गर्ल गर्ल लव स्टोरी में मैं जवान हुई तो मेरी रूचि लड़कों में ना होकर लड़कियों की चूचियों में थी. रसीली मोटी चूचियां देख मेरी चूत गीली हो जाती थी.
दोस्तो, यह सेक्स कहानी गे व लेस्बियन की जुगलबंदी पर आधारित एक सत्य घटना पर आधारित है.
मेरा नाम शाहीना है, मैं 21 साल की हूँ पर मैं लेस्बियन लड़की हूँ.
एक लेस्बियन लड़की होने के कारण मेरी जिंदगी आसान नहीं थी.
फिर मैंने बहुत सोचा और अपनी जिंदगी में लंड के स्थान पर चुत और चूची की जरूरत ज्यादा महसूस की.
वैसे तो हम लोगों में शादी जल्दी कर देते हैं पर मैंने अपनी पढ़ाई का बहाना बना कर अपने अब्बू अम्मी को मनाया और उन्होंने अपनी इकलौती बेटी यानि मुझको खूब पढ़ने की हिदायत देकर दिल्ली भेज दिया.
मेरे अब्बू सरकारी नौकरी में हैं तो वे पढ़ाई की अहमियत जानते हैं.
मैंने जब से होश संभाला, मुझे सेक्स में कोई खास रुचि नहीं थी.
मुझे माहवारी होने लगी, पर मेरे दिल में लड़का और उसके लंड का ख्याल कभी नहीं आया.
फिर जब मैंने अपनी चूचियों को बड़ी होती हुई देखा तो मेरा ध्यान अपने साथ पढ़ने वाली लड़कियों पर गया.
मैं उन लड़कियों की मोटी और रसदार चूचियों को देख कर मस्त हो जाती थी.
सच मेरी दोनों टांगों के बीच से रस टपकने लगता था और चुत पर हाथ फेरने में बड़ा ही सुकून मिलता था.
मुझे गर्ल गर्ल लव अच्छा लगता था.
इंटर कॉलेज में मेरी एक सहेली ताहिरा थी, जिसके साथ मेरी अच्छी बनती थी.
मैं ताहिरा के साथ रात में पढ़ाई भी करती थी.
अब मैंने ताहिरा को अपनी प्यास भड़काने का जरिया बनाया.
मैं ताहिरा को पीछे से पकड़ लेती और उसकी 32 साइज़ की छोटी चूचियों को दबा कर मजा लेती.
उसको दर्द होता तो वह नाराज हो जाती.
पर मैं उसके चेहरे पर चुम्मा देकर उससे बोल देती- ताहिरा, तू तो मेरी जान है, अब तेरे साथ मस्ती नहीं करूंगी तो किसके साथ करूंगी!
फिर ताहिरा भी मान जाती.
वैसे भी मैं उसको पैसे और किताबों से बहुत मदद करती थी.
ऐसे ही हमारी मस्ती होने लगी थी.
फिर मैं ताहिरा के साथ आगे बढ़ने की कोशिश करने लगी.
पर उसकी तरफ से सपोर्ट नहीं मिलता था तो मैं ज्यादा कुछ नहीं कर पाती.
एक बार ताहिरा को माहवारी हो रही थी तो वह कॉलेज नहीं गयी और मेरे घर पर पढ़ाई करने भी नहीं आयी.
पर मेरा दिल तो उसकी चूचियों पर अटक गया था.
मैं ताहिरा से मिलने गयी तो वह अपने कमरे में सोई हुई थी.
उसके घर में काफी लोग थे तो वहां से मैं निराश होकर वापस आ गई और शाम तक परेशान रही कि क्या करूं, कैसे करूं!
रात को ताहिरा ने मुझे सरप्राइज दे दिया.
वह खुद मेरे घर पर आ गई.
मैं उसको देख कर ऐसे बहुत खुश हुई जैसे सालों की तड़प और इंतज़ार खत्म हो गया हो.
