स्वर्ग सी अनुभूति हो रही थी मुझे!

दस मिनट बाद मैंने उसे रोका और अपने ऊपर खींचा, जिससे हमारे होंठ फिर आपस में जुड़ गये.

तब मैंने उसके मन की बात जानने के लिए पूछा कि दिन भर के काम और इतनी बार के सेक्स के बाद अगर वह थक गई हो तो चाहे आराम कर ले. ये चुदाई का कार्यक्रम मीटिंग के बाद आराम से कर कर सकते हैं.
मानसी ने कोई जवाब दिए बगैर मेरे होंठों को अपने मुंह में भर लिया और जितना उसे बन सकता था उतना मेरे होठों को अंदर खींच रही थी.

मैंने भी उसकी रज़ामंदी जानकर और कुछ नहीं पूछा और और नरम गद्देदार चूतड़ों को मसलने और उन पर थप्पड़ बरसाने लगा.

कुछ देर बाद हम अलग हुए और मैंने मानसी को बेड पर पीठ के बल लिटा कर उसकी गर्दन को चूमते हुए ज़ोर से चबा लिया.
जिससे मानसी सिसक उठी और अपने लंबे नाख़ून वासना के अभिभूत होकर मेरे पीठ पर गड़ा दिए तथा मुझे अपने सीने से दबोचने लगी.

हम दोनों के शरीर पर एक दूसरे के द्वारा दिए गये लव बाइट्स पड़ चुके थे.

फिर नीचे झुक कर मैंने उसको 34″ साइज़ के दूध को मसलना शुरू किया और इतनी ज़ोर से मसल रहा था कि अगर सच में दूध की थैली होती तो कब की फट चुकी होती.

मसलते हुए मैंने उसके एक निप्पल को दाँत से चबा लिया तो मानसी कसमसकर एक हाथ से मुझे अपने सीने पर और ज़ोर से दबाने लगी … मानो कह रही हो कि और ज़ोर से चबाओ.
लेकिन दूसरे हाथ से मेरे बालों को पूरा ज़ोर लगा कर खींच रही थी जैसे मुझे अपने से दूर करना चाह रही हो.

उसके दूध मसलते मसलते मैंने उसके दोनों हाथों को ऊपर किया और उसके आर्मपिट ( कांख) को हल्का हल्का चाटना शुरू किया.
आप में से कई पाठक सोच रहे होंगे कि यह क्या गंदगी है.
पर सच मानिए … कांख चाटना, कान के अंदर जीभ डालना, चूत और गांड चाटना … बहुत ही अलग और रोमांचित करने वाला अनुभव होता है यह!
ये सब आप अपने उस सेक्स पार्ट्नर के साथ कर के देखिएगा जिससे आप प्यार करते हैं … और वह भी आपको प्यार करता हो!

मानसी खिलखिला कर हंस पड़ी और मेरे होठों को ज़ोर से चूम लिया.
फिर उसे मैंने उल्टा करके पेट के बल लिटाया और उसके खुले बालों को एक तरह करके उसकी गर्दन को चूमने लगा तथा धीरे धीरे नीचे जाकर उसकी पीठ को जीभ से सहलाने लगा.

मानसी तड़प उठी और उसने अपनी छाती ऊपर उठा ली जिससे मैंने अपने दोनों हाथों से उसके दूध को धीरे धीरे मसलना शुरू कर दिया.
अब मानसी की सिसकारियाँ गूंजने लगी.

धीरे धीरे मैं उसके नर्म चूतड़ों की तरफ बढ़ने लगा और उन्हें जीभ से सहलाते सहलाते दांतों से हल्का हल्का काटने भी लगा.
फिर मैं दोनों हाथों से उसकी गांड को फैला कर चाटने के लिए जीभ आगे बढ़ाने लगा.

पर अचानक मानसी ने मुझे रोक दिया और मेरे तरफ घूम कर मुझे चूमने लगी तथा कहा- पीछे अभी नहीं, अगली बार! अभी सिर्फ़ आगे से करो!

