फुल सेक्स देवर भाभी का हो गया जब भाई लॉकडाउन में दूसरे शहर में फंस गया था. भाई भाभी वीडियो सेक्स करते थे. इससे भाभी की अन्तर्वासना शांत नहीं होती थी.
दोस्तो, मैं शिवम आपको अपनी भाभी की चुदाई की कहानी सुना रहा था.
कहानी के पहले भाग
भाभी की सेक्सी सिसकारियां
में अब तक आपने पढ़ा था कि मैं भाभी की कातिल मुस्कान को देख कर कुछ कुछ सोचने लगा था.
अब आगे फुल सेक्स देवर भाभी का:
भाभी प्लेट में नाश्ता लगाने लगीं और मैंने टीवी ऑन कर दिया.
मैं सोफे पर बैठ कर न्यूज़ चैनल देखने लगा.
तभी एक ब्रेकिंग न्यूज़ आई कि हमारे देश के प्रधानमंत्री आज रात को 8:00 बजे देश को संबोधित करेंगे.
मैंने कोई खास तवज्जो नहीं दी और टीवी बंद कर दिया.
तब भाभी ने कहा कि आज मार्केट चलना है, घर का कुछ सामान लाने के लिए.
हमारे यहां पूरे महीने का सामान एक ही बार में ला दिया जाता था, जिससे बार-बार बाजार जाने का कोई झंझट ही ना रहे.
हम दोनों ने नाश्ता किया और बाजार के लिए निकल पड़े. बाजार से हमने पूरे दिन शॉपिंग की, महीने भर का सामान घर ले आए.
घर आकर भाभी ने कहा कि आज खाने बनाने का कोई मूड नहीं है.
तब मैंने कहा- ठीक है तो जोमैटो से ऑर्डर कर लेते हैं.
मैंने वेज बिरयानी मँगवा ली और खाने लगे.
अब तक रात के 8:00 बज चुके थे.
मैंने अचानक से टीवी ऑन किया तब प्रधानमंत्री जी सामने बोल रहे थे.
उन्होंने एक महीने का संपूर्ण लॉक डाउन घोषित कर दिया था.
यह सुनकर हम दोनों पूरी तरह से सहम गए.
भाभी तुरंत भैया को फोन करने लगीं लेकिन भाई का फोन बंद बता रहा था.
हम दोनों चुपचाप सोफा पर बैठे हुए थे.
रात को 11:00 बजे भैया का फोन आया.
उन्होंने बताया कि वह मीटिंग में थे तो उन्हें अभी तक लॉकडाउन बारे में कुछ भी नहीं पता था.
मैंने उन्हें सारी बात बताई तो उन्होंने कहा कि सुबह मैं देखता हूं कुछ ना कुछ करके मैं सीधे वापस आ जाता हूं.
भैया भाभी को समझाने लगे मगर भाभी उदास होकर अपने कमरे में चली गईं.
मैं भी अपने कमरे में जाकर सो गया.
सुबह भाभी ने दरवाजा बजाया और बोलीं- शिवम दरवाजा खोलो!
मैंने उठ कर दरवाजा खोला. भाभी मेरे बिस्तर पर आकर बैठ गईं और बोलीं कि आज सुबह तुम्हारे भैया का फोन आया था. उन्होंने बताया कि उनके कंपनी द्वारा उन्हें वहीं रहने की सलाह दी गई है. उन्होंने यह भी बताया कि अगर कोई व्यवस्था होती है, तो कंपनी वाले उन्हें खुद ही वहां से लाने का प्रयास करेंगे या जो भी होगा वह बात करके बताते हैं.
यह सब कहते हुए भाभी रो पड़ी थीं.
मैं उनके पास जाकर बैठा तो वे मेरे कंधे पर सर रखकर रोने लगीं.
मैंने भैया को फोन किया और भाभी से उनकी बात कराई.
भाभी थोड़ी शांत हुईं.
