पूरी रात लड़की चुदती रही अपने पीया से, यार से … सुबह उठ कर जब उसकी सहेली ने पूछा कि कहाँ रही रात भर.
तो लड़की ने अपनी रात बीती इस कविता के रूप में सुनाई.
मैं देती रही रात भर अपना प्यार उनको
वे लेते रहे रात भर मजा मेरे हुस्न का!
हल्की हल्की बारिश थी सुहाना था मौसम
साथ देती रही मैं भी हर चूमाचाटी का!
तन पे चोली कसी पल भर में खुली
महंगा लहंगा भी था फर्श पर पड़ा!
उनके जज्बात तो थे आसमान पर
उनका हथियार तो था एकदम खड़ा!
मैं मजबूर होकर बस खड़ी रह गयी
दर्द सहने के सिवाय न कुछ था बचा!
एक झटके ने सब कुछ था बदल ही दिया
बस आंखों में आँसू छलकता रहा!
वो आगोश में भरकर जज्बाती हुए
फिर सहने के सिवाय अब कुछ न रहा!
सिसकती सिसकती कब मदहोश हो गई,
उनके आगोश में मैं भी अब खो गई.
अचानक से एक सैलाब सा आ गया,
जोर धक्कों का अब और बढ़ने लगा.
हाथ छाती पर दोनों थे कसने लगे,
और जज्बात का सैलाब बढ़ने लगा.
अचानक सा एक ऐसा लावा फूटा
दो जवानी आपस में थी खो गयी.
दोनो के जज्बात एक संग ऐसे मिले
एक पल में पानी पानी हो गई.
आंखों में नशा था ऐसा चढ़ा
उनके सीने में मैं भी थी खो गई!