सलहज के साथ एक रात बनी सुहागरात

सिस्टर इन लॉ चुदाई कहानी में मेरे सेल की बीवी ऑफिस के काम से दूसरे शहर गई तो उसने मुझे वहीं बुला लिया. हम होटल में रुके. एक पूरी रात हमने जैसे सुहागरात मनाई.

नमस्कार दोस्तो, मैं आयुष बिंदल एक बार फिर से अपनी अगली कहानी लेकर आप लोगों के सामने उपस्थित हूँ.

आपने मेरी पिछली कहानी
सलहज की अन्तर्वासना और जीजा का लंड
में मेरे और मानसी के बारे में पढ़ा.

यह सिस्टर इन लॉ चुदाई कहानी उसी के आगे की है.

उस चुदाई के बाद मैं मानसी को उसके स्थान पर छोड़ कर वापस होटल आ गया जो मुश्किल से दो किलोमीटर की दूरी पर था.

अब रात आठ बजे तक मानसी मीटिंग में व्यस्त रहने वाली थी और मैं बार बार मेसेज भेज कर उसका ध्यान भंग नहीं करना चाहता था.

इतनी मस्त और जोरदार चुदाई के बाद मुझे नींद भी आ रही थी तो थोड़ा सा लंच करके मैं छ: बजे का अलार्म लगा कर सो गया.

छ: बजे सोकर उठा तो काफ़ी तरोताजा महसूस कर रहा था.
फिर मानसी को मेसेज करके पूछा कि वह कब फ्री हो जाएगी.
उसने बताया कि सात बजे मीटिंग ख़त्म होगी और उसके बाद डिनर प्रोग्राम होगा. पर उसने पहले ही डिनर के लिए वहाँ मना कर दिया था क्योंकि हम ज़्यादा से ज़्यादा वक़्त एक दूसरे के साथ गुज़रना चाहते थे.

खैर मैं तैयार होकर पौने सात तक होटल से बाहर निकला और एक केक शॉप से चोकॉलेट क्रीम लेकर मानसी को लेने उसके मीटिंग वाली जगह पर चला गया.

7 बजकर 10 मिनट पर वह बाहर आई.
तुरंत मुझे कॉल करके उसने मेरी लोकेशन पूछी और आकर गाड़ी में बैठ गई.

सुबह की ताबड़तोड़ चुदाई … फिर दिन भर मीटिंग की वजह से वह थोड़ी थक गई थी.

मैंने उसे बोला- होटल चल कर आराम से फ्रेश हो लो, फिर डिनर करने चलेंगे!
तो उसने मना कर दिया और बोली- डिनर करके ही होटल चलेंगे.

फिर हम एक ढाबे में पहुँचे और खाना खाते हुए बातें करने लगे.

मानसी- पता है आयुष … ऐसा सुख मुझे आज तक कभी नहीं मिला.
मैं- पता है मेरी जान … यही हाल मेरा भी है. आठ साल की तृप्ति अब जाकर मिली है!

मानसी- आज तुम्हारे साथ तीन घण्टे में जितनी बार ओर्गसम मिला है, उतना तो पूरी लाइफ में नहीं मिला.
मैं- हाँ जान, इतना जोश और पैशन मुझे भी रश्मि से कभी नहीं मिला.

हमने खाना खाया और वापस होटल में अपने रूम पर आ गये.

रास्ते में ही मानसी ने दीपेश से और मैंने रश्मि से फोन पर बात करके फॉरमॅलिटी वाली बातें बोल दी.

रूम में आते साथ हमने किस शुरू कर दी और बिल्कुल आराम से एक दूसरे के होठों से पूरा रस निचोड़ने लगे.
क्योंकि अब पूरी रात हमारे पास थी तो किसी बात की जल्दी नहीं थी.

किस करते करते हम बेड पर लेट गये और एक दूसरे के बदन के साथ खेलने लगे.

दस मिनट के बाद जब हम अलग हुए तो हम दोनों की सांस चढ़ी हुई थी.

तब मानसी को ध्यान आया कि बाथरूम में बाथ टब भी है और ऊपर से गर्मी भी बहुत है. तो क्यों ना वहाँ चुदाई का मज़ा लिया जाए.

मैंने जाकर बाथटब को भरने के लिए नल चालू किया जिसे भरने में दस मिनट लगे.
तब तक हमने अपने अपने कपड़े उतारे और एक दूसरे के बदन को आराम से निहारा और सहलाया.