भैया ने कहा- अभी मुश्किलों का समय चल रहा है, इस समय हमें हिम्मत नहीं हारनी चाहिए. कुछ समय में यह सब मुश्किलें चली जाएंगी और हम सब फिर से एक साथ रहेंगे. फिर अभी तो शिवम है ना तुम्हारा ध्यान रखने के लिए. मैं यहां पूरी तरह से सुरक्षित हूं.
यह सुनकर भाभी ने रोना बंद कर दिया.
भैया ने फिर से बात करने की बात कह कर फोन मुझे देने का कह दिया.
‘मैं चाय लेकर आती हूं.’ कह कर भाभी ने मेरा फोन मुझे पकड़ा दिया.
मैंने भैया से बात की तो भैया ने कहा कि तुम्हें अपने भाभी का ध्यान रखना होगा, ओके! वह थोड़ी उदास हो गई है.
मैंने कहा- ठीक है भैया.
फिर फोन रख दिया.
कुछ देर बाद भाभी चाय लाईं और हम दोनों ने चाय पी.
फिर रोजमर्रा की तरह जिंदगी चलने लगी.
कुछ दिन बाद भाभी भी सामान्य हो गईं.
लॉकडाउन के अभी 5 दिन ही बीते थे.
हम दोनों रोज सुबह उठते और सबसे पहले योगा करते थे.
उस समय टीवी पर और हर जगह योगा का बहुत महत्व दिखाया जा रहा था.
एक रात में जब मैं खाना खाकर सोने गया तो लगभग एक या डेढ़ घंटे बाद मेरी आंख खुलीं.
मुझे बहुत तेज बाथरूम आई थी.
मैं बाथरूम की तरफ भागा.
जब मैं बाथरूम करके वापस लौट रहा था, तब मैंने ध्यान दिया कि भाभी के कमरे से सेक्सी आवाज सुनाई दे रही थीं.
ऐसा लगा जैसे भाभी किसी से बातें कर रही हों.
तब मैंने दरवाजे पर कान लगाकर सुना तो मुझे लगा कि शायद भैया लाइन पर हैं.
मैंने चेक करने के लिए अपने दूसरे नंबर से भैया के मोबाइल में कॉल किया.
भैया के पास मेरा वह नंबर नहीं था.
भैया का मोबाइल फोन व्यस्त आ रहा था.
मैं समझ गया कि भईया भाभी के साथ व्यस्त हैं.
अब मुझे उत्सुकता हुई तो मैंने दरवाजे के चाभी वाले छद से अन्दर देखा, तो मेरी आंख खुली रह गई.
भाभी अपने कुर्ते के ऊपर से अपने बूब्स को जोर जोर से मसल रही थीं और अपने एक हाथ की उंगली को मुँह में डाल कर आवाज कर रही थीं.
उनका चेहरा पूरी तरह से लाल हो चुका था.
मुझसे भी अब रहा नहीं गया तो मैंने अपना पजामा उतार दिया और अपना लंड बाहर निकाल कर मुठ मारने लगा.
आज मुझे बहुत मजा आ रहा था, पता नहीं क्यों … शायद भाभी के नाज़ुक बदन को देख कर मुझे वासना चढ़ रही थी.
तभी उत्तेजना में पास में रखा गुलदस्ता मेरे हाथ से ज़मीन पर गिर गया.
मैं वहां से भागा और अपने कमरे में आकार जल्दी से दरवाजा बंद करके सो गया.
सुबह जब मैं योगा कर रहा था तब भाभी ने मुझसे पूछा- कल शाम क्या तुम मेरे दरवाजे के पास आए थे?
मैंने कहा- नहीं तो!
वे बोलीं- वहां रखा गुलदस्ता गिर कर फूट गया था.
मैंने कहा- पता नहीं कैसे गिरा होगा. शायद बिल्ली रही होगी.
भाभी चुप हो गईं.
मैं नहाने के लिए बाथरूम में चला गया और रात का अधूरा काम पूरा किया.
मैं लंड झाड़ कर बाहर आ गया.
भाभी ने कहा कि मैं भी नहा लेती हूँ.
वे नहाने चली गईं.
