सौतेले परिवार में चूत चुदाई की कहानी- 1

X Xxx फॅमिली सेक्स कहानी में मैं अपने मम्मी पापा की चुदाई देखकर अपनी स्टेप सिस की चूत मारने के ख्याल से मुठ मारता था. मैंने सोने का नाटक करके उसे अपना बड़ा लंड भी दिखाया था.

दोस्तो, मेरा नाम जयंत है. मैं एमपी का रहने वाला हूँ.
मेरी उम्र 23 साल है.

मेरे घर में मेरे मम्मी पापा, बड़ी बहन शिखा और मुझे मिलाकर हम चार लोग रहते हैं.

पापा सरकारी जॉब में बड़े अधिकारी हैं और मम्मी हाउस वाइफ हैं.

मेरी मम्मी मेरे पापा की दूसरी बीवी हैं.
दीदी उनकी बेटी है पहले पति से.

मेरी दीदी मुझसे दो साल बड़ी है.
उसका फिगर मस्त है और वह एकदम सुडौल गचचचा माल जैसी है.

यह X Xxx फॅमिली सेक्स कहानी मेरे ही परिवार की है.

उसे देख कर किसी का भी लंड सलामी देने लग जाए.
वह बिल्कुल मेरी मम्मी पर गई है.

मेरी मम्मी के फिगर की तो मैं बात ही क्या करूं, वे तो मेरी बहन से दस गुना ज्यादा मस्त माल हैं.
आप सरकारी अधिकारियों की पत्नियों को तो जानते ही हैं, अपने रूप पर कितना पैसा उड़ाती हैं.

मैंने कई बार पापा के लंड से उनकी चूत का भर्ता बनते भी देखा है.

यह बात उस समय की है जब होली का त्योहार आने वाला था.
उस वक्त मेरे घर में त्योहार का काम चल रहा था.
मम्मी और दीदी घर में त्योहार की तैयारी कर रही थीं.

तभी दीदी मुझे काम में मदद के लिए बुलाने आई.
मैं मम्मी का काम में हाथ बंटाने लगा.

दीदी और मैं मिलकर मम्मी के बेड के बॉक्स से कुछ सामान निकाल रहे थे कि तभी मेरा ध्यान बेड के कोने में पड़ी एक ब्लैक पॉलीथिन पर गया.

मैंने उसे उठाया और खोला तो मेरे होश उड़ गए.
उसमें 5 पैकेट मैनफोर्स कंडोम, कुछ टैबलेट्स और दो तेल की शीशियां थीं.
दीदी मेरे पास में ही थी और मम्मी दूसरे काम को करने में बिजी थीं.

दीदी ने पूछा- क्या है, दिखा?
मैंने कहा- कुछ नहीं!

वह बोली- दिखा ना, कोई जरूरी सामान है क्या?
ये बोल कर उसने मेरे हाथ से पॉलीथीन ले ली और फिर जब उसने पॉलीथीन देखी तो तुरंत मुझे पॉलीथीन पकड़ा कर बाहर चली गई.

दीदी के बाहर जाते ही मैंने उसमें से चुपके से एक पैकेट निकाल लिया और उसे अपनी जेब में रख लिया.
सफाई होने के बाद शाम को मैं कमरे में लेटा सोच रहा था कि मम्मी अब भी चूत चुदवाती हैं पापा से!

मैंने उनकी चुदाई देखने का प्रोग्राम बनाया.
जब रात को 11 बजे, तो मुझे उनके कमरे की तरफ से कुछ आवाजें आईं.

मैं चुपके से कमरे की खिड़की के पास गया और इधर उधर देख कर मैंने खिड़की से झाँका.

अन्दर देखा तो पापा मम्मी से बोल रहे थे- आओ ना जान, मेरा लंड तुम्हारी चूत में जाने को पागल हो रहा है!
मम्मी बोलीं- वह तो रोज ही रहता है … कौन सा दिन ऐसा होता है, जब मेरी चूत का भर्ता नहीं बनता है. अब तो शिखा भी बड़ी हो गई है, मुझे चोदना कम कर दो. थोड़ा डर लगता हैं कि कहीं किसी दिन देख लिया तो क्या सोचेगी!

पापा बोले- क्या सोचेगी … उसकी चूत पर भी तो कभी न कभी लंड चढ़ेगा ही … वह भी अब माल हो गई है. उसकी बात छोड़ो जान … अब आ जाओ.
यह कहकर पापा ने मम्मी के कपड़े निकाल दिए और अपने कपड़े खोलने लगे.

