स्लो सेक्स विद सेक्सी भाभी का मजा मैंने मैंने मौसेरे भाई की पत्नी की चुदाई करके लिया. वे मेरी तरफ पीठ करके सो रही थी, मैंने पीछे से लेटे लेटे उनकी चूत मारी.
मेरा नाम कुलदीपक है।
मैं अपनी एक सच्ची कहानी आपको सुनाना चाहता हूँ।
यह करीब 2005 की स्लो सेक्स विद सेक्सी भाभी कहानी है।
मेरी उम्र तब 20 बरस की थी।
मेरी मौसी के बड़े लड़के की उम्र करीब 30 वर्ष होगी.
वो एक दिन हमारे गाँव में गंगा स्नान करने के लिए आये थे।
गंगा जी हमारे गाँव से 1 किलोमीटर दूर है।
मैं उनके साथ गंगा स्नान करने के लिए चला गया।
वो अपने घर से पैदल ही आये थे क्योंकि उनकी साईकिल और मोटरसाइकिल दोनों ही खराब हो गई थी।
गंगा स्नान करके आने में हमें काफी देर हो गई.
तो वह मेरी मम्मी से बोले- मौसी मुझे घर जाना जरूरी है इसलिए आप मुझे छोड़ने के लिए कुलदीप को भेज दो, ये कल वापस आ जायेगा।
मेरी मम्मी ने उनके कहने पर मुझे साईकिल से छोड़ने को भेज दिया।
जब हम उनके घर पहुंचे तो रात्रि हो गई थी और पूजा भाभी खाना बना रही थी।
वो कहने लगी- आप बहुत देर से आये हैं. चलो मैं खाना बना रही हूँ, आप भी मुंह हाथ धोकर पहले खाना खा लो।
हम दोनों ने खाना खाया.
फिर भाभी ने गर्म दूध हमें पीने के लिए दिया।
भाई के घर में एक ही कमरा था.
उसमें दो तख्त बिछाये हुए थे जोकि आपस में मिले हुए थे।
मैं और भाई तो एक तख्त पर सो गये और भाभी जी दूसरे पर सो गयी।
दोस्तो, मैंने अपनी भाभी के बारे में तो आपको कुछ भी बताया ही नहीं, क्षमा करना।
भाभी जी की उम्र करीब 30 वर्ष होगी और वो बला की खूबसूरत थीं।
उनका फिगर 32- 30-34 था.
मैंने जब भी उन्हें देखा तो मैं दीवाना हो जाता था।
वह बड़ी हंसमुख स्वभाव की थीं।
मैं वैसे तो उनका दीवाना था पर कभी हंसी मजाक भी नहीं किया था।
अब मैं अपने बारे में भी तो आपको बता दूं.
मेरी उम्र उस समय 20 वर्ष की थी. मैं देखने मैं बहुत सुन्दर था और इकहरे शरीर का था।
अब मैं अपनी कहानी पर आता हूँ।
जब हम पहले एक बार उसी तख्त पर सो रहे थे सदियों में … तब भाभी भैया के लंड पर हाथ फेर रहीं थीं सोते में!
भईया सो गये तो मैंने अपना अंडरवियर नीचे करके अपना 8 इंच लम्बा और 3 इंच मोटा लंड उनके हाथ में दे दिया था।
यह करीब छह महीने पहले की बात थी।
उस दिन सोने के करीब एक घंटे बाद भाई ने भाभी को चोदने को राजी कर लिया और क्योंकि कमरे की लाइट बंद थी.
भाभी की ब्रा छोड़ कर सभी कपड़े उतार दिये.
वो बहुत धीरे-धीरे बात कर रहे थे।
भाभी कह रही थीं कि कहीं कुलदीप जगा हो तो?
भैया बोले कि वह थक कर सो गया है।
फिर भी भाभी ने अपनी ब्रा नहीं उतारी और कहा कि पीछे से चुपचाप धीरे-धीरे कर लो।
भाई ने भाभी को अपने पास को करके ही धीरे-धीरे चोदा और फिर दोनों चिपक कर सो गये।
मुझे उनकी चुदाई का अंधेरे में ही अहसास हुआ तो मेरा लंड बुरी तरह खड़ा हो गया।
अब मेरी नींद उड़ गई।
करीब आधे घंटे बाद जब भाई साहब मेरी तरफ करवट बदल कर सो गये.
और भाभी वैसे ही नंगी सोती रहीं केवल ब्रा पहने!
तो मैंने हिम्मत करके भाई के ऊपर से ही भाभी की कमर पर हाथ रख दिया.
तो मुझे पता चला कि भाभी ने अभी कपड़े नहीं पहने हैं।
थोड़ी देर तक जब भाभी ने कोई हरकत नहीं की तो मेरी हिम्मत बढ़ गई।
अब मैं धीरे से उठकर भाई और भाभी के बीच में जो जगह हो गई थी वहाँ लेट गया।
अब तो नंगी भाभी मेरे पास ही सो रहीं थीं तो मैंने अपना 8 इंच लम्बा और 3 इंच मोटा लंड बिना भाभी के शरीर से अपना शरीर छुआए पीछे से लंड सटा दिया।
भाभी एक टांग टेढ़ी करके सो रहीं थीं.
