पड़ोस की भाभी खुद पटकर चुदी- 1

जवान भाभी की हवस का पता जब चला मुझे जब उसने खुद मेरे पास आकर सेक्स की बात की क्योंकि उसका पति उससे 20 साल बड़ा था. मैं तो उसे पहले से ही चोदना चाहता था.

आप सभी भाभियों को मेरे लंड का प्रणाम.
मेरा नाम प्रेम है और मैं नागपुर में रहता हूँ.

दोस्तो, यह जवान भाभी की हवस की बात एकदम सच्ची है और इस बात को बीते करीब 8 साल होने को आए हैं.
यहां मैं सभी पात्रों के नाम बदले हुए लिखूंगा.

यह बात तब की है जब मेरे 11वीं के इम्तिहान ख़त्म हुए थे.

मैं अपने परिवार सहित एक किराए के घर में रहता था.
वहीं मकान मालिक का परिवार भी अपने अलग हिस्से रहता था.

मकान मालिक का छोटा भाई एक अलग किराए के घर में रहता था, उसका नाम गुलाब था.

गुलाब का मकान मेरे घर की तरफ़ था और गुलाब की भाभी यानि हमारी मकान मालकिन मेरी मां की सहेली थीं.

उन्हीं दिनों गुलाब की दूसरी शादी होने वाली थी क्योंकि उसकी पहली बीवी का किसी से चक्कर था और जैसे ही गुलाब को पता चला, तो उसने अपनी बीवी को तलाक दे दिया.

यह कारण समझ में नहीं आया था कि गुलाब की बीवी का चक्कर किसी और मर्द से क्यों हो गया था.
शायद इसका कारण गुलाब की ज्यादा उम्र और शारीरिक कमजोरी हो सकती थी.
पर यह बात अभी पक्की तौर पर नहीं कही जा सकती थी.

गुलाब ने दूसरी शादी की.
जब वह बिहार से दूसरी शादी करके घर आया तो उस वक्त मैं मुंबई गया था.

मैं वापस आया तो पता चला कि गुलाब दूसरी लड़की को शादी करके घर ले आया है.

मैंने उस लड़की को देखा तो उसकी उम्र अभी कमसिन लगी और शायद वह अभी 19 साल की ही हुई होगी.

उस दिन मैं सुबह छत पर खड़े होकर हवा ले रहा था कि तभी मेरी नज़र उस लड़की पर पड़ी जिसे गुलाब शादी करके लाया था.
मैं छत पर खड़े होकर सिगरेट पी रहा था तभी गुलाब की गुलाबो दिखी थी.

उसकी कम उम्र को देख कर मेरी समझ में नहीं आ रहा था कि मैं उससे क्या कहूं, भाभी या आंटी!
वह तो मुझसे भी छोटी उम्र की थी.

मैंने कुछ नहीं कहा, बस नीचे आ गया.

इसी तरह दिन बीतने लगे.
मैं लगभग रोज छत पर सिगरेट पीने जाता था.

एक दिन मुझे गुलाब की भाभी ने बुलाया.
मैं उनके पास गया तो वे बोलीं- प्रेम बेटा, आप जो कर रहे हो, वह ग़लत कर रहे हो.
मुझे समझ में कुछ नहीं आया.

मैंने पूछा- आंटी, बात क्या है, साफ साफ बोलो!
तो उन्होंने कहा- गुलाब की औरत बोल रही थी कि आप उसको देखते हो?

आप यकीन करो मेरी तो दिमाग़ की मां चुद गई.
जबकि इससे पहले मैंने कभी उसको गंदी नज़र से तो छोड़ो … किसी भी नज़र से नहीं देखा था.
मैं चुपचाप चला आया.

अब मैंने गुलाब की बीवी को एक दिन अपनी मां के साथ बात करते देखा.
इधर उसका भी नाम रानी रख लेते हैं.

रानी को अपनी मां से बात करते देखा तो मैं बस उसे देख कर अपने कमरे में चला गया.
मैं कॉलेज से थका हुआ आया था तो बस जाकर लेट गया.

अब बस इतना हुआ था कि मैं गाहे बगाहे रानी को अपनी मां के साथ देख लेता था.

ज़िंदगी अपनी रफ्तार से आगे चल रही थी.

इसी बीच रानी और गुलाब को दो लड़के हो गए.
बच्चे होने से गुलाब की इज्जत बढ़ गई और लोग उसे सम्मान देने लगे.

कुछ समय के बाद हम लोगों ने उस मकान खाली कर दिया और दूसरे मकान में रहने चले गए.
यह मकान करीब 100 घर छोड़ कर आगे था.

मकान बदलने के करीब 6 महीने बाद गुलाब और रानी भी मेरे पड़ोस के घर में रहने को आ गए.

मैं तो उसी समय से रानी और गुलाब से बात नहीं करता था जब से गुलाब की भाभी ने मुझसे रानी के लिए बात कही थी.

अब हुआ यूं कि मेरे घर में टीवी नहीं था.
गुलाब ने उन्हीं दिनों नया टीवी लिया हुआ था.