अचानक बाथरूम से उनकी चीख निकल पड़ी.
मैं दरवाजे के पास गया और दरवाजा खटखटाया.
भाभी ने अन्दर से जवाब दिया कि मैं ठीक हूँ.
थोड़ी देर में भाभी ने दरवाजा खोला, वे अपने पैरों पर ठीक से खड़ी नहीं हो पा रही थीं.
मैं पूछने लगा.
उन्होंने बताया कि मैं बाथरूम में गिर गई थी. यह कह कर वे चलने को हुईं तो लड़खड़ा कर गिरने लगीं.
मैंने आगे बढ़ कर उन्हें अपनी गोद में उठाया और बिस्तर पर लिटा दिया.
वे थोड़ी सी शर्मा गईं कि मैंने उन्हें किसी फूल की तरह से अपनी गोदी में उठा कर बिस्तर पर लिटा दिया था.
मैंने दराज में से मूव निकाली और उनके पैर के पंजे पर मलने लगा.
भाभी को दर्द हो रहा था.
मैं फ्रिज से बर्फ़ की ट्रे निकाल लाया और भाभी के पैर की बर्फ सिकाई की.
इससे उनको दर्द में आराम हो गया.
उस दिन घर का सारा काम मैंने किया.
रात को भाभी ने भईया से बात की, तो उन्होंने कहा कि अगर ठीक न हो, तो डॉक्टर को दिखा लेना.
भाभी बोलीं- डॉक्टर के लिए सरकारी हस्पताल जाना पड़ेगा और कोरोना के कारण हालात वैसे ही ठीक नहीं हैं.
भैया चुप हो गए.
रात को हम दोनों ने खाना खाया.
मैंने भाभी से कहा कि अगर आपको कोई दिक्कत न हो तो मैं आज आप के कमरे के सोफे पर सो जाता हूं.
भाभी ने कहा कि सोफे पर क्यों, बेड पर ही सो जाओ!
मैंने कहा- ठीक है.
मैं भाभी के साथ ही सो गया.
रात को अचानक मेरी नींद खुली, उस वक्त नाइट बल्ब जल रहा था.
मैंने भाभी को देखा तो मुझसे रहा नहीं गया.
मैंने धीरे से अपना हाथ उनके कंधे पर रख दिया और धीरे धीरे नीचे सरकाता हुआ उनके बूब्स को दबाने लगा.
फिर उनके ऊपर अपना पैर रख कर सहलाने लगा.
मुझे लगा कि शायद भाभी भी यही चाहती हैं, तो मैंने उनके होंठों पर हाथ रखकर मसला, तो भाभी जाग गईं.
उन्होंने मुझे देखा और एक जोरदार तमाचा जड़ दिया.
मैं डरा हुआ सा उठा और अपने कमरे में जाकर रोने लगा.
मैं रोते रोते सो गया.
सुबह जब मैं उठा, तो मैंने देखा कि मेरे कमरे का दरवाजा खुला है.
मैं बाहर आया और देखा कि भाभी किचन में हैं.
मैं भाभी से कुछ नहीं बोल रहा था.
तभी भाभी बोल पड़ीं- कल रात को क्या कर रहा था?
मैंने बोला- सॉरी भाभी आज के बाद ऐसा नहीं करूंगा.
भाभी ने कहा- अच्छा ठीक है, रात गई बात गई. जाओ फ्रेश हो जाओ … नाश्ता तैयार है जल्दी से आ जाओ और साथ में बैठकर नाश्ता करते हैं.
तब मैंने भाभी से पूछा- अब आपका पैर कैसा है?
उन्होंने कहा- अब ठीक है.
मैंने कहा कि रात वाली बात भैया को मत बताना, नहीं तो वे गुस्सा करेंगे.
तो भाभी बोलीं- अब उसके बारे में नहीं सोचो.
मैं फ्रेश होकर आया और टेबल पर बैठ गया.
भाभी ने चाय नाश्ता लगाया और हम दोनों नाश्ता करने लगे.
