मेरी अन्तर वासना की कहानी में मैं एक रिश्तेदार के घर किराये पर रहने लगा. आंटी मुझे अक्सर किसी लड़की को पटाने को कहती थी. पर मुझे आंटियां पसंद हैं. मैं उन्हीं आंटी को चोदना चाहता था.
मेरा नाम सौरभ सिंह है, मैं अभी कुछ दिन पहले ही पढ़ाई के लिए चंद्रपुर शिफ्ट हुआ हूं. यह सेक्स कहानी उसी से जुड़ी हुई है.
जब मैं चंद्रपुर में कमरे की तलाश कर रहा था तब मैं चाहता था कि कॉलेज के पास ही कोई रूम मिल जाए.
पापा ने हमारे रिश्ते में लगने वाले एक अंकल से बात की.
तो मालूम हुआ उनके घर पर एक कमरा है.
उन्होंने मुझे उनके घर पर रहने का कह दिया.
अंकल के घर में उनके साथ सुमन आंटी और उनका कम उम्र का बेटा रहता था.
मैंने अंकल के कहे अनुसार जल्द ही उनके घर जाना स्वीकार कर लिया क्योंकि मुझे किसी आंटी के साथ सेक्स का सोचना मेरे लिए एक फैंटेसी थी.
इन कामुक आंटियों को मैं अक्सर शादियों में देखता और शादी से बाहर आने तक मैं उन्हें देखा करता था.
उनमें से बहुत बार कइयों की नज़र मुझसे टकराई भी और कुछेक ने मुझसे इशारे भी किए.
पर मैं बात करने में थोड़ा शर्मा जाता था तो कभी किसी से बात ही नहीं हो पाई.
अंकल के घर पर रहने का मतलब रोजाना आंटी के दर्शन करना.
साथ ही यदि किस्मत ने साथ दिया तो आंटी की सवारी करने का अवसर भी मिल सकता था.
मैं झट से अंकल के घर आ गया और सबसे पहले मुझे आंटी जी के ही दीदार हुए.
और मेरी अन्तर वासना की कहानी की शुरुआत हो गयी.
आह क्या शरीर था उनका … रंग सांवला, बूब्स 34 के और कमर साड़ी में से थोड़ी बहुत दिख रही थी, उतने में ही मजा आ गया.
उनकी दूध सी गोरी कमर ही आदमी का लंड खड़ा कर दे.
नीचे नजर सरकी तो गांड के पहाड़ दिखाई दिए.
उनको देख आप उसे हर गोलाकार वस्तु की उपमा दे सको.
मैं आंटी के घर में रहने लगा.
जब मैं आंटी के घर शिफ्ट हुआ तो उनसे रोजाना कॉलेज के बारे में बात होती.
वे अक्सर मुझसे मेरे नए दोस्तों के बारे में पूछा करती थीं और कहती थीं- यही उम्र है, कोई लड़की पटाओ … उसे घुमाओ फिराओ!
मैं स्माइल देकर चुप हो जाया करता.
आंटी मुझसे अच्छी तरह से घुल-मिल गई थीं.
एक दिन उनको अपने मोबाइल में सोशल मीडिया अकाउंट खोलना था तो वे मेरे कमरे में आईं.
मैं उस समय सेक्स स्टोरीज ही पढ़ रहा था तो मेरा लंड खड़ा था और मेरे लोअर से साफ दिख रहा था.
उन्हें देख कर मैंने तकिए से लौड़े को ढकने की कोशिश की.
तो वे कहने लगीं- रहने दे, ऐसे कर रहा है जैसे मैंने पहले कभी किसी का देखा ही न हो!
जैसे ही उनके मुँह से मैंने यह सुना, मेरा मुँह खुला का खुला ही रह गया.
वे मेरे पास आकर बैठ गईं और कहने लगीं- सौरभ मुझे फ़ेसबुक चलाना है, मेरा इस सोशल मीडिया पर नया अकाउंट खोल दे न!
