दुकान में आयी आंटी पटाकर चोद दी

आंटी की सेक्स फायर का मजा मैंने बहुत लिया. एक दिन मेरी दुकान पर एक सेक्सी माल आंटी आयी। उसके फिगर को देखकर मैं तो बावला हो गया। मैं उसे चोदना चाहता था। मौका वो भी देख रही थी!

दोस्तो, मेरा नाम किशोर है।
अगर आपको याद हो तो मैंने आपको इससे पहले
एक सेक्स कहानी
जोधपुर की नाजुक सी भाभी की पलंगतोड़ चुदाई
बताई थी जिसमें मैंने अपनी काजल भाभी को चोद-चोदकर पूरा मजा दिया था।

आज मैं आपको एक और पड़ोसन भाभी की चुदाई की कहानी बताऊंगा।

आज की कहानी पुष्पा भाभी की चुदाई की है।
उसे आप आंटी भी कह सकते हो।
मुझे वो थोड़ी बड़ी उम्र की लगती है तो मैं आंटी कहकर ही संबोधित करूंगा।

पुष्पा आंटी गजब का माल है।

आंटी की सेक्स फायर कहानी शुरू करने से पहले मैं आपको कुछ जरूरी बातें बता देता हूं।

दोस्तो, मैं आटा मिल चलाता हूं। मेरा काम तरह-तरह के अनाज जैसे गेहूं, बाजरा आदि पीसना है।
इसी के चलते हमारी सोसायटी की सभी लौंडियां मेरी ही दुकान पर गेहूं, हल्दी वगैरह पिसवाने आती रहती हैं।

यूं तो मेरा ज्यादा ध्यान काम में ही रहता है लेकिन कई बार आंटियों और भाभियों के चूचे ध्यान खींच ही लेते हैं।

एक दिन की बात है कि एक औरत मेरी दुकान पर आई।

मैंने उसको देखा तो देखता ही रह गया, उसका फिगर बहुत ही कमाल का था।
इतनी उम्र में भी एकदम कतिल फिगर बना कर रखा हुआ था। उसके हाथ मक्खन जैसे गोरे और मुलायम लग रहे थे।

उसके बाल यूं तो काले थे लेकिन बीच में से कहीं-कहीं सफेद भी थे जिससे कि वो हॉट मिल्फ जैसा अहसास करवा रही थी।

दोस्तो, मुझे पता चला कि वो विधवा है।
लेकिन उसका रंग ऐसा गोरा था कि कोई यकीन ही न कर पाए कि वो 50 साल की है।

उसकी चिकनी कमर के कर्व्ज़, उसके बदन की खुशबू, चिपकी टाईट साड़ी में उभरी हुई उसकी गोल-मटोल गांड, उसकी कोयल जैसी आवाज मुझे पागल बना रही थी।

सोच रहा था कि इसका पति कितना किस्मत वाला रहा होगा।
मैं लगातार उसे देखे जा रहा था।
फिर वो एकदम से बोली- भाई जी, इसमें 10 किलो गेहूं है, पीस देना!

होश में आते हुए मैंने कहा- ठीक है, हो जाएगा।
कहते हुए मैंने उसके हाथ से वो डिब्बा ले लिया।
डिब्बा लेते हुए हमारे हाथ एक दूसरे से छू गए।

वो वहीं पर बैठकर इंतजार करने लगी।
मैं गेहूं पीसने के काम में लग गया।

जैसे ही हवा का झोंका आता, उसकी साड़ी हवा में लहरा जाती और उसकी चिकनी गोरी कमर का नजारा मुझे मिल जाता।

दोस्तो, वो इतनी गजब माल थी कि उस पर से नजर हटाना बहुत मुश्किल था।
कुछ ही देर में मैंने गेहूं का काम खत्म कर दिया।

मैंने जाते हुए उससे पूछा- आपको पहले कभी नहीं देखा यहां?
वो बोली- हां, पहले मैं दूसरी दुकान पर करवाती थी लेकिन वो अच्छा काम नहीं करता था।

