इंडियन वाइफ सेक्स स्टोरी में पटाखा किस्म की पाकीज़ा औरत थी. पर मेरे हिजड़े शौहर के कारण मेरी औलाद नहीं हो रही थी. एक बार मेरे शौहर के 4 दोस्त आये.
मैं अलीशा हूँ, मेरी उम्र 38 साल है. मैं एकदम गोरी चिट्टी शादीशुदा औरत हूँ.
मेरा फिगर 34-30-36 का है, मेरी आंखें काफी बड़ी बड़ी और काली हैं. कद 5 फुट 5 इंच का है. लंबे बाल और बाहर को निकली हुई मेरी मोटी कद्दू जैसी गांड है.
यानि कुल मिला कर मैं एकदम पटाखा किस्म की माल हूँ. पर मैं एक पाकीज़ा औरत हूँ और एक पर्दानशीं समाज से आती हूँ.
मेरे शौहर एक धर्म गुरु हैं. इस कारण मैं भी अपने मजहब के प्रति बेहद संजीदा हूँ.
मैंने आज तक अपने शौहर के अलावा किसी पराए मर्द के बारे में कुछ भी नहीं सोचा था.
मेरे शौहर मुझे बहुत कम ही चोदते थे और उनका लंड भी कुछ ज्यादा ही छोटा था.
यह बात मुझे उनके चारों पहलवान दोस्तों के लंड देख कर पता चली थी.
मेरे शौहर मुझसे सेक्स से संबंधी बात बहुत काम करते थे.
मैं भी इस बात को समझती थी कि वे शायद अपनी झेंप के कारण मेरे साथ ज्यादा बार हम बिस्तर नहीं होते थे.
हमारे समाज में हरेक महिला कम से कम चार पांच औलादें तो जरूर ही पैदा करती है.
शायद इसका कारण यह है कि हमारा खान पान कुछ ज्यादा ही गर्म होता है, मांस मच्छी के अलावा प्याज लहसुन का खाने में ज्यादा इस्तेमाल हमें अधिक कामुक बनाता है.
जब मैं अपने समाज की औरतों से मिलती थी तो उनको यह देख कर बड़ी हैरानी होती थी कि मैं एक धर्मगुरु की बीवी होते हुए भी बेऔलाद हूँ.
अब मैं उनसे क्या कहती कि मेरे शौहर का लंड किसी काम का नहीं है.
कई बार मन में आया कि किसी गैर मर्द से हम बिस्तर होकर अपनी सूनी गोद को भर लूँ.
पर शौहर की इज्जत के चलते मैं ऐसा नहीं कर पा रही थी.
यूं ही बेबसी में मेरे दिन गुजर रहे थे.
एक दफा मेरे शौहर के चार दोस्त घर आए.
तब मेरी इंडियन वाइफ सेक्स स्टोरी शुरू हुई.
इधर मैं उन चारों के नाम रख लेती हूँ.
हम उनके नाम रमेश, सुरेश, सतीश और अभिषेक रख लेते हैं.
वैसे भी मुझे उनके पूरे नाम नहीं पता थे.
इतना भी इसलिए मालूम हो गए थे क्योंकि वे सब मुझे चोदते वक्त एक दूसरे को इन्हीं नामों से बुला रहे थे.
इस सबमें अभिषेक थोड़ा कम उम्र का लग रहा था, जबकि बाकी सबके सब 40-45 की उम्र के आस पास के रहे होंगे.
यह कुछ एक महीने पहले की बात है.
मेरे शौहर के कुछ दोस्त मुंबई से आए हुए थे. इसमें मुझे सबसे ज्यादा चकित करने वाली बात ये लगी थी कि वे चारों दूसरे धर्म के थे. जबकि मेरे शौहर को अलग धर्म के लोग बिल्कुल पसंद नहीं थे, वे तो ऐसे किसी भी आदमी से बात तक करना अपने मजहब के खिलाफ समझते थे.
मेरे पूछने पर उन्होंने बताया था कि उन्होंने इन लोगों कुछ पैसे उधार लिए थे, उसी कारणवश वे लोग आए हैं.
शौहर ने मुझे बताया था कि उनके पैसों का इंतज़ाम करने के लिए उन्हें दो दिन लगेंगे, तब तक वे चारों घर पर ही मेहमान बनकर रहेंगे.
इसके अलावा उनके पास और कोई रास्ता नहीं है.
वे चारों हर टाइम पान खाते रहते थे और दिखने में गुंडे जैसे लगते थे पर बदन से बहुत की ताकतवर लगते थे.