मैंने उनसे पूछा- आपको क्या करना है उसका?
तो उन्होंने जवाब दिया- नए दोस्त बनाने हैं, घर पर बोर होती हूँ, तो दिन भर लोगों से थोड़ा बात ही कर लूंगी!
मैंने कहा- वहां अच्छे लोग नहीं होते आंटी!
इस पर वे हंस दीं और बोलीं- तो मैं कौन सी अच्छी हूं!
मैंने समझ लिया कि आंटी को भी चुल्ल हो रही है तो मैंने उनका नया अकाउंट बना दिया.
उन्होंने पहला फ्रेंड मुझे ही बनाया और चली गईं.
अब वे अक्सर मुझे कॉमेडी वीडियो भेजा करतीं.
अंकल कपड़ों का व्यापार करते थे और बिजनेस के लिए अक्सर अलग अलग जगह जाते थे.
आंटी के पास जो खाली समय रहता था, उसमें वे बोर हो जाती थीं.
मैं अक्सर रात को टीवी देखते हुए आंटी के साथ बैठा रहता ताकि उन्हें मन भर के ताड़ सकूं.
वे अक्सर कहती थीं- कॉलेज में कोई लड़की देख, उसी से तेरा भला होगा. मुझे ताड़ने से कुछ हासिल नहीं होगा.
मैं उनकी ओर देख कर मुस्कुरा देता और चुपचाप अपना सर झुका कर बैठ जाता.
एक बार जब अंकल काम से बाहर गए हुए थे तो आंटी ने कहा- सौरभ, मेरा कहीं घूमने का बहुत मन हो रहा है, कहीं चला जाए क्या?
मैंने तुरंत हां कर दिया और आंटी को एपीजे जू ले गया.
आंटी ने जू जाने के लिए बहुत ही प्यारी नीली ट्रांसपेरेंट साड़ी पहनी जिसमें उनका पेट साफ नज़र आ रहा था.
वे काफ़ी सेक्सी दिख रही थीं.
जू पहुंचते ही हमने देखा कि वहां काफ़ी सारे कपल्स थे जिन्हें देख कर सुमन आंटी बोलीं- सौरभ, तू कब लाएगा किसी लड़की को यहां?
मैंने उन्हें देख कर कहा- आपको तो लाया हूँ ना!
आंटी प्रश्नवाचक भाव मुँह पर लाकर बोलीं- मैं क्या कोई लड़की हूं?
यह कह कर वे आगे को चल दीं.
एक दो घंटे बाद जब जू देख कर हम दोनों एक जगह बैठ गए.
तब मैंने अपनी हिम्मत जुटा कर कहा- यह पहली बार है जब मैं किसी लड़की के साथ अकेला आया हूं. आपको ऐसे देख कर मुझे ऐसा लग रहा है कि यह बहुत अच्छा है कि मैं आपके साथ आया हूं.
मैंने अभी इतना बोला ही था कि वहां पीछे से किसके सेक्स करने की आवाज़ आने लगी ‘आह आह धीरे करो न … आह लगती है आह … बूब मत मसलो यार आह लग रही है न जानू!’
आंटी उस आवाज को सुनकर कहने लगीं- देख यहां लोग क्या कर रहे हैं?
उन्होंने यह कहा और मुझे एक तरह से उस आवाज की दिशा मे न देखने का कहा.
हम दोनों ही एक साथ पीछे मुड़कर देखने लगे.
पीछे एक बीस साल का लड़का एक आंटी को पेल रहा था.
मैं उसे देख कर रुक गया और आंटी से कहने लगा- मुझे भी ये करना है?
आंटी मुझ पर चिल्लाईं और बोलीं- अपनी उम्र की कोई लड़की देख, मैं इस सबके लिए नहीं हूं.
वे गुस्से में उठ कर गाड़ी की पार्किंग में चली गईं.
मैं किसी तरह से उन्हें मना कर घर लाया.
आंटी पूरे रास्ते बिना बात किए ही घर आईं.