मैं उसको अपने कमरे में ले गई और बोली- ताहिरा, तुम तो मना कर रही थी कि आज नहीं आओगी!
ताहिरा- हां, पर मैं नहीं आती तो मेरी जान तुम्हारा क्या हाल होता?
ताहिरा को इतना मस्त अंदाज़ देख कर मेरा मुँह खुला रह गया.
मैंने ताहिरा के नजदीक जाकर उसको गले से लगाया और उसकी चूची को अपनी चूची से दबा दिया.
ताहिरा भी मस्ती में आ गई और मेरी गांड पर हाथ फेरने लगी.
मैंने भी उसकी कुर्ती उठा कर ब्रा को खोल दिया और कुर्ती के अन्दर नीचे से हाथ डाल कर उसकी ब्रा को ऊपर उठा दिया.
आह मेरी किस्मत … उसकी रसीली चूचियां, जिन्होंने मुझे पागल कर दिया था … वे अब मेरे हाथों में थीं.
मैं उनको दबा रही थी और ताहिरा की सिसकारियां निकल रही थीं.
मैंने मजे में जोर से दबाया तो ताहिरा की आवाज तेज हो गई और उसने मुझे बहुत कस कर अपनी बांहों में जकड़ लिया.
कुछ दर के लिए जैसे उसकी सांस रुक गई हो, फिर वह बेड पर गिर गई और लेट गई.
तभी अम्मी ने ज़ोर से आवाज लगा दी ‘क्या हुआ?’
तब मुझे होश आया कि इसकी तेज आवाज के कारण ऐसा हुआ है.
मैंने जवाब दिया- अरे कुछ नहीं अम्मी, वह ताहिरा को पीरियड्स हो रहे है तो इसके पेट में दर्द हो रहा है.
अम्मी बोलीं- ऐसे तो होता ही है, तुम दोनों आकर खाना खा लो.
पर ताहिरा से उठा नहीं गया.
उसने मुझसे कहा- मेरा खाना तुम यहीं पर ले आओ प्लीज!
मैं रसोई में गई और अपना और ताहिरा का खाना ले आई.
हम दोनों ने दरवाजा बंद करके नई शादी के बाद जैसे दूल्हा दुल्हन खाते हैं, वैसे ही एक दूसरे को निवाला खिला कर खाना खाया.
रात में ताहिरा मेरे साथ रुक गई तो मेरे दिमाग़ में ख्याल आया कि आज तो इसके पूरे जिस्म को देख कर ही मानूँगी और इसको अपनी रखैल बना कर पूरी लाइफ मजा लूंगी.
ताहिरा का रंग साँवला था और मैं गोरी थी.
पर मैं तो उसकी दीवानी हो गई थी.
पहले तो हमने 12 बजे तक पढ़ाई की, फिर ताहिरा सोने को बोलने लगी.
पर मैं थोड़ी देर और पढ़ना चाहती थी तो मैंने उसको सोने के लिए बोल दिया.
फिर कुछ देर बाद मैं भी थक गई तो ताहिरा के बराबर में लेट गई.
मुझे कुछ देर के बाद अहसास हुआ और मैं अपनी चूत का मूत निकालने के लिए वाशरूम में आ गई.
वहां जाकर जैसे ही मैंने अपनी सलवार को नीचे किया, तो मेरी पैंटी पर मुझे गीला सा लगा.
बस मेरा दिमाग़ दौड़ गया और मुझे याद आया कि जब ताहिरा का पानी निकला तो मुझे बहुत मस्त अहसास हुआ था.
मतलब उसी वक्त मेरा भी पानी टपक गया था.
अब फिर से मेरे दिमाग में ताहिरा के लिए हवस जाग गई.
मैंने वापस बिस्तर पर आकर देखा तो ताहिरा सोई हुई थी.
तब मैंने उसकी कुर्ती को पीछे से ऊपर किया तो उसकी सेक्सी कमर दिख गई.
मैंने उसकी सलवार को थोड़ा नीचे किया पर वह नाड़ा बांध कर सोई थी तो उसकी सलवार नीचे नहीं हुई.