अब मेरा लंड उनकी दरार में तो जा रहा था पर चूत में घुस नहीं पा रहा था।
मैं थोड़ी देर तक चुपचाप लेटा रहा फिर मैंने भाभी के बूब्स पर हाथ रख दिया.
भाभी ने कोई हरकत नहीं की.
तो मेरी हिम्मत बढ़ गई और मैंने भाभी की टांग को पीछे की तरफ धीरे-धीरे किया परन्तु अपना लंड सटा दिया।
भाभी ने कोई हरकत नहीं की.
तो मैंने धीरे-धीरे दबाव बढ़ाया तो मेरे लंड का सुपारा भाभी की चूत में पीछे से ही घुसा थोड़ा सा।
मैं फिर थोड़ी देर तक चुपचाप लेटा रहा.
फिर जब भाभी ने कोई हरकत नहीं की तो मेरी हिम्मत बढ़ गई और मैंने धीरे-धीरे दबाव बढ़ाया तो मेरा लंड आधा भाभी की चूत में घुस गया।
अब मैंने थोड़ी देर भाभी की ब्रा पर हाथ फेरते हुए धीरे-धीरे दबाव बढ़ाया तो मेरा लंड पूरा भाभी की चूत में घुस गया लेकिन बड़ा टाइट गया.
तो मुझे लगा कि भाई साहब का लंड मेरे से छोटा तथा पतला है।
अब भाभी थोड़ी सी हिली तो मैंने भाभी की टांग पर अपनी टांग से भाभी के कूल्हे को पकड़ा और अपने लंड को पीछे निकाला और दुबारा एक साथ घुसा दिया और चुपचाप लेटा रहा।
थोड़ी देर बाद मैंने हिम्मत करके फिर धीरे-धीरे धक्के मारने शुरू कर दिये।
अब भाभी चुपचाप लेटी रहीं.
तो मैंने धीरे-धीरे फिर से धक्के मारने शुरू कर दिये और भाभी की ब्रा में हाथ डाल कर भाभी के बूब्ज़ को एक एक करके बाहर निकाल लिया और धीरे-धीरे धक्के मारने शुरू कर दिये।
अब भाभी चुपचाप चुदाई करवाती रही और मैं धक्के लगा लगा कर भाभी को चोदता रहा, स्लो सेक्स का मजा लेता रहा.
करीब आधे घण्टे में भाभी दो बार झड़ गयी.
अब मैं भी झड़ने वाला था तो मैंने धक्के लगाने तेज कर दिये.
और पीछे से ही भाभी की कमर को एक हाथ से कस कर पकड़ कर तथा एक हाथ भाभी की गर्दन के नीचे से निकाल कर खूब जोर जोर से पकड़ कर चोदने लगा और भाभी की चूत में ही झड़ गया.
भाभी मेरे साथ ही तीसरी बार झड़ गयी।
अब मैं चुपके से उठकर पिशाब करने के लिए चला गया और आकर अपने स्थान पर सो गया।
सुबह मुझे तथा भाई साहब को एक साथ चाय पीने के लिए उठाया तो मैंने देखा कि भाभी टांग चौड़ा कर चल रही है।
सुबह मुझे अपने घर जाना जरूरी था तो मैंने भाई साहब से कहा- अब मैं जाता हूँ
तो भाभी कहने लगी- भैया, आप इतने दिन बाद तो आये हो. आज रुक जाओ।
मैं बोला- मम्मी पापा नाराज होंगे.
तो वो कहने लगी- आप आज हमारी मोटर साईकिल और साइकिल ठीक करवा कर चले जाना. तुम्हारे भइया को आज खेत की पलेवा करनी है और नौकरी भी आ नहीं रहा है. ऐसा करेंगे कि तुम्हारे भइया मौसी के लिए एक चिट्ठी लिख देंगे।
मैं भाभी के कहने पर रुक गया और भाई के साथ पास के गाँव में जाकर उनकी मोटरसाइकिल ठीक करवाने चला गया।
भाई साहब मुझे वहाँ छोड़कर तथा साईकिल ठीक करवा कर चले आये।
मुझे वहाँ शाम हो गई।
शाम को मैं देर से लौट कर आया तो पहले तो भाभी ने मुझे मदद के लिए धन्यवाद दिया और मुझे बहुत अच्छा खाना खिलाया।
फिर भाभी ने बताया- तुम्हारे भइया खेत पर अभी पानी लगा रहे हैं. मैं उन्हें वहाँ खाना खिला कर आती हूँ. तब आप आराम कर लो।
मैं बोला- भाभी, आप खेत पर कैसे जाओगी?