आंटी दरवाज़ा खोलते ही बोलीं- देख तू अच्छा लड़का है, पर यह सब ठीक नहीं है. दुबारा ऐसा मत बोलना!
यह कह कर आंटी किचन की ओर चली गईं.
मैं अक्सर सोचा करता था कि आंटी मुझसे सेक्स करना चाहती हैं और जब उन्होंने जू में किसी और को सेक्स करते हुए देखने का पूछा, तो मुझे लगा वे भी मुझसे चूत चुदवाना चाहती हैं.
यह सब सोचते सोचते मैं उनके पास आया और जैसे ही मुझे अहसास हुआ कि मैं आंटी के करीब हूँ, तो उन्हें पीछे से पकड़ कर उनकी पीठ को चूमने लगा.
सुमन आंटी अचानक हुए मेरे वार से हिल नहीं पाईं और कहने लगीं- सौरभ छोड़ … ये क्या कर रहा है!
पर मैं उन्हें चूमता रहा और उनकी साड़ी के नीले ब्लाउज को हल्का हल्का नीचे करने लगा.
चूमते चूमते मैंने आंटी के पेट पर हाथ रखा और उसे मसलना शुरू कर दिया.
हल्का हल्का मैं उनके गले को चूसने भी लगा और वे अब अपना शरीर ढीला छोड़ कर किचन की पट्टी को कस कर पकड़े खड़ी थीं.
मैंने मेरा हाथ पेट से आगे सरकाते हुए उनके बूब्स पर रखा और ज़ोर ज़ोर से उसे ब्लाउज के ऊपर से ही दबोचने लगा.
आंटी को गले को चूमते हुए मैंने अब उनके गालों को चूमा और उनको चूसना शुरू कर दिया.
इतने मैं मेरी पकड़ सुमन आंटी पर हल्की हो गई और वे गिर गईं.
मैं उन्हें उठाने की जगह उन्हें किचन में लेट कर ही किस करने लगा.
वे अब भी मुझे हटाने का प्रयास कर रही थीं.
पर जैसे ही मैंने उनकी साड़ी के अन्दर हाथ डाला और उनकी चूत को छुआ … तो उन्होंने मुझे कस कर पकड़ लिया.
मैं उनकी चूत को सहलाते हुए उनके कान में बोला- आज चाटूंगा भी और चोदूंगा भी … आप चाहे हां बोलो या ना बोलो. आप भी मन ही मन यही चाहती हो न!
यह कह कर मैंने किस करना चालू रखा.
एक हाथ से उनके बूब्स मसलने लगा और दूसरे को चूत पर चिपका कर रखा.
मैंने बूब्स चूसने के लिए ब्लाउज खोलने की कोशिश की, पर ब्लाउज का बटन फंस गया था.
मैंने आंटी से कहा- फाड़ दूँ क्या?
वे बोलीं- हां फाड़ दे … आज सब फाड़ दे!
मैंने जोश जोश में उनके ब्लाउज के साथ साथ ब्रा भी फाड़ दी और जोर ज़ोर से उनके बूब्स चूसने लगा.
दूध चूसने के साथ ही मैंने अपने एक हाथ से उनकी चूत में उंगली करना शुरू कर दिया.
मेरे उंगली चूत में डालते ही आंटी मोन करने लगी- उफ्फ … अहह … आउच … क्या कर रहा है कोई आ जाएगा … सौरभ मत कर!
मै और ज़ोर से जब चूत में उंगली हिलाने लगा तो आंटी गाली देने लगीं- उफ्फ … मादरचोद थोड़ा धीरे कर अह हहह … आउच … अंगार हो रही है रे तेरी उंगली … रुक सौरभ रुक जा!
लेकिन मैं उसी स्पीड में उनकी चूत पर मुँह ले गया और चूत चाटने लगा.
उनकी सिसकारियां और तेज़ हो गईं और वे मेरा मुँह पकड़ चूत की ओर दबाने लगीं.
मैं जोश में और ज़ोर से चाटने लगा था.
