कॉलेज गर्ल कामवाली बन कर चुदी- 1

यंग मेड Xxx कहानी में एक दिन लाइब्रेरियन ने कॉलेज गर्ल को बताया कि वह अपनी कामवाली को चोदना चाहता है. तो लड़की खुद काम वाली बन गयी और लाइब्रेरियन के साथ रोल प्ले करने लगी.

प्रिय पाठको, पिछली कहानियों से कहानी को आगे बढ़ाते हुए, ये नया भाग प्रस्तुत कर रही हूं, आशा है आपको पसंद आएगी।

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इस शृंखला की पिछली कहानी
कॉलेज गर्ल की चूत में डिल्डो और गांड में लंड
में आपने पढ़ा कि कॉलेज गर्ल पायल के स्तनों पर उसकी बेवफाई के सबूत देख, कॉलेज के लाइब्रेरियन प्रकाश ने गुस्से में आपा खोकर पायल की गांड का उद्घाटन किया।
बेदर्दी से पायल की गांड फाड़ने के बाद, प्रकाश को अपने किए निर्मम व्यवहार का अहसास हुआ, कमरे में रोती पायल को मनाने में उसे बहुत मेहनत करनी पड़ी।

प्रकाश ने अपनी गलती स्वीकारी और पायल पर अपना हक समझने को गलत ठहराया।
और पायल ने भी स्वीकारा कि उसे प्रकाश के लिंग की आदत ने ये सब करने पर मजबूर किया।

अब आगे यंग मेड Xxx कहानी:

प्रकाश ने पायल को सीने से लगा लिया- अब नहीं जाऊंगा तुम्हें अकेला छोड़ के!
पायल- पक्का? प्रोमिस?
प्रकाश- हां मेरी जान, मेरे खड़े लंड की कसम!

पायल प्रकाश की कसम सुन मुस्कुरा दी और दोनों ने एक दूसरे को एक प्यार भरा लंबा चुम्बन दिया.

पायल- सुनो, मुझे भूख लगी है.
प्रकाश- जानता हूँ … खाना आता ही होगा।

फिक्रमंद होते हुए प्रकाश ने एक बार फिर पूछा- अभी भी दर्द हो रहा है क्या?
पायल- कुछ देर तो रहेगा ही दर्द, जिस तरह एक दो दिन चूत में था शुरू में!

संजीदा होने के नाटकीय भाव से प्रकाश ने कहा- हां, तुम्हारी गांड को भी अपने लौड़े की आदत लगवानी होगी। दो तीन दिन लगातार तुम्हारी गांड मारनी पड़ेगी, तब जायेगा ये दर्द!
दोनों ही ज़ोर से हंस दिए।

कुछ ही देर में खाना आ गया और दोनों ने बड़े प्रेम से एक साथ खाना खाया।
पायल अब भी लड़खड़ा कर चल रही थी।

प्रकाश- तुम्हारे लिए दर्द की दवा ले आता हूं, मुझसे तुम्हारी ये हालत देखी नहीं जा रही!
पायल- तुम्हें तो गर्व होना चाहिए, आखिर तुमने मेरी गांड की सील तोड़ ही ली।

प्रकाश- अच्छा एक बात बताओ, मेरी गैरहाजिरी में जिसने भी तुम्हें मज़े दिए, क्या मैं उसे जानता हूं? मेरा मतलब वो कॉलेज से है या कॉलेज के बाहर से?

तब प्रकाश की बात सुनकर पायल को लगा कि प्रकाश अभी भी वहीं अटका हुआ है।
अगर उसे पता चला कि एक नहीं एक से ज्यादा लोग थे, तो कहीं फिर से गुस्सा ना हो जाए।

पायल- आप उसे कैसे जानोगे, मैं खुद पहली और आखिरी बार मिली थी उससे, बस में मुझे छेड़ रहा था, मैंने कहा कि छेड़ कर क्या हो जायेगा, ठीक से करो, कुछ करना है तो!
कहकर पायल खिलखिलाकर हंस दी।

जिज्ञासु प्रकाश- अच्छा कैसे, फिर क्या हुआ?
पायल- फिर क्या … मैंने उसका हाथ अपनी जांघ से उठाकर अपनी चूत पर रख दिया, उसने भी मेरी चूत भींच दी।

प्रकाश ये सब पायल की जुबानी सुन कर गर्म हो रहा था।
वह शॉर्ट्स में अपना लंड सहलाते हुए बोला- फिर … आगे क्या हुआ, उसने बस में ही तुम्हें उंगली की?