क्योंकि अब हम दोनों के बीच सिर्फ़ हवस नहीं प्यार भी था और वो भी काफ़ी गहरा … तो ज़बरदस्ती का तो सवाल ही नहीं उठता.

तुरंत मैंने उसे चित लिटाया उसकी टाँगों मोड़ कर दोनों हाथों से दबा कर चौड़ा किया और एक झटके में मानसी की गुलाबी चूत को अपने मुंह में भर लिया.

वह इस हमले के लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं थी तो उसके मुंह से दबी दबी चीख ‘आ आहह आआ हह’ के रूप में निकलने लगी.
और मैं किसी भूखे इंसान के समान उसकी चूत को चाटने और खाने लगा जैसे कई वक़्त के बाद अपने पसंद का भरपेट भोजन मिला हो.

इधर मानसी की उंगलियाँ मेरे बालों में घूम रही थी और जब उसकी चूत को चबाता था तो वह भी तड़प के मेरे बालों को खींच लेती.

चार पाँच मिनट के बाद मानसी की सिसकारियाँ तेज होने लगी और उसकी चूत ने काम रस छोड़ दिया जिसे मैंने पूरा गटक लिया.

मानसी का काम रस निकालने के बाद वो अपनी सांसों को संयत करते हुए हांफने लगी और मैं उसकी बगल में लेट गया.

एकाएक वह मेरी छाती के ऊपर चढ़ कर बैठ गई और मेरे होंठ चूमने लगी.
उसकी चूत कम रस की वजह से थोड़ी गीली थी जो मेरे पेट पर चिकनाई का काम कर रही थी.

दो मिनट तक मुझे चूमने के बाद मानसी नीचे सरक गई और मेरे लंड को सहलाने लगी.
तब उसने अपने खुले हुए रेशमी बालों को झटक कर एक तरफ किया और मुस्कुराकर धीरे से मेरे लंड को अपने मुंह में भर लिया और एकदम नज़ाकत के साथ चूसने लगी.
अपने दूसरे हाथ से वह मेरी छाती को कभी सहलाती, कभी नोचती.

वह इतने प्यार से लंड को चूसने लगी कि मेरी सिसकारी निकलने लगी.
मैं अपने दोनों हाथों से उसके सिर को अपने लंड पर दबाने लगा.

पर उसने दोनों हाथों की उंगलियों से मेरे उंगलियों को फंसाया और मेरे ही चूतड़ों के नीचे दबा दिया.
अब पूरी तन्मयता के साथ वह लंड को अपने गले तक भरने लगी.

जब मेरा लंड पूरा उसके थूक से भर गया तो वह मेरे लंड के ऊपर आई और अपने दोनों हाथों को मेरे छाती पर रखा और धीरे धीरे लंड को अपनी चूत में समाहित करने लगी.

उसके चेहरे पर दर्द और सुख दोनों भाव एक साथ दिखाई देने लगे.

जब लंड पूरा अंदर उसने अपनी चूत में डाल लिया तो करीब 1 मिनट उसने अपने दर्द को काबू करने में लगाया … और फिर धीरे धीरे उपेर नीचे होने लगी.
मैं अपने दोनों हाथों से उसके गद्देदार चूतड़ मसलने लगा.

जब लंड आसानी से अंदर बाहर होने लगा तो मानसी थोड़ा सीधा होकर उछलने लगी जिससे उसके बड़े बड़े स्तन उभर कर नाचने लगे और वह खुद अपने दोनों हाथों से अपने दूध मसलने लगी.

तकरीबन पाँच मिनट तक हम इसी अवस्था में रहे.

फिर जब वह थकने लगी तो मानसी को बेड के किनारे लिटा कर में नीचे फर्श पर खड़ा हो गया और उसकी टाँगों को घुटने के पास से पकड़ कर फैला दिया जिससे उसकी गुलाबी चूत एकदम खुल कर मेरे साने आ गई.

मैंने बिना देरी किए अपना लंड उसकी चूत में उतार दिया और ट्रेन की रफ़्तार से हमारी चुदाई चालू हो गई.
हम दोनों की सिसकारी पूरे कमरे में गूंजने लगी.