मैंने कहा- कोई बात नहीं, आप चिंता मत कीजिए। मेरी आटा चक्की यहां सबसे अच्छी है और मैंने आज तक किसी को भी काम के मामले में निराश नहीं किया है। वैसे आपका नाम क्या है?
वो बोली- पुष्पा!
मैंने कहा- बहुत ही अच्छा नाम है आपका तो, आप बिल्कुल फूल के जैसी कोमल हैं।

मेरे मुंह से इस अंदाज में तारीफ सुनकर वो एकदम से पहले तो चौंकी, लेकिन फिर मुस्कराई और शर्माकर चली गई।

उसके चलने की अदा का मैं तो दीवाना हो गया।
सच कहूं दोस्तो, पुष्पा तो फायर है फायर, गजब का माल है, दिल को बर्फ बना दे … ऐसी उसकी मनमोहक स्माइल है।

तो अब आगे चलते हैं।

दोस्तो, इस घटना के एक हफ्ते के बाद वो फिर मेरी दुकान पर आई।
उस दिन भी उससे दो-चार बातें हुईं।

इस तरह से करते-करते वो मेरी पक्की ग्राहक बन गई।
अब कई बार ऐसा ही होने लगा।
वो आती, और बैठी-बैठी मुस्कराती रहती, फिर काम होने के बाद पैसा देकर चली जाती थी।

अब मेरे मन में उसे पटाने का पूरा ख्याल आ चुका था लेकिन मुझे टाइम नहीं मिल रहा था।
मुझे पता था कि जिस तरह की नजरों से वो मुझे देखती है, खुजली तो उसे भी थी लेकिन बोल नहीं पा रही थी।

फिर आखिरकार वो दिन आ ही गया।

एक दिन वो गेहूं पिसवाने आई हुई थी तो उसने मेरे हाथ में कागज की एक छोटी सी पर्ची थमा दी।
उस पर एक मोबाइल नम्बर लिखा हुआ था।

पर्ची लेकर जब मैंने उसकी तरफ देखा तो वो मुस्करा रही थी।
फिर चली गई।

बस मुझे इसी पल का इंतजार था, अब मेरा काम बहुत आसान कर दिया था उसने।

मैंने उसी रात को उसे मैसेज किया।
धीरे-धीरे चैट से बढ़ते हुए हमारी फोन पर भी बातें होने लगीं।

वो अब मुझे अपनी सेल्फी भी भेजने लगी।
वो सेक्सी पोज बना बनाकर अपनी सेल्फी फोटो मुझे देती थी जिसमें उसकी चूचियों के कर्व साफ नजर आते थे।

मेरा लंड उसके ये फोटो देखते ही खड़ा हो जाता था।
मैं उसके मोटे चूचों के उभार देखकर रोज लंड हिलाता था।

एक रात की बात है कि उसने अपने नंगे फोटो भी भेज दिए।
बोली- कैसी लग रही हूं?
मैंने कहा- पुष्पा … तुम तो फायर हो!
फिर वो हंसने लगी।

दरअसल उसका घर हमारे घर से बहुत दूर नहीं था।
वो बोली- आ जाओ।
मैंने कहा- नहीं, किसी को पता चल गया तो?

वो बोली- अरे कुछ नहीं होगा, यहां कोई नहीं रहता है, किसी को कुछ नहीं पता चलेगा। वैसे भी हम इतने अच्छे दोस्त बन चुके हैं, तुम मेरे लिए इतना भी नहीं कर सकते हो?

आंटी की चुदाई का मन तो मेरा भी बहुत था लेकिन डर भी था कि कहीं सोसायटी में किसी ने देख लिया तो सौ तरह की बातें बनेंगी।

लेकिन मैं फिर आखिरकार उसके घर की तरफ चल पड़ा।

रात के समय चारों तरफ घोर अंधेरा था और शायद उस अंधेरे में मुझे किसी ने नहीं देखा होगा।
मैं उसके घर पहुंच गया।

अंदर जाते ही उसने दरवाजा बंद किया और मुझसे जोर से लिपट गई।
वो मुझसे लिपटकर थोड़ी भावनाओं में बह गई; मुझे कस कर गले लगाने लगी।

