शर्मीली पत्नी की गैर मर्द का लंड दिलाया- 1

गुड वाइफ X कहानी में मैं अपनी बीवी को गैर मर्द से चुदवा चुका था. पर एक बार फिर मेरे दिल में कुकोल्ड बनाने की चाह जागी. मैं अपनी बीवी के लिए जानदार लंड की तलाश शुरू कर दी.

दोस्तो, आपने मेरी पहली सेक्स कहानी
शर्मीली पत्नी की गैर मर्द से चुदवाया- 3
पढ़ी होगी कि कैसे मैंने अपनी मासूम सी दिखने वाली पत्नी को, जो अपनी नाज़ुक अदाओं से भरी थी, एक गैर मर्द के साथ जिस्मानी ताल्लुकात के लिए तैयार किया और फिर उसे उसकी गोद में लेटाकर चुदवा भी दिया।

अब उससे आगे गुड वाइफ X कहानी:

उस रात के बाद मुझे एक रास्ता साफ दिख गया था कि आशा अब खुद भी किसी से चुदने में ना-नुकुर तो ज़रूर करेगी, पर उसकी नर्म चूत आखिरकार किसी न किसी के आगे झुक ही जाएगी।

मैं यह भी समझ चुका था कि अगर कोई हमारे घर तक आ ही जाए, तो देर-सबेर आशा का चुद जाना तो पक्का है।

अपनी फर्जी आईडी से मैं लगातार उन मर्दों के संपर्क में था, जिनके पास तगड़े, मोटे लंड थे, जो किसी भी औरत को बेकाबू कर दें।

महीने भर की गर्मागर्म चैट के बाद मेरी नज़र मुंबई के एक शख्स पर टिक गई।
उसने अपनी आईडी ‘अनिरूद्ध’ नाम से बना रखी थी।
उम्र होगी कोई 38-40 साल।

कई दिनों की चैट के बाद हम दोनों एक-दूसरे के सामने काफी खुल चुके थे, मानो कोई पुराना जिस्मानी रिश्ता हो।

फिर मैंने उससे कहा- यार, अपना वह हथियार तो दिखा दे। बिना औज़ार देखे कैसे यकीन करूं कि तू मेरी आशा को संभाल पाएगा?

मैं आशा को उसका लंड नहीं दिखा सकता था वरना वह अपनी आदत के मुताबिक नखरे करने लगती, पर मैं खुद उसकी मर्दानगी को अपनी आंखों से नापना चाहता था।

अनिरूद्ध ने अपने लंड की 2-3 फोटो शेयर की।
उसका मोटा, लंबा और सख्त लंड इस कदर फनफना रहा था मानो किसी भी औरत की चूत को फाड़ने के लिए तैयार हो।

मैंने उसकी गहरी ख्वाहिशें जानने के लिए पूछा- तुम्हें औरत कैसी पसंद है? धार्मिक प्रवृत्ति की या आज़ाद ख्याल वाली?
वह बोला- धार्मिक.

मैंने पूछा- साड़ी वाली या मॉडर्न ड्रेस वाली?
वह बोला- साड़ी-ब्लाउज़ वाली, जो उसके बदन से चिपक कर हर कटाव को उभारे.

इसी के साथ में उसने एक आंख मारने वाली इमोजी भेज दी।

खैर … फिर वह दिन आ ही गया जब अनिरूद्ध अपने बिज़नेस टूर पर दिल्ली पहुंचा।
मैंने उसे गाइड करते हुए अपने शहर तक बुला लिया। समय ऐसा चुना कि आशा को कुछ सोचने का मौका ही न मिले।

रात के दस बजे वह हमारे शहर पहुंच गया।
योजना के मुताबिक उसने बस स्टेशन से मुझे कॉल किया।
मैंने जानबूझकर फोन का स्पीकर ऑन कर दिया।

मैं बोला- हैलो, कौन?
वह बोला- अरे राकेश, पहचाना नहीं? अनिरूद्ध बोल रहा हूं। यार, किसी पुराने दोस्त से तेरा नंबर लिया। कमाल है, तू तो कभी याद ही नहीं करता!

