न्यू हिंदी सेक्स स्टोरी में मेरी बीवी ने मुझे कभी खुशी से चूत नहीं दी क्योंकि मेरा लंड छोटा है. एक दिन मेरा एक मित्र आया तो उसे देखकर मेरी बीवी खुश हो गई। उस खुशी का राज मैंने अपनी आंखों से देखा।
दोस्तो नमस्कार, कैसे हैं आप सभी!
मेरी बीवी का नाम सुलोचना रावत है.
हम लोग पहाड़ी हैं और मेरी बीवी बहुत सुंदर है.
उसकी उम्र करीब 30 वर्ष है.
मेरी बीवी छरहरे बदन की मालकिन है और उसका फिगर 34-28-34 का है।
मैं आपको अपनी बीवी की चुदाई की कहानी बताने जा रहा हूं जो मैंने अपनी आंखों से देखी थी।
यह एक सच्ची घटना है, उम्मीद है कि आप सभी को पसंद आएगी।
दोस्तो, मेरी बीवी ने मुझे कभी ढंग से अपनी चूत नहीं चोदने दी।
मेरा तो रोज चोदने का मन करता था लेकिन वो हमेशा जी चुराती थी, कुछ न कुछ बहाना करके टाल देती थी।
और कभी तो साफ मना कर देती थी।
यहां तक कि कई बार सामने से बोलकर हटा देती थी- तुमसे कुछ नहीं होता है, डाला नहीं कि झड़ गए!
कई बार मैं अपनी बेइज्जती महसूस करता था और अब अपनी बीवी से इसका बदला लेना चाहता था।
एक दिन मुझे वो मौका भी मिल गया।
उस दिन मैं मार्केट में कुछ सामान लेने के लिए गया हुआ था।
सामने से मेरे दोस्त यादव जी से टकरा गया।
यादव जी किसी पहलवान से कम नहीं थे।
जब हम किराये पर रहते थे तो उस समय भी यादव जी का मेरी बीवी के साथ कुछ चक्कर था लेकिन मैं विश्वास नहीं करता था।
तो यादव जी ने उस दिन बड़ी ही गर्मजोशी के साथ मुझसे हाथ मिलाया और पूछा- मैडम कैसी है?
मैं बोला- आप खुद ही चलकर देख लीजिए।
यह सुनकर यादव जी की नजरों में एक चमक सी आ गई।
बोले- चलो ठीक है, बहुत दिन हो गए। भाभीजी के हाथ की चाय भी पी लेंगे इसी बहाने!
मन ही मन मैंने सोचा कि चलो आज अपना शक भी दूर कर लूंगा और बात सही निकली तो बीवी की चूत की आग भी ठंडी हो जाएगी।
जब हम घर पहुँचे तो यादव जी को देख कर मेरी बीवी की आँखों मे अजीब सी चमक दिखी और चेहरे पर खुशी व गालों पर लाली छा गई।
वह यादव जी की आवभगत में लग गई, चाय-नाश्ता बनाने लगी।
मैंने नोटिस किया कि यादव जी भी मेरी बीवी के गदराए बदन को ललचाई नजरों से देख रहे थे।
उधर मेरी बीवी इतनी खुश थी कि क्या बताऊं।
मैं मन ही मन प्लान बना रहा था कि कैसे अपना शक मिटाऊं।
फिर मैंने अपनी बीवी से कहा- मुझको एक काम याद आ गया है, और मैं एक-दो घंटे में आता हूं।
वह बोली- ठीक है, जल्दी आना।
फिर मैं रूम से निकल गया और बालकनी से चढ़कर बेडरूम की खिड़की के पीछे छुप गया।
मैंने पहले ही खिड़की के पर्दे कोने की तरफ से हल्के से खिसका दिये थे ताकि साइड से बेडरूम का नजारा साफ साफ दिखे।
थोड़ी देर के बाद मैंने देखा कि मेरी बीवी रूम में आई और पीछे-पीछे यादव जी भी आ गए।
उन्होंने आते ही जोर से मेरी बीवी को पीछे से अपनी बांहों में जकड़ लिया और अपना लंड उसकी गांड में सटा दिया।
वे उसको पीछे से गर्दन और कंधों पर बेतहाशा चूमने लगे।