मेरे शौहर उनके सामने बिल्कुल बच्चे की माफिक दिखते थे.
पैसों के कारण शौहर को दो दिन के लिए पास वाले शहर तक जाना पड़ा था जिस वजह से मैं उन दो दिनों के लिए उनके दोस्तों के साथ घर में अकेली रह गयी थी.
कुछ ऐसा हुआ कि एक ही दिन मैं हम सब आपस में बहुत घुल-मिल गए थे.
वे चारों सारा दिन हंसी मज़ाक करते रहते थे.
अगले दिन मैं हर रोज की तरह सुबह सूरज निकलने से पहले उठ गयी क्योंकि उस टाइम मुझे इबादत करनी होती थी.
उस दिन मैंने काले रंग की हिज़ाब पहनी थी.
मैं इबादत करने जाने लगी.
तभी रमेश जी मुझे देख कर बोले- भाभी जी, बुरा मत मानिएगा पर आज आप बहुत ही सेक्सी लग रही हो!
मैं हंस पड़ी.
मैंने देखा उनकी नजर मेरी चूचियों पर थी.
मैं थोड़ा शर्मा गयी.
तभी वहां छत पर सतीश जी भी आ गए.
उन्होंने भी कहा- कसम से भाभी जी, आप आज बहुत गर्म माल लग रही हैं.
किसी दूसरे मजहब के आदमी के मुँह से ऐसी बातें सुनकर मुझे बहुत शर्म आ रही थी.
इसलिए मैं बिना इबादत किए तेज तेज कदमों से लगभग भागती हुई वापस अपने कमरे में आ गई.
न जाने क्यों आज मुझे अजनबी मर्दों के द्वारा इस तरह से बुलाए जाने पर बाद ही अच्छा लग रहा था.
उनके लंबे चौड़े कद मेरे अन्दर एक वासना को पैदा कर रहे थे और अन्दर की दबी हुई आग शोला बनने लगी थी.
मेरे मन में औलाद की आस पूरी करने की बात भी घुसी हुई थी.
फिर हम सभी ने नाश्ता किया.
नाश्ते के बाद सुरेश ने कहा- हम लोग बाज़ार जा रहे हैं. खाना हम लोग बाज़ार में ही खाएंगे.
मैं हैरान हो गयी और सबको देखने लगी.
रमेश जी बोले- इसमें हैरान होने की कोई बात नहीं है भाभी जान … आज हम लोग सारा दिन खूब मज़े करेंगे.
ये कह कर वे हंसने लगे और साथ ही साथ उसके तीनों दोस्त भी हंसने लगे.
मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था.
मैं वहां से उठ कर अपनी रसोईघर में आ गयी और बचे हुए बर्तन साफ करने लगी.
तभी रमेश जी मेरे पीछे वहां आ गए और बर्तन रखने में मेरी मदद करने लगे.
मैं बर्तन साफ कर ही रही थी कि वह कुछ ज्यादा ही मेरे पीछे से चिपक गए थे जिससे मुझे अहसास हुआ कि कोई बहुत बड़ी और मोटी चीज मेरी गांड को टच कर रही है.
वह चीज धीरे धीरे मेरे कपड़ों के ऊपर से मेरी गांड में घुसने की कोशिश कर रही थी.
मैं समझ गयी कि रमेश जी अपना लंड मेरी गांड की दरार में घिस रहे हैं.
इससे मुझे बहुत शर्म आई क्योंकि मैं एक पर्दानशीं पाकीज़ा औरत हूँ और वह भी एक धर्मगुरु की बीवी हूँ.
पर फिर भी मुझे उनके लंड का स्पर्श अन्दर से बहुत अच्छा लग रहा था.
मैं मन ही मन कहने लगी कि ‘हाय रब्बा कितना मोटा लंड है … बस जल्दी से घुस ही जाए!’
साथ ही मैं ये भी सोचने लगी कि मुझे यह सब क्या हो रहा है, यह सब लोग एक गैर मजहबी हैं और मैं एक पाकीज़ा औरत, पर सच में उस वक्त रमेश जी के लौड़े का अहसास बड़ा ही प्यारा था.
हालांकि उस वक्त मैंने अपने मन की बात को अपने चेहरे पर नहीं दिखने दी.
रमेश जी ने कहा- हम लोग मूवी देखने बेडरूम में जा रहे हैं, तुम भी हमारे साथ चल कर मूवी देखो.
वैसे तो मुझे भी मूवी देखना पसंद है, पर गैर मर्दों के साथ एक पाकीज़ा औरत बैठे, यह मुझे अच्छा नहीं लग रहा था.