सुमन आंटी अब अकड़ने लगीं थीं और आउट ऑफ कन्ट्रोल होकर जोर जोर से चिल्लाने लगी थीं.
यह देख मैंने उनकी आवाज को काबू करने के लिए उन्हें किस करना शुरू कर दिया और चूत में उंगली करने लगा.
थोड़ी देर बाद वे झड़ गईं और आवाज़ कम करने लगीं.
मैंने उन्हें उठाया और किचन की पट्टी पर बैठा कर उनकी चूत को फिर से चाटने लगा.
अब वे सह नहीं पा रही थीं.
इसलिए दबी आवाज में कहने लगीं- अहह हह … आराम से सौरभ … खा ही जाएगा क्या मेरी चूत. अगर ऐसे करोगे तो मेरी छोटी सी चूत सूज जाएगी और फिर तुम्हारे अंकल को पता चल जाएगा. मैं यहीं रहूंगी तुम्हारी आंटी और रखैल बनकर … कल चोद लेना, अब छोड़ो मुझे. अभी खाना भी बनाना है. तूने तो चाट चाट कर ही मेरी चूत में अंगार कर दिया … अगर अभी चोदेगा तो उठ भी नहीं पाऊंगी. आज रुक जा प्लीज!
यह बोलकर आंटी मुझे रोकने लगीं.
पर मैं आज किसी भी हालत में आंटी को एक बार चोद लेना चाहता था.
मेरी अन्तर वासना के वशीभूत बिना कोई देर किए मैंने अपना लंड निकाला और आंटी की चूत के पास लगा दिया.
आंटी समझ गई थीं कि आज मेरा लंड और मैं, दोनों मन भरने तक रुकेंगे नहीं.
इसलिए वे भी मेरे सर को सहलाती हुई मुझे चूमने लगीं.
मैंने उनके एक दूध को अपने मुँह में भरा और चूत में लंड लगा दिया.
कुछ पल सुपारे की गर्मी को चूत से अहसास करने के बाद आंटी ने अपनी गांड को किचन की पट्टी से जरा सा आगे किया और मेरे लंड ने आंटी की चूत में प्रवेश पा लिया.
‘आह आह बड़ा गर्म लंड है तेरा सौरभ … पेल दे पूरा आह आह.’
मैंने आंटी की कमर में हाथ लपेटा और उन्हें अपनी तरफ खींच लिया.
आंटी की चूत में मेरा लंड घुस गया और आंटी ने अपनी दोनों टांगें मेरी कमरे से लपेट लीं.
मैंने लंड चूत में पेले हुए ही उन्हें लेकर कमरे में आ गया.
उधर आंटी को बिस्तर के किनारे पर लिटा कर मैंने उनकी चूत के चिथड़े उड़ाने शुरू कर दिए.
आंटी मस्त आवाजों के साथ मेरे लंड से चूत चुदवा रही थीं और कह रही थीं- आह आह सौरभ … आज तूने मेरे मन की कर दी है … अगर तू पहल न करता तो शायद मैं तुझे कभी नहीं पा सकती थी.
मैं- आंटी आज नहीं तो कल, मैं आपकी चुदाई तो करके ही रहता … आज आपने मेरी सील तोड़ दी है!
‘क्या … तू सच कह रहा है कि तूने आज पहली चुदाई की है?’
‘हां आंटी!’
‘आंटी नहीं सुमन बोल मेरे राजा … आज से मैं तेरी रांड हूँ!’
इसी तरह की बातों के बीच मैंने आंटी को बीस मिनट तक पेला और उनकी चूत में ही झड़ गया.
अब हालत यह हो गई थी कि आंटी को हर दिन मेरे लंड से चुदे बिना चैन ही नहीं पड़ता था.
सेक्सी आंटी के चुदाई की कहानी आपको कैसी लगी?
इसका आगे का विवरण अगली कहानी में सुनाता हूं.
आप मुझे बताएं कि आपको मेरी अन्तर वासना की कहानी में कितना मजा आया.
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