जैसे ही पापा ने अपना अंडरवियर निकाला, तो मैं देख कर दंग रह गया.
पापा का लंड तो किसी प्लास्टिक के नकली लंड के जैसा था … वह लंबाई में बहुत बड़ा था; मोटा भी इतना कि समझो किसी लड़की की कलाई जितना.
मैं तुरंत समझ गया कि पापा का लंड नेचुरल नहीं है. यह कमाल उन सब तेल और मल्हम आदि का है.

फिर मम्मी की आवाज आई तो मैंने पुनः उन दोनों पर ध्यान दिया.

पापा ने एक तेल निकाला और मम्मी की चूत पर लगाया.
फिर कंडोम को अपने लंड पर सैट किया और मम्मी की जांघ पर थपकी दी.

मम्मी ने इशारा पाते ही अपनी दोनों टांगें हवा में ऊपर कर दीं.
पापा ने लंड अन्दर पेला और उनकी ठुकाई शुरू कर दी.

पूरे कमरे में फच फच की आवाजें आ रही थीं और मम्मी ‘आह ऊऊऊ मर गई’ की आहों के साथ मधुर आवाज में चिल्ला रही थीं- आह्ह्ह मेरे राजा … बस करो उईईई मर गई!

कुछ 20 मिनट के बाद पापा झड़ गए और कंडोम वीर्य से भर गया.
अब मेरा लंड बेकाबू हो रहा था.
मैं सोच रहा था कि अभी मैं भी जाकर मम्मी को चोद दूँ.

फिर मैंने ध्यान से सुना तो पापा, मम्मी से शिखा की बात कर रहे थे कि वह यार कमाल की माल है, मन करता है कि उसे भी चोद दूं!
मम्मी ने हंस कर कहा- तो आपको रोका किसने है, चोद दो … वह भी तो देखे कि उसके बाप का घोड़े जैसा लंड कैसे उसकी चूत पर दौड़ता है!

पापा ने कहा- पर चोदूं कैसे?
मम्मी ने कहा- अगर तुम कहो तो मैं जुगाड़ करूं?

मैं दंग रह गया.

पापा- यह तो बताओ कि करोगी क्या?
मम्मी बोलीं- आप वह सब मुझ पर छोड़ दो मेरे राजा, आप तो बस लड़की की चूत का भर्ता बनाने को तैयार रहो.

पापा ने ये सुना तो उन्होंने मम्मी की फिर से चुदाई शुरू कर दी.

अब मैंने भी तय कर लिया कि पापा दीदी को चोदें, उससे पहले मुझे दीदी को चोदना है.
फिर मैंने बाथरूम में जाकर मम्मी को सोच कर मुट्ठ मारी और मम्मी और दीदी को चोदने का प्लान करने लगा.

चुदाई करवाने के बाद मम्मी जैसे ही बाथरूम में घुसीं, मैंने ऐसा दिखावा किया जैसे मैंने मम्मी को देखा ही नहीं.
मैं बस उनके सामने पेशाब करने लगा.

मम्मी ने मेरा लम्बा मोटा जवान लंड देख लिया.
यही मैं चाहता भी था.

तभी मैं घूमा और अपने सामने मम्मी को देख कर एकदम से बोला- अरे मम्मी … आप कब आईं?

बस यह बोल कर मैं बाहर चला गया.
मम्मी को शायद मेरा लंड भा गया था.

रात भर मैं दीदी को चोदने का प्लान बनाता रहा.

फिर मेरे दिमाग में एक आइडिया आ गया.

मैंने जो कंडोम का पैकेट निकाल लिया था, उसमें से एक कंडोम निकाला और सुबह 5 बजे उसे अपने लंड पर चढ़ा लिया.

फिर सुबह जब दीदी मुझे चाय देने के लिए मेरे कमरे में आई तो मैंने पहले ही अपनी अंडरवियर को नीचे खिसका दिया था.

मेरा लंड सलामी दे रहा था और मैं सोने का नाटक करने में लगा हुआ था.

जैसे ही दीदी मेरे कमरे में आई, वह एकदम मेरी तरफ देख कर कुछ नहीं बोली. उसका सारा ध्यान मेरे लंड पर ही था.