तो वो कहने लगी- पैदल ही जाऊँगी।
मैंने कहा- लाओ मैं मोटरसाइकिल से खाना ले जाता हूँ।
वो मना करने लगीं पर मैं ही भैया को खाना लेकर चला गया।
भइया ने खाना खा कर मुझे वापस घर भेज दिया, कहा- मैं 3-4 घंटे में खेत पूरा भरकर आ जाऊंगा. तुम घर वापस चले जाओ क्योंकि वहाँ तुम्हारी भाभी अकेली है और गांव में आजकल चोर आ रहे हैं।
मैं घर लौट कर आया तो मैंने भाभी को सारी बात बताई।
भाभी बोली- आप चिंता मत करो, वो जाएंगे। आप खाना खा कर दूध पीकर आराम से सो जाओ।
मैं बोला- मैं अब खाना नहीं खाऊंगा, अब सोना चाहता हूँ।
भाभी ने भइया वाले तख्त पर मेरा बिस्तर बिछा दिया और मैं उस पर लेट गया।
भाभी अपना काम निबटा कर दूसरे तख्त पर आकर सो गईं।
मैं नींद में उनकी तरफ को करवट बदल कर सो गया।
करीब दो घंटे बाद जब मेरी आंख खुली तो मैंने देखा कि भाभी पेटीकोट पहनकर मेरी तरफ को करवट बदल कर सो रहीं हैं।
कमरे में अंधेरा था पर मैंने देखा कि भाभी ने आज ब्रा नहीं पहनी हुई है।
मैंने सोने का नाटक करते हुए भाभी के बूब्ज़ पर हाथ रख दिया।
भाभी थोड़ी देर बाद मेरी तरफ पीठ करके करवट बदल कर सो गयीं और थोड़ी देर बाद धीरे-धीरे खराटे लेने लगीं.
तो मैंने देखा कि भाभी का पेटीकोट जांघों तक ऊपर आ गया है।
अंधेरे कमरे में भी भाभी की गोरी गोरी जांघ चमक रही रही थी तो मेरा लंड बुरी तरह से लोहे की राड की तरह सख्त हो गया।
अब मैंने हिम्मत करके भाभी के कूल्हे पर अपना हाथ धीरे से रखा और चुपचाप लेटा रहा.
फिर मैंने अपना उनके चूतड़ों पर होकर नीचे की तरफ ऐसे किया कि जैसे मैं नींद में हूँ।
भाभी ने कोई हरकत नहीं की तो मेरी हिम्मत बढ़ गई और मैंने धीरे-धीरे भाभी का पेटीकोट कमर तक कर दिया.
भाभी फिर भी धीरे-धीरे खर्राटे लेने लगीं।
अब मैंने धीरे-धीरे भाभी के बलाऊज के बटन खोल दिये। अब मैंने पीछे से ही थोड़ा सा नीचे सरककर अपने बायें हाथ से भाभी का ऊपर वाला चूतड़ थोड़ा सा उठाकर अपने लंड को पीछे से उनकी चूत पर दिया और चुपचाप लेटा रहा.
फिर जब भाभी के धीरे-धीरे खर्राटे बंद नहीं हुए तो मैंने धीरे-धीरे लंड का दबाव बढ़ाया तो लंड नीचे की तरफ सरक गया।
मैं फिर थोड़ी देर तक शांत रहा और अपने लंड को वापस दरार से बाहर निकाल कर चूत पर सैट करके धीरे-धीरे दबाव बढ़ाया तो मेरा लंड थोड़ा सा ही घुसा।
भाभी के खर्राटे एकदम थोड़ी देर को बंद हुए और थोड़ी देर बाद ही फिर चालू हो गये।
अब मैंने हिम्मत करके भाभी की बगल के नीचे से हाथ निकाल कर एक चूचे को पकड़ा और दूसरे हाथ से दूसरे बूब्ज़ को पकड़ कर तथा अपनी ऊपरी टांग को भाभी की दौनों टांगों में बीच में फंसाया और धीरे-धीरे लंड का दबाव बढ़ाया तो मेरा लंड पूरा का पूरा धीरे-धीरे भाभी की चूत में घुसा चला गया।
अब फिर मैंने कोई हरकत नहीं की तो मेरी हिम्मत बढ़ गई और मैंने धीरे-धीरे लंड को पीछे आगे करना शुरू कर दिया।
आज मैं स्लो सेक्स करते हुए भी थोड़ा डर रहा था लेकिन फिर भी मैंने भाभी को पकड़े हुए ही चोद दिया और भाभी चुपचाप चुदाई करवाती रही।
दोस्तो, आपको मेरी यह सच्ची कहानी अच्छी लगी होगी.
स्लो सेक्स विद सेक्सी भाभी कहानी पर कमेन्ट करके जरूर बताना.
कोई गलती हो तो क्षमा करना क्योंकि यह मेरी पहली कहानी है।
धन्यवाद।
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