उसी वक्त ताहिरा के जिस्म पर मेरा हाथ रगड़ गया और उसकी नींद खुल गई.
ताहिरा झटके से बैठ गई और मुझे देख कर मुस्कुरा दी- तुम्हें नींद नहीं आ रही है क्या?
मैं बोली- जब तेरी चूची दबाई थी, तो मेरा पानी टपक गया था और मेरी पैंटी गीली हो गई थी.
ताहिरा बोली- मेरी पैंटी में भी पानी आया था. मैंने तो धोकर विंडो पर सूखने डाल दी थी.
मैंने पूछा- ऐसा क्यों किया?
ताहिरा बोली- अरे यार, गीली पैंटी पहनने से इन्फेक्शन हो सकता है न! वैसे भी सुबह कॉलेज मुझे वही पैंटी पहन कर जाना है.
मैंने सामने विंडो पर देखा और उधर जाकर उसकी पैंटी को उठा कर अपने हाथ में ले लिया.
मैं उसकी पैंटी को उसको चूमने लगी.
ताहिरा बोली- ये कोई अवार्ड की ट्रॉफी नहीं है … क्या गंदा काम कर रही हो!
मैंने कहा- ताहिरा मेरी जान ये तेरी पैंटी मेरी सबसे प्यारी ट्रॉफी है. पहली बार मैंने चूत का पानी निकाला है, इस पैंटी को मैं हमेशा अपने पास रखूंगी.
ताहिरा बोली- तेरा पानी भी तो पहली बार आया है, वह पैंटी भी अपने पास रखना … याद करने के लिए हाहाहा!
मैंने उसकी बात सुनकर मैंने अपना आपा खो दिया और अपनी सलवार नीचे उतारकर अपनी पैंटी को जल्दी से उतारा और दोनों पैंटी को एक साथ पकड़ कर ताहिरा को दिखाती हुई बोली- ताहिरा, दोनों पैंटी पूरी जिंदगी मेरे साथ रहेंगी. मैं हमेशा इसको अपनी याददाश्त के लिए रखूंगी.
मैंने दोनों पैंटियों को बेड के साइड में रख दिया और मुझे पता ही नहीं चला कि मेरी सलवार कब मेरी टांगों में से नीचे गिर गई.
ताहिरा को मेरी नंगी टांगों को देखकर हंसी आ रही थी.
मैंने अपना कुर्ता भी उतार दिया.
ताहिरा को अपने साथ पूरी तरह से जोड़ने का ये अच्छा मौका था.
अब तो मैंने सिर्फ लाल ब्रा पहनी हुई थी.
ताहिरा मुझे ऐसे देखकर शर्मा गई.
मैंने भी मस्ती में आकर ताहिरा के कुर्ते को उठा दिया.
ताहिरा रानी ने भी मेरा साथ दिया और अब वह भी ब्रा और सलवार में रह गई थी.
मैं ब्रा के ऊपर से ही उसकी एक चूची को चूसने लगी. ताहिरा मेरी कमर पकड़ कर सिसकारियां भरने लगी.
फिर मैंने धीरे से उसकी ब्रा को उतार कर फेंक दिया.
ताहिरा जैसे अपने कपड़े उतरवाने में मेरी मदद कर रही थी.
फिर मैंने उसको अपने हाथों से पूरी नंगी कर दिया.
मैं उसके बदन को चूमने लगी.
उसकी चूची उसका गला सब चूस लिया … पर जब मैंने उसकी चूत के पास अपना हाथ रखा तो उसने बोला- वहां मत करना, बहुत दर्द होता है.
मैंने कहा- ताहिरा क्या तुम आज मेरी चुत चूस लोगी … प्लीज!
ताहिरा रानी शायद मेरा बोलने का इंतजार ही कर रही थी.
उसने जल्दी से मेरे ऊपर चढ़कर मुझे बेड पर गिरा दिया और मेरी टांगों के बीच में जाकर मेरी चूत की दोनों फांकों को संतरे की तरह खोल दिया.