उसकी आवाज़ में वह चालाकी थी, जो आशा के कानों तक पहुंचकर उसे बेचैन करने वाली थी।
मैंने कहा- ओह अनिरूद्ध, भोसड़ी के, कहां गायब हो गया था तू आजकल? साला, मुझे तो भूल ही गया!

योजना के मुताबिक हम दोनों ऐसे बात कर रहे थे, जैसे उस तरह वाले जिगरी दोस्त हों … जिनके बीच कोई पर्दा न हो।
गाली सुनते ही आशा का जो थोड़ा-बहुत संकोच था, वह हवा हो गया।

वह अब चुदने की संभावना को भांपते हुए, अपनी नशीली आंखों से सब कुछ सुन रही थी, मानो उसकी चूत में पहले से ही कोई गुदगुदी शुरू हो गई हो।
अनिरूद्ध बोला- अरे, तू तो रोहतक में है न यार? सोचा, चल तुझसे बात ही कर लूं। अकेला ही तो है न, वाइफ तो गांव में होगी। चल, तेरे घर ही आ जाता हूं। व्हिस्की की बोतल ले रखी है मैंने, रात को मज़े करेंगे.

मैंने आशा के सामने जानबूझ कर हड़बड़ाते हुए कहा- अरे नहीं, वाइफ तो साथ ही है … साल भर से!
‘ओह यार, चल कोई बात नहीं. अब तू यहां का कोई ढंग का होटल बता.’

आशा को उस पर थोड़ी सी हमदर्दी जगी, वह बोली- इतना खास दोस्त है तो घर पर ही बुला लो। इतनी रात को अनजान जगह में होटल कहां ढूंढेगा बेचारा?
मैंने आशा को समझाया- छोड़ यार, दारूबाज़ है साला! होटल में ही रहने दे.

आशा ने नर्म लहजे में कहा- दोस्त है तो ऐसा करना ठीक नहीं। तुम्हारे भरोसे ही तो उसने फोन किया होगा.
मैंने फिर अनिरूद्ध को फोन मिलाया- तू ऐसा कर, होटल-वोटल छोड़, इधर घर ही आ जा.

वह बोला- अरे यार, पर भाभी जी?
मैंने हंसते हुए कहा- क्या हुआ, कौन सा तुझे चबा जाएगी भोसड़ी के? उससे क्या खतरा तुझे?

आशा मुझे घूर रही थी, पर उसने मेरी बात को हल्के में ले लिया।
मैंने अनिरूद्ध को लोकेशन भेज दी।

इस बीच मैंने आशा से कहा- यार, दोस्त पहली बार आ रहा है। थोड़ा इम्प्रेशन जमना चाहिए उस पर। उसे लगे कि साले को क्या हसीन बीवी मिली है.
वह बोली- ठीक तो हूं मैं!
मैंने कहा- फिर भी, थोड़ा सा और सज-संवर ले!

आशा बिना कुछ कहे दूसरे कमरे में चली गई।

कुछ मिनट बाद जब लौटी, तो उसने लाल रंग की नई साड़ी पहन रखी थी जो उसके गोरे बदन पर आग की तरह चमक रही थी।

हल्का मेकअप उसकी आंखों को और कातिलाना बना रहा था। मुझे चूड़ियों और पायल की खनक हमेशा से पसंद थी, सो वह पहले से ही पहनती थी.
पर इस बार उसने हाथों में चूड़ियों की संख्या 4-5 से बढ़ाकर 7-8 कर दी थी।
हर कदम पर उनकी तेज़ छन-छन से कमरा महक उठा था।

दस मिनट बाद अनिरूद्ध ने दरवाजे पर दस्तक दी।
आशा जल्दी से अपने कमरे में चली गई, मानो अपनी शर्म को छुपा रही हो।

मैं अनिरूद्ध को ड्राइंग रूम में ले आया।
औपचारिक बातों के बाद हम सोफे पर बैठ गए।

तभी आशा हाथ में पानी की ट्रे लिए आई, उसकी साड़ी का पल्लू हल्का सा सरक रहा था, जिससे उसकी कमर की नर्म लचक साफ झलक रही थी।
दोनों में औपचारिक नमस्ते हुआ।

फिर आशा बोली- आप लोग फ्रेश हो जाओ, मैं खाना लगा देती हूं। भूख लगी होगी आपको, रात काफी हो गई है.