यहाँ मैं अपने पाठकों को बताना चाहूँगा कि ना तो मेरा और ना ही मानसी का बदन कोई कसा हुआ साँचे में ढला हुआ जैसा है. और ना की किसी फिल्म के हीरो हिरोईन जैसा है.
हम आम शादीशुदा स्त्री पुरुष हैं.
मेरा थोड़ा पेट भी निकला हुआ है.
बस मानसी का रंग थोड़ा साफ है.

फिर हम बाथ टब में आए.
पहले मैं उसमें लेटा, फिर मानसी मेरे सीने पर पीठ के बल लेट गई, जिससे मेरा लंड उसकी गांड की दरार में फंस गया.

मैंने अपने दोनों हाथों से उसके स्तन को धीरे धीरे मसलना शुरू किया और हम मस्ती के समंदर में खोने लगे.

फिर मानसी ने वैसे लेटे हुए अपने एक हाथ से मेरे लंड को दबाना शुरू किया और दूसरे से मेरे सिर को पकड़ कर अपने तरफ घुमाया और किस करना शुरू किया.

धीरे से हम दोनों के हाथों का दबाव एक दूसरे के अंगों पर बढ़ने लगा.
मानसी सीधी होकर अपने दोनों हाथ मेरी गर्दन पर ज़ोर से लपेटकर किस करने लगी जिससे उसके 34 साइज़ के दूध मेरे सीने में दबने लगे.

मैंने अपने दोनों हाथों से उसकी गद्देदार गांड को दबाना शुरू कर दिया और उंगली से उसकी गांड के छेद को रगड़ने लगा.

इससे मानसी की कसमसाहट बढ़ने लगी और वह किस करना छोड़कर नीचे झुकी और मेरा लंड जो पानी के अंदर था, उसे गप्प से मुंह में भर लिया और जितना उसकी सांस इजाज़त दे रही थी, उतना लंड को चूसने लगी.

कुछ देर बाद जब वह काफ़ी थक गई क्योंकि पानी की वजह से वह अच्छे से सांस ले नहीं पा रही थी.

तो मैंने उसे पीठ का बल थोड़ा उपर करके बाथ-टब से लिटाया और स्तन को चूमते एवं मसालते हुए नीचे उसकी चूत तक पहुँच गया और अपनी जीभ से धीरे धीरे चाटने लगा.

वह भी अपने हाथ से मेरे सिर को अपनी चूत के अंदर दबा रही थी ताकि मैं अच्छे से उसका मर्दन कर सकूं.

क्योंकि मानसी को चूत चटवाने की आदत बिल्कुल नहीं थी तो वह पाँच मिनट के अंदर ही झड़ गई.
ये सब ओरल सेक्स पानी से भरे बाथ-टब में हो रहा था इसलिए मैं उसका कामरस नहीं पी पाया.

दो मिनट तक मानसी ने अपनी सांसों को संयत किया और शावर के नीचे चुदाई करने को बोला.

मैंने उसे दो मिनट रुकने को बोला और अपने लंड को तौलिये से पौंछ कर अच्छे से सुखाया और चॉकलेट क्रीम को अपने लंड पर अच्छे से लपेट लिया जिससे मेरा लंड बिल्कुल दिखाई नहीं दे रहा था और ऐसा लग रहा था जैसे बड़ा सा लंड का केक हो.

मानसी ने जब यह देखा तो बहुत खुश हुई और बोली कि उसका भी मन था कि सेक्स को अलग अलग तरह से एंजाय किया जाए.

वह तुरंत घुटने के बल बैठ कर मेरे केक रूपी लंड को अपने मुंह में लेकर चूसने लगी.
लंड थोड़ा बड़ा भी है और उसमें क्रीम भी लगी थी इसलिए मानसी पूरा अंदर नहीं ले पा रही थी.

मुझे भी थोड़ा रफ सेक्स करना था तो मैंने मानसी के बालों को समेट कर इकट्ठा किया अपना लंड उसके मुंह में ज़बरदस्ती अंदर तक डालने लगा.

मानसी ने मुझे रोका नहीं क्योंकि उसे भी रफ सेक्स का आनंद लेना था.
पर उसके चेहरे से पता चल रहा था कि उसे तकलीफ़ हो रही है.

मैं लंड को ज़ोर ज़ोर से उसके मुंह के अंदर बाहर करने लगा जिससे लंड उसके गले तक जाने लगा और उसके मुंह से कुछ क्रीम गले और स्तन पर गिर गई.