पायल- नहीं … वह मेरा हाथ पकड़ के बस के दरवाजे पर ले गया और अगले स्टॉप पर उतर गया. फिर हम एक Oyo में गए, जहां उसने मेरी दनादन चुदाई की.
प्रकाश- डिटेल में बता कैसे की उसने मेरी रंडी की चुदाई?

पायल भांप गई कि अब प्रकाश का लौड़ा सख्त हो चला है.
उसने प्रकाश के खड़े लंड पर हाथ रख दिया जो शॉर्ट्स में तम्बू बनाए था।

उसने कमरे में घुसते ही मेरी टांगें खोल के मेरी गीली चूत पर अपना लंड रगड़ा।

प्रकाश मुड़कर पायल के ऊपर आ गया और उसकी चूत पर अपना खड़ा लंड रगड़ने लगा.
प्रकाश- ऐसे?

पायल- आह्ह … आअ आह … हां ऐसे ही …
फिर उसने मेरी टॉप निकाल दी और मेरे चूचे चूसने लगा।

प्रकाश ने भी वैसे ही किया … पायल की कुर्ती और ब्रा निकाल दी और उसके संतरों सी चूचियां चूसने लगा।

पायल- उम्म्म् आअ आह्ह्ह ह … आह्ह्ह … फिर उसने मुझे घोड़ी बनाया और मेरी चूत की फांकें खोल कर उस पर थूका.
प्रकाश ने भी ठीक वैसे ही किया।

अब पायल प्रकाश के आगे बिस्तर पर घोड़ी बनी हुई थी उसकी पानी से भीगी चमकती चूत अब लंड चाहती थी।

पायल- उसने अपना फुफकारता लंड सीधा मेरी चूत में घुसा दिया।
प्रकाश ने भी ठीक वैसा ही किया.

पायल- आह्ह … हां बिलकुल ऐसे ही … वह धक्के मारने लगा।
प्रकाश ने भी पायल की कमर कस के पकड़ी और उसकी चूत दनादन मारने लगा।

पायल- उसने अपना भीगा लौड़ा चूत से निकाला और गांड पर टिकाने लगा, लौड़ा बार बार फिसलता रहा और थक कर वो वापस चूत में पेलने लगा।
प्रकाश- पर मेरा लौड़ा नहीं फिसलेगा!

यह कहकर प्रकाश ने लंड पायल की चूत से निकाला, उसकी गांड चौड़ी करते हुए उसकी गांड में घुसा दिया।

पायल प्रकाश के गांड के वार से निढाल हो कर बिस्तर पर गिर गई- आआ … दर्द हो रहा है … आअ ह्ह … आराम से!
प्रकाश भी पायल के ऊपर गिरा रहा, अपना लंड उसकी गांड में फंसाए हुए।

आगे बढ़ कर प्रकाश पायल को चूमने लगा, कभी उसकी कमर पर, कभी कंधो पर, कभी गर्दन पर चूमता।
पायल भी थोड़ी तिरछी होकर, प्रकाश के होंठ चूसना चाहती थी।

पायल और प्रकाश लब से लब मिला कर दोनों ओर से एक दूसरे में समाए हुए थे।

टांगें सीधी होने के कारण पायल की गांड और ज्यादा तंग हो गई थी जिस से प्रकाश का लंड ना आगे जा पा रहा था, ना बाहर आ पा रहा था।

बहुत देर तक कुछ हरकत ना होने से लंड अब शिथिल होने लगा।
चुम्बन करते करते लंड लुल्ली बन बाहर आ गया।

तब जाकर पायल और प्रकाश दोनों की सांस में सांस आई।

दोनों अलग हुए तो दोनों की लंबी चलती सांसों के कारण एक दूसरे से कुछ नहीं कह पा रहे थे।

“क्या तुम्हें जलन नहीं हुई मेरी चुदाई सुन कर?” पायल ने पूछा.
प्रकाश- हां हुई … पर उससे ज्यादा उत्तेजना हुई!