अनिरूद्ध बोला- भाभी जी, तकलीफ मत करो। बस 2 रोटी लूंगा, बाकी मैं पैक करा लाया हूं.
आशा ने तंज कसा- इनको दोस्त कहते हो और खाना पैक करा के लाए हो? ये क्या बात हुई?

अनिरूद्ध बोला- ऐसी बात नहीं भाभी जी, बस मुझे थोड़ा तीखा-मसालेदार खाना पसंद है.

आशा किचन में चली गई।
अनिरूद्ध बोला- यार, बोतल लाया हूं, कैसे लें?

मैंने कहा- अभी आशा किचन में है। खाना आने में 15-20 मिनट तो लगेंगे। तब तक 2-2 पैग मार लेते हैं.
मैं उठ कर गया और फ्रिज से ठंडा पानी और कोल्ड ड्रिंक की बोतल ले आया। गिलास टेबल पर पहले से रखे थे।

हम दोनों आराम से पैग लेते हुए बात करने लगे।
वह बोला- कुछ हिंट दिया आशा को?

मैंने कहा- नहीं यार, हिम्मत नहीं हुई। पर तेरा काम हो जाएगा, कुछ न कुछ जुगाड़ निकाल लूंगा.
वह बोला- यार, मेरा तो मन मचल गया आशा को देखते ही। खुदा कसम, ऐसी ही औरत चाहिए मुझे … शरीफ दिखती है, शर्माती है, पर अन्दर से सेक्स की आग लिए घूम रही होगी.

हमने दूसरा पैग बनाया, तभी आशा खाना लेकर आ गई।

मुझे दारू पीते देख गुस्से से घूरने लगी।
वह बोली- आप भी न, रोज़ तो पीते ही हो। आज दोस्त के सामने न भी लेते तो क्या बिगड़ जाता?

अनिरूद्ध बोला- सॉरी भाभी जी, आज मेरे कहने पर ये साथ दे रहा है। वैसे मैं भी किसी के साथ नहीं पीता, अकेले ही मज़ा लेता हूं। शायद ये भी अकेले ही लेता है। पर भाभी, कभी-कभी साथ में भी लेना चाहिए.
शराब का न/शा अनिरूद्ध पर चढ़ रहा था और वह अब डबल मीनिंग में बात करने लगा।

फिर बोला- प्लीज़ भाभी, आज आप भी दे दो … साथ में!
आशा हंसती हुई बोली- मैं थोड़ी पीती हूं। बस एक-दो बार इन्होंने जबरदस्ती पिला दी थी.

उसकी हंसी में एक शरारत थी, जो कमरे में गर्मी बढ़ा रही थी।
इस बीच अनिरूद्ध ने आशा के लिए एक पैग तैयार कर दिया था, मानो उसकी नशीली आंखों को और मदहोश करने की साजिश रच रहा हो।

आशा ने नखरे से कहा- रख दीजिए टेबल पर ही, ले लूंगी मैं!
हम दोनों फिर से अपने पैग की चुस्कियां लेने लगे।

कुछ देर बाद आशा ने चुपके से अपना गिलास उठाया और एक ही सांस में पूरा पैग गटक लिया, फिर होंठ सिकोड़कर ऐसा मुँह बनाया जैसे उसकी नर्म जीभ पर न/शे की आग लग गई हो।

इसके बाद वह अनिरूद्ध से इधर-उधर की बातें करने लगी।
उसके घर की, नौकरी की, मानो उसकी गहरी आवाज़ को अपने कानों से चूम रही हो।

बातों ही बातों में अनिरूद्ध ने एक और स्ट्रांग पैग बनाया और चुपचाप टेबल पर रख दिया.
फिर अचानक से बोला- अरे भाभी, आपने तो लिया ही नहीं अभी तक। लीजिए ना!