यहाँ एक बात बता दूँ कि उन दिनों गुलाब शराब पीने लगा था.
उसका कारण शायद यह था कि गुलाब की उम्र और रानी की उम्र में 20 साल का अंतर था.

अब जब कभी क्रिकेट का मैच होता तो मैं गुलाब के घर में जाकर देख लेता था.

एक दिन मैं गुलाब के घर में टीवी देख रहा था और रानी ने धूप का बहाना बना कर दरवाजा अन्दर से बंद कर लिया था.

उसका कमरा छोटा था.
मैं डर गया था.
पर दरवाजा लगाने से पहले उसने मेरी मां से पूछ लिया था कि क्या यह सही होगा!

तो मां ने उससे कह दिया- हां मैं यहीं हूँ, कोई बात नहीं है … तुम दरवाजा लगा लो.

उसने मां से पूछा था, यह मैंने ध्यान नहीं दिया था.
तो मैं जरा सहम गया था कि साला क्या बवाल होने वाला है.
क्योंकि उस वक्त रानी ने दरवाजा बंद करके मुझे बड़ी कामुक नजरों से देखा था.

फिर एक दिन मेरी मां रानी की जेठानी के यहां गई थीं और मैं रानी के बच्चों के साथ टीवी देख रहा था.
उस दिन घर में कोई नहीं था.

वे गर्मी के दिन थे.
जितने किराएदार थे, सब अपने अपने गांव गए थे.

रानी मेरे बगल में आकर बैठी और मुझसे बोली- प्रेम, मुझे तुमसे कुछ बात करनी है.
मैंने कहा- हां बोलो.

उसने कहा- मैं जो बोलूँगी, उसको सोच समझ कर जवाब देना. ज़रूरी नहीं कि आज ही जवाब दो.
मैंने कहा- हां … बोलो!

रानी- मैं आपसे पहले की बातों के लिए माफी माँगना चाहती हूँ.
मैंने कहा- भूल जाओ सब!
रानी बोली- पहले आप मुझे माफ़ करो … और मैं इस माफी को तब समझूंगी कि आपने माफ़ कर दिया, जब आप मुझे एक किस दोगे!

अब मेरी और उसकी उम्र में ज़्यादा फर्क तो था नहीं … शायद मैं उससे 2 साल बड़ा ही रहा होऊंगा.
मैंने कहा- तुम्हारे बच्चे हैं, किस कैसे करके यकीन दिलाऊं!

रानी का बड़ा बेटा 4 साल का था और छोटा बेटा डेढ़ का रहा होगा.
उसने अपने बड़े लड़के को दस रुपए दिए और बोली- बेटा जाओ, चाय के लिए दूध ले आओ.

वह अपने छोटे भाई को लेकर चला गया.
रानी ने धूप से बहाना करके दरवाजा चिपका दिया.

वह बोली- अब मुझे यकीन दिलाओ कि आपने मुझे माफ़ कर दिया है!
मैंने कहा- मैंने तो माफ़ कर दिया है, अब क्या करूँ?
तो रानी बोली- किस करो.

मैंने बोला- किस के बाद मैं रुकने वाला नहीं हूँ, सोच लो!
उसने कहा- पहले माफी का यकीन दिलाओ, बाद की बात बाद में देखी जाएगी.
मैंने कहा- ओके एक मिनट रूको.

मैं उसको दरवाजे के पीछे लेकर दीवार से चिपक गया.
यकीन मानो भाई मैंने रानी को 5 मिनट तक दबा कर किस किया और बोला- अब तो यकीन हो गया?

वह मुझे पिपासा भरी नजरों से देखती हुई बोली- हां हो गया यकीन!
मैं उसे अलग होने लगा.

वह मुझसे अलग होकर बोली- अभी यहीं खड़े रहना!
मैंने कहा- क्यों?
वह बोली- खड़े रहो न!

वह बाहर जाकर देख कर आई कि उसका लड़का कहां है.
क्योंकि वह उसके छोटे वाले लड़के को भी साथ लेकर गया था.

रानी बाहर जाकर पड़ोसी की लड़की, जो उस टाइम 10-12 साल की रही होगी … से बोली- बेटा, ज़रा इन दोनों को देख आओ … वे दूध लेने गए हैं, तुम दिला लाओ.
वह इतना कह कर दौड़ कर अन्दर आई और मुझे किस करने लगी.
अब मेरे अन्दर का शैतान जाग गया.

मैंने बोला- कुछ हो सकता है क्या?
उसने कहा- हो तो सकता है, पर कितना टाइम लोगे?

मैंने कहा- कम से कम आधा घंटा!
उसने कहा- इतना टाइम नहीं है, जल्दी कर लो.

वह तुरंत अपने घुटनों के बल बैठ गई और मेरा लंड मुँह में लेकर चूसने लगी.
मैंने उसको चूसने दिया.

कुछ ही देर में मेरा लंड कड़क हो गया.

अब मैंने उसको उठाया और किस करते हुए अपना एक हाथ उसकी चड्डी में डाल दिया और उसकी चूत सहलाने लगा.