फिर दोनों हाथ आगे लाते हुए उसकी चूचियों को भींचने लगे।
चूचियां दबते ही मेरी बीवी ने पलटकर यादव जी को देखा और उसकी बांहों में खुद को समर्पित कर दिया।
वह मेरे मित्र की आंखों में देखते हुए बोली- आज याद आई आपको मेरी? मैं वो चुदाई कभी नहीं भूल सकती।
दोस्तो, उसकी ये बातें सुनकर मुझे भी विश्वास हो गया कि उस वक्त मेरा शक बिल्कुल सही था।
खैर, मैं भी देखना चाहता था कि यादवजी कितने बड़े मर्द हैं।
वे मेरी बीवी को उठाकर बेड पर ले गए और उस पर सांड की तरह टूट पड़े।
मेरी बीवी के होंठों में होंठ घुसाकर वो उसको चूसने लगे।
उधर मेरी पत्नी भी उनका पूरा साथ दे रही थी।
फिर यादव जी ने उसके कपड़े उतारे।
अब वह मादरजात एकदम नंगी होकर बेड पर पड़ी थी और यादव जी उसका अंग अंग चूम-चूस रहे थे।
वह बिन पानी मछली की तरह तड़प रही थी।
जब यादव जी चूमते चूमते उसकी चूत के पास आये तो मेरी बीवी ने अपनी दोनों टांगों को फैला दिया।
अब यादव जी अपना हाथ मेरी बीवी की चूत के पास ले जाकर सहलाने लगे।
मेरी बीवी आह-आह करने लगी और यादव जी का सिर अपनी चूत की तरफ दबाने लगी।
लेकिन यादव जी उसकी चूत को सहलाते रहे।
इतने में मेरी बीवी की चिपचिपी चूत से एकदम पानी की धार बहने लगी।
यादव जी ने अपना सिर मेरी बीवी की चूत की तरफ लाते हुए मुंह उससे सटा दिया।
चप-चप … मच-मच … करते हुए वे सारा पानी पी गए।
यादव जी के होंठ मेरी बीवी की चूत पर लगे थे और वो लगातार आहें भर रही थी।
वह सरकती हुई यादव जी की पैंट के पास हाथ ले गई और उसमें हाथ डालकर लंड को पकड़ने लगी।
वो तेजी से लंड को सहलाने लगी।
मेरे मित्र ने जल्दी से अपनी पैंट उतार फेंकी और लंड नंगा कर लिया।
उनका लंड लंबा और कुछ ज्यादा मोटा था।
इतना मूसल लौड़ा देखकर मुझे भी समझ आ गया कि इस बहन की लौड़ी (मेरी बीवी) को मेरा लंड पसंद क्यों नहीं था।
मेरा लंड तो यादव जी के लंड से आधा भी नहीं था।
मेरे दोस्त का लंड देखकर मेरी बीवी ललचाई नजरों से उसे निहारने लगी।
फिर उसने लंड पकड़ कर उसे अपनी तरफ खींच लिया।
यादव जी ने अपना लंड सीधे मेरी बीवी के मुंह में दे दिया।
वह लंड को आधा घुसाकर धक्के लगाने लगा।
मेरी चुदक्कड़ बीवी बड़े ही प्यार से ही उनके लंड को चूसने लगी।
कुछ देर तक उसने बड़े ही मस्त तरीके से लंड को चूसा।
यादव जी की आहें निकल रही थीं- आह्ह … ओह्ह … चूसो रानी … आह्ह चूसो मेरा लौड़ा।
मेरी बीवी भी लंड को होंठों का मजा देने में कोई कसर नहीं छोड़ रही थी।
अब यादव जी का लंड मेरी बीवी की चूत से दूरी बर्दाश्त न कर पा रहा था।
यादव जी ने मेरी पत्नी की दोनों टांगों को फैला दिया, फिर धक्का देकर पूरा लंड चूत में घुसेड़ दिया।
लौड़ा चूत में देकर उन्होंने दोनों हाथों से उसके बदन को जकड़ लिया और जोर जोर से चोदने लगे।
मेरी बीवी की चीखें निकलने लगीं- आह्ह … मर गईईई … उईईई … मम्मी … आईईई आ आआराम से … आह्ह आईई!