पायल- और किस चीज से उत्तेजना होती है तुम्हें?

प्रकाश- कई बार काम वाली को झुक के काम करते देखता हूं तो उसे भी पटक के चोदने का दिल करता है. पर फिर रुक जाता हूं, खुद पर नियंत्रण कर लेता हूं।
पायल- पर मेरे साथ तो कोई नियंत्रण रखने की आवश्यकता नहीं है, मैं बनूंगी तुम्हारी काम वाली बाई! और बिन ब्लाउज की साड़ी में झुक झुक के काम करते हुए तुम्हें अपनी चूचियां दिखाऊंगी, कर पाओगे नियंत्रण तब?
प्रकाश- मैं तो तुझे पटक के चोद दूंगा।

दोनों एक दूसरे की बाहों में लिपट के लेट गए।

इतने चुदाई के खेल के बाद दोनों ही थक गए थे।
एक दूसरे की बाहों में दोनों की आंख लग गई।

प्रकाश उठा तो दोपहर के 3 बज रहे थे।
पायल अब भी सो रही थी.

प्रकाश ने उठकर फ्रिज में देखा तो फल नहीं थे.
पायल के उठने तक वो बाहर से फल ले आया.
और इसी बहाने बाहर जाकर पल्लवी से फोन पर बात भी कर ली।

वापिस आया तो पायल अब भी सो रही थी.
उसके आने को आहट से उठ गई- कहां चले गए थे?
प्रकाश- बस बाज़ार तक गया था, दूध, दही, फल नहीं थे तो ले आया हूं, कहो तो काट दूं, खाओगी?

पायल- हां, पेट में कुछ अकड़न सी हो रही है, फल और दही खाने से ठीक हो जायेगी।

प्रकाश ने पायल के लिए फल काट दिए और दही फ्रिज में रख, दूध उबालने रख दिया, फिर पानी की बोतलें भरी, कूड़ा एकत्रित किया और एक थैली में डाल दिया।
और वापिस आकर पायल की बगल में कटे फलों की तश्तरी रख दी।

उसे गले लगा कर उठाने लगा- खा लो, मैं खिलाऊं क्या?
पायल- तुम्हारे हाथ से तो जहर भी खा लूंगी।

पायल की इस बात से प्रकाश को एहसास हुआ कि पायल अब उससे दिल लगा बैठी है।
अब पायल को अपनी इच्छाओं पर काबू करना सीखना होगा।

प्रकाश पायल को अपने हाथों से फल खिलाते हुए सोचने लगा कि कैसे पायल को समझाए कि वो उसका कभी नहीं हो पायेगा। उसकी भावनाओं को ठेस भी ना लगे और बात भी बन जाए।

प्रकाश- रात में क्या खाओगी?
पायल- बिरयानी खाने चलें क्या कहीं बाहर?
प्रकाश- चल सकते हैं, पर हमें साथ किसी ने देख लिया तो बैठे बैठे मुसीबत हो जायेगी, तुम्हें बिरयानी खाने का मन है तो मैं बाज़ार से ले आऊंगा।

पायल अनमने मन से मुस्कुरा दी।
अब पायल का भी जी घर की चार दिवारी में घुटने लगा था।
खुली हवा में सांस लेने वाली और आजादी से जीने वाली पायल खुद को बंधा हुआ महसूस कर रही थी।

शाम को जब प्रकाश बिरयानी लेने बाज़ार गया तो पीछे से पायल ने भी उसके लिए शाम की चाय बननी रख दी।

प्रकाश घर लौटा तो पायल पल्लवी की फटी पुरानी साड़ी पहने खड़ी थी, जिसमें छोटे बड़े छेद थे और नीचे पेटीकोट नहीं था.
सीने पर ब्लाउज भी फटा पुराना था जिसके आगे के तीन चार हुक टूटे थे।

साड़ी का पल्लू इकट्ठा हुआ चूचियों के बीच से गुजरता हुआ कमर पर बंधा था।

बाल बिखेर के बांधे हुए थे, पैरों में बिछिया और हाथों में हरी लाल कांच की सादी सी चूड़ियां, माथे पर कुम कुम की बिंदिया और मांग में सिंदूर लगा था।