मुझे ऐसा लग रहा था, जैसे ताहिरा रानी इससे पहले भी यह किया होगा.
मैंने ताहिरा से पूछा तो उसने बताया कि उसकी भाभी जब उसके भैया से संतुष्ट नहीं होती है, तो वह मुझसे अपनी चूत चुसवा कर मजा लेती है.
ताहिरा का जादू मेरी चूत को भी महसूस होने लगा.
बड़ी मस्ती से ताहिरा मेरी चुत चूस रही थी और मैं बड़े मजे से सिसकारियां भर रही थी.
सिसकारियां लेती हुई मेरी आवाज तेज हो गई और मैंने ताहिरा के बालों को पकड़ कर उसका सर अपनी टांगों में दबा दिया.
मैं ‘आह अम्मी …’ बोल कर अकड़ी और मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया.
ताहिरा मेरी चुत का सारा पानी चूस चूस कर साफ कर रही थी.
उसने मेरा सारा पानी चूस लिया और मुझे जन्नत की सैर कराई.
मैं बिल्कुल मदहोश होकर गिर गई थी, मैंने ताहिरा को अपने ऊपर खींच लिया और उसे ज़ोर से किस किया.
गर्ल गर्ल लव करने के बाद हम दोनों सो गईं.
सुबह ताहिरा मेरी पैंटी पहन कर गई क्योंकि उसकी पैंटी तो मैंने रख ली थी.
फिर मुझे नई पैंटी लेने बाजार जाना था, तो मैंने 4 सैट अपने लिए और 4 ताहिरा के लिए खरीदे.
इस तरह हम दोनों की जिंदगी बड़े मजे से एक दूसरे के जिस्म को चूस चूस कर कट रही थी और हम दोनों एक दूसरे को जन्नत की सैर करवाने में लगी थीं.
हमारे एग्जाम होने के बाद ताहिरा अपने मामू के घर गई थी.
वहां उसके मामू के लड़के ने उसे पसंद कर लिया.
जब वह वापस आई तो उसने मुझे बताया कि उसका निकाह तय हो गया है और अब वह जल्दी ही मुझसे दूर हो जाएगी.
मैं उसके बिना कैसे रहूंगी, यह सोच कर मैं पागल हो रही थी.
तब मैं ताहिरा को रोज रोज अपने घर बुलाती और रोज रोज उसको प्यार देती, उसको चूसती और अपने बदन को उससे चुसवाती.
उसको शादी ना करने के लिए मैंने लाख मनाया पर वह मजबूर थी और रो भी देती.
मैं भी मजबूर हो गई.
फिर ताहिरा की शादी हो गई.
मैंने उसके निकाह वाले दिन भी दुल्हन वाले कमरे में जाकर उससे अपनी चुत चुसवाई और मैंने भी उसकी चूची और चूत दोनों को अच्छे से चूसा.
पर यह तो हवस की आग थी, ऐसे बुझने वाली नहीं थी.
ताहिरा निकाह के बाद चली गई और मैं उसको याद करके बहुत परेशान होने लगी थी.
मैं रोती रहती थी.
अपनी दोनों पैंटी को रख कर उसको याद करके बहुत परेशान होती थी और अपनी चुत में उंगली करती थी.
अपनी दोनों पैंटी को रखकर मैं अपनी पुरानी बातों को याद करती रहती थी.
फिर मेरी जिंदगी में एक दोस्त आया. इसके बाद मेरी जिंदगी इस दुख से निकलकर और ज्यादा रंगीन हो गई.
वह सब क्या था, उसे अगले भाग में लिखूँगी.
आप इस गर्ल गर्ल लव स्टोरी में मेरे साथ बने रहें और मुझे अपने विचारों से अवगत जरूर कराएं.
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गर्ल गर्ल लव स्टोरी का अगला भाग: तीन गांड और दो चूत का मालिक पति- 2