बीवी दर्द से मरी जा रही थी.
लेकिन यादव जी ने तो जैसे उसकी चूत को फाड़ने का मन बना लिया था।
मेरी बीवी की चूत की दीवारें हर धक्के के साथ चरमरा जाती थीं।
लेकिन साथ ही मेरे मित्र का मूसल लंड लेकर वो दर्द में भी एक आनंद सा पा रही थी।
कुछ देर जब उसे चुदते हुए हो गई तो उसकी चूत का दर्द जैसे गायब सा हो गया और वह अब मदहोशी की ओर बढ़ने लगी।
उसने दोनों टांगें यादव जी की कमर पर लपेट लीं और चूत उठा उठाकर चुदने लगी।
10 मिनट की चुदाई में ही मेरी बीवी की चूत ने दोबारा पानी फेंक दिया।
अब पच-पच की आवाजें कमरे में फैल गईं।
यादव जी ने अब उसे घोड़ी स्टाइल में आने को कहा जो कि लगभग हर मर्द का पसंदीदा स्टाइल होता है।
मुझे लगा था अब वो मेरी बीवी को घोड़ी बनाकर चूत में फिर से पेलेंगे … लेकिन हुआ कुछ और ही!
यादव जी ने बीवी की गांड पर लंड का सुपाड़ा चुपड़ना शुरू कर दिया।
मेरी रंडी बीवी को कोई आपत्ति भी नहीं लग रही थी।
वह आराम से गांड के छेद पर लंड रगड़वाने का मजा ले रही थी।
लेकिन उसका मजा एकदम से सजा में बदल गया जब यादव जी ने अचानक ही एक जोर के झटके से लंड का मोटा सुपारा उसकी गांड में घुसेड़ दिया।
वह चिल्लाई- आई ईईईई आआ आआह मम्मी … फाड़ दिया गांड को हरामी! आईई ईआह्ह हाय रे … कर्म जले … इतनी जोर से घुसेड़ा जाता है क्या! उफ्फ आह्ह मेरी गांड … फट गई बिल्कुल … आह्ह!
लेकिन यादव जी पर मेरी बीवी की इन शिकायतों का कई असर ही नहीं हुआ।
उन्होंने एक और जोर का धक्का मारा और आधा लंड मेरी बीवी के छोटे से गांड के छेद में घुसाकर ही दम लिया।
पूरा लंड जाना तो संभव भी नहीं था … छेद बहुत ही छोटा था उसका!
अब वह धीरे-धीरे लंड को आगे पीछे धकेलने लगे।
लंड अंदर बाहर तो नहीं हो रहा था लेकिन हल्का फुल्का सरक कर चुदाई का मजा दे रहा था।
मेरी बीवी की हालत खराब थी।
वह दर्द से कराह रही थी और लंड को बाहर निकालने की मिन्नतें कर रही थी।
लेकिन मर्द को जब इतनी टाइट गांड चोदने को मिल जाए तो भला लौड़े को कोई बाहर क्यों निकाले।
यादव जी ने अब गांड चुदाई तेजी से शुरू कर दी।
कुछ देर में बीवी को भी मजा आने लगा … वह भी चुदने लगी मजे लेकर!
अब उसकी कराहटें सिसकारियों में बदलने लगीं- आह्ह … आह्ह … मेरे राजा … तुम तो गांड चोदने में भी पूरा मजा देते हो … ओह्ह … आह्ह करो … और तेज!
यादव जी- हां मेरी रानी, पहले तेरी गांड चुदाई करने की बहुत इच्छा हुई लेकिन सही से मौका तो आज ही दिया है तूने। मेरी रंडी रानी … तेरी चूत और गांड को आज अच्छी तरह से खोलकर जाऊंगा। चिंता मत कर!