तभी भाभी ने पूछ लिया कि क्या तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है?
मैंने कहा- अभी तक किसी लड़की ने मुझसे दोस्ती तक नहीं की.
वे बोलीं- तुम मुझसे झूठ बोल रहे हो!
मैंने कहा- नहीं भाभी, आपकी कसम!
भाभी बोलीं- अच्छा जी तो बताओ तुम्हें कैसी गर्लफ्रेंड चाहिए?
मैंने मौके पर चौका मारते हुए कहा- मुझे तो आप बहुत पसंद हैं, आप जैसी अगर कोई मिल जाए तो ठीक, नहीं तो मैं तो आपसे ही प्यार करता हूं. आई लव यू भाभी.
यह सुनकर भाभी शर्मा गईं और अपने कमरे में चली गईं.
मैंने उनका पीछा किया और कमरे में चला गया.
कमरे में जाकर मैंने उनके होंठों पर अपने होंठ रख दिए और उन्हें चूमने लगा.
भाभी ने पहले तो अपने आप को छुड़ाने की नाकाम कोशिश की, फिर उन्होंने भी मेरा साथ देना शुरू कर दिया.
मैं उनके होंठों को पूरी तरह से पीता रहा, उनके जीभ से जीभ लगाकर खेलता रहा और उनके मुँह में अपनी जीभ को अन्दर तक डालकर उनकी लार को पीते हुए चुंबन किया.
उसके बाद उनके कोमल कोमल गाल से लेकर उनकी सुराही जैसी गर्दन पर किस करना चालू कर दिया.
चुंबन में भाभी मेरा पूरा साथ दे रही थीं.
मैंने उनके पीछे से उनकी कमीज उतारने की कोशिश की, जिसमें वह फट गई.
भाभी ने कहा- ज्यादा उतावले मत हो. मैं ही उतार देती हूं.
भाभी ने अपनी कमीज़ उतार दी.
कमीज के अन्दर उन्होंने लाल कलर की ब्रा पहनी हुई थी.
मैंने उनकी पीठ पर चुंबन करना स्टार्ट कर दिया और अपने हाथों से उनके अमृत कलशों को दबाने लगा.
उनके मुँह से कामुक सिसकारियां निकलने लगीं.
मैं लगातार उनके पूरे शरीर को चुंबन करता जा रहा था.
फिर भाभी ने मेरी टी-शर्ट को ऊपर किया और मेरी छाती पर चुम्मा लेना शुरू कर दिया.
वे अपनी जीभ से मेरे सीने की घुंडियों को लिकलिक करती हुई छेड़ रही थीं.
उनकी जीभ की हरकत से मैं बिल्कुल मदहोश हो गया था. मैंने अपनी टी-शर्ट और पजामा उतार कर नीचे जमीन पर फेंक दिया और केवल अंडरवियर में भाभी के सामने था.
मैंने भाभी से कहा कि दोनों कपड़ों से आप खुद को आजाद कर दीजिए.
भाभी ने नशीली आवाज में कहा- खुद ही कर लो!
मैंने उनको पीछे घुमाया और उनकी ब्रा का हुक खोल कर उनके दोनों बूब्स को आजाद कर दिया. दूध खुलते ही हवा में फुदकने लगे और मैं उन पर टूट पड़ा.
कभी दाहिने दूध का मजा लेता तो कभी बाएं बूब के निप्पल को दांत से काट लेता, तो कभी दोनों मम्मों को अपने दोनों हाथों में भर कर मसलने लगता.
उनके दोनों दूध पूरी तरह से लाल हो चुके थे.
भाभी के मुँह से लगातार सिसकारियां निकल रही थीं और वे मदहोश होती जा रही थीं.
मैंने उनके पजामा का नाड़ा खोल दिया, तो पजामा नीचे सरक गया.
अब भाभी मेरे सामने केवल पैंटी में खड़ी थीं. उनकी ब्लैक कलर की पैंटी पूरी तरह से गीली हो चुकी थी.
उसमें से रस निकलने लगा था.