मैंने भी उसको चूमा और जोर से बांहों में कस लिया।

फिर वो मुझे दूसरे रूम में ले गई।
वो बोली- आजा मेरे राजा … मैं इतने सालों से अकेली हूं। आज तक पति के अलावा किसी को अपना बदन नहीं छूने दिया। लेकिन तुम मुझे भा गए हो, तुम्हारी बॉडी बहुत मस्त है। आज मुझे जी भरकर प्यार करना।

फिर वो रूम में ले जाकर वो मुझे पागलों की तरह किस करने लगी।
इतने सालों की हवस साफ पता चल रही थी जो वो मुझ पर निकाल रही थी।

वो इतनी जोर-जोर से मुझे किस कर रही थी कि उसकी लार से हम दोनों का चेहरा भीगता जा रहा था।

मेरे होंठों को खाकर बोली- चल … तू तो पूरा जवान है … आज कुचल कर रख दे मुझे!
उसकी ऐसी बातों से मेरा लंड अकड़ कर पत्थर हो चुका था।

फिर मैंने उसको नंगी करके झुका लिया।
मैं पीछे से उसकी गुलाबी चूत को चाटने लगा।

कुछ ही पलों में उसकी चूत से सफेद रसीला पानी निकलने लगा।
मैं उसकी चूत की सारी क्रीम को जीभ से चाट-चाटकर निकालने लगा।

वो नॉन-वेज बहुत खाती थी तो उसका बदन एकदम से 25-26 साल की लड़की तरह गदराया हुआ था।

मैं उसे दबोचने लगा, उसके बदन को मैं यहां-वहां से भींचने लगा, कभी चूचियों को निचोड़ने लगा।
वो भी पूरी चुदासी होती जा रही थी।

फिर एकदम से वो पलटी और मेरे सारे कपड़े 1 मिनट में ही मेरे बदन से उतार फेंके।
अब मैं पूरी तरह से नंगा था।

वो घुटनों पर आ गई और मेरे फनफनाते लंड को मुंह में भर लिया।
वो मेरे लंड को जोर-जोर से चूसने लगी।

बहनचोद … इतनी हवस थी उसके अंदर, वो अपनी सेक्स फायर के चलते मेरे बदन को जैसे खा लेने पर लगी हुई थी।
उसने लंड को चूस-चूसकर उसे लाल कर दिया।

मेरे लंड का बुरा हाल हो चुका था।
लंड एकदम से सुर्ख लाल हो गया था।

मेरे लंड पर सब जगह उसके मुंह की लार लग गई थी।
अब वो बोली- चोद दे राजा … इस चूत की आग को अपने पानी से ठंडी कर दे।

मैंने भी देर न की और उसे बेड पर घोड़ी बना लिया।
मैंने पीछे से उसकी फूली हुई चूत पर लंड लगाया और धक्का मार दिया।

पहले ही धक्के में लंड का टोपा अंदर जा घुसा जिससे उसकी आह्ह … निकल गई।
मैंने एक और धक्का मारा तो वो उचक गई और ऊईईई … करके आगे खिसक गई।

मैंने पकड़ कर वापस उसे अपनी तरफ खींचा।
मैंने उसके चूतड़ों को दोनों हाथों से थाम लिया और लंड को उसकी चूत में धकेलता चला गया।
आधा लंड उसकी चूत में घुस गया।

अब मैंने धक्के लगाने शुरू किए।
धीरे-धीरे धक्के लगाते हुए लंड उसकी चूत की गहराई में जाने लगा।
दो मिनट बाद पूरा लंड चूत में रास्ता बना चुका था।

मैं तेजी से पुष्पा आंटी की चुदाई करने लगा।
वो भी पूरा मजा लेने लगी।

मैंने स्पीड बढ़ा दी और उसकी आहें दर्द भर सिसकारियों में बदलने लगीं- आह्ह … आह्ह … आईईई … ऊहह्ह … मेरी चूत … आह्ह आह्ह ओह्ह चोदो … हाय … लंड मिला है इतने दिनों बाद … हाय … आह्ह चोदो जोर से।