आंखों में काला काजल, पायल की आंखों को और गहराई प्रदान कर रहा था।

प्रकाश के दरवाज़ा खोलते ही पायल बोली- अरे साहब … आ गए आप! मेमसाहब बाहर गई हैं, कह गईं हैं आपका ख्याल रखने को, आपके लिए चाय बना दी है, अभी लाती हूं।

तब प्रकाश पायल के करीब आया और उसे ऊपर से नीचे गौर से देखा और किचन की ओर चला गया।

प्रकाश- मीना, ये खाना है, थोड़ी देर में खाऊंगा. तब तक तुम हमारे कमरे की सफाई कर दो, मैं कपड़े बदल लेता हूं, तुम चाय अंदर ले आना।

प्रकाश बनियान और शॉर्ट्स में बिस्तर के एक किनारे बैठ अखबार पढ़ने का नाटक करते हुए पायल का साथ देने लगा।

मीना (बनी पायल) चाय ले आई और प्रकाश के हाथ में दे दी।
फिर बाहर से झाड़ू ले आई।

मीना कमरे में जमीन पर बैठ झाड़ू लगाने लगी, उसके फटे ब्लाउज से झूलती चूचियां साफ़ दिखाई पड़ रही थी।

प्रकाश- मीना सुन … पौंछा लगाने से पहले पलंग की डस्टिंग कर देना।
पायल मीना के रूप में- जी साहब जी!

अब मीना बनी पायल, प्रकाश के करीब खड़ी हो कर एक किनारे से पलंग की डस्टिंग करने लगी।

यंग मेड Xxx मीना की अधनंगी चूचियां प्रकाश के मुंह के पास झूल रही थी।

प्रकाश ने आगे बढ़ कर कमर पर से मीना का पल्लू खोल दिया और अपनी गर्म गर्म सांसों से मीना की कमर छूने लगा।

वह बोला- मीना, इतनी कमाल का फिगर कैसे बनाए रखती हो?
मीना शर्माती हुई- साहब मेरा मरद बहुत मेहनत कराता है मुझसे!

प्रकाश- पर लगता नहीं कि वह कुछ मेहनत करता है तुम पर! नहीं तो तेरे ये दूध बड़े हो जाते।
मीना- साहब अभी कुछ तो हैं, जब मेरा कम उम्र में ब्याह हुआ था, तब तो सब सपाट था। उसी ने भरा है मुझे!

प्रकाश- और भरना चाहती है? मेरे पास एक खास दवा है जिसे मैं लेता हूं. और फिर उसे पल्लवी मेरे रस से पीती है। तूने तो देखा ही होगा, तेरी मेमसाब के कितने मोटे चूचे हैं, सब उस दवा से है।
मीना- अच्छा, ऐसा क्या साहब, मुझे भी दीजिए ना वो दवा!

प्रकाश- वो दवा मर्द पीते हैं, बोल तेरा पति पिएगा तो ले आऊंगा उसके लिए भी?
मीना- साहब वो कहां पिएगा, उसे शराब पीने से फुरसत मिले तब तो कुछ और पीए!

प्रकाश- देख मीना, मैं तुझे वो दवा पिला सकता हूं, जैसे पल्लवी को पिलाता हूं. और हां … बड़ा साइज बना रहे, इसके लिए दवा हर दो तीन दिन में पीनी होती है, तू हां करेगी तो आगे बताऊंगा कि कैसे!
मीना- साहब, अगर इस से मेरा मुरझाया जिस्म भर जाएगा तो इस से ज्यादा और क्या अच्छा हो सकता है, फिर मेरा पति भी खुश, वह रंडीखाने में जाना भी बंद कर देगा।

प्रकाश- अच्छा, तो सुन, मैं वो दवा रोज सुबह लेता हूं, और शाम तक वो दवा मेरी गोटियों में एकत्र हो जाती है, उसे मेरा लंड चूस कर निकालना पड़ता है।

मीना- क्या साहब, मेमसाहब आपका लंड … लिंग निचोड़ कर पीती हैं?
प्रकाश- हां, और कोई तरीका ही नहीं है दवा को निकालने का, पल्लवी तो खुशी खुशी पीती है, जानती है कि नहीं पियेगी तो उसकी बड़ी बड़ी चूचियां और गांड सिकुड़ जाएंगी।

यह कहानी 4 भागों में चलेगी.
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धन्यवाद.
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