मेरी रांड बीवी की गांड चुदाई का कार्यक्रम आधे घंटे तक चला।
फिर यादव जी उस खुल चुके छेद में ही खाली हो गए।
दोनों बहुत जोर से हांफ रहे थे।
मेरी बीवी ने यादव जी का लंड चूस चूसकर साफ कर दिया।
फिर वे कुछ देर लेटे रहे।
उसके बाद जब बीवी उठकर चलने लगी तो उससे चला नहीं गया।
उसने मशक्कत करके अपने कपड़े पहने।
बाथरूम से आकर फिर दोनों बातें करने लगे।
मेरी बीवी बोली- एक राउंड और कर सकते हैं क्या?
मैं हैरान था कि यह रंडी इतने मोटे लंड से 1 घंटा चुदी है, फिर भी और लंड मांग रही है!
यादव जी बोले- ठीक है, जैसा तुम कहो।
यादव जी का लंड हाथ में लेकर वो प्यार से सहलाने लगी।
लेकिन अभी लंड में तनाव नहीं था।
कुछ देर सहलाने के बाद वो फिर से उनके लंड को चूसने लगी।
जब तक उनका लौड़ा पूरा तन नहीं गया, बीवी ने लंड को मुंह से एक पल के लिए भी बाहर नहीं निकाला।
लग रहा था कि यादव जी का लंड उसे कुछ ज्यादा ही पसंद था।
यादव जी ने मेरी बीवी को फिर से बेड पर पटक दिया और नंगी करके उसकी चूत पर मुंह लगा दिया।
काफी देर तक चूत चूसी और फिर दोनों हाथों से टांगों को फैलाते हुए यादव ने लौड़ा उसकी चूत में पेल दिया।
सांड की तरह वो मेरी बीवी की चूत चोदने लगे।
लग रहा था कि चूत के चिथड़े ही कर देंगे आज!
एक घंटे तक जमकर चुदाई की और मेरी बीवी दो बार झड़ी।
अब मेरी बीवी और लंड नहीं ले सकती थी।
वह हाथ जोड़ने लगी।
यादव जी को तरस आया और उन्होंने लंड को चूत से निकाल लिया।
फिर उससे कहा कि दोनों चूचों को दोनों हाथों से पास ले आए।
उसने वैसा ही किया।
यादव जी ने लौड़ा चूचियों की घाटी के बीच में फंसाया और बीवी ने बिना कहे ही दोनों ओर से चूचों के बीच में लंड को जकड़ लिया।
वे चूचियों की घाटी में लंड को फंसाए हुए आगे पीछे करने लगे।
मेरी चुदक्कड़ बीवी को भी मजा आ रहा था और यादव जी भी वहशीपन में उसके होंठों तक लंड के धक्के पहुंचा रहे थे।
फिर 2 मिनट बाद यादव जी के लंड ने ढेर सारा लावा फेंक दिया जो मेरी बीवी के मुंह पर फैल गया।
वह रांड की तरह उसे जीभ से चाट गई।
जहां जीभ नहीं पहुंची, वहां यादव जी ने हाथों की उंगली का प्रयोग करते हुए वीर्य मेरी बीवी को चटवा दिया।
फिर वह लंगड़ाती हुई बाथरूम में घुस गई।
वह हाथ-मुंह धोकर बाहर निकली।
ऐसा लग रहा था जैसे पहाड़ चढ़कर आई हो।
उसके चाल-ढाल बेहद ढीले हो चुके थे।
लेकिन चेहरे पर अलग ही संतुष्टि थी।
फिर दोनों ने अपने कपड़े पहने और बाहर आ गए।
कुछ देर के बाद मैं भी घर में अंदर चला गया और ऐसे बर्ताव किया जैसे न मैंने कुछ देखा और न ही मुझे कुछ पता।
लेकिन मैं समझ गया कि मेरी बीवी की चूत की प्यास यादव जी जैसे चोदू मर्द के लौड़े से ही बुझ सकती है।
तो दोस्तो, यह थी मेरी बीवी की चुदाई की कहानी जो मैंने अपनी आंखों से देखी थी।
आपको यह कहानी कैसी लगी मुझे जरूर बताइयेगा।
जल्द ही अगली कहानी के साथ आप से मुलाकात होगी।
धन्यवाद।
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लेखक की पिछली कहानी थी: मैंने अपनी बीवी को नीग्रो से चुदवाया