मेरा हाथ उसकी चूत पर गया तो पता चला कि उसकी चूत से पानी की धार बह रही थी.
मेरा पूरा हाथ गीला हो गया था और यह भी समझ में आ गया था कि उसकी चूत में बहुत बड़े बड़े बाल हैं.

मेरा मन वैसे ही बुझ गया क्योंकि मुझे झांटों वाली चूत पसंद नहीं है.

मैंने उससे कहा- मुझे झांटें पसंद नहीं हैं.
उसने कहा- कोई बात नहीं, साफ कर लूँगी.

हम
यही सब बात कर रहे थे कि तभी उसके बच्चे दूध लेकर आ गए और उन दोनों बच्चों के साथ वह लड़की भी आ गई.

तभी हम दोनों अलग हो गए और अब यह तय हुआ कि जब वह बच्चों से फ्री रहेगी, तब मैं टीवी देखने के बहाने से आ जाऊंगा और उसी दिन रानी की चूत चोद लूँगा.

उसने दो दिन बाद का दिन सैट किया था.

अब सैट किया हुआ दिन भी आ गया.
उस दिन रानी ने सुबह नहाते समय अपनी झांटें भी साफ कर ली थीं.

चूंकि हम सब किराएदारों के बाथरूम एक ही साथ बने थे और कोई भी किसी भी बाथरूम को यूज कर सकता था.

जब रानी बाथरूम से वापस आ रही थी तब उस समय मैंने उसके हाथ में शेविंग मशीन देखी थी.

मैंने उसे देख कर आंख मारी तो वह भी हंस कर अन्दर चली गई.
वह जाते जाते धीरे से बोली- पिच रेडी है!

मैं समझ गया.
पर उस दिन गुलाब काम पर नहीं गया और हम दोनों का सारा प्लान बिगड़ गया.

दो दिन बाद दोपहर को फिर से मौका मिला.
मैं रानी के कमरे में गया और उसको पकड़ कर किस करने लगा.
रानी दो बच्चे देने के बाद भी कड़क माल थी.
उसने पहले ही बताया था कि उसकी चूत बहुत कड़क है.

अब जब मैं गर्म हुआ तो मैंने रानी को चुदाई की पोजीशन में लिटाया और अपना लंड उसकी चूत पर अभी रखा ही था कि पता नहीं कहां से दिमाग़ में आया कि कंडोम नहीं है, साला कुछ गड़बड़ न हो जाए!
मैंने रानी से पूछा कि मेरी रंडी, यह बता कि गुलाब ने कब तेरी ली थी!

रानी बोली- कल रात में ही ली थी!
अब मेरा दिमाग और खराब हुआ कि साली रात को चुदी थी, तो ढीली होगी.

मैंने उससे कहा कि जब मेरा लेने का प्लान था, तो बहन की लौड़ी तूने उसको क्यों दी! अब मेरे पास अभी कन्डोम नहीं है, हट साली गांड मरा!
यह बोल कर मैं उसके ऊपर से हट गया, उसकी जेठानी के घर आ गया.

उस दिन मेरी मां भी वहीं थीं.

करीब आधा घंटा बाद रानी भी आ गई क्योंकि उसके बच्चों को मेरी मां लेकर उसकी जेठानी के घर गई थी.

अब जब वह आई तो उसका मुँह ऐसा हो गया था जैसे अभी ही रो देगी.
मैं उससे नज़र ही नहीं मिला रहा था.

मैंने उसकी जेठानी के घर चाय पी और पढ़ने का बहाना करके वापस अपने घर आ गया.
कुछ देर बाद रानी ने शायद मेरी मां से कुछ दाल या सब्जी माँगी होगी!

तो मां ने कहा- घर चली जाओ, प्रेम घर पर होगा. उससे बोल देना, वह दे देगा! वह तुमको दाल गर्म करके भी दे देगा.
रानी मेरे रूम में मेरे पास आई और बोली- दाल दे दो!

मेरा मूड खराब था.
मैं कुछ नहीं बोला.

उसने खुद ही दाल निकाली और अपने घर में रख कर वापस आ गई.
वह बोली- अब कितने दिन नहीं लोगे?
मैंने कहा- जब तक तुम्हारा महीना ना आ जाए … और जब महीना आ जाए तो मुझे दिए बिना अपने पति को हाथ भी मत लगाने देना.

उसने कहा- महीना तो आने में एक हफ्ता से ज्यादा का समय है!
मैंने कहा- हां तो आज से चुदवाना बंद कर दो. जब महीना हो जाए तो 5 दिन बाद मैं लूँगा. बस इतना याद रखना कि अपनी झांटें साफ कर लेना.

उसने कहा- बताऊंगी कैसे?
मैंने कहा- अपने बड़े लड़के को किसी बहाने से मेरे सामने कह देना कि मैंने पिच बना दी है. उस पर जाकर खेलो.

हमारे बीच सब तय हो गया.
अब अगले भाग में देखते हैं कि क्या रानी को मैं अगली बार चोद पाया या नहीं या बीच में कोई और अड़ंगा आ गया था.

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जवान भाभी की हवस की कहानी का अगला भाग: पड़ोस की भाभी खुद पटकर चुदी- 2