वह मेरे पास आई और उसने मेरे लंड पर लगे कंडोम को देखा.
फिर दीदी ने चाय रखी और जाते जाते ‘भैया चाय पी लो’ बोल कर चली गई.

उसके जाने के बाद मैं उठा और बाथरूम में जाकर अपनी बहन के नाम की मुट्ठ मारी, फिर कंडोम को जानबूझ कर उधर ही छोड़ दिया.

दीदी नहाने के बाद जब बाहर आई तो मैं हॉल में बैठा था.
उसने मुझे एक अलग नजर से ही देखा.

होली आ गई थी, सब बहुत खुश थे.

मेरी मामी ने पापा को होली खेलने के लिए बुलाया, तो पापा मम्मी के बाहर जाने का प्रोग्राम बन गया.
वे लोग चार दिन के लिए पचमड़ी जा रहे थे.

मैं मन ही मन बहुत खुश हुआ.

पापा मम्मी के जाने के बाद मैं मार्केट गया और बहुत सारा रंग लेकर घर आ गया.
दिन में मैंने खूब होली खेली.

पर असली मजा तो शाम को ही आना था.

उसी वक्त मेरे पड़ोस की भाभी मेरे घर पर होली खेलने आ गईं.
वे बोलीं- देवर जी, अपनी जिज्जी से ही खेलोगे होली … थोड़ा हमसे भी खेल लो!

यह कह कर वे मुझ पर टूट पड़ीं और मेरे चेहरे को लाल कर दिया.

फिर उन्होंने मेरी पैंट में हाथ डाल कर लंड को मसल दिया.
वे बोलीं- देवर जी, आपका हथियार तो बड़ा मोटा है, इसे अपनी जिज्जी को चखा दो!

ये सुन कर शिखा शर्मा गई.
पर भाभी ने X Xxx फॅमिली सेक्स का रास्ता खोल दिया था.

मैंने बोला- भाभी, अब रंग लगाने की बारी मेरी है.
मैं अन्दर गया और बहुत सारा रंग एक बाल्टी में भी रंग घोल कर ले आया.

भाभी बोलीं- देवर जी, ये तो गलत बात है, अपनी जिज्जी को तो तुमने रंग लगाया नहीं और मेरे लिए इतना सारा ले कर आ गए.
‘आप खेलो ना होली मेरे साथ!’ ये कहकर दीदी ने बाल्टी उनके ऊपर उड़ेल दी.

फिर भाभी ने कहा- अरे दीदी अब किधर जा रही हो, अब मेरी बारी भी बाकी है.
उन्होंने मेरे हाथों से रंग लेकर दीदी के बूब्स में रगड़ना शुरू कर दिया.

थोड़ी ही देर में उन्होंने दीदी के बूब्स लाल कर दिए.
भाभी बोलीं- देवर जी से दबवा लिया करो … कब तक इन्हें छुपा कर रखोगी.

ये बोलकर भाभी ने दीदी को जमीन पर गिरा लिया और उनकी पैंटी में हाथ घुसेड़ कर चूत पर कस कर रंग रगड़ दिया.
इतने में दीदी ने मुझसे कहा- भैया बचाओ मुझे भाभी से!

मैं भाभी को दीदी से अलग करने लगा, पर भाभी दीदी की चूत को मसलना बंद ही नहीं कर रही थीं.
वे अपने लाल हाथों को बस दीदी की चूत पर रगड़ रही थीं.

‘कुछ करो ना भैया, बचाओ न मुझे भाभी से!’
जब दीदी ने यह कहा तब तक भाभी बोल पड़ीं- मेरी रानी, तुम्हारी चूत तो पानी छोड़ रही है … लगता है कि लंड चाहती है यह … देवर जी का ले लो … बहुत मोटा है. अभी टटोल कर देखा है मैंने!

यह सुनकर मैं गर्म हो गया और आवेश में आकर मैंने अपनी दीदी की पैंटी में हाथ डाल दिया.
दीदी की चूत सच में पानी छोड़ चुकी थी.

फिर मैंने भाभी का हाथ बाहर निकाला तो दीदी बोलीं- पकड़ो भैया जरा इन्हें!
मैंने भाभी को जमीन पर गिरा लिया और भाभी के ऊपर बैठ गया.

दीदी अन्दर गईं और बहुत सारा हरा रंग लेकर बाहर आईं.
दीदी बोलीं- इन्हें पकड़े रहना भैया, इन्हें आज हरियाली बन्नी बना देती हूँ.