फिर उनके कई बार कहने पर मैं उनके साथ उनके बेडरूम में चली आई.
सतीश ने सीडी ऑन कर दी.
याल्ला … यह क्या बवाल लगा दिया था … सामने टीवी पर एक इंग्लिश ब्लू फिल्म चल रही थी.
उस सीडी के ऊपर जो पोस्टर चिपका था, उसमें एक पर्दानशी औरत नीचे बैठी हुई थी और उसके चारों तरफ 4 मर्द नंगे खड़े थे.
मैं ब्लू-फिल्म देख कर घबरा गयी और उधर से उठ कर जाने को हुई.
तभी अभिषेक ने मुझे अपने पास आकर बैठने को कहा.
लेकिन मैं भाग कर अपने कमरे में चली गयी.
मेरे पीछे पीछे अभिषेक मेरे कमरे में आ गया.
उसने मुझे पीछे से पकड़ लिया और ज़ोर ज़ोर से मेरी चूचियों को दबाने लगा.
हाय रे … मुझे बहुत दर्द हो रहा था, जिससे मैं चिल्ला उठी.
मुझे अंदर तक मजा आ गया, मेरी चूत इतने से ही गीली हो गई.
उसने मुझे जकड़ लिया और मेरे गाल पर तीन चार चुम्मे ले लिए.
अब वह मुझे उठा कर घर के बाजू में बनी जानवरों के लिए बने कमरे में ले गया और उधर जमीन पर लिटा दिया.
हालांकि मैं चारों से चुदना चाह रही थी पर भी दिखावे के लिए मैंने फिर से उठ कर भागने की कोशिश की तो रमेश जी ने दौड़ कर कमरे का दरवाज़ा अन्दर से लॉक कर दिया और चाभी अभिषेक की तरफ फेंक दी.
अब अभिषेक ने मुझसे कहा- देखो भाभी, हमारे साथ तुम सेक्स का लुत्फ़ उठाओ … और मां बनने का सुख प्राप्त करो. तुम्हारा शौहर भी तुम्हें हम लोगों के साथ अकेला इसी लिए छोड़ कर गया है ताकि तुम हमल से हो जाओ.
अभिषेक के मुँह से यह सुनकर पहले तो मुझे भरोसा नहीं हुआ कि क्या मेरे शौहर ऐसा कर सकते हैं.
मैं डर और वासना के मारे बुरी तरह से कांप रही थी.
तभी रमेश जी कमरे में गए और वे उधर से ब्लू फिल्म का सारा सामान ले आए.
उन्होंने टीवी और सीडी प्लेयर वहीं चारागाह में सैट कर दी और ब्लू-फिल्म चालू कर दी.
तभी मेरी निगाह रमेश जी के ऊपर गई तो उन्होंने अपनी शर्ट उतार दी थी और उनका चौड़ा सीना मेरे अन्दर चुदास की भूख बढ़ाने लगा था.
तब तक अभिषेक ने मेरे कपड़े फाड़ दिए थे.
उस वक्त मैं उन सबके सामने सिर्फ़ ब्रा और पैंटी में रह गयी थी.
लगभग नंगी होकर मुझे ऐसा लग रहा था मानो मेरा गैंगबैंग होने वाला हो और वह भी मेरे ही घर में.
मैं अपने दोनों हाथों से अपने भारी मम्मों को छुपा रही थी और मेरी आंखों से चुदास दिखने लगी थी.
उधर वे चारों भी अपने अपने कपड़े उतार कर सिर्फ अंडरवियर में आ चुके थे.
वे सभी मेरे चारों तरफ एक घेरा सा बना चुके थे और मैं उनके बीच जमीन पर लगभग नंगी पड़ी हुई थी.
तभी रमेश जी ने मुझे एक हाथ से पकड़ कर उठाया और किस करना शुरू कर दिया.
वे मेरे होंठों से होंठ लगा कर चूम रहे थे, तो मुझे साँस लेने में मुश्किल हो रही थी.
उनकी जीभ मेरे मुँह में चारों तरफ घूम रही थी. एक बार को ऐसा लगने लगा था मानो यह वक्त यही ठहर जाए और मेरे मुँह में चल रही जीभ हमेशा यूं ही घुसी रहे.
पर अभी तो यह शुरुआत थी.
मुँह में जुबान के बाद शायद उनके लंड भी घुसने वाले थे और उसके बाद मुझे अम्मी बनाने का सुख देने के लिए उनके लौड़े भी मेरी चुत का भोसड़ा बनाएंगे.