उसकी ऐसी कामुक सिसकारियां सुनकर मैं और ज्यादा जोश में आ गया।
मैं पूरी स्पीड से उसकी चूत में लंड को पेलने लगा।
फिर चोदते हुए मैं झड़ गया।

मैं बुरी तरह से हांफ रहा था।
पुष्पा की हालत भी खराब हो गई थी।

मैंने कुतिया बनाकर उसे खूब चोदा था।

हम दोनों कुछ देर एक-दूसरे से लिपटे रहे।
फिर हम ऐसे ही एक-दूसरे की बांहों में सो गए।

फिर सुबह उठा तो वो भी उठ गई थी।
वो चाय लेकर आई।

चाय पीकर मैं चुपचाप उसके घर से निकल आया।
उस रात की चुदाई के बाद हमारा रिश्ता और गहरा हो गया।

अब जब भी उसका चुदने का मन करता था वो मुझे बुला लेती थी।

मेरे जाते ही वो मेरे लंड पर टूट पड़ती थी और लपक कर उसे मुंह में ले लेती थी।
हम घंटों तक किस करते रहते थे।

उसके अंदर बहुत ज्यादा हवस भरी हुई थी।
एक बार शुरू होने के बाद वो रुकती नहीं थी।

कई बार तो होंठों को चूसते हुए ही वो मेरा माल निकाल देती थी।
मैं चुदाई करते हुए उसे पूरा मजा देता था।

लंड को उसकी चूत में पेलता और फिर बाहर निकालते हुए उसकी मोटी गदराई गांड में घुसा देता।

उसके बाद फिर से निकाल कर चूत में घुसा देता।
मुझे आंटी की गांड चुदाई में सबसे ज्यादा मजा आता था क्योंकि उसकी गांड का छेद बहुत गहरा था।

हाय रे, पुष्पा वाकई फायर है फायर!

दोस्तो, मैंने उसे चोद चोदकर लंड लेने की बुरी आदत लगा दी है।
उसकी चूत अब मेरा लंड लिये बिना नहीं रह पाती है।

लंड लेने के लिए उसे मेरे पैरों में झुकना ही पड़ता है।

मैं उससे कहता हूं- रोज घोड़ी बनो और झुको। पुष्पा पुष्पा … मैं झुकेगा नहीं साला, पुष्पा ही झुकेगी लंड मुंह में लेने के लिए।
वो भी बोलती- पुष्पा नाम सुनकर फ्लावर समझे क्या? फ्लॉवर नहीं, फायर है मैं! 🔥 लंड लेने के लिए रोज झुकती है!

दोस्तो, उस आंटी की हवस, आंटी की सेक्स फायर, बहुत बढ़ चुकी है।
मैं जमकर उसकी चूत मारता हूं।

यहां तक कि मैंने अपना पैर भी उसकी चूत में डाला हुआ है।

इतनी गहरी चूत है पुष्पा की, जैसे कि ब्लैक होल है।

मैं उसकी चूत में लंड देकर उसमें खो जाता हूं।
मन करता है बस उसे चोदते ही जाओ, चोदते ही जाओ।

दिल करता है कि 365 दिन पुष्पा की चूत का पानी पीऊं, उसके चूचों के साथ खेलूं, और मजे लूं।

पुष्पा भी मेरे लंड का हाल-बेहाल कर देती है।
ऐसे चूसती है कि मेरा छूट ही जाता है।

वो लंड की इतनी प्यासी है कि लौड़ा कई-कई बार चूसती है।
हर बार निकलने वाले पानी को अंदर ही पी जाती है, एक बूंद भी नहीं छोड़ती भीतर।

मैं भी उसके निप्पल चूसकर उसका सारा दूध पी जाता हूं।
उसकी मोटी चूचियों से इतना दूध निकलता है कि जन्म-जन्म की प्यास बुझ जाए।

दोस्तो, यह थी सेक्सी आंटी पुष्पा की चुदाई की कहानी।
आपको मेरी स्टोरी कैसी लगी मुझे जरूर बताना।

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