अब दीदी ने गाढ़ा रंग लेकर भाभी के बूब्स पर मला और उसने भाभी के ब्लाउज के हुक भी खोल दिए. भाभी के दूध दिखने लगे थे.

फिर दीदी ने भाभी की दोनों टांगों को अलग किया और चूत को रंग से भर दिया.
भाभी बहुत गर्म हो चुकी थीं.
वे बोलीं- हम दोनों का तो हो गया दीदी, पर भैया तो बच गए.

फिर तुरंत उन्होंने मुझे नीचे दबा लिया.
मैंने जानबूझ कर विरोध नहीं किया, पर मुँह से बोलता रहा कि अरे बस करो भाभी!

वे बोलीं- मुझे तो सब जगह लगा लिया … और खुद बच रहे हो!

यह बोलकर उन्होंने दीदी को रंग लगाने के लिए बोला.
दीदी ने मेरे चेहरे पर रंग लगाया.

भाभी बोलीं- क्या यार दीदी, जहां रंग लगाना चाहिए … उधर लगाओ ना!
दीदी बोलीं- मुझे शर्म आ रही है.

भाभी बोलीं- तो लो पकड़ो, मैं लगाती हूँ.
फिर दीदी ने मुझे पकड़ा और भाभी ने झट से रंग लेकर मेरी लोअर को नीचे खींच दिया.

मेरा फनफनाता हुआ लंड एकदम से बाहर निकल पड़ा.
भाभी ने कहा- देखो दीदी, तुम्हारे भाई का लंड कैसे फनफना रहा था तुम्हें चोदने के लिए! अब ले भी लो अपनी चूत में … इसे भी थोड़ा आराम मिल जाएगा.

फिर भाभी ने तुरंत रंग लेकर मेरे लंड को भींच दिया.
दीदी सीन देख कर शर्मा गई.

भाभी होली खेल कर चली गईं.
अब बस मुझे दीदी को चोदना था, जिसके लिए मैं सुबह से तड़प रहा था.

मैं नहाने गया और मैंने मौका पाकर दीदी को बाथरूम में बुला लिया.

दीदी बोलीं- क्या है?
मैंने कहा- थोड़ी पीठ मल दो, बहुत रंग लगा है.

तो दीदी मेरी पीठ से रंग हटाने लगी.

मौका पाकर मैंने दीदी से कहा- भाभी ने तो बहुत गाढ़ा रंग लगाया है मुश्किल से छूटेगा!
दीदी बोलीं- तुम्हारा तो छूट भी जाएगा … मेरा कैसे छूटेगा! मम्मी भी नहीं हैं, जो साफ करवा लूँ!

मैं बोला- आप मुझे ना पकड़तीं, तो शायद मुझे नहीं लगता … और आपने तो सब देख भी लिया!
दीदी बोलीं- मैं क्या करती, वह तो भाभी ने कहा तो …

‘पर आप अपनी सहेलियों से ना कहती फिरना कि सब देख लिया!’
दीदी बोलीं- अरे नहीं कहूंगी, पर भैया मैं तो पहले ही देख चुकी हूँ तुम्हारा!

मैंने पूछा- कब कैसे?
‘उस दिन कमरे में चाय देने गई थी तो तुम्हारा लंड तुम्हारी अंडरवियर से बाहर था … एकदम रॉड की तरह बहुत मोटा है! मैं तो डर गई थी, पर मुझे ये जानना है कि तुमने अपने लंड पर कंडोम क्यों लगाया था?

मैं बोला- नहीं, तो ऐसा कुछ भी नहीं था!
दीदी बोली- थोड़ा कम झूठ बोलो यार … मैंने उस दिन बाथरूम में भी देखा था. एक पड़ा था तुमने ही फेंका था न, वह बोलो?

मैं कुछ नहीं बोला.
दीदी बोली- बोलो, नहीं तो मम्मी से बोलूं क्या?

मैं बोला- नहीं दीदी, मम्मी को कुछ मत बोलना प्लीज … हां मैंने ही फेंका था … वह आपको देखकर मुट्ठ मारी थी आप मुझे बहुत अच्छी लगती हो!

दोस्तो, X Xxx फॅमिली सेक्स कहानी के अगले भाग में मैं आपको बहन और मम्मी की चुदाई की कहानी लिखूँगा. प्लीज अपने कमेंट्स जरूर भेजें.
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