सब कुछ समय के गर्त में था, मैं बस मदहोश सी अपने मुँह में रमेश जी की खुरदुरी जीभ का स्वाद ले रही थी.
थोड़ी देर तक मुझे भँभोड़ कर किस करने के बाद रमेश जी ने एक हाथ से मेरी ब्रा में हाथ डाला और उसको खींच दिया.
मेरी ब्रा फट गई और मेरी चूचियां एकदम आज़ाद हो गयी थीं.
रमेश ने मेरे बाएं बूब को काटना शुरू कर दिया.
अभिषेक मेरे दाएं बूब को चूसने लगा.
मैं उन दोनों के सामने विवश पड़ी थी और ना चाहते हुए मना कर रही थी … दिखावे के लिए अपने हाथ जोड़ती हुई कह रही थी- मुझे छोड़ दो, मैं आप सबसे माफी की तलबगार हूँ.
लेकिन उन सब ने मेरी एक ना सुनी.
मेरे बहुत ज़िद करने पर सतीश ने मेरे मुँह पर एक थप्पड़ जड़ दिया और चुप रहने को कहा.
अब मैं बहुत ज़्यादा डर गयी और चुप हो गयी.
तभी रमेश जी ने एक झटके से मेरी पैंटी फाड़ कर निकाल दी और उसे दूर फेंक दी.
मैं अब एकदम मादरजात नंगी हो चुकी थी.
अभिषेक ने हाथ बढ़ा कर मेरी दोनों टांगों के बीच में डाला और चुत को सहलाना शुरू कर दिया.
रमेश जी ने अपना अंडरवियर उतार दिया और वे अपना लौड़ा मेरे सामने लहराने लगे थे.
उनका लंड देख कर तो मेरी साँसें ही रुक गईं. उनका लंड मेरे शौहर के लंड के तीन गुना था, वह लंबाई और मोटाई दोनों में ही गधे का लंड लग रहा था.
उन्होंने लौड़े को झटका देते हुए कहा- भाभी, आज तुमको मेरा ये लंबा और मोटा लंड पूरा अपनी इस पाकीज़ा चुत के अन्दर लेना पड़ेगा … तभी तुम्हारी कोख में बच्चा आएगा.
एक ओर तो मैं बहुत ज्यादा डर गयी थी कि ये हाथी का लंड चुहिया की चुत में कैसे जाएगा … पर दूसरी ओर इस बात से बड़ा सुकून मिल रहा था कि मेरी कोख हरी हो जाएगी.
मैंने बड़े लौड़े से डर कर रोना शुरू कर दिया.
पर उन सबको कोई फर्क नहीं पड़ा.
वे सभी एक एक करके नंगे होते चले गए.
उन सबके लंड एक से बढ़ कर एक थे.
मुझे तो अपनी आँखों पर भरोसा ही नहीं हो रहा था कि मर्द का लंड इतना बड़ा भी हो सकता है.
मैंने तो आज तक बस अपने शौहर का ही देखा था जो उन चारों के सामने छोटी सी नुन्नी से ज्यादा कुछ भी नहीं था.
एक चीज और थी कि उन चारों के लंड साबुत थे और उनके लाल लाल सुपारे चमक रहे थे.
अभिषेक ने कहा- साली आज चार सच्चे मर्दों के लंड तेरी चुदाई करने के लिए बेताब हैं.
सतीश ने अपना लंड मेरे मुँह में डाल दिया और मेरी एक चूची के साथ खेलने लगा.
थोड़ी ही देर बाद उसने मेरे मुँह में अपना लंड दे दिया और अन्दर बाहर करना शुरू कर दिया.
उसका लंड हद से ज्यादा बड़ा और मोटा था, जो बड़ी मुश्किल से मेरे मुँह में जा पा रहा था.
उधर अब सुरेश किसी पागल कुत्ते की तरह मेरी चुत को चाट रहा था.
मैं उस बेरहमी को एंजाय करने लगी थी क्योंकि मुझे पता ही नहीं चला कि कब मैंने सुरेश के सर पर अपना हाथ रख कर उसे अपनी चुत पर दबाना शुरू कर दिया था.
अब मैं भी जोश में आ गयी थी और मुझे भी मज़ा आने लगा था.
दोस्तो, मैं इंडियन वाइफ सेक्स स्टोरी के अगले भाग में आपको अपनी चुत चुदाई की कहानी को विस्तार से लिखूँगी.
आप मुझे जरूर बताएं कि आपको सेक्स कहानी कैसी लग रही है.
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