पाँच मिनट बाद जब मानसी को तकलीफ़ ज़्यादा होने लगी और सांस नहीं आ रही थी तो उसने अपने हाथों से मुझे रुकने को कहा और मेरे लंड को अपने मुंह से बाहर निकल कर ज़ोर ज़ोर से सांस लेने लगी.

फिर वह खड़ी हुई और शावर की तरफ हाथ करके झुक गई और शावर को चालू कर दिया.

उसे मैंने कंडोम के लिए पूछा तो उसने मना कर दिया और जल्दी से चुदाई शुरू करने को बोला.
मैंने पाँच छ: बार लंड को उसकी चूत पर रगड़ा और थोडा ज़ोर लगाकर अपना लंड उसकी चूत की गहराई में उतार दिया.
मानसी की दर्द और आनद मिश्रित आअहह निकली.

फिर धीरे धीरे हमारी चुदाई की रफ़्तार बढ़ने लगी.
मैंने तड़ातड़ सात आठ चांटे उसके चूतड़ों पर बरसा दिए.
उसकी कामोत्तेजना भरी आवाज़ आई- आअहह आअहह!
पूरा बाथरूम ठप ठप की आवाज़ से गूंजने लगा.

मैंने चांटों की बरसात जारी रखी जिससे कुछ ही देर में उसके चूतड़ सुर्ख लाल हो गये.

दस मिनट बाद मानसी ने मुझे रोक कर नीचे फर्श पर लिटा दिया और खुद ऊपर आकर मेरे लंड की सवारी करने लगी.
मेरे उपर बैठे होने की वजह से लंड चूत में ज्यादा अंदर तक जा रहा था.

मानसी खुद उछल उछल कर चुदाई कर रही थी और मैं उसके मांसल दूध को मसल मसल कर लाल कर रहा था.

कुछ देर बाद मानसी झड़ने के करीब पहुँची तो उसने धक्कों की स्पीड तो कम कर दी और झुक कर मेरे होठों को अपने मुंह में भरकर ज़ोर ज़ोर से चूसने लगी और सात आठ धक्कों के बाद कसमसाते हुए चरमसुख का आनद ले लिया.

फिर मैंने मानसी को खड़ा किया और उसके पूरे बदन को तौलिये से अच्छे से पौंछा और खुद को भी साफ किया और मानसी को उठाकर बेड पे लिटा दिया और खुद भी उसके बगल में लेट गया.

मानसी ने मेरी आखों में देखा और और मुझे किस करते हुए बोली- इतना मज़ा देने के लिए धन्यवाद!
और मेरे लंड के साथ खेलने लगी.

मानसी दो बार झड़ चुकी थी पर इसका कोई असर उस पर नहीं हो रहा था.
सिस्टर इन लॉ चुदाई के तीसरे दौर के लिए तैयार होने लगी.

जल्द ही मेरा लंड फिर फुंफकारने लगा और मानसी डॉगी स्टाइल में बेड पर झुक गई.

मैंने अपना लंड जोरदार झटके के साथ उसकी नर्म चूत में उतार दिया और धक्कों की रफ़्तार काफ़ी तेज रखी.
हर धक्के के साथ वह आगे झुक जा रही थी और उसके चूतड़ों से ठप ठप की आवाज़ आने लगी.

बीस पच्चीस धक्कों के बाद वह एक बार फिर झड़ गई और पेट के बल बिस्तर पर लेट गई.

मैंने उसे सीधी किया, दोबारा उसकी चूत में अपना लंड डालकर चुदाई शुरू कर दी.

वह इसके लिए तैयार नहीं थी तो उसे हल्का हल्का दर्द होने लगा.

मैंने उसकी परवाह किए बिना चुदाई चालू रखी और एक हाथ से उसके मांसल दूध पूरी ताक़त से निचोड़ता रहा.

हालाँकि इससे उसे दर्द भी हो रहा था पर मज़ा भी आ रहा था.
पंद्रह मिनट के बाद मेरा लावा फूट पड़ा और मानसी की चूत को सराबोर कर दिया.
और साथ ही एक बार फिर से वह झड़ गई.

हम दोनों की सांसें उखड़ चुकी थी तो काफी देर तक उसे संयमित किया और ऐसे ही बिना कपड़े पहने एक दूसरे को आलिंगन में बाँध के कुछ देर के लिए सो गये.

यह थी मानसी के साथ मेरी दूसरी चुदाई!
उम्मीद है आपको सिस्टर इन लॉ चुदाई कहानी पसंद आई होगी.
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