आशा ने कहा- नहीं लिया? लिया तो था. यह कह कर उसने अपना गिलास उठाया और किचन में चली गई।
पाँच मिनट बाद जब वह लौटी, मुझे अहसास हो गया कि उसने वह स्ट्रांग पैग भी एक झटके में पी लिया था, वरना वह वापस न आती।

उसके कपड़े अब थोड़े ढीले-ढाले हो गए थे. साड़ी का पल्लू हल्का सा सरका हुआ, जिससे उसकी गोरी कमर की लचक और नाभि की गहराई साफ झलक रही थी।
वह कुर्सी पर बैठ गई और फिर से बातें शुरू कर दीं।

आशा बोली- आपने नाम नहीं बताया अभी तक!
अचानक मैंने अनिरूद्ध को आंखों से इशारा किया।

वह समझ गया और बोला- भाभी, मैं अनिरूद्ध शर्मा.

आशा बोली- ओह, हम भी तो शर्मा ही हैं। इस हिसाब से आप मेरे भाई हुए.
मैं चौंक गया और थोड़ा मायूस हो गया.

लेकिन अनिरूद्ध के चेहरे पर एक अजीब सी चमक आ गई, मानो उसे कोई नया खेल सूझ गया हो।

हम सब खाना खाने लगे।
अनिरूद्ध ने अपना पैग बनाया और थाली में रख लिया।

आशा डगमगाते कदमों से अपने कमरे में चली गई।

इस बीच हमने तीसरा पैग भी गटक लिया। अब अनिरूद्ध और मैं खुलकर सेक्स की बातें करने लगे।

वह बोला- यार आशा माल तो मस्त है, पर देगी कि नहीं, ये पक्का नहीं लग रहा! आशा के हाव-भाव से कुछ समझ नहीं आ रहा.
मैंने कहा- देख भाई, तुझे बुलाया है तो पूरी कोशिश करूंगा कि आशा तेरे लौड़े से चुद जाए।

‘हां अब तो मुझे हर हाल में चूत चाहिए.’
वह मजाक में अपनी दिल की बात कह रहा था। न/शा अब उस पर हावी हो गया था।

वह आगे बोला- यार, उसके रसीले होंठों को आज जूठा करना है.
मैंने कहा- चल ठीक है, तू बेड पर आराम कर। तब तक मैं आशा को पटाने की कोशिश करता हूं.

मैं आशा के कमरे में गया। वह बिस्तर पर लेटी थी।
वह बोली- सुला दिया उसको? आप भी आ जाओ अब!

मैंने कहा- ठीक है, सोता हूं अभी.
मैं आशा के बिस्तर पर बैठ गया, पर लेटा नहीं।

वह बोली- क्या हुआ?
मैंने कहा- देखकर आता हूं, वह ठीक से सोया या नहीं!

ऐसा मैंने 4-5 बार किया।
आशा बोली- क्या हुआ? क्यों चक्कर लगा रहे हो?

मैंने थोड़ा झल्लाकर कहा- कुछ नहीं, सो जाओ.

आशा ऐसी औरत है जो मेरी हर परेशानी भांप लेती है।
वह गुस्से में बोली- मुझे पता है क्यों परेशान हो!

मैंने नकली गुस्सा छोड़कर मुस्कुराते हुए कहा- पता है तो क्यों पूछ रही है?
फिर जोर से आशा को चूम लिया।

आशा बोली- ज्यादा प्यार मत दिखाओ, आप सुधरोगे नहीं कभी.
मैंने पूछा- पक्का न?
आशा बनावटी गुस्से में बोली- दारू चल रही थी न, समझ गई थी मैं!

मैंने उसे पटाने के लिए फिर चूमा और बोला- प्लीज़ यार, मेरे लिए!
वह बोली- तुम्हारे लिए तो करती हूं, मुझे कोई शौक नहीं.

मैं हंस दिया.
आशा बोली- वह भी ऐसा आदमी है क्या? पता है उसको?