दोस्तो, जब भी सेक्स के वक़्त हम आसान या पोज़िशन बदली करते हैं तो शुरू के 10 – 20 सेकंड लड़की को तकलीफ़ होती ही है.
फिर जब एक बार सही से चूत और लंड का तालमेल बैठ जाता है तो चुदाई एकदम आसान हो जाती है और मज़ा भी दोनों को आता है.

इसलिए आसन बदलने के बाद पहले आराम से निशाना सही से लगाओ और चुदाई की दौड़ का भरपूर आनद लो!

जब इस तरह से हमें 5 मिनट हो चुके थे चुदाई करते हुए … तो मानसी ने अपने पैरों को मेरी कमर में लपेटा और अपनी तरफ झटका दिया.
जिससे मैं उसकी छाती पर गिर पड़ा और उसने अपने दोनों हाथों से मेरी गर्दन को पकड़ा अपनी और खींच कर मेरे होठों को चूमने लगी.
लेकिन इस अवस्था में मेरा पूरा लंड उसकी चूत में नहीं जा पा रहा था.

तब मैंने उसे नीचे उतारा और दीवार के बल ऐसा खड़ा कर दिया जिससे उसकी छाती दीवार की तरफ रहे और उसकी पीठ बाहर मेरी तरफ!
तब मैंने उसकी 1 टाँग को अपने हाथ से पकड़ कर हवा में उठाया तथा उसे अपना चूतड़ बाहर की तरफ निकालने को बोला.
जिससे लंड आसानी से उसकी चूत में चला गया और हमारी चुदाई की गाड़ी फिर से बिना ब्रेक के दौड़ने लगी.

चुदाई करते करते जब जब मानसी अपने चूतड़ दीवार की तरफ करती तो मेरा लंड पूरा अंदर जा नहीं पाता.
तो मैंने दूसरे हाथ तो उसकी चूत को अपने और दबा के रखा और मसलने लगा.
जिससे मानसी बहुत ज़्यादा उत्तेजित हो गई और दो मिनट के बाद उसका झरना बह चला.

लेकिन उसके साथ ही वह रुकी नहीं बल्कि फुर्ती से नीचे झुक कर मेरे लंड को गप्प से मुंह में भर लिया और अपने होंठों से दबोच कर मेरे लंड को चूसने लगी.

इससे बहुत ही ज़्यादा मुझे रगड़ महसूस होने लगी और सिर्फ़ 2 मिनट बाद ही मेरा भी बाँध टूट गया और कुछ झटकों के साथ मेरा पूरा वीर्य मानसी के मुंह में चला गया.
हम दोनों बेड पर पसर कर अपनी अपनी सांसों को संयत करने लगे.

कमरे में एसी चालू था फिर भी हम दोनों पसीने से लथपथ हो चुके थे.
10 मिनट बाद जब हमारी सांसें काबू में आई तो दोनों एक साथ बाथरूम गये और एक दूसरे के शरीर को अच्छे से साफ किया और पुनः बिस्तर में आकर चादर को ओढ़ के एक दूसरे के आगोश में सिमट कर सोने लगे.

रात भर सेक्स एंड सेक्स ओनली सेक्स के बाद हम काफ़ी तक गये थे और एक दूसरे में सिमट कर सो रहे थे.

अगला दिन भी उसी तरह बीता, मानसी तैयार होकर अपनी मीटिंग अटेंड करने गयी.
उसके आने पर हमने चुदाई का मजा लिया और शाम की ट्रेन थी उसकी.
मैंने उसे स्टेशन पर छोड़ने गया और ट्रेन में उसकी सीट पर बैठकर आया.

जब तक वह अपने गंतव्य स्थान तक नहीं पहुंच गई, हम फोन पर बात करते रहे.
उसका स्तेषां आ गया तो हमने एक दूसरे को जल्द मिलने का वादा करके विदा कहा.

आपको कहानी के सभी अंश पसंद आये होंगे.
मुझे मेल और कमेंट्स में बताएं कि यह सेक्स एंड सेक्स ओनली सेक्स कहानी कैसी लगी आपको!
[email protected]