मैंने उसे भी उतार दिया.
फिर मैंने भाभी को बिस्तर पर धकेला और उनके ऊपर चढ़ गया.
भाभी एकदम मदहोश थीं, उन्हें इसकी कोई खबर ना थी कि वे किसके नीचे दबी हैं.
वे केवल वासना से सिसकारियां ले रही थीं.
तब मैंने अपना अंडरवियर उतारा और अपना लंड बाहर निकाला.
लंड भाभी की चुत की खोज में फड़फड़ा रहा था.
मैंने भाभी की मुनिया के प्रवेश द्वार पर लंड का मुँह लगा दिया.
जब तक भाभी कुछ समझ पातीं, तब तक मैंने एक जोरदार झटका लगा दिया.
लंड चुत दोनों इतने ज्यादा गीले होने के बावजूद मेरा औजार उनकी मुनिया के अन्दर नहीं जा रहा था.
मैंने लंड ठाँसने की कोशिश की तो भाभी के मुँह से चीख निकली.
वे बोलीं- रहने दो, बहुत बड़ा है तुम्हारा … अन्दर नहीं जाएगा. मुझे बहुत दर्द हो रहा है, मत करो … रहने दो!
वे मदहोशी में अपनी दर्द भरी आवाजें निकालने लगीं.
मैंने उनकी बातों पर ध्यान ना देते हुए दूसरी बार जोरदार झटका लगाया.
मेरा आधा औजार उनकी मुनिया में घुस गया.
भाभी तड़फ कर रोने लगीं- आह मर गई आह निकाल लो … मेरी जान ही लोगे क्या!
मैंने उनकी बातों पर ध्यान नहीं दिया और तीसरी बार बहुत जोर का धक्का लगा कर अपना पूरा लंड उनकी चुत में गहराई में घुसेड़ दिया.
भाभी की तेज चीख निकल गई और पूरे कमरे में उनकी चिल्लपौं मच गई- आह मम्मी रे मर गई. आह मर गई साले ने मार डाला. आह इतना बड़ा औजार कहां से लाया है कमीना फाड़ने पर तुला है साले निकाल ले बेरहम … इतना बड़ा तो केवल घोड़े का होता है!
मैंने भाभी की चुत में लंड को पेले रख कर उनके एक दूध को चूसते हुए उनसे मजाक में पूछा- क्या भैया का इतना बड़ा नहीं है?
तब उन्होंने कहा- नहीं, उनका तो सामान्य ही है. तुम्हारा पता नहीं कहां से घोड़े जैसा हो गया है.
मैंने पूछा कि क्या आपने घोड़े का देखा है?
वे बोलीं- नहीं, मैंने सुना है.
उस समय उनकी मुनिया में मेरा लंड अपनी जगह बना चुका था और भाभी को दर्द से निजात मिलने लगी थी.
मैंने भी भाभी को थोड़ी देर के लिए ऐसे ही छोड़ दिया था.
अब वे धीरे-धीरे अपनी गांड हिलाती हुई कसमसाने लगी थीं तो मैं हल्के हल्के धक्का लगाने लगा.
उनकी सांसें और तेज होने लगीं और मुँह से सिसकारियां निकलने लगीं.
मैं उनकी लगातार आधा घंटा तक चुदाई करता रहा.
फुल सेक्स देवर भाभी का हुआ और इस दौरान भाभी दो बार झड़ गई थीं.
मैंने भाभी से कहा- भाभी मेरा आने वाला है!
भाभी ने कहा- नहीं, अन्दर मत डालना, बाहर ही निकाल लो क्योंकि तुम्हारे भैया नहीं चाहते कि अभी बच्चा हो!
मैंने कहा- ठीक है भाभी जान.
तब मैंने अपना सारा माल भाभी के अमृत कलशों पर निकाल दिया.
वे बोलीं- छी: गंदा कहीं का!
इतनी लंबी चुदाई के बाद मुझे नींद आ गई और मैं उनके बाजू में ही सो गया.
जब मैं उठा, तो भाभी नहा धोकर खाना बना रही थीं.
मैं भी उठा और फ्रेश होकर किचन में चला गया.
मैंने भाभी को पीछे से पकड़ा और उनके लंबे रेशमी बालों को हटाकर उनकी गर्दन एवं पीठ पर चुंबन करने लगा.
मैंने देखा कि भाभी एक टी-शर्ट एवं निकर में थीं.
मैंने कभी भी भाभी को ऐसे नहीं देखा था.
मैंने भाभी से कहा- पूरी माल लग रही हो!
वे हंस कर बोलीं- अब तो तुम्हारी ही हूं या तो माल कहो, या कुछ और.
कुछ देर मस्ती करने के बाद मैं बाहर आकर सोफा पर बैठ गया और टीवी देखने लगा.
खाना बनाने के बाद भाभी ने मुझे आवाज दी कि आओ, खाना खा लो!
मैं टेबल के एक तरफ और भाभी दूसरी तरफ बैठी थीं. खाना खाते समय मैंने भाभी के पैरों को नीचे से सहलाने लगा.
भाभी भी मुझे देखती हुई मेरा पूरा साथ दे रही थीं.
मैंने कहा कि जब तक भईया नहीं आते, तब तक मैं आपका पूरा ध्यान रखूंगा.
भाभी हंस कर बोलीं- हां पूरा ही रखना.
मैंने कहा- हां अब तो आपको पूरा लेने की आदत भी हो गई है.
वे हंस दीं और हम दोनों सेक्सी मजाक करने लगे.
खाना खत्म करने के बाद मैं कमरे में चला गया और भाभी का इंतजार करने लगा.
भाभी के आते ही मैंने उन्हें बिस्तर पर खींच लिया और उनके होंठों को चूमने लगा.
भाभी बोलीं- आराम से, बिल्कुल जानवर बन गए हो क्या … आज के लिए बस इतना ही. बाकी कल कर लेना, जो तुमने दोपहर में किया था न, उसके कारण मुझसे चला भी नहीं जा रहा है.
यह सुनकर मैं बोला कि भैया तो जब चाहते हैं, तब उन्हें मिलता है … और मेरे साथ ये ना इंसाफी क्यों?
भाभी मेरी तरफ मुँह करके बोलीं- क्या कहना चाहते हो?
मैंने कहा- जिस दिन भईया जाने वाले थे. उस दोपहर में आप चुदी थीं कि नहीं … और कुछ दिन पहले आप वीडियो कॉल पर भी उनके साथ सेक्स कर रही थीं न!
यह सुनकर भाभी ने मुझे किस करते हुए कहा कि तुम अपने भैया भाभी को चुदाई करते देखते थे साले मादरचोद!
भाभी के मुँह से निकली गाली को सुनकर मैं अंचभित सा हो गया.
मैंने कहा- भाभी करने दो ना प्लीज़!
उन्होंने कहा कि जब तक भईया नहीं आते, तब तक तुम मेरा पति हो और मैं तुम्हारी पत्नी हूँ. आज से भाभी कहना बंद करो, तुम मुझे सुरभि कह कर बुलाओगे.
मैंने कहा- ठीक है भाभी.
वे बोलीं- फिर भाभी?
मैंने कहा- नहीं, सुरभि. अब तो चोदने दो ना!
सुरभि भाभी ने कहा- आज ऊपर ऊपर से काम चला लो यार, कल पूरा खा लेना.
मैं बोला- कल तो मैं सुहागरात मनाऊंगा!
तब उन्होंने कहा कि आज तो सो जाओ.
मैंने कहा कि आज तो ऊपर से करने की छूट है न!
भाभी हंस दीं और मैंने उन्हें अपनी बांहों में भर लिया.
दोस्तो, कल क्या होने वाला है, उसका जिक्र में अपने अगली सेक्स कहानी में विस्तार से लिखूँगा.
आपको मेरी इस फुल सेक्स देवर भाभी का कहानी में कितना मजा आया, प्लीज कमेंट्स करके जरूर बताएं.
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