उसका मतलब था कि क्या वह भी चूत का शौकीन है।

मैंने हंसते हुए कहा- वह तो आया ही तेरी चूत मारने के लिए है.

आशा ने हल्का सा मुक्का मेरी पीठ पर मारा और बोली- बोल रही हूं, लास्ट बार है बस!
मैं उसकी मासूमियत पर फिदा हो गया और उसे चूमते हुए उसकी एक चूची को जोर से दबा दिया।

आशा ने पूछा- मुझे कुछ पता, कैसा है, क्या चाहता है? ऐसे कैसे होगा यार?
मैंने उसकी चूची सहलाते हुए जवाब दिया- सब हो जाएगा यार, डरो मत। अच्छा आदमी है। सीधी-सादी और धार्मिक टाइप की औरतें उसे ज्यादा पसंद हैं.

मैंने आशा के पेटीकोट में हाथ डालकर उसकी चूत को सहलाना शुरू कर दिया ताकि वह गर्म हो जाए।
वह बोली- चल ठीक है, मैं बोलती हूं उसको!

मैं अनिरूद्ध के पास जाने लगा तो आशा बोली- दस मिनट बाद बोलना। और हां, मैं अंधेरा रखूंगी। गैर मर्द के साथ लाइट में मुझे बुरा लगता है.

मैं अनिरूद्ध के कमरे में गया, वह सोया हुआ था।

मैंने बची हुई बोतल से फटाफट एक पैग बनाया और आशा के कमरे में ले जाकर उसे दे दिया।

वह बोली- आज कुछ ज्यादा ही हो गई है.
मैंने कहा- कभी-कभी चलता है यार!

गिलास रखकर मैं फिर अनिरूद्ध के रूम में चला गया।

मैंने अनिरूद्ध को जगाया और कहा- उठ भाई, सैट तो कर दी है, पर अब मामला तेरे हाथ में है। देख, कैसे हैंडल करता है!
वह बोला- चिंता मत कर, भाई। बीवी से भी ज्यादा प्यार दूंगा उसको, ऐसा रगड़ूंगा कि वह मचल उठे.

मैं फिर से आशा के पास आया और बोला- तैयार है?
वह नशीली आवाज़ में बोली- ठीक है, पर लाइट बंद कर दे.

मैंने देखा कि उसने व्हिस्की का पूरा पैग गटक लिया था।
न/शे में डूबी आशा अब मज़े की भूखी थी, पर मुझे ये जताना नहीं चाहती थी कि उसकी चूत भी किसी गैर मर्द के लिए तड़प रही है।

मैंने तय कर लिया था कि आज मैं उसकी चुदाई का तमाशा देख और सुनकर ही मज़ा लूंगा।

मेरे रहते आशा कभी भी चोदने वाले का खुलकर साथ नहीं देगी।
न/शे ने अब उसे जकड़ लिया था।

वह डगमगाते कदमों से डबल बेड पर लेट गई, उसकी साड़ी अस्त-व्यस्त होकर उसके गोरे बदन को और नंगा कर रही थी।

मैंने जानबूझकर कहा- ज्यादा कुछ करने की ज़रूरत नहीं। आराम से जितना हो, कर लेना। मुझे बहुत न/शा हो गया है, मैं सोने जा रहा हूं। बीच में मत जगाना.
ये सब मैंने इसलिए कहा ताकि आशा को यकीन हो जाए कि मैं उसकी चुदाई नहीं देख रहा और वह अपनी चूत को खुलकर मरवाने दे।

वह लड़खड़ाती आवाज़ में बोली- इतना क्यों पी ली फिर?
मैंने लाइट बंद कर घुप्प अंधेरा कर दिया।

मैंने सिर्फ यह कहा कि मैं उसको भेजता हूँ, कर ले मजा!

दोस्तो, मेरी गुड वाइफ X लौड़े से चुदने के लिए रेडी थी.

आपको गुड वाइफ X कहानी कैसी लग रही है, प्लीज अपने विचार जरूर बताएं.
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गुड वाइफ X कहानी का अगला भाग: शर्मीली पत्नी की गैर मर्द